samacharsecretary.com

पवित्र नवरात्रि: फूलों, नारियल और दीपक से घर में बढ़ाएं सकारात्मक ऊर्जा

नवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि खास तौर पर मां दुर्गा की साधना के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और उन्हें फूल, नारियल, चुनरी, वस्त्र और दीपक आदि अर्पित करते हैं, लेकिन जब नवरात्रि खत्म होती है तो ज्यादातर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि आखिर पूजा में चढ़ाई गई चीजों का क्या करना चाहिए? क्या इन्हें ऐसे ही फेंक देना सही है या इसके लिए कुछ खास नियम बताए गए हैं? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि पूजा के बाद जली हुई बाती, नारियल, फूल, कलश, चुनरी और कपड़े का सही तरीका क्या है.  देवी पूजा के लिए जलाई हुई बाती का क्या करें? नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा में जो बाती जलाई जाती है, उसे कभी भी कचरे में नहीं फेंकना चाहिए. चाहे वह आधी जली हो या पूरी, सभी बातियों को इकट्ठा करके पवित्र स्थान पर रख लें. नवरात्रि के आखिरी दिन इसमें कपूर, लौंग और थोड़ा सा घी डालकर दोबारा जलाएं. इसे घर में घुमाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मकता बढ़ती है. बाद में बची हुई राख को पौधे वाले गमले में डाल दें. मान्यता है कि यह भूत नजर दोष से बचाती है. माता को चढ़ाए गए फूलों का क्या करें? फूलों में देवी की ऊर्जा मानी जाती है. इन्हें कहीं भी फेंकने की बजाय प्रसाद मानकर अपने धन स्थान या पूजा घर में रखें. बाकी फूलों को गमले या पौधे में डाल दें ताकि वह खाद के रूप में काम आ सके. यह तरीका पर्यावरण के लिए भी अच्छा माना जाता है. नवरात्रि पूजा के कलश का क्या करें? पूजा के बाद कलश का जल परिवार और घर में छिड़कें. यह घर में शुभ ऊर्जा का प्रसार करता है. बचा हुआ जल पौधों में डाल दें. कलश में रखे सिक्कों को लाल कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रखें. इसे देवी का आशीर्वाद माना जाता है. नारियल का क्या करें? मां दुर्गा की पूजा में चढ़ाया गया नारियल बहुत पवित्र माना जाता है. इसे परिवार के सभी सदस्यों और मित्रों में प्रसाद के रूप में बांट दें, अगर नारियल सूख गया हो तो नदी या समुद्र में प्रवाहित कर दें, अगर नारियल फोड़ने पर खराब निकल जाए तो इसे भूमि में दबा दें. मान्यता है कि ऐसा नारियल आपके कष्टों को अपने ऊपर ले लेता है. चुनरी का क्या करें? मंदिर में या पूजा में मिली चुनरी में मां का आशीर्वाद माना जाता है. इसे अपने घर के पवित्र स्थान, धन स्थान या वाहन पर बांध सकते हैं. पूजा-पाठ करते समय इसे सिर पर भी रख सकते हैं, अगर इसका उपयोग न हो पाए तो इसे मंदिर में या किसी श्रद्धालु को सम्मानपूर्वक दें. माता की चौकी और कपड़े का क्या करें? पूजा के बाद चौकी और वस्त्रों को साफ करके सुरक्षित रखें और आगे आने वाले अनुष्ठानों में उपयोग करें, अगर जरूरत न हो तो मंदिर में दान कर सकते हैं या किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं.

मां दुर्गा और शिव जी की कृपा पाने के लिए नवरात्रि में अपनाएं ये पवित्र विधि

शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) हर साल भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह समय मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्र के दौरान पूजा-पाठ करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस खास अवसर पर भगवान शिव की पूजा भी विशेष फलदायी मानी जाती है। कहा जाता है कि नवरात्र में शिव जी के 108 नामों का जाप करने से परम कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। ऐसे करें पूजा सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान शिव के 108 नामों का श्रद्धापूर्वक जाप करें। अंत में माता रानी और भोलेनाथ की आरती करें। ऐसा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और भक्त को देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ।।भगवान शिव के 108 नाम।। ॐ महाकाल नमः ॐ रुद्रनाथ नमः ॐ भीमशंकर नमः ॐ नटराज नमः ॐ प्रलेयन्कार नमः ॐ चंद्रमोली नमः ॐ डमरूधारी नमः ॐ चंद्रधारी नमः ॐ भोलेनाथ नमः ॐ कैलाश पति नमः ॐ भूतनाथ नमः ॐ नंदराज नमः ॐ नन्दी की सवारी नमः ॐ ज्योतिलिंग नमः ॐ मलिकार्जुन नमः ॐ भीमेश्वर नमः ॐ विषधारी नमः ॐ बम भोले नमः ॐ विश्वनाथ नमः ॐ अनादिदेव नमः ॐ उमापति नमः ॐ गोरापति नमः ॐ गणपिता नमः ॐ ओंकार स्वामी नमः ॐ ओंकारेश्वर नमः ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः ॐ भोले बाबा नमः ॐ शिवजी नमः ॐ शम्भु नमः ॐ नीलकंठ नमः ॐ महाकालेश्वर नमः ॐ त्रिपुरारी नमः ॐ त्रिलोकनाथ नमः ॐ त्रिनेत्रधारी नमः ॐ बर्फानी बाबा नमः ॐ लंकेश्वर नमः ॐ अमरनाथ नमः ॐ केदारनाथ नमः ॐ मंगलेश्वर नमः ॐ अर्धनारीश्वर नमः ॐ नागार्जुन नमः ॐ जटाधारी नमः ॐ नीलेश्वर नमः ॐ जगतपिता नमः ॐ मृत्युन्जन नमः ॐ नागधारी नमः ॐ रामेश्वर नमः ॐ गलसर्पमाला नमः ॐ दीनानाथ नमः ॐ सोमनाथ नमः ॐ जोगी नमः ॐ भंडारी बाबा नमः ॐ बमलेहरी नमः ॐ गोरीशंकर नमः ॐ शिवाकांत नमः ॐ महेश्वराए नमः ॐ महेश नमः ॐ संकटहारी नमः ॐ महेश्वर नमः ॐ रुंडमालाधारी नमः ॐ जगपालनकर्ता नमः ॐ पशुपति नमः ॐ संगमेश्वर नमः ॐ दक्षेश्वर नमः ॐ घ्रेनश्वर नमः ॐ मणिमहेश नमः ॐ अनादी नमः ॐ अमर नमः ॐ आशुतोष महाराज नमः ॐ विलवकेश्वर नमः ॐ अचलेश्वर नमः ॐ ओलोकानाथ नमः ॐ आदिनाथ नमः ॐ देवदेवेश्वर नमः ॐ प्राणनाथ नमः ॐ शिवम् नमः ॐ महादानी नमः ॐ शिवदानी नमः ॐ अभयंकर नमः ॐ पातालेश्वर नमः ॐ धूधेश्वर नमः ॐ सर्पधारी नमः ॐ त्रिलोकिनरेश नमः ॐ हठ योगी नमः ॐ विश्लेश्वर नमः ॐ नागाधिराज नमः ॐ सर्वेश्वर नमः ॐ उमाकांत नमः ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः ॐ त्रिकालदर्शी नमः ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः ॐ महादेव नमः ॐ गढ़शंकर नमः ॐ मुक्तेश्वर नमः ॐ नटेषर नमः ॐ गिरजापति नमः ॐ भद्रेश्वर नमः ॐ त्रिपुनाशक नमः ॐ निर्जेश्वर नमः ॐ किरातेश्वर नमः ॐ जागेश्वर नमः ॐ अबधूतपति नमः ॐ भीलपति नमः ॐ जितनाथ नमः ॐ वृषेश्वर नमः ॐ भूतेश्वर नमः ॐ बैजूनाथ नमः ॐ नागेश्वर नमः।।

शारदीय नवरात्रि में कौन सा रंग लाएगा किस्मत? मां दुर्गा के 9 स्वरूप और रंगों की पूरी गाइड

22 सितंबर दिन सोमवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और 2 अक्टूबर दिन गुरुवार को नवरात्रि का समापन हो रहा है. नवरात्रि सिर्फ व्रत और पूजा का पर्व नहीं है. यह आत्मा के रंगों को देवी के रूप में देखने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का समय भी है. हर दिन एक देवी, हर देवी एक भाव, और हर भाव का एक रंग. यही है रंगों वाली नवरात्रि की असली आत्मा. हालांकि देवी पुराण या धार्मिक ग्रंथों में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन जब प्रश्न आस्था का हो और मां के गुणों का हो, तो भक्त खुद को कैसे अलग रख पाएगा? तो आइए देखें किस दिन किस देवी की पूजा होती है और उनके गुणों के अनुसार कौन‑सा रंग उनके लिए उपयुक्त होता है! मां दुर्गा के 9 स्वरूप और 9 रंग मां शैलपुत्री- प्रतिपदा को नौ दुर्गे के प्रथम रूप देवी शैलपुत्री का पूजन होता है. देवी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जो स्थिरता, शक्ति और नए आरंभ की प्रतीक हैं. शायद इसलिए पीले रंग से शुरुआत होती है, ऐसा रंग जिससे जीवन में उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मक सोच का संचार होता है, ठीक वैसे जैसे सूरज की पहली किरण होती है. मां ब्रह्मचारिणी – द्वितीया को मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को पूजा जाता है. मां ब्रह्मचारिणी कठोर तप की देवी हैं. उनका जीवन संयम, साधना और अध्यात्म से जुड़ा है इसलिए हरा रंग उनकी पहचान है. ऐसा रंग जो शांति और आत्म-संयम का प्रतीक है. मां चंद्रघंटा – तृतीया को मां चंद्रघंटा की आराधना होती है. उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है और इसलिए उनको ये नाम मिला है. उनके दस हाथ हैं जिनमें शस्त्र होते हैं और उनका वाहन सिंह है. मां शांति, स्थिरता और जमीन से जुड़ी हैं, इसलिए ग्रे या स्लेटी रंग, जो संतुलन का माना जाता है, भक्तगण पहनने की कोशिश करते हैं. यह रंग संतुलन के साथ ही सौम्यता का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो मां चंद्रघंटा के गुणों से मेल खाता है, जहां शक्ति भी है और शांति भी. मां कूष्मांडा – चतुर्थी को मात कूष्मांडा पूजी जाती हैं. मां ब्रह्मांड की रचयिता और आदिशक्ति मानी जाती हैं. उनके गुणों से नारंगी रंग मेल खाता है, जो सृजन और शक्ति का रंग है. यह आत्मविश्वास, क्रिएटिविटी और ऊर्जावान जीवन का प्रतीक है. मां स्कंदमाता – नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है. ममता निश्चल होती है, इसलिए इस दिन श्वेत रंग को तरजीह दी जाती है. ये रंग ममता और पवित्रता का है. देवी स्कंदमाता को ममता और करुणा की देवी माना जाता है. और सफेद रंग शांति, सरलता और निर्मलता का प्रतीक है. मां कात्यायनी – षष्ठी मां कात्यायनी को समर्पित है. मां साहस और प्रेम का प्रतीक हैं. उन्होंने असुरों का वध किया था इसलिए साहस और प्रेम का रंग लाल उनके गुणों से मेल खाता है. मां असुरों का वध करने वाली शक्तिशाली देवी हैं. लाल रंग वीरता, प्रेम और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. मां कालरात्रि – सप्तमी को कालरात्रि का स्मरण और ध्यान किया जाता है. वह भयंकर अंधकार और भय का विनाश करने वाली देवी हैं, इसलिए उनके इन गुणों को परिलक्षित करता है नीला रंग, ऐसा रंग जो रहस्य के साथ सुरक्षा का भी पर्याय है. गहरा नीला रंग सुरक्षा, गहराई, और आंतरिक शक्ति को दर्शाता है. मां महागौरी – ॐ महागौर्यै नमः! अष्टमी को देवी के आठवें स्वरूप, मां महागौरी, की पूजा की जाती है. मां महागौरी सौम्यता और पवित्रता की देवी हैं. गुलाबी रंग कोमलता और कृपा को दर्शाता है. ये रंग करुणा, स्नेह और स्त्रीत्व का रंग है. मां सिद्धिदात्री – नवमी, सिद्धि दायिनी, मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. जैसा कि नाम से विदित होता है, मां का संबंध सिद्धि से है और सिद्धि ज्ञान से ही अर्जित की जा सकती है. मां का ये गुण बैंगनी रंग से मेल खाता है. बैंगनी रंग आध्यात्मिकता, वैभव और ज्ञान का प्रतीक है. हर रंग के परिधान सिर्फ पहनने की चीज नहीं होते, बल्कि वो एक भाव, एक सोच और मां का आशीर्वाद है. जब हम देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर रंग पहनते हैं, तो सिर्फ तन नहीं, मन भी सजता है. इस बार शारदीय नवरात्रि में आप भी ये करके देखिए.