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OpenAI का Sora 2 लॉन्च: टेक्स्ट से अब वीडियो और ऑडियो बनाना हुआ आसान, Instagram और YouTube को मिलेगी टक्कर

नई दिल्ली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. चाहे दफ्तर का काम हो, पढ़ाई हो या फिर कंटेंट क्रिएशन, AI ने हर जगह अपनी पकड़ मज़बूत की है. अब इसी दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए OpenAI ने अपना सबसे एडवांस्ड वीडियो जेनरेशन मॉडल Sora 2 पेश किया है. इसके साथ ही कंपनी ने एक नया सोशल मीडिया ऐप भी लॉन्च किया है, जिसे सीधा-सीधा Instagram और YouTube का मुकाबला करने वाला माना जा रहा है. क्या है OpenAI Sora 2? Sora 2 एक ऐसा AI मॉडल है, जो सिर्फ टेक्स्ट प्रॉम्प्ट से वीडियो ही नहीं बल्कि ऑडियो के साथ पूरा सीन तैयार कर सकता है. मतलब, आप बस लिखेंगे और AI आपके लिए हाई-क्वालिटी वीडियो बना देगा. इस बार OpenAI ने इसमें एक नया फीचर Cameos भी जोड़ा है. इसकी मदद से यूज़र खुद को किसी भी AI जनरेटेड वीडियो का हिस्सा बना सकते हैं. यानी बिना कैमरा, शूटिंग या एडिटिंग के भी आप किसी भी वीडियो में नज़र आ सकते हैं. Sora 2 की खासियतें     Sora 2 अपने पुराने वर्जन से काफी एडवांस्ड है.     यह मॉडल वीडियो को ज्यादा रियलिस्टिक और नैचुरल बनाता है.     इसमें फिजिकली-एक्युरेट मोशन (यानी असली जैसी हरकतें) और सिंक्ड डायलॉग्स की सुविधा है.     बैकग्राउंड साउंड और म्यूज़िक भी काफी नेचुरल और इमर्सिव लगते हैं.     इससे बने वीडियो पहले की तुलना में कहीं ज्यादा लाइफ-लाइक और आकर्षक होते हैं. Sora 2 ऐप भी हुआ लॉन्च OpenAI ने इस मॉडल के साथ Sora 2 App भी पेश किया है. इस ऐप का इंटरफेस TikTok और Instagram Reels जैसा है, जिसमें Swipe-and-Scroll लेआउट दिया गया है.     यूजर्स केवल टेक्स्ट प्रॉम्प्ट डालकर वीडियो बना सकेंगे.     Cameos फीचर से खुद को भी वीडियो में शामिल करना संभव होगा.     ऐप पर पर्सनलाइज्ड रिकमेंडेशन के आधार पर ही कंटेंट दिखाई देगा, ठीक इंस्टाग्राम की तरह. फिलहाल यह ऐप सिर्फ Apple App Store पर अमेरिका और कनाडा में उपलब्ध कराया गया है, वह भी इनवाइट-ओनली सिस्टम के जरिए. यानी अभी हर कोई इसे तुरंत इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. सोशल मीडिया को मिल सकती है टक्कर टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि Sora 2 का यह कदम आने वाले समय में YouTube, Instagram और TikTok जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स के लिए चुनौती बन सकता है. क्योंकि अब कंटेंट क्रिएशन और भी आसान हो जाएगा और कोई भी व्यक्ति केवल कुछ शब्द लिखकर प्रोफेशनल लेवल का वीडियो बना पाएगा.

YouTube का नया धमाका! अब वीडियो को दे सकेंगे ‘Hype’ रिएक्शन

नई दिल्‍ली  यूट्यूब ने भारत में 'हाइप' (Hype) नाम का नया फीचर लॉन्च किया है। यह छोटे और मझोले कंटेंट क्रिएटर्स के लिए अपनी पहुंच बढ़ाने और कमाई के अवसर पैदा करने का नया तरीका है। यह उन क्रिएटर्स पर केंद्रित है जिनके 500 से 5,00,000 सब्सक्राइबर हैं। यूट्यूब का हाइप फीचर एक तरह का इंगेजमेंट टूल है, जो दर्शकों को अपने पसंदीदा वीडियो को 'हाइप' करने की सुविधा देता है। यह 'लाइक', 'शेयर' और 'सब्सक्राइब' से परे जाकर क्रिएटर्स को समर्थन देने का नया तरीका है। छोटे कंटेंट क्रिएटर्स के लिए अक्सर नए दर्शकों तक पहुंचना बड़ी चुनौती होती है। भले ही उनके पास एक समर्पित फैनबेस हो। एल्गोरिथम बड़े चैनलों को अधिक प्राथमिकता देता है। गेम चेंजर हो सकता है साब‍ित हाइप फीचर छोटे क्रिएटर्स को 'लेवल प्लेइंग फील्‍ड' प्रदान करता है। जब दर्शक किसी वीडियो को हाइप करते हैं तो उस वीडियो को पॉइंट्स मिलते हैं। कम सब्सक्राइबर वाले क्रिएटर्स के वीडियो को बोनस पॉइंट्स मिलते हैं। इससे उन्हें लीडरबोर्ड पर ऊपर आने में मदद मिलती है। बढ़ी हुई विजिबिलिटी का सीधा मतलब है ज्‍यादा व्यूज, ज्‍यादा सब्सक्राइबर और अंत में ज्‍यादा कमाई। जब कोई वीडियो 'एक्‍सप्‍लोर' सेक्शन के तहत टॉप 100 हाइप्ड वीडियो के लीडरबोर्ड में आता है या उसे यूट्यूब होम फीड में प्रमोट किया जाता है तो यह नए दर्शकों तक पहुंचता है, जिससे चैनल की ग्रोथ में तेजी आती है। ऑडियंस एनगेजमेंट की समस्‍या का समाधान दर्शक केवल यूजर होते हैं। उन्हें क्रिएटर्स का समर्थन करने के लिए सक्रिय तरीके कम मिलते हैं। Hype दर्शकों को अपने पसंदीदा क्रिएटर्स के विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने की अनुमति देता है। यह 'पॉइंट्स' के रूप में सीधा फीडबैक देता है कि कौन सी सामग्री दर्शकों को सबसे ज्‍यादा पसंद आ रही है। मजबूत दर्शक जुड़ाव ब्रांड निष्ठा को बढ़ाता है। जब दर्शक महसूस करते हैं कि वे किसी चैनल की सफलता में योगदान दे रहे हैं तो वे अधिक लॉयल बनते हैं। यह भविष्य में मोनेटाइजेशन के नए अवसर पैदा कर सकता है, जैसे कि सशुल्क 'Hype' विकल्प या विशेष प्रशंसक लाभ। चूंकि Hype दर्शकों की ओर से दिया जाता है, यह सीधे तौर पर दर्शकों की पसंद और सामग्री की क्‍वालिटी को दर्शाता है। 'हाइप्ड वीडियो' को बैज भी मिल सकते हैं जो दर्शाते हैं कि वे दर्शकों के पसंदीदा हैं। जब गुणवत्ता वाली सामग्री को पहचान मिलती है तो यह क्रिएटर्स को बेहतर सामग्री बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह अंत में पूरे प्लेटफॉर्म पर सामग्री के समग्र स्तर को ऊपर उठाता है। इससे ज्‍यादा दर्शक आकर्षित होते हैं और विज्ञापन राजस्व बढ़ता है। छोटे क्रिएटर्स के पास अक्सर यह समझने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं होता है कि कौन सी सामग्री सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रही है। हाइप्ड वीडियो और लीडरबोर्ड रैंकिंग क्रिएटर्स को यह समझने में मदद करेगी कि उनके दर्शक किस प्रकार की सामग्री के साथ सबसे अधिक 'वाइब' कर रहे हैं। बिजनेस पर सीधा इंपैक्ट यह डेटा क्रिएटर्स को अपनी कंटेंट स्‍ट्रैटेजी को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे वे ऐसी सामग्री बना सकें जो उनके दर्शकों के साथ अधिक प्रतिध्वनित हो। यह अंत में चैनल की निरंतर ग्रोथ और मोनेटाइजेशन के लिए महत्वपूर्ण है। तुर्की, ताइवान और ब्राजील में बीटा परीक्षण के शुरुआती चार हफ्तों में 50 लाख से से अधिक Hype और 50,000 से अधिक चैनलों की भागीदारी, भारत में इस फीचर की संभावित सफलता और व्यापार प्रभाव का एक मजबूत संकेत देती है।

Youtube पर कंटेंट क्रिएशन के लिए बदले नियम, ऐसे वीडियो बनाने वालों को नहीं मिलेगा पैसा

अब यूट्यूब से कमाई करना आसान नहीं रहेगा। 15 जुलाई से यूट्यूब की मॉनेटाइजेशन पॉलिसी में बड़ा बदलाव होने वाला है। दरअसल यूट्यूब मास-प्रोड्यूस्ड कंटेंट पर सख्ती बढ़ाने जा रहा है। बदले नियमों के मुताबिक अब यूट्यूब उन्हें ही वीडियो से कमाई करने का मौका देगा जो असली और नया कंटेंट बना रहे हैं। दरअसल यूट्यूब बड़ी संख्या में बनने वाले और एक जैसे वीडियो की पहचान को बेहतर बनाने जा रहा है ताकि ऐसे वीडियो से होने वाली कमाई को कम किया जा सके। यूट्यूब चाहता है कि दर्शकों को हर चैनल की तरह से नया और ओरिजनल कंटेंट मिले। 15 जुलाई से लागू होने जा रहे इन नए नियमों के बारे में डिटेल में जानते हैं और पता करते हैं कि आखिर किस तरह के वीडियो बनाने से अब यूट्यूब पर कमाई नहीं हुआ करेगी। क्या है नए नियम यूट्यूब की नई पॉलिसी के तहत अब अगर कोई क्रिएटर चाहता है कि उसकी वीडियो पैसा कमाए, तो जरूरी होगा कि उसका वीडियो ओरिजनल हो। अगर किसी वीडियो को किसी दूसरी जगह से उठाया जाता है, तो भी उसमें बदलाव करना जरूरी होगा। यूट्यूब चाहता है कि क्रिएटर्स के वीडियो व्यूज से ज्यादा जानकारी देने या दर्शकों का मनोरंजन करने पर केंद्रित होने चाहिए। इतना ही नहीं यह सख्ती ऐसे कंटेंट पर भी लागू होगी जो AI से बनाए जाते हैं। यूट्यूब यह सब अपने प्लेटफॉर्म से बोरिंग और एक जैसे कंटेंट की सफाई के लिए कर रहा है। यूट्यूब की ओर से इस बारे में जानकारी एक सपोर्ट पेज पर दी है। इस पर बताया गया है कि वह अपनी मॉनेटाइजेशन पॉलिसी को अपडेट करने जा रहे हैं। ऐसा 'मास-प्रोड्यूस्ड और रिपीट होने वाले कंटेंट' की पहचान करने के लिए किया गया है। इस सपोर्ट पेज पर यूट्यूब से साफ किया है कि उसने हमेशा से क्रिएटर्स से ओरिजनल और ऑथेंटिक कंटेंट बनाने की डिमांड की है। चैनल मोनेटाइज के लिए पूरी करनी होगी ये शर्तें यानी चैनल मोनेटाइज कराने के लिए आपके पास 1000 से ज्यादा सब्सक्राइबर्स होने चाहिए. इसके अलावा चैनल पर 12 महीनों में 4000 पब्लिक वॉच आवर होने चाहिए या फिर 1 करोड़ शॉर्ट्स व्यू 90 दिनों में आने चाहिए. हालांकि, अब शर्त सिर्फ इतनी नहीं रहेगी, बल्कि आपका कंटेंट ओरिजनल और ऑथेंटिक होना चाहिए.  YouTube ये अपडेट स्पैम और AI कंटेंट की संख्या को कम करने और ओरिजनल कंटेंट को बढ़ावा देने के लिए लेकर आ रहा है. ऐसे क्रिएटर्स जो इस अपडेट को मिस करते हैं, उन्हें डिमोनेटाइजेशन का सामना करना पड़ सकता है. भले ही उनके कंटेंट पर अच्छे नंबर आ रहे हो.  AI कंटेंट्स की बढ़ रही संख्या AI टेक्नोलॉजी की एंट्री के साथ ही YouTube पर ऐसे कंटेंट्स की बाढ़ सी आ गई है. कंपनी के हिसाब से इन लो-क्वालिटी मीडिया या कंटेंट को AI की मदद से जनरेट किया जा रहा है. उदाहरण के लिए किसी फोटो पर आपको आसानी से एक AI वॉयसओवर मिल जाएगा या फिर किसी वीडियो क्लिप पर AI वॉयसओवर टाइप का कंटेंट आपको यूट्यूब पर मिल जाएगा.  कई ऐसे चैनल्स भी हैं, जो AI कंटेंट जनरेट करके लाखों सब्सक्राइबर्स को जोड़ चुके हैं. ये वीडियोज AI की मदद से जनरेट किया जाते हैं और उन्हें असली की तरह पेश किया जाता है. ऐसे कंटेंट्स को लेकर ही YouTube पॉलिसी अपडेट को लेकर आ रहा है. कंपनी की मानें, तो ये छोटा अपडेट है, लेकिन इसका असर AI की मदद बल्क कंटेंट क्रिएट करने वालों पर पड़ेगा. शॉर्ट्स ने बदला ट्रेंड यूट्यूब पर एक जैसे वीडियो का ट्रेंड शॉर्ट्स की वजह से शुरू हुआ है। साल 2020-2021 में कंपनी ने रील्स जैसे वीडियो को अपने प्लेटफॉर्म पर पेश किया था। इस तरह के वीडियो को यूट्यूब पर शॉर्ट्स नाम दिया गया था। बड़ी बात यह है कि यूट्यूब से पहले इस तरह के वीडियो जिस भी प्लेटफॉर्म पर पॉपुलर थे जैसे कि टिकटॉक, वहां एक जैसा और रिपीट होने वाला कंटेंट आम बात था। अब क्योंकि प्लेटफॉर्म के तौर यूट्यूब का नेचर टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म से अलग इसलिए मॉनेटाइजेशन पॉलिसी में बदलाव करके रिपीट होने वाले वीडियो की सफाई यूट्यूब करना चाह रहा है। AI वीडियो पर भी गाज? हाल ही में यूट्यूब और अन्य वीडियो प्लेटफॉर्म्स पर एआई वीडियो की बाढ़ देखने को मिली थी। यूट्यूब के सख्त नियमों का खामियाजा इस तरह के वीडियो को भी भुगतना पड़ सकता है। बताया जा रहा है रिवाइज्ड गाइडलाइन्स में AI से बने वीडियोज भी शामिल हो सकते हैं। यह ऐसे वीडियो होते हैं जहां क्रिएटर्स AI से जेनरेटेड आवाजों का इस्तेमाल करके किसी और के वीडियोज पर रिएक्ट करते हैं। हालांकि इस पर स्पष्ट जानकारी का फिलहाल इंतजार है।