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गोबर से सोना: नंगली डेयरी में शुरू हुआ 200 टन का बायोगैस प्लांट

दिल्ली 
नजफगढ़ के नंगली सकरावती में शनिवार को सीएम रेखा गुप्ता ने गोबर बायोगैस प्लांट का उद्घाटन किया। प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 200 टन गोबर ट्रीट करने की है। इस दौरान वेस्ट दिल्ली सांसद कमलजीत सहरावत, दिल्ली सरकार में शहरी विकास मंत्री आशीष सूद, एमसीडी मेयर राजा इकबाल सिंह, एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार भी मौजूद रहे। सीएम ने कहा कि यह दिल्ली का पहला ऐसा गोबर बायोगैस प्लांट है, जिसमें डेयरी ओनर्स गोबर से पैसे भी कमा सकते हैं। गोबर की कीमत प्रति किलो 65 पैसे तय की गई है।

नालियों में न जाए गोबर
सीएम ने कहा कि नंगली डेयरी में यह पहला बायोगैस प्लांट है, जो 2.72 एकड़ एरिया में बना है। गोबर से गैस बनाने के लिए प्लांट में तीन डाइजेस्टर लगे हैं। एक डाइजेस्टर 27 मीटर चौड़ा और 12 मीटर ऊंचा है। बाकी दो डाइजेस्टर में से एक 18 मीटर चौड़ा और 12 मीटर ऊंचा है। इस प्लांट के निर्माण का खास मकसद यह है कि यहां जितनी भी डेयरियां हैं, उनका गोबर नालियों में न जाए। यमुना की सफाई का नया आयाम बनेगा। नांगली डेयरी में करीब 13,000 और ककरौला डेयरी में करीब 7,000 मवेशी हैं। अनुमान है कि एक दिन में एक मवेशी से 10 किलो गोबर निकलता है। इस हिसाब से 20,000 मवेशियों से 200 टन गोबर प्राप्त होगा।

इतनी लागत से बना प्लांट
एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार ने कहा कि घोघा डेयरी में एक और नया बायोगैस प्लांट का उद्घाटन जल्द होगा। इसके अलावा दिल्ली में दो और नए बायोगैस प्लांट बनाने की योजना है। नंगली डेयरी के प्लांट की लागत 16 करोड़ रुपये है। इस प्लांट से रोजाना करीब 14,000 घन मीटर कच्ची गैस (सीएनजी) और 5.6 टन बायोगैस का निर्माण होगा। इसे एमसीडी आईजीएल को उपलब्ध कराएगी। आशीष सूद, कमलजीत सहरावत और राजा इकबाल सिंह ने कहा कि बायोगैस प्लांट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हरित क्रांति का परिणाम है।

इस प्लांट से क्या होगा फायदा?
दिल्ली में वैध डेयरियों की संख्या तो कम है, लेकिन अवैध डेयरियां काफी है। सभी डेयरियों को मिलाकर रोजाना सैकड़ों टन गोबर निकलता है। इतने बड़े पैमाने में निकलने वाले गोबर के निस्तारण के लिए इसके पहले कोई व्यवस्था नहीं थी। गोबर गैस प्लांट के बनने के बाद एक तो उन इलाकों में सफाई व्यवस्था बेहतर होगी। दूसरा, यह बायोगैस प्लांट यमुना की सफाई में काफी मददगार साबित होगा। क्योंकि ज्यादातर डेयरियों का गोबर नालों के जरिए यमुना में जाता है।

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