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जाड़े के मौसम में लापरवाही ना बरते, पौष्टिक संतुलित भोजन लें…

जाड़े के मौसम में के मौसम में सेहत के प्रति जरा-सी लापरवाही परेशानी का कारण बन सकती है। इस मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है इसीलिये संतुलित भोजन करना आवश्यक है जिसमें शरीर के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व हों, साथ ही भोजन रुचिकर, सस्ता व पौष्टिक भी हो। भोजन से शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है, शरीर की रोगों से रक्षा होती है व शरीर के निर्माण और क्षयग्रस्त कोषों की मरम्मत के लिए जरूरी तत्व भी भोजन से ही मिलते हैं। खाद्य पदार्थों को तीन हिस्सो में बांटा जा सकता है।

ऊर्जादायक भोजन यानि कार्बोहाईड्रेट पूर्ण-

इनमें सभी प्रकार के अनाज, गेहूं, चावल, जौ, बाजरा, मकई, घी, तेल, गुड़, शकर, मक्खन, आलू, शकरकंद, जमींकंद आदि आते हैं।

शरीर निर्माणकारीया प्रोटीन युक्त भोजन-

इसमें प्रोटीन से भरपूर मेवे, दालें, दूध आदि आते हैं।

रक्षाकारी या इम्यूनिटी प्रदान करने वाला भोजन-

शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए विटामिनों व खनिज लवणों और प्रोटीन से युक्त दूध, पनीर, फल, सब्जियां आदि चीजें शामिल हैं।

अनाज-

अनाज की अपनी विशेषता है। गेहूं, चावल, बाजरा, मक्का आदि अनाज के आटे में से चोकर न निकालें। बिना पॉलिश किए चावल का प्रयोग करें। चावल की परत में विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स होता है।

दालें-

शाकाहारी लोगों के लिए दालें अत्यंत आवश्यक हैं। दालें बलवर्द्घक व प्रोटीन से भरपूर होती हैं। मूंग की दाल सुपाच्य है और बुजुर्गों के लिए उत्तम आहार है।

घी या तेल-

मूंगफली, सरसों, तिल या घी इनमें पौष्टिकता की दृष्टि से कोई अंतर नहीं है। भोजन में वनस्पति घी का प्रयोग न करें। शुद्घ देशी घी या तेल खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से ज्यादा अच्छा है।

ताजी सब्जियां और फल-

सब्जियां खनिज लवण से भरपूर होती हैं। मौसमी सब्जियों को भोजन में अवश्य शामिल करें। मूली, मैथी, गाजर, पालक को कच्चा भी सलाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। कम से कम 100 ग्राम सब्जी नियमित खाना चाहिए। फल भी विटामिन से भरपूर होते हैं। आवश्यक नहीं कि आप महंगे फल ही खाएं। मौसम के अनुसार अमरूद, आंवला, केला, खीरा, खरबूज, तरबूज आदि अत्यंत लाभदायक हैं।

गुड़ अथवा चीनी-

शक्कर की अपेक्षा गुड़ में अधिक पोषक तत्व होते हैं। इसमें लोहा, विटामिन एवं अन्य खनिज लवण हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से सफेद चीनी अत्यंत हानिकारक है और प्राकृतिक चिकित्सा में इसे श्वेत विष की संज्ञा दी गई है।

पशुजन्य प्रोटीन-

सभी आयु वर्ग के लोगों के भोजन में दूध, दही, लस्सी आदि की आवश्यकता है। सप्रेटा दूध में भी सभी आवश्यक तत्व हैं। अतः इसे भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस प्रकार आसानी से मिलने वाले अनाज, दालें, मौसमी फल, सब्जियां तेल, गुड़ को अपने भोजन में शामिल कर संतुलित भोजन किया जा सकता है।

सर्दी के रोगों के घरेलू नुस्खे:-

-हल्के गर्म पानी के साथ एक चम्मच शहद खाली पेट लेना फायदेमंद है। इससे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

-गर्म पानी में एक चुटकी काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से सर्दी के मौसम में होने वाली खांसी में राहत मिलती है।

-वायरल संक्रमण में एक-एक चुटकी अदरक का पाउडर, काली मिर्च और हल्दी पाउडर दूध में उबाल कर पीने से आराम मिलता है।

-तुलसी और अदरक के रस को शहद के साथ मिला कर लेना फायदेमंद है।

-वायरल होने पर संतरा, मौसमी जैसे विटामिन सी से भरपूर फल खाना उपयोगी है।

-सर्दी-जुकाम होने पर चुटकी-भर हल्दी मिला कर गर्म दूध पीना बहुत फायदेमंद है।

 

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