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रामभुआल निषाद पर कोर्ट सख्त, गैरहाजिरी पर SSP को भेजी चिट्ठी

गोरखपुर 
यूपी की सुल्तानपुर सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद रामभुआल निषाद फिर मुश्किल में हैं। फर्जी शस्त्र लाइसेंस के मुकदमे में गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद सांसद के उपस्थित नहीं होने पर न्यायालय ने सख्त रुख अपना लिया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र कुमार की कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी करने के साथ ही रामभुआल को कोर्ट में पेश करने के लिए एसएसपी को पत्र भी लिखा है।

बड़हलगंज क्षेत्र के दवनाडीह निवासी रामभुआल निषाद 2024 में सपा के टिकट पर सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं। राम भुआल के खिलाफ आयुध लिपिक (असलहा बाबू) सुनील कुमार गुप्ता ने जिला मजिस्ट्रेट के 25 जनवरी 2020 के आदेशानुसार मुकदमा दर्ज कराया है।

मुकदमे के मुताबिक, आरोपित रामभुआल निषाद द्वारा गलत ढंग से कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लाइसेंस संख्या 3912 डीबीबीएल गन का उपयोग किया जा रहा है। यह लाइसेंस 19 जुलाई 1996 को बेचू यादव पुत्र महेंद्र यादव निवासी मुंडेरा बाबू थाना बड़हलगंज के नाम से जारी हुआ है। लाइसेंसी बेचू यादव की मृत्यु हो चुकी है। इस मामले में विवेचक ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया है।

न्यायालय ने पिछली कई तिथियों पर आरोपित के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया। इसके बावजूद रामभुआल न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। जिसके बाद न्यायालय ने रामभुआल के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी करते हुए उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र भी लिखा है। कोर्ट इससे पहले थानेदार और फिर एसपी नार्थ को भी पत्र लिख चुका है।

जिलाधिकारी से दारा निषाद ने की थी शिकायत
मामला तब खुला जब दारा निषाद ने रामभुआल के खिलाफ जिलाधिकारी से शिकायत की और बताया कि उनके पास मौजूद राइफल का लाइसेंस फर्जी है। वह लाइसेंस बेचू यादव के नाम से डीबीबीएल गन के लिए जारी है। शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने इसकी तस्दीक कराई तो शिकायत सही मिली। इसके बाद डीएम ने असलहा बाबू को रामभुआल निषाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।

14 अगस्त को खुला था फर्जी शस्त्र का मामला
गोरखपुर में 14 अगस्त 2019 को शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ था। उसी क्रम में जांच शुरू हुई रामभुआल निषाद के लाइसेंस का भी मामला सामने आया था। जांच के दौरान शस्त्र अनुभाग में काम करने वाले दो बबुओं का नाम सामने आया था। पुष्टि होने के बाद दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ और उन्हें जेल भेज दिया गया।

 

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