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स्वामिनारायण मंदिर जोधपुर: जानें इस भव्य मंदिर की खास बातें और इतिहास

जोधपुर  जोधपुर के कालीबेरी में स्थित बीएपीएस स्वामिनारायण मंदिर का मूर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव 25 सितंबर को संपन्न हुआ. मंदिर का लोकार्पण बीएपीएस के वर्तमान अध्यक्ष, परम पूज्य महंतस्वामी महाराज के कर-कमलों द्वारा बड़ी धूमधाम और वैदिक परंपरा के अनुसार किया गया. इस ऐतिहासिक अवसर पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु, संत, स्वयंसेवक और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे. यह मंदिर राजस्थान की पुण्यभूमि पर परम पूज्य प्रमुखस्वामी महाराज के एक शुभ संकल्प का मूर्त स्वररूप है, जिसे परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने पूर्ण किया. यह सिर्फ एक आध्यात्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला, अध्यात्म और मानव सेवा का अद्भुत मिश्रण है और साथ ही हजारों स्वयंसेवकों के नि:स्वार्थ सेवा भाव और समर्पण का भी प्रतीक है. BAPS: एक वैश्विक सामाजिक और आध्यात्मिक आंदोलन इस मंदिर का निर्माण बीएपीएस (बोचासणवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण) संस्था द्वारा किया गया है. बीएपीएस, जिसकी स्थापना 1907 में ब्रह्मस्वरूप शास्त्रीजी महाराज ने भगवान श्री स्वामिनारायण द्वारा प्रबोधित वैदिक अक्षरपुरुषोत्तम सिद्धांत के आधार पर की थी, आज वैश्विक स्तर पर समाज सेवा, मानव उत्कर्ष और आध्यात्मिक पुनर्जागरण के कार्यों के लिए प्रसिद्ध है.   बीएपीएस की वैश्विक उपलब्धियां:     1700 से अधिक मंदिर और 5025 केंद्र.     55,000 समर्पित स्वयंसेवकों का विशाल समुदाय.     भव्य अक्षरधाम मंदिर.     1200 से अधिक सुशिक्षित संत.     180 से अधिक मानव सेवा की विभिन्न प्रवृत्तियों का सफल संचालन. दिल्ली अक्षरधाम मंदिर, अमेरिका का रॉबिंसविले अक्षरधाम मंदिर, आबू धाबी का बीएपीएस हिन्दू मंदिर और जोधपुर का स्वामिनारायण मंदिर – यह मंदिर केवल आध्यात्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि समाज सेवा और मानव उत्कर्ष के जीवंत केंद्र भी हैं. संकल्प से सिद्धि: मंदिर निर्माण की यात्रा जोधपुर मंदिर की आधारशिला करीब एक दशक से भी पहले रखी गई थी. वर्ष 2014 में जब परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने इस स्थान पर विचरण किया, उस समय यहाँ केवल रेतीली भूमि और जोधपुरी छित्तर पत्थरों की खानें थीं. दशकों से इस क्षेत्र में संतों के सतत विचरण ने हजारों लोगों के जीवन को सकारात्मक दिशा दी और जोधपुर में सत्संग का विस्तार किया. शिलान्यास और आधार शिलान्यास विधि: 2019 में सद्गुरु वरिष्ठ संत पूज्य ईश्वरचरनदास स्वामीजी के सान्निध्य में संपन्न हुई थी. इस अवसर पर राजस्थान के पूर्व मेयर रामेश्वर दाधीच, हाई कोर्ट जस्टिस विनीत माथुर, श्री बड़ा रामद्वारा सूरसागर के महंत रामप्रसादजी महाराज, और मेयर घनश्याम जी ओझा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे. ‘सेवा ही हमारा जीवन’: स्वयंसेवकों का निस्वार्थ समर्पण इस भव्य मंदिर के निर्माण में सात वर्षों का समय लगा, जो हजारों स्वयंसेवकों, संतों और स्थानीय समुदाय के लोगों के अतुलनीय योगदान का परिणाम है. सेवा और निष्ठा के मुख्य बिंदु: कारीगरों का योगदान: पिंडवाड़ा, सागवाड़ा, भरतपुर, जोधपुर, जयपुर और आस-पास के क्षेत्रों से 500 से अधिक कारीगरों ने इस दिव्य धाम को साकार करने में सहयोग दिया. संस्था ने उनके आवास, भोजन, स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक संवर्धन के लिए उचित सुविधाएँ प्रदान कीं, साथ ही उन्हें व्यसन-मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित किया. उच्च शिक्षित स्वयंसेवक: निर्माण से लेकर लोकार्पण तक इस सेवाकार्य में जुड़ने वाले कई दीक्षित संत आईआईटी, आईआईएम, स्नातक और पीएचडी हैं, जिन्होंने अपनी उच्च शिक्षा, सुनहरे भविष्य को समाज और राष्ट्र निर्माण की सेवा में समर्पित कर दिया. मंदिर महोत्सव सेवा: मूर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान, 35 जितने विभिन्न सेवा विभाग संचालित किए गए, जिनमें हजारों स्वयंसेवकों ने भाग लिया. ये स्वयंसेवक न केवल जोधपुर और राजस्थान से, बल्कि जयपुर, दिल्ली, राजकोट, पोरबंदर आदि शहरों से अपनी नौकरी व व्यवसाय से अवकाश लेकर सेवा के लिए पहुंचे.   महिला भक्तों की पहल: महोत्सव से पूर्व जोधपुर सत्संग मंडल की महिला भक्तों ने घर-घर जाकर भगवान नीलकंठवर्णी की मूर्ति की पधरवानी करने का संकल्प लिया. करीब 2100 घरों में जाकर उन्होंने लोगों को मंदिर की महिमा बताई और उनके परिवार की मंगल कामना के लिए प्रार्थना की. इसके साथ साथ मंदिर की सफाई, मंदिर की सजावट, पत्थरों की घिसाई के काम में भी महिला स्वयं सेवकों का अमूल्य योगदान रहा.   युवा एवं युवती तालीम केंद्र के युवाओं का योगदान: मंदिर महोत्सव की सेवा के दौरान गुजरात से युवा तालीम केंद्र, युवती तालीम केंद्र, जयपुर युवक मंडल और भी अन्य केंद्रों में से सौ से भी अधिक युवक युवती इस अद्भुत कार्य में अपनी सेवा देने के लिए जोधपुर पहुंचे.  

शांति और भक्ति का नया केंद्र: जोधपुर का स्वामीनारायण मंदिर तैयार

जोधपुर  ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी जोधपुर के बीच बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) मंदिर एक अद्वितीय स्थल के रूप में उभरा. ये मंदिर भक्ति का एक पवित्र स्थान और आध्यात्मिक उत्थान का एक प्रकाश स्तंभ है. यह एक दिव्य जगह है जहां मन और आत्मा को शाश्वत शांति का अनुभव होता है. भक्ति, विश्वास और कृतज्ञता से निर्मित यह मंदिर ईश्वर की असीम महानता और अनंत दिव्यता के प्रति एक विनम्र भेंट है. यह हर आत्मा को आनंद, सत्य, चेतना और परम आनंद की ओर अनंत यात्रा पर निकलने के लिए आमंत्रित करता है. यह मंदिर परिसर स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है. अपने जीवन और शिक्षा के जरिए उन्होंने हिंदू धर्म के शाश्वत सिद्धांतों के अनुसार नैतिक जीवन तथा सामाजिक उत्थान पर बल दिया. उनका जीवन आज भी दुनिया भर के लाखों लोगों को भक्ति, धार्मिकता और सत्य को दैनिक जीवन के मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करता है. इस मंदिर के पीछे प्रमुख स्वामी महाराज की प्रेरणा है. वह एक आध्यात्मिक गुरु रहे, जिनके निस्वार्थ, विनम्र और करुणामय जीवन ने अनगिनत जीवन बदल दिए. उन्होंने दुनिया भर में 1,200 से ज्यादा मंदिरों और सांस्कृतिक केंद्रों, साथ ही अस्पतालों, स्कूलों और मानवीय संस्थाओं के निर्माण को प्रेरित किया. साथ ही शांति, सद्भाव और नैतिक जीवन के अपने दृष्टिकोण से समाज का उत्थान किया. प्रमुख स्वामी महाराज हिंदू आस्था और संस्कृति के एक प्रखर प्रकाश स्तंभ थे.   इस मंदिर की परिकल्पना और साकार रूप महंत स्वामी महाराज, प्रमुख स्वामी महाराज के वर्तमान आध्यात्मिक उत्तराधिकारी और BAPS के वर्तमान गुरु, के दिव्य मार्गदर्शन में हुआ. अपने गुरु की दिव्य दृष्टि को साकार करते हुए महंत स्वामी महाराज ने दुनिया भर के हजारों स्वयंसेवकों को इस मंदिर के निर्माण के लिए समर्पण और निस्वार्थ सेवा को प्रेरित किया. उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि हमारी प्राचीन हिंदू कला, वास्तुकला और संस्कृति के बारे में जानें. शांति, सद्भाव, नैतिकता और निस्वार्थ सेवा के शाश्वत मूल्यों को अपनाएं. अपने जीवन, परिवार और समाज में विश्वास और प्रेम का प्रवाह निरंतर बना रहे. मंदिर की विशेषताएं पवित्र पूजा मंडपः यहां हर विजिटर पवित्रता, शांति और ईश्वर की दिव्य उपस्थिति का अनुभव करता है. देवताओं के दर्शन भक्तों को आंतरिक शक्ति, शांति और आध्यात्मिक आनंद से भर देते हैं. नीलकंठ अभिषेक मंडपमः भूतल पर भगवान स्वामीनारायण की नीलकंठ वर्णी के रूप में एक दीप्तिमान पंचधातु मूर्ति चमकती है. अपनी किशोरावस्था में, नीलकंठ वर्णी ने सात वर्षों तक पूरे भारत में 12,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की. इस दौरान त्याग, अनुशासन और भक्ति की प्रेरणा दी. यह मंडपम अभिषेक, प्रार्थना और चिंतन के लिए एक स्थान प्रदान करता है, जो आंतरिक शांति और आत्म-अनुशासन का संचार करता है. सभा मंडपः एक विशाल सभागार में प्रवचन, भक्ति संगीत और सत्संग सभाएं आयोजित की जाती हैं, जो दैनिक जीवन के लिए व्यावहारिक आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती हैं. उद्यान और चिल्ड्रेन पार्कः मंदिर परिसर भूदृश्य उद्यानों से सुसज्जित है और जल्द ही इसमें एक चिल्ड्रेन पार्क भी होगा, जो सभी उम्र के विजिटर्स को शांति और आनंद प्रदान करेगा.   क्या है BAPS संगठन? बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) एक वैश्विक सामाजिक-आध्यात्मिक हिंदू संघ है, जिसकी औपचारिक स्थापना 1907 में भगवान स्वामीनारायण की परंपरा के तीसरे आध्यात्मिक उत्तराधिकारी शास्त्रीजी महाराज ने की थी. वैदिक मूल्यों पर आधारित BAPS मंदिरों, शैक्षिक सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा, आपदा राहत, नशामुक्ति अभियानों, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण आदि के माध्यम से मानवता की सेवा करता है. दुनिया भर में 5,025 से अधिक केंद्रों और संयुक्त राष्ट्र में एक सलाहकार गैर सरकारी संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त, BAPS समग्र उत्थान, नैतिक जीवन और आध्यात्मिक जागृति के लिए कार्य करता है.   संस्थापक: भगवान स्वामीनारायण (1781-1830 ई.) स्थापना: 1907 में शास्त्रीजी महाराज द्वारा मुख्य उद्देश्य: नैतिक और सामाजिक उत्थान के साथ आध्यात्मिक प्रगति विजन: सद्भाव, सह-अस्तित्व और विश्व बंधुत्व को बढ़ावा देना आउटरीच: दुनिया भर में 1,700 से अधिक मंदिर, मान्यता प्राप्त मानवीय सेवाएं मुख्य सिद्धांत: अक्षरब्रह्म गुरु के मार्गदर्शन में परब्रह्म पुरुषोत्तम के प्रति अटूट भक्ति