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करवा चौथ की शाम दुख में बदली, पति की प्रतीक्षा में पत्नी को मिली मौत की खबर

दुर्ग छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में करवा चौथ के दिन खूनी वारदात हुई है. शुक्रवार की देर रात एक युवक की हत्या कर दी गई है. सुबह मोहलई बिजली ऑफिस के सामने जब शव को राहगीरों ने देखा तब पुलिस को सूचना दी. मृतक की पहचान शिवपारा दुर्ग निवासी 35 वर्षीय अनिल यादव के रूप में हुई है. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. क्योंकि मृतक के शरीर पर चोट के निशान भी मिले हैं. करवा चौथ के दिन वारदात दरअसल, घटना दुर्ग के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के मोहलई क्षेत्र की है. अनिल यादव की दो बेटियां हैं. पीड़ित परिवार का कहना है कि अनिल शुक्रवार रात करीब 11 बजे घर से निकला था और वापस नहीं लौटा. करवा चौथ का दिन होने के कारण पत्नी देर रात तक उसका इंतजार करती रही. बताया जा रहा है कि अनिल ई-रिक्शा चलाने के साथ साथ पेंटिंग का ठेका लेकर काम करता था. शनिवार सुबह अनिल के शव मिलने की सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की. हालांकि पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु का कारण स्पष्ट होने की बात कही है. घटनास्थल से पुलिस को एक एक्टिवा स्कूटी भी मिली है, जिसे जब्त कर थाने ले जाया गया है. पुलिस आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है. साथ ही स्थानीय लोगों से पूछताछ भी कर रही है. घटनास्थल की जांच के लिए फॉरेंसिक टीम को भी बुलाया गया है. शरीर पर चोट के निशान, गहराई हत्या की आशंका कोतवाली थाना प्रभारी तापेश्वर नेताम ने बताया कि मृतक के शरीर पर चोट के निशान हैं, जिससे हत्या की आशंका जताई जा रही है. उन्होंने कहा कि मामले की सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है. आसपास के लोगो ने रात में कुछ संदिग्ध लोगों की आवाजे सुनने की बात सामने आई है. जिसकी जांच की जा रही है.

करवा चौथ विशेष: इन चौघड़िया मुहूर्तों में करें व्रत की हर पूजा विधि

करवा चौथ विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए सबसे प्रिय त्योहारों में से एक है, जो पति-पत्नी के बीच प्रेम, प्रतिबद्धता और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाने वाला यह त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चुतर्थी को पड़ता है. करवा चौथ का त्योहार आज मनाया जा रहा है. महिलाएं निर्जला व्रत किए हुए हैं. द्रिक पंचांग के मुताबिक, करवा चौथ का व्रत सुबह 6:19 बजे से शुरू होकर रात 10 रात 8:13 बजे तक चलेगा क्योंकि चंद्रमा के उदय का समय शाम 8 बजकर 13 का है. करवा चौथ न केवल एक व्रत-अनुष्ठान है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है. मान्यता है कि यह त्योहार देवी पार्वती की पूजा का प्रतीक है, जिन्होंने भगवान शिव का पति रूप में प्रेम पाने के लिए व्रत रखा था. विवाहित महिलाएं भी अपने पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं. ऐसा भी माना जाता है कि यह दिन परिवार में सौभाग्य, समृद्धि और सद्भाव लाता है. अपने पतियों की पूजा के अलावा, महिलाएं भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और करवा माता की भी पूजा करती हैं ताकि उन्हें सुखी और सफल वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिले. यह व्रत केवल प्रेम और प्रतिबद्धता का ही नहीं, बल्कि पारिवारिक बंधनों को बनाए रखने वाले विश्वास और परंपरा का भी प्रतीक है. यही वजह है कि महिलाएं पूजा-पाठ से लेकर हर कार्य शुभ मुहूर्त में करना चाहती हैं. आइए आपको बताते हैं कि करवा चौथ पर सुबह से लेकर शाम तक कब-कब शुभ मुहूर्त है जब पूजा-पाठ किया जा सकता है? दिन का चौघड़िया शुभ मुहूर्त     चर-सामान्य मुहूर्त: 06:19AM से 07:46 AM     लाभ-उन्नति मुहूर्त: 07:46AM से 09:13AM     अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 09:13AM से 10:41AM     शुभ-उत्तम मुहूर्त: 12:08PM से 01:35PM     चर-सामान्य मुहूर्त: 04:30PM से 05:57PM रात का चौघड़िया शुभ मुहूर्त     लाभ-उन्नति मुहूर्त: 09:02PM से 10:35PM     शुभ-उत्तम मुहूर्त: 12:08AM से 01:41AM, अक्टूबर 11     अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 01:41AM से 03:14AM, अक्टूबर 11     चर-सामान्य मुहूर्त: 03:14AM से 04:47AM, अक्टूबर 11 करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त द्रिक पंचांग के अनुसार, आज करवा चौथ पूजा मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक है, जिसे पूजा करने के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है.

क्या गर्भवती महिलाएं रख सकती हैं करवा चौथ? शास्त्र की सलाह जानें

करवा चौथ का त्योहार हर साल सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं. सोलह श्रृंगार करके शाम को चांद देखकर जल ग्रहण करती हैं और अपने व्रत का समापन करती हैं. लेकिन जब कोई महिला गर्भवती होती है यानी प्रेग्नेंट होती है, तो सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या वह इस स्थिति में करवा चौथ का व्रत रख सकती है या नहीं. क्या उपवास के दौरान बिना पानी और खाना खाए रहना सही है या यह मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. आजकल यह सवाल हर घर में चर्चा का विषय बन गया है, खासकर नई मम्मीज और मॉडर्न कपल्स के बीच. सोशल मीडिया पर भी इस बात पर खूब चर्चा होती है कि क्या गर्भवती महिलाएं करवा चौथ व्रत कर सकती हैं या नहीं. आइए जानते हैं शास्त्र और ज्योतिष दोनों की नजर में इस सवाल का सही उत्तर क्या है. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर. शास्त्रों के अनुसार क्या कहता है करवा चौथ व्रत हिंदू धर्म में करवा चौथ को बहुत पवित्र व्रत माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत सच्चे मन और प्रेम से किया जाए तो हमेशा शुभ फल देता है. धर्मग्रंथों में कहीं भी यह नहीं लिखा गया कि गर्भवती महिला यह व्रत नहीं रख सकती. बल्कि शास्त्रों में कहा गया है कि हर व्यक्ति को अपनी क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार व्रत रखना चाहिए. अगर महिला शारीरिक रूप से स्वस्थ है और उसका मन इसे करने का है, तो वह अपने तरीके से यह व्रत निभा सकती है. गर्भवती महिलाओं के लिए व्रत का तरीका अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है और करवा चौथ का व्रत रखना चाहती है, तो उसे अपने शरीर और बच्चे दोनों का ध्यान रखना चाहिए. सुबह सूर्योदय से पहले हल्का और पौष्टिक खाना खाएं जैसे दलिया, सूखे मेवे, दूध और फल. अगर शरीर थका महसूस करे या चक्कर आए तो तुरंत आराम करें. पूरे दिन पानी की कमी न होने दें. डॉक्टर की अनुमति हो तो नारियल पानी या जूस लिया जा सकता है. पूजा के समय अधिक देर तक बैठने या झुकने से बचें. दिन भर आराम करें और कोई भारी काम न करें

करवा चौथ: ये काम न करें, नहीं तो आपका व्रत अधूरा रह जाएगा!

भारत में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत सबसे कठिन और महत्वपूर्ण माना जाता है. यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है. पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत इस बार शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा. यह व्रत सूर्योदय से पहले सरगी खाकर शुरू होता है और चांद को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है. इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं, इसलिए इस व्रत के नियमों का पालन बहुत ही सावधानी से करना चाहिए. जाने-अनजाने में की गई कुछ गलतियां आपके व्रत का संकल्प तोड़ सकती हैं और पूजा का फल कम कर सकती हैं. आइए जानते हैं वो कौन से काम हैं जिन्हें आपको करवा चौथ के दिन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. करवा चौथ के व्रत में करें इन नियमों का पालन! अन्न और जल का सेवन न करें करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है, जिसका अर्थ है पूरे दिन बिना पानी और भोजन के रहना. सबसे बड़ी गलती: सूर्योदय के बाद और चंद्रोदय से पहले गलती से भी पानी की एक बूंद या अन्न का एक दाना ग्रहण न करें. यदि अनजाने में ऐसा हो जाए, तो व्रत खंडित माना जाता है. उपाय: अगर गलती से व्रत टूट जाए, तो तुरंत स्नान करके साफ कपड़े पहनें. भगवान शिव-पार्वती, गणेश जी और करवा माता से क्षमा-याचना करें और चंद्रोदय होने तक व्रत जारी रखने का संकल्प लें. धारदार वस्तुओं का प्रयोग न करें करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाओं को कैंची, चाकू, सुई या किसी भी धारदार वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए. कारण: शास्त्रों में माना जाता है कि इन वस्तुओं का प्रयोग करने से व्रत का फल कम होता है और यह अशुभ भी माना जाता है. इसलिए इस दिन सिलाई-कढ़ाई जैसे काम से बचना चाहिए. सलाह: सब्जियों को काटने या अन्य काम के लिए किसी और से मदद ले सकते हैं. सफेद और काले रंग के कपड़े न पहनें पूजा-पाठ और शुभ अवसरों पर काले और सफेद रंग को अशुभ माना जाता है. कारण: काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है, जबकि सफेद रंग विधवापन का प्रतीक है. क्या पहनें: करवा चौथ के दिन लाल, गुलाबी, पीला, नारंगी या हरा जैसे चमकीले और शुभ रंग के कपड़े पहनें.यह सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. बुजुर्गों या किसी का अनादर न करें उपवास के दौरान महिलाओं को शांत, संयमित और विनम्र रहना चाहिए. क्या न करें: किसी भी व्यक्ति, विशेषकर बुजुर्गों, सास-ससुर या पति का अनादर न करें. किसी से झगड़ा या अपशब्द न बोलें. कारण: माना जाता है कि व्रत के दिन क्रोध करना, झगड़ा करना या किसी को बुरा-भला कहना व्रत के फल को समाप्त कर देता है. सोने से बचें और शारीरिक श्रम न करें पूरे दिन निर्जला व्रत रखने से थकान महसूस होना स्वाभाविक है, लेकिन कुछ धार्मिक नियम हैं. क्या करें: दिन में ज़्यादा सोने से बचें.संभव हो तो पूरा दिन जागकर भगवान का स्मरण करें या करवा चौथ की कथा सुनें. क्या न करें: व्रत के दिन भारी शारीरिक श्रम या थका देने वाले काम करने से बचना चाहिए. इससे प्यास अधिक लग सकती है और व्रत खंडित होने की संभावना बढ़ जाती है. किसी को सुहाग की सामग्री दान न करें करवा चौथ पर अपने सुहाग की वस्तुएं किसी और को देने से बचें. सुहाग सामग्री: अपनी मेहंदी, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी या श्रृंगार की कोई भी वस्तु किसी अन्य महिला को दान न करें या न दें. यह आपके सौभाग्य को कम कर सकता है. क्या करें: यदि दान करना ही है तो नई सुहाग सामग्री खरीदकर दान करें.

करवा चौथ कब है? 9 और 10 अक्टूबर में से सही तिथि, शुभ समय और पूजा सामग्री की जानकारी

हिंदू धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व माना गया है। इस महीने को पूजन पाठ और दान धर्म से जोड़कर देखा जाता है। इस बार 8 अक्टूबर से कार्तिक के महीने की शुरुआत हो रही है। कार्तिक के महीने में करवा चौथ का त्यौहार भी आता है जो सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास माना गया है। इस हिंदू महीने में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी की पूजन के साथ करवा चौथ के व्रत का भी महत्व माना गया है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आने वाले इस त्यौहार पर सुहागन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा का पूजन करने के बाद व्रत खोलती हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन विधि विधान से की गई पूजन रिश्ते में प्रेम को बढ़ाती है। चलिए आपको इस शुभ पर्व की सही तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं। करवा चौथ की तिथि  वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत किया जाने वाला है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर को देर रात 10:54 पर होने वाली है। यह तिथि 10 अक्टूबर की शाम 7:38 पर समाप्त होगी। पूजन का मुहूर्त अगर आप भी हारतालिका तीज का व्रत करते हैं तो पूजन का शुभ मुहूर्त 5:16 से शाम 6:2 मिनट तक है। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7:42 का बताया जा रहा है। पूजन की सामग्री पूजन के लिए कच्चा दूध, पुष्प, शक्कर, घी, अगरबत्ती, मिठाई, गंगाजल, अक्षत, कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, बिछिया, महावीर, छलनी, जल का लौटा, थाली और दीपक की आवश्यकता होगी। इन चीजों का करें दान करवा चौथ के दिन माता करवा की पूजन अर्चन करें। व्रत की कथा का पाठ करने के बाद माता से जीवन में सुख समृद्धि लाने की प्रार्थना करें। अब आपको केसर सिंदूर, इत्र और लाल चुनरी का दान करना है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।

जानें करवा चौथ का व्रत कब है और कैसे करें सही पूजा

सनातन धर्म में करवा चौथ व्रत का खास महत्व है। यह पर्व चंद्र देव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर विवाहित महिलाएं संध्याकाल में स्नान-ध्यान के बाद चंद्र देव की पूजा करती हैं। साथ ही अखंड सौभाग्य के लिए करवा माता के निमित्त व्रत रखती हैं। करवा चौथ हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. करवा चौथ में रात के समय में चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देते हैं, उसके बाद व्रती अपने पति के हाथों में जल पीकर व्रत को पूरा करते हैं. चंद्रोदय के बाद ही करवा चौथ का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं कि इस साल करवा चौथ कब है? करवा चौथ का मुहूर्त क्या है? 2025 में करवा चौथ कब है? दृक पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के लिए आवश्यक कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि इस साल 9 अक्टूबर दिन गुरुवार को रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी. चतुर्थी ति​थि का समापन 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को शाम 7 बजकर 38 मिनट पर होगाा. उदयाति​थि के आधार पर करवा चौथ 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है. करवा चौथ का शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर को करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 57 मिनट से शाम 7 बजकर 11 मिनट तक है. इस दिन करवा चौथ की पूजा के लिए करीब सवा घंटे का शुभ समय प्राप्त होगा. करवा चौथ की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है. करवा चौथ का चांद कब निकलेगा? करवा चौथ की शाम व्रती महिलाओं को चांद के निकलने की प्रतीक्षा होती है. यह व्रत चंद्रमा के अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है. ऐसे में करवा चौथ का चांद रात 8 बजकर 13 मिनट पर निकलेगा. 14 घंटे का होगा करवा चौथ व्रत इस साल का करवा चौथ व्रत करीब 14 घंटे का होगा. करवा चौथ व्रत का प्रारंभ सूर्योदय के साथ होता है और इसका समापन चंद्रोदय होने पर होता है. इस आधार पर देखा जाए तो करवा चौथ का व्रत सुबह में 6 बजकर 19 मिनट से शुरू होगा और रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इस तरह से व्रती महिलाएं 13 घंटे 54 मिनट तक निर्जला व्रत रखेंगी. करवा चौथ शुभ योग (Karva Chauth Shubh Yog) ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस तिथि पर देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। वहीं, संध्याकाल में 07 बजकर 38 मिनट से नंदी की सवारी करेंगे. इस दौरान पूजा-पाठ करने से व्रती को दोगुना फल प्राप्त होगा। पंचांग     सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 31 मिनट पर     सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 16 मिनट पर     चंद्रोदय– शाम 07 बजकर 42 मिनट पर     चंद्रास्त- सुबह 08 बजकर 46 मिनट पर     ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 03 बजकर 53 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक     विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 21 मिनट से 02 बजकर 08 मिनट तक     गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 16 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक     निशिता मुहूर्त – रात्रि 10 बजकर 59 मिनट से 11 बजकर 48 मिनट तक