samacharsecretary.com

नवजात की मृत्यु: जानिए इस परिस्थिति में श्राद्ध करना चाहिए या नहीं

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म किए जाते हैं जिससे हमारे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करने से मृतक की आत्मा तृप्त होती है. साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है जो 21 सितंबर यानी सर्वपितृ अमावस्या की तिथि तक चलेंगे.

पितृपक्ष के दौरान सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है. हर तिथि का अपना अलग श्राद्ध होता है. लेकिन क्या नवजात शिशु का श्राद्ध कर्म कर सकते हैं, और अगर कर सकते हैं तो नवजात शिशु के श्राद्ध कर्म के क्या नियम हैं जानते हैं.

बच्चों का श्राद्ध कब करना चाहिए? अगर बच्चे के आयु 6 वर्ष से कम है और उसका निधन हो जाता है तो बच्चा का श्राद्ध उसकी मृत्यु तिथि पर ही किया जाता है. नवजात शिशु की मृत्यु के बाद, श्राद्ध (पिंडदान) के बजाय तर्पण किया जाता है. तर्पण एक विशिष्ट कर्मकांड है जो प्रेत योनि में फंसे शिशु को मोक्ष दिलाने में मदद करता है.

तर्पण क्यों किया जाता है? जब कोई बच्चा नवजात शिशु की मृत्यु के बाद प्रेत योनि में अटक जाता है. तर्पण के बाद शिशु पितृ बनता है और मोक्ष प्राप्त करता है. अगर नवजात शिशु की किसी कारण से मृत्यु हो जाती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति करना जरूरी होता है.नवजात शिशु का केवल तर्पण किया जाता है और नवजात शिशु का पिंडदान ना करें.

किस तिथि पर होता है बच्चों का श्राद्ध ?
पितृपक्ष के दौरान अगर किसी की तिथि ज्ञात ना हो तो उसका तर्पण त्रयोदशी तिथि के दिन कर सकते हैं. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

गर्भावस्था में शिशु के श्राद्ध के नियम?
गर्भावस्था के दौरान किसी कारण से अजन्मी संतान की मृत्यु माता के गर्भ में हो जाती है तो शास्त्रों के अनुसार उसका श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता है.

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here