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रोहित को नहीं हटाना था’, पूर्व चयनकर्ता का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली
इंग्लैंड दौरे से पहले ही रोहित शर्मा ने अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेला था। तब वह टीम के कप्तान थे। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से दौरान वह खराब फॉर्म से जूझ रहे थे और इस वजह से उन्होंने सिडनी में हुए ट्रॉफी के आखिरी टेस्ट में खुद को ही ड्रॉप कर दिया था। पूर्व चयनकर्ता जतिन परांजपे ने अब कहा है कि वह रोहित के फैसले से थोड़ा निराश हुए थे। अगर वह सिडनी टेस्ट खेले होते तो भारत सीरीज बराबर कर सकता था।

सायरस ब्रोचा के साथ 'अ सेंचुरी ऑफ स्टोरीज' पॉडकास्ट में परांजपे ने बताया कि रोहित शर्मा को टेस्ट क्रिकेट से खास लगाव है। उन्होंने कहा, 'मुझे याद है वह भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल रहे थे। जब मैंने उनसे बात की तब उन्होंने कहा- जतिन, मैंने क्रिकेट खेलना ही रेड बॉल से शुरू किया है। आप कैसे कह सकते हैं कि मेरी टेस्ट क्रिकेट में रुचि नहीं हैं?'

परांजपे ने आगे कहा, 'उन्होंने कहा कि वह टेस्ट क्रिकेट के लिए जीते हैं। मुझ लगता है कि रोहित शर्मा टेस्ट क्रिकेट में और भी ज्यादा कर सकते थे। मुझे तब थोड़ी बहुत निराशा हुई थी जब उन्होंने सिडनी टेस्ट में खुद को ड्रॉप कर दिया क्योंकि हम सीरीज की बराबरी कर सकते थे।' भारत सिडनी टेस्ट हार गया था और उसे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में शिकस्त झेलनी पड़ी थी। परांजपे ने कहा कि सिडनी टेस्ट जब चल रहा था तब रोहित शर्मा ने कहा कि वह 'कहीं नहीं जा रहे' लेकिन कुछ ही महीने बाद आखिरकार उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा ही कह दिया।

परांजपे ने टेस्ट क्रिकेट में रोहित शर्मा के उभार का श्रेय रवि शास्त्री को दिया। उन्होंने खुलासा किया कि जब वह चयन समिति में थे तब शास्त्री ने रोहित को भारत के लिए ओपनिंग करने के बारे में पूछा था। शास्त्री तब हेड कोच थे।

रोहित शर्मा ने भारत के लिए 67 टेस्ट खेले जिसमें उन्होंने 40.57 की औसत से 4301 रन बनाए। उन्होंने 2019 में टेस्ट में ओपनिंग शुरू की और तब से वह क्रिकेट के इस सबसे लंबे फॉर्मेट में भारत के अहम बल्लेबाज बन गए। 2020 से 2024 तक वह टेस्ट में भारत के सबसे कंसिस्टेंट परफॉर्मर थे। हालांकि, सितंबर 2024 में उनका मुश्किल वक्त आया और बल्ले से रन बनाने के लिए जूझने लगे। फिर उन्होंने संन्यास ही ले लिया।

 

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