samacharsecretary.com

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एकजुट होंगे सत्ता और विपक्ष? मॉनसून सत्र में सरकार लयेगी महाभियोग प्रस्ताव

 नई दिल्ली
घर में नकदी बरामद होने के आरोप में फंसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने को लेकर सरकार प्रस्ताव ला सकती है. जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए सरकार संसद के मॉनसून सत्र में प्रस्ताव ला सकती है.

लोकसभा में प्रस्ताव के लिए कम से कम सौ सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी है. विपक्षी दलों ने सरकार को समर्थन का भरोसा दिया है. प्रस्ताव पर सांसदों के हस्ताक्षर कराे शुरू कर दिए हैं. विपक्ष के सांसद भी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे. प्रस्ताव आने के बाद जांच समिति गठित की जाएगी. 

बता दें कि इस साल मार्च में जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ नकदी बरामद हुई थी. सुप्रीम कोर्ट की इंटरनल इन्क्वायरी कमेटी ने उन्हें दोषी माना था. जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से मना कर दिया है.

संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए महाभियोग का प्रस्ताव लाया जा सकता है. अगर महाभियोग प्रस्ताव पास होता है तो संसद के नए भवन में महाभियोग की यह पहली कार्यवाही होगी.

जस्टिस वर्मा के खिलाफ एकजुट होंगे सत्ता और विपक्ष?

सत्तापक्ष संसद के आगामी मॉनसून सत्र में इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश बरामदगी मामले में महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है। इसको लेकर कांग्रेस ने भी सोमवार को अपनी आंतरिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व ने लोकसभा में कांग्रेस के सदन नेताओं को निर्देश दिया है कि वे उन सांसदों की पहचान करें जो इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे।

नियमों के अनुसार, लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं, जबकि राज्यसभा में यह संख्या 50 है। प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष की जांच के बाद जजेज (इंक्वायरी) एक्ट के तहत समिति के पास भेजा जाता है।
एक साथ आ सकते हैं सत्तापक्ष और विपक्ष

इकॉनोमिक टाइम्स ने कांग्रेस सूत्रों के हवाले से लिखा कि एआईसीसी संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस संबंध में कांग्रेस के सदन नेताओं को पत्र भेजा है। यह पत्र ऐसे समय में भेजा गया है जब सत्तापक्ष बीजेपी और विपक्ष दोनों के सांसदों को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए आगे लाने की योजना बना रहा है।

उधर, विपक्ष का एक धड़ा राज्यसभा में पहले से लंबित महाभियोग प्रस्ताव पर भी तेजी से कार्रवाई की मांग कर रहा है, जो इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ कथित रूप से दिए गए 'नफरती भाषण' को लेकर दायर किया गया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस मुद्दे को लोकसभा में भी उठाने की तैयारी में है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि हाल ही में कुछ कांग्रेस नेताओं ने न्यायमूर्ति वर्मा से अनुरोध किया था कि वे महाभियोग प्रस्ताव लाने से पहले खुद ही इस्तीफा दे दें। हालांकि, अभी तक न्यायपालिका की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। संसद के आगामी मॉनसून सत्र में यह मुद्दा विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच बड़े राजनीतिक टकराव का कारण बन सकता है।
धनखड़ ने न्यायाधीश के आवास से नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू करने की उम्मीद जतायी

इससे पहले सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई दिल्ली में एक न्यायाधीश के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू की जाएगी। धनखड़ ने इस घटना की तुलना शेक्सपीयर के नाटक जूलियस सीजर के एक संदर्भ ‘‘इडस ऑफ मार्च’’ से की, जिसे आने वाले संकट का प्रतीक माना जाता है। रोमन कलैंडर में इडस का अर्थ होता है, किसी महीने की बीच की तारीख। मार्च, मई, जुलाई और अक्टूबर में इडस 15 तारीख को पड़ता है।

उपराष्ट्रपति ने इस घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि अब मुद्दा यह है कि यदि नकदी बरामद हुई थी तो शासन व्यवस्था को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी और पहली प्रक्रिया यह होनी चाहिए थी कि इससे आपराधिक कृत्य के रूप में निपटा जाता, दोषी लोगों का पता लगाया जाता और उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता।

 महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में कांग्रेस, सांसदों को दिए खास निर्देश

कांग्रेस पार्टी, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही। पार्टी ने अपने सांसदों से इस नोटिस पर हस्ताक्षर करने को कहा है। साथ ही, कांग्रेस राज्यसभा के सभापति से जस्टिस यादव के मामले में भी आगे बढ़ने का आग्रह कर रही है। यह सब तब हो रहा है जब बीजेपी और अन्य विपक्षी दल मिलकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने लोकसभा में पार्टी के फ्लोर मैनेजरों को उन सांसदों की लिस्ट बनाने की सलाह दी है जो जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर करेंगे।

जस्टिस शेखर यादव को लेकर भी की बड़ी डिमांड
सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दल राज्यसभा में जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ लंबित नोटिस पर भी जल्द कार्रवाई की मांग कर सकता है। जस्टिस यादव पर कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप है। पार्टी लोकसभा में भी ऐसे नोटिस की मांग कर सकती है।

कांग्रेस का प्लान क्या है
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि AICC महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल का यह निर्देश ऐसे समय पर आया है जब बीजेपी और विपक्षी दल मिलकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ नोटिस लाने की तैयारी कर रहे हैं। नियमों के अनुसार, लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव के लिए कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए (राज्यसभा में 50)। इसके बाद स्पीकर इसकी जांच करेंगे और न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार एक समिति द्वारा जांच की जाएगी।

जस्टिस वर्मा की बढ़ेंगी मुश्किलें
कुछ समय पहले, कुछ कांग्रेस नेताओं ने जस्टिस वर्मा से महाभियोग प्रस्ताव पेश होने से पहले इस्तीफा देने का आग्रह किया था। विपक्ष का एक वर्ग राज्यसभा के सभापति से जस्टिस यादव के खिलाफ लंबित महाभियोग प्रस्ताव पर भी आगे बढ़ने की मांग कर रहा है।

महाभियोग प्रक्रिया के लिए क्या हैं नियम
महाभियोग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए हाईकोर्ट या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उनके पद से हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया संसद में शुरू होती है। महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होता है। कांग्रेस पार्टी का यह कदम न्यायपालिका और विधायिका के बीच एक टकराव की स्थिति पैदा कर सकता है।

केसी वेणुगोपाल का पार्टी सांसदों को निर्देश
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला कैसे आगे बढ़ता है। कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि AICC महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल का यह निर्देश ऐसे समय पर आया है जब बीजेपी और विपक्षी दल मिलकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ नोटिस लाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका मतलब है कि केसी वेणुगोपाल ने पार्टी के लोगों को इस मामले में सक्रिय रहने के लिए कहा है।

कुछ कांग्रेस नेताओं ने जस्टिस वर्मा से महाभियोग प्रस्ताव पेश होने से पहले इस्तीफा देने का आग्रह किया था। इसका मतलब है कि कुछ नेता चाहते थे कि जस्टिस वर्मा खुद ही पद छोड़ दें ताकि महाभियोग की नौबत न आए। यह पूरा मामला अब संसद में जाएगा और वहां इस पर बहस होगी। देखना होगा कि अंत में क्या फैसला होता है।

 

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here