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इस रक्षाबंधन पर विशेष खगोलीय योग, 1930 के बाद पहली बार 9 अगस्त को बन रहा दुर्लभ महासंयोग

ग्वालियर
भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा नौ अगस्त शनिवार को मनाया जायेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पूर्णिमा को 95 वर्ष बाद दुर्लभ महासंयोग बन रहा है। यह संयोग वर्ष 1930 के समान है। नक्षत्र, पूर्णिमा संयोग, राखी बांधने का समय लगभग समान है। इन योग में लक्ष्मी नारायणजी की पूजा करने और राखी बांधने से दोगुना फल मिलेगा।

ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार, आठ अगस्त को दोपहर दो बजकर 12 मिनट पर सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। वहीं नौ अगस्त को दोपहर एक बजकर 24 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।
 
हालांकि आठ अगस्त को भद्रा दोपहर दो बजकर 12 मिनट से नौ अगस्त को देर रात एक बजकर 52 मिनट तक है। नौ अगस्त को राखी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा का कोई साया नही है, क्योंकि भद्रा में कोई शुभ कार्य नही किया जाता है।
रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा

किसी भी मांगलिक या शुभ काम को करने से पहले भद्रा काल अवश्य देखा जाता है, जिससे उस काम में किसी भी प्रकार के अशुभ परिणाम सामने न आए। ऐसे में रक्षाबंधन में भद्रा का जरूर ध्यान रखा जाता है। इस साल बहनें बिना कोई विचार किए भाइयों को राखी बांध सकती है। पंचांग के अनुसार, इस साल भद्रा आठ अगस्त को दोपहर दो बजकर 12 मिनट से आरंभ हो रही है, जो नौ अगस्त को तड़के एक बजकर 52 मिनट तक रहेगा।। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों के कलाई में बिना किसी भद्रा के राखी बांध सकती हैं। इस दिन सुबह पांच बजकर 35 मिनट से दोपहर एक बजकर 24 मिनट तक राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त है।

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह चार बजकर 22 मिनट से पांच बजकर चार मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।

नौ अगस्त की सुबह पांच बजकर 47 मिनट से दोपहर एक बजकर 24 मिनट बजे तक। इसमें अपराह्न काल, यानी दिन का तीसरा हिस्सा, सबसे शुभ माना गया है।

रक्षा बंधन शुभ योग
रक्षा बंधन के दिन सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। सौभाग्य योग का समापन 10 अगस्त को देर रात दो बजकर 15 मिनट पर होगा। इसके बाद शोभन योग का निर्माण होगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग सुबह पांच बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर दो बजकर 23 मिनट तक है। इसके साथ ही श्रवण नक्षत्र मुहूर्त दोपहर दो बजकर 23 मिनट तक है, जबकि करण, बव और बालव हैं। इन योग में राखी का त्योहार मनाया जाएगा।

साल 1930 का पंचांग
वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1930 में शनिवार नौ अगस्त के दिन राखी का त्योहार मनाया गया था। इस दिन पूर्णिमा का संयोग शाम चार बजकर 27 मिनट तक था। वहीं पूर्णिमा तिथि की शुरुआत दोपहर दो बजकर सात मिनट पर शुरू हुआ था। इस प्रकार महज पांच मिनट का अतंर पूर्णिमा तिथि में है। सौभाग्य योग का संयोग 10 अगस्त को सुबह पांच बजकर 21 मिनट पर हुआ था। श्रवण नक्षत्र शाम चार बजकर 41 मिनट तक था। वहीं बव और बालव करण के संयोग थे। कुल मिलाकर कहें तो 95 साल बाद राखी का त्योहार समान दिन और समय, नक्षत्र और योग में मनाया जाएगा। 

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