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साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पितृपक्ष में, इन राशियों को मिलेगा खास लाभ

हर साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष आरंभ होता है। इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 को हो रही है। संयोग यह है कि इसी दिन साल का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा। ज्योतिषाचार्य  ने बताया कि धार्मिक और खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह दिन बेहद खास रहने वाला है। कब और कहां दिखेगा ग्रहण यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, अमेरिका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण स्पष्ट रूप से नजर आएगा, इसलिए सूतक काल का पालन अनिवार्य होगा। ग्रहण का छाया प्रवेश रात 8:58 बजे, स्पर्श 9:57 बजे, मध्यम 1:27 बजे और मोक्ष 2:25 बजे होगा। सूतक काल दोपहर 12:50 बजे से ही प्रारंभ हो जाएगा। पूजा-पाठ और दान की परंपरा ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्य, भोजन और यात्रा निषेध मानी गई है। इस अवधि में भगवान का स्मरण और जप करना सर्वोत्तम है। मान्यता है कि ग्रहण काल में दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। राहु ग्रह के दोष निवारण हेतु सात अनाज, वस्त्र, लोहा और तिलदान विशेष लाभकारी बताए गए हैं। राशि अनुसार प्रभाव और परामर्श ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह ग्रहण कुंभ राशि और शतभिषा नक्षत्र में लगेगा। इसलिए कुंभ और मीन राशि के जातकों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इनके लिए ग्रहण देखना वर्जित है। ग्रहण का शुभ प्रभाव मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि वालों के लिए रहेगा, जबकि मिथुन, सिंह, तुला और मकर पर सामान्य असर रहेगा। वहीं कर्क, वृश्चिक, मीन और कुंभ राशि के लिए यह ग्रहण अशुभ फलदायी माना गया है। सूतक काल में सावधानियां गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखने से विशेष परहेज करना चाहिए। सूतक लगने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। स्नान, जप, ध्यान और भजन-कीर्तन करना मंगलकारी माना जाता है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर दान करने से ग्रहण दोष शांति मिलती है। किन वस्तुओं का दान करें लाभ के लिए राशि अनुसार दान करना इस दिन विशेष फलदायी रहेगा। मेष राशि वाले लाल वस्तुएं, वृषभ और तुला राशि वाले सफेद वस्तुएं, कर्क राशि वाले दूध-दही-चावल, सिंह राशि वाले गेहूं-मूंगफली-शहद, कन्या राशि वाले गन्ने का रस, वृश्चिक राशि वाले आलू-शकरकंद-गेहूं, धनु और मीन राशि वाले पीले वस्त्र-फल तथा मकर और कुंभ राशि वाले काले तिल और वस्त्र दान करें। ग्रहण का सामाजिक और प्राकृतिक प्रभाव ग्रहण काल के दौरान काली, सफेद और लाल वस्तुओं के साथ ही जल में उत्पन्न होने वाली वस्तुएं और इलेक्ट्रॉनिक सामान पर भी असर दिखाई देगा। व्यापारिक दृष्टि से ज्वार, बाजरा जैसी अनाज वस्तुओं में तेजी आने की संभावना है। बंगाल, मगध और गुजरात के समुद्री क्षेत्रों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा। 

अब साबित करना होगा काबिलियत! सुप्रीम कोर्ट ने कहा– 3 लाख शिक्षक दो साल में TET पास करें

भोपाल  सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों को लेकर नये नियम का फैसला सुना दिया है। जिसके बाद अकेले एमपी में तीन लाख शिक्षकों की चिंता बढा़ दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जिनकी सेवा अवधि पांच साल से ज्यादा बाकी है, उन्हें दो साल में TET (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की परीक्षा पास करनी होगी। अगर इस नियम को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो इनके प्रमोशन से लेकर नौकरी तक का अधिकार संकट में पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का सबसे ज्यादा असर भी मध्य प्रदेश के शिक्षकों पर पड़ेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए ये निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि इससे पहले नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने शिक्षकों को TET परीक्षा पास करने के लिए पांच साल का समय दिया था। इसे बाद में 4 साल के लिए और बढ़ाया गया था। NCTE के इस निर्णय के खिलाफ उम्मीद्वारों ने कोर्ट का रुख किया था। एमपी के शिक्षकों पर क्यों लटकी तलवार? दरअसल, 1984-1990 तक एमपी में शिक्षकों की भर्ती (Teachers Appointment) मिनी पीएससी के माध्यम से की जाती थी। बाद में इनकी नियुक्ति का अधिकार नगर निगम और पंचायतों को मिल गया। इस प्रक्रिया के तहत नियुक्त किए गए शिक्षकों को तब शिक्षाकर्मी कहा जाने लगा। वहीं 2018 में इनका संविलियन अध्यापकों के रूप में हुआ। लेकिन इनमें से किसी ने भी टेट पात्रता परीक्षा पास नहीं की है। 2018 के बाद से प्रदेशभर के शिक्षकों की भर्ती कर्मचारी चयन मंडल कर रहा है। इस नियुक्ति के तहत ही TET परीक्षा पास करना अनिवार्य किया गया। TET नहीं तो जाएगी नौकरी, नहीं होगा प्रमोशन बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शिक्षकों को सेवा में बने रहने और प्रमोशन पाने के लिए TET परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने कहा जिन शिक्षकों की सेवाएं अभी पांच साल से ज्यादा अवधि तक बची हैं, वे सभी इस दायरे में आते हैं। जो भी शिक्षक इस परीक्षा को पास नहीं करेगा, उसे कंपलसरी रिटायरमेंट लेना होगा या इस्तीफा देना होगा। कोर्ट ने टीईटी को दो साल में पास करने की समय सीमा तय कर दी है। इन्हें मिली राहत हालांकि बेंच ने ऐसे शिक्षकों को राहत दी है, जिनकी नौकरी 5 साल की बची है। लेकिन इन्हें प्रमोशन का अधिकार नहीं मिलेगा। लेकिन यदि ये शिक्षक प्रमोशन चाहते हैं, तो इन्हें TET परीक्षा पास करनी होगी। अल्पसंख्यक संस्थानों का मामला बड़ी बेंच को सौंपा इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक संस्थानों को लेकर फिलहाल इस नियम को लागू करने से राहत दी है। इन संस्थानों के लिए ये मामला बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है। 2014 के फैसले में अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई से बाहर रखने पर सवाल उठाया गया। कोर्ट ने कहा कि इससे समान और समावेशी शिक्षा को नुकसान पहुंचा है। कई दस्तावेजों से यह जानकारी मिली है कि स्कूल छूट पाने के लिए खुद को अल्पसंख्यक घोषित कर रहे हैं। जिससे बच्चों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। क्यों बदला नियम? अब तक कई राज्यों में, खासकर अल्पसंख्यक स्कूलों में, टीईटी की अनिवार्यता को दरकिनार किया जाता रहा था। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश ने अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई (शिक्षा का अधिकार कानून) से बाहर रखा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश में साफतौर पर कहा गया है कि आरटीई की छूट अब खत्म, यानी सभी स्कूलों को एक ही मानक पर खड़ा होना होगा। इस फैसले का सीधा मतलब है कि शिक्षण की गुणवत्ता पर अब कोई समझौता नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि 'बच्चों का शिक्षा पाने का अधिकार सर्वोपरि है। शिक्षकों को यह साबित करना होगा कि वे इस जिम्मेदारी के योग्य हैं।' किस पर लागू होगा फैसला?       जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से ज्यादा बची है, उन्हें अगले दो साल में टीईटी पास करना ही होगा।     जिनकी सेवा पांच साल से कम बची है, उन्हें छूट दी गई है। लेकिन प्रमोशन पाना है तो TET पास करना होगा।     नगर निगम, पंचायत और अल्पसंख्यक स्कूलों के शिक्षक, सभी को इस दायरे में लाया गया है।     लेकिन फिलहाल अल्पसंख्यक स्कूलों में इसे लागू नहीं किया गया है। अल्पसंख्यक स्कूल मामलों को बड़ी बेंच को सौंपा गया है। तीन लाख शिक्षकों पर संकट मध्यप्रदेश में ही करीब 3 लाख शिक्षक इस आदेश से सीधे प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जो दो दशक से ज्यादा समय से पढ़ा रहे हैं, लेकिन कभी पात्रता परीक्षा देने की जरूरत महसूस नहीं की। अब वही शिक्षक नौकरी बचाने की चुनौती के सामने खड़े हैं। अब नौकरी बचाने पास करनी होगी TET भोपाल की एक शिक्षिका वंदना सिंह का कहना है कि हमने वर्षों तक बच्चों को पढ़ाया है, जब यहां TET पास करना अनिवार्य किया, तभी TET परीक्षा पास कर ली थी। अब ऐसे शिक्षक जिन्होंने TET पास नहीं की उन्हें नौकरी बचाने के लिए परीक्षा देनी पड़ेगी। यह आसान नहीं है, लेकिन मजबूरी है। गुणवत्ता सुधार की पहल -सरकार और शिक्षा विशेषज्ञ इस फैसले को गुणवत्ता सुधार के नजरिए से देख रहे हैं। -अब हर शिक्षक को अपनी योग्यता साबित करनी होगी। -पढ़ाई में प्रोफेशनलिज़्म बढ़ेगा। -बच्चों को प्रशिक्षित और दक्ष शिक्षक मिलेंगे। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भले ही शिक्षकों के लिए मुश्किल हो, लेकिन लंबे समय में यह स्कूल शिक्षा की रीढ़ को मजबूत करेगा। शिक्षक समुदाय की चिंता फैसले के बाद कई शिक्षक संगठनों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि पहले से सेवा कर रहे शिक्षकों को अचानक परीक्षा में झोंकना अन्यायपूर्ण है। वे मांग कर रहे हैं कि सरकार इसके लिए विशेष ट्रेनिंग, कोचिंग और सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध कराए ताकि, वे दोबारा पढ़ाई में सक्षम हो सकें। फेल हुए तो जाएगी नौकरी, सफल हुए तो नई पहचान यह फैसला अब सिर्फ नियम नहीं, बल्कि नौकरी और भविष्य की लड़ाई बन गया है। जिन शिक्षकों ने सालों तक बिना टीईटी पढ़ाया, उन्हें अब परीक्षा देनी होगी। असफल होने पर उन्हें रिटायरमेंट तक नौकरी का अवसर नहीं … Read more

पितृपक्ष में भूलकर भी न छोड़ें ये 3 दिन, पूर्वजों की आत्मा को मिलता है तृप्ति

इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण समय है. पितृ पक्ष 15 दिनों तक चलता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक होता है. इस साल पितृपक्ष 21 सितंबर तक रहने वाला है. इस दौरान सभी तिथियों का महत्व है, जिनमें पितरों के लिए किए गए कार्यों से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. तो चलिए आज हम आपको पितृपक्ष की सभी तिथियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनपर तर्पण करना बहुत ही शुभ माना जाता है.  किस तिथि पर किसका होता है श्राद्ध? – पूर्णिमा श्राद्ध या पहला श्राद्ध इस बर पूर्णिमा श्राद्ध 7 सितंबर को होगा. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि को हुई हो. – प्रतिपदा या पहला श्राद्ध इस बार प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर को होगा. प्रतिपदा श्राद्ध में उन पितरों का तर्पण, पिंडदान, दान, श्राद्ध आदि होता है, जिनका किसी भी माह की प्रतिपदा तिथि को निधन हुआ होता है. – द्वितीय श्राद्ध आश्विन मास का द्वितीय श्राद्ध 9 सितंबर को होगा. जिन पितरों की मृत्यु किसी भी महीने के दूसरे दिन (द्वितीया) हुई हो उनका श्राद्ध पितृपक्ष की द्वितीया तिथि पर किया जाता है.  – तृतीया श्राद्ध तृतीया श्राद्ध इस बार 10 सितंबर को है. जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध तृतीया को किया जाता है.  – चौथा श्राद्ध चौथा श्राद्ध भी इस बार 10 सितंबर को ही होगा. अगर किसी के पिताजी की मृत्यु चतुर्थी को हुई हो तो उनका श्राद्ध भी उसी तिथि को किया जाता है.  – पांचवां श्राद्ध या महाभरणी श्राद्ध पांचवां श्राद्ध इस बार 11 सितंबर को होगा. इस दिन अविवाहित पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि पर हुई हो.  – षष्ठी श्राद्ध छठा श्राद्ध इस बार 12 सितंबर को होगा. षष्ठी तिथि के दिन किसी की मृत्यु हो जाती है, उन पितरों का श्राद्ध षष्ठी के दिन किया जाता है.  – सप्तमी श्राद्ध इस बार सप्तमी श्राद्ध 13 सितंबर को होगा. सप्तमी तिथि के दिन जिनकी मृत्यु हो जाती है, उनका श्राद्ध सप्तमी के दिन ही किया जाता है.  – अष्टमी श्राद्ध इस बार आठवां श्राद्ध 14 सितंबर को होगा. जिन पितरों की मृत्यु किसी भी महीने की अष्टमी तिथि के दिन हो जाती है, उनका श्राद्ध जो है वो अष्टमी तिथि के दिन किया जाता है.  – नवमी श्राद्ध इस बार नवमी श्राद्ध 15 सितंबर को होगा. नवमी श्राद्ध खास महिलाओं के लिए होता है. यदि किसी महिला की मृत्यु तिथि याद ना हो तो नवमी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए. – दशमी श्राद्ध इस बार दशमी श्राद्ध 16 सितंबर को होगा. अगर किसी पितर की मृत्यु किसी भी महीने की दशमी तिथि को हुई हो तो उनका श्राद्ध पक्ष की दशमी तिथि के दिन किया जाता है.  – एकादशी श्राद्ध इस बार एकादशी श्राद्ध 17 सितंबर को होगा. इस दिन उन लोगों श्राद्ध किया जाता है,  जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की एकादशी के दिन होती है.  – द्वादशी श्राद्ध इस बार द्वादशी श्राद्ध 18 सितंबर को होगा. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जो संन्यासी होते हैं. इसलिए, इसे संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है.  – त्रयोदशी श्राद्ध या मघा श्राद्ध त्रयोदशी श्राद्ध इस बार 19 सितंबर को होगा. पितृ पक्ष की त्रयोदशी के दिन बच्चे का श्राद्ध किया जाता है. अगर किसी के घर में बच्चे की मृत्यु हो गई हो तो उसका श्राद्ध त्रयोदशी के दिन किया जाता है.  – चतुर्दशी श्राद्ध इस बार चतुर्दशी श्राद्ध 20 सितंबर को होगा. इस दिन उन व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हो गई हो.  – सर्वपितृ अमावस्या या आखिरी श्राद्ध  ये इस बार 21 सितंबर को है. इस दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है. यह पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है जब सभी पितरों की पूजा की जाती है.  पितृ पक्ष की ये 3 तिथियां हैं खास पितृ पक्ष की सभी तिथियों का अपना महत्व है, क्योंकि हर तिथि पर किसी न किसी के पितर की मृत्यु हुई होती है और वे उनके लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं. लेकिन, इस दौरान भरणी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध और सर्व पितृ अमावस्या की तिथियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.  1. भरणी नक्षत्र हिंदू पंचांग के मुताबिक, भरणी या पंचमी श्राद्ध 11 सितंबर, गुरुवार के दिन किया जाएगा. भरणी श्राद्ध को महाभरणी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. भरणी श्राद्ध किसी परिजन की मृत्यु के एक साल बाद करना जरूरी होता है. अविवाहित लोगों का श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है, और यदि उस दिन भरणी नक्षत्र हो तो श्राद्ध का महत्व और भी बढ़ जाता है. इसके अलावा, जो लोग तीर्थ यात्रा नहीं कर पाते हैं, उनके लिए गया, पुष्कर आदि में भरणी श्राद्ध करना आवश्यक होता है. 2. नवमी श्राद्ध नवमी श्राद्ध को मातृ श्राद्ध और मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है. नवमी तिथि पर माता पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है, जिसमें मां, दादी, नानी आदि के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है.  3. सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पितृ पक्ष की सबसे खास और आखिरी तिथि है सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध. सर्व पितृ अमावस्या पर उन पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि का पता नहीं है.