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राजनीतिक विवाद: आदिवासी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर बाबूलाल मरांडी ने CM हेमंत सोरेन पर लगाए भेदभाव का आरोप

रांची  झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर आदिवासी धर्मस्थलों की सुरक्षा में भेदभाव का गंभीर आरोप लगाया है। मरांडी ने कहा कि सरना स्थल, मसना स्थल, हड़गड़ी और जाहरथान जैसे आदिवासी धार्मिक स्थलों पर लगातार अतिक्रमण और हमले हो रहे हैं, परन्तु सरकार कोई प्रभावी सुरक्षा इंतजाम नहीं कर रही है। मरांडी ने सिमडेगा में चर्च की सुरक्षा को लेकर प्रशासन द्वारा ईसाई धर्मगुरुओं के साथ की जा रही बैठकों को भी विवादित बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों केवल चर्च को विशेष सुरक्षा दी जा रही है और क्या इसका उद्देश्य मतांतरण कराने वाले गिरोहों को संरक्षण देना है। मरांडी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) में लिखा कि पिछले कुछ वर्षों में झारखंड में कई जगह संतालों के ज़ाहिर थान, मांझी थान की जमीनों पर कब्जा एवं अतिक्रमण की घटनाएं हुई, विवाद हुआ और ये सब हो रहा है। आदिवासियों के सरना स्थल, मसना स्थल, हड़गड़ी के ज़मीनों के अतिक्रमण का विरोध और सुरक्षा को लेकर लोगों को आये दिन आंदोलन करना पड़ रहा है। झारखंड के मंदिरों पर हमले हुए हैं। मंदिरों पर कहीं बम फेंके गए, कहीं पथराव हुआ, तो कहीं देवी-देवताओं की प्रतिमाएं खंडित की गईं, लेकिन क्या कभी राज्य सरकार ने इनसबों की सुरक्षा को लेकर उन समाज के धर्मगुरुओं के साथ कोई बैठक की? जवाब है, नहीं!   मरांडी ने कहा कि अब सिमडेगा में चर्च की सुरक्षा के लिए खुद डीसी, एसपी और प्रशासनिक अधिकारी ईसाई धर्मगुरुओं के साथ बैठक करने जा रहे हैं। आखिर चर्च को ही विशेष सुरक्षा की जरूरत क्यों महसूस की जा रही है? क्या यह उन मतांतरण कराने वाले गिरोहों को सुरक्षा देने की तैयारी है, जो ‘चंगाई सभा' के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों को धर्मांतरण करा रहे हैं? चर्च की साजिश, ऐसे 'चर्च प्रेमी' अफसरों की कारगुजारी एवं चंगाई सभा में रोग भगाने जैसे अंधविश्वास को बढ़ावा देने के कारण ही सिमडेगा में आज लगभग 51 प्रतिशत आबादी का ईसाई धर्म में मतांतरण हो चुका है। ऐसे में सरकार प्रायोजित इस बैठक के पीछे छिपी मंशा को लेकर लोगों के मन में संदेह है। उन्होंने लिखा है हेमंत सोरेन जेएमएम जी, अगर सुरक्षा व्यवस्था करनी ही है, तो सिर्फ चर्च के लिए क्यों? सरना, मसना, हड़गड़ी स्थल, ज़ाहिर थान, मांझी थान, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की भी सुरक्षा की चिंता क्यों नहीं? सिमडेगा में होने वाली बैठक का मूल एजेंडा सार्वजनिक किया जाए, या फिर सभी धर्म/समाज के प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर उनसबों के धर्मस्थलों के सुरक्षा पर चर्चा की जाए।  

जालंधर शहर में धार्मिक पहचान को लेकर बहस तेज, नारों ने बढ़ाई लड़ाई

जालंधर पंजाब के जालंधर शहर में ‘आई लव मोहम्मद’ और ‘जय श्री राम’ के नारे को लेकर शुरू हुआ विवाद अब बढ़ता जा रहा है। बीएमसी चौक पर हिंदू संगठनों के धरने के दौरान भाजपा नेता शीतल अंगुराल ने मुस्लिम नेता अयूब खान को ‘नकली आदमी’ बताते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए। कभी यह अयूब खान बनता है, तो कभी अयूब दुग्गल। वहीं शीतल ने कहा कि अयूब खान कभी अपने नाम बदलते हैं और बांग्लादेशियों का मुद्दा उठाकर शहर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान इन दोनों नेताओं में जुबानी जंग छिड़ गई। शीतल ने कहा, “अगर अयूब खान खुद को सरेंडर नहीं करेंगे तो उन्हें पुलिस घर से उठाकर लाएगी। उन्होंने कहा कि अयूब खान एक यूट्यूबर है वे खुद को हीरो बनाना चाहते हैं और प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं के खिलाफ अपशब्द बोल रहे हैं।” इस बयान के जवाब में अयूब खान ने कहा कि उनका जन्म जालंधर में हुआ है, न कि बांग्लादेश में। उन्होंने भाजपा नेता पर आरोप लगाया कि वे खुद आम आदमी पार्टी में थे और अब भाजपा में चले गए हैं। उन्होंने शीतल के ईद के दौरान मुस्लिम समुदाय के साथ गले मिलने और त्योहार मनाने के फोटो भी सार्वजनिक किए। अयूब ने कहा, “मैं इनके खिलाफ सबूत केंद्रीय नेताओं तक भेजूंगा।” अयूब ने शीतल को जवाब देते हुए कहा जो नेता उस पर टिप्पणियां कर रहा है वह उनके बारे में बता देना चाहता है कि कभी यही नेता उनके साथ मुर्गे खाता रहा है। नमाज पढ़ता रहा है। उनके पास सब फोटो-वीडियो हैं। अभी जो ईद गई है, तब आप मीठे चावल मांग रहे थे। अयूब खान, जो कि बस्ती एरिया के रहने वाले हैं, वर्तमान में आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं। इससे पहले वे भाजपा के मुस्लिम विंग के स्टेट इंचार्ज भी रह चुके हैं। उनका यह विवाद सामाजिक और राजनीतिक मंचों पर गर्माता जा रहा है। बता दें कि  वह बस्ती एरिया से आप पार्षद के पति हैं। जालंधर में धार्मिक और राजनीतिक मतभेद पहले भी कई बार गर्माए हैं। इस बार का विवाद ‘आई लव मोहम्मद’ और ‘जय श्री राम’ के नारे के बाद शुरू हुआ, जो शहर में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकता है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने मामले पर नजर बनाए रखी है और शांति बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।