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62 हजार करोड़ का करार: IAF को मिलेंगे 97 नए तेजस MK-1A लड़ाकू विमान

बेंगलुरु

भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के लिए 97 और एलसीए तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दी गई. 62,000 करोड़ रुपये की डील को एक उच्च स्तरीय बैठक में अंतिम मंजूरी मिली, जिससे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इन विमानों के उत्पादन का रास्ता साफ हो गया.

यह कदम मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह कार्यक्रम न केवल भारतीय वायुसेना को आधुनिक बनाएगा, बल्कि देश के छोटे और मध्यम उद्यमों को भी रक्षा क्षेत्र में व्यापार का बड़ा अवसर देगा. 

तेजस: मिग-21 का आधुनिक विकल्प

भारतीय वायुसेना लंबे समय से अपने पुराने मिग-21 विमानों पर निर्भर रही है, जो 1960 के दशक के डिजाइन हैं. ये विमान अब पुराने हो चुके हैं. आधुनिक युद्ध की जरूरतों को पूरा करने में कमजोर पड़ रहे हैं. सरकार ने अगले कुछ हफ्तों में मिग-21 के बेड़े को पूरी तरह से हटाने का फैसला किया है. इसकी जगह लेने के लिए स्वदेशी तेजस मार्क 1ए को चुना गया है, जो एक चौथी पीढ़ी का बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है.

तेजस मार्क 1ए, पहले के 40 तेजस विमानों की तुलना में अधिक उन्नत है. इसमें बेहतर एवियोनिक्स (इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम) और रडार हैं, जो इसे आधुनिक हवाई युद्ध के लिए और सक्षम बनाते हैं. इस विमान में 65% से अधिक हिस्सा स्वदेशी है.  

62,000 करोड़ की डील: दूसरा बड़ा ऑर्डर

यह तेजस मार्क 1ए का दूसरा बड़ा ऑर्डर है. इससे पहले, कुछ साल पहले सरकार ने 48,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 तेजस मार्क 1ए विमानों का ऑर्डर दिया था. नए ऑर्डर के साथ, भारतीय वायुसेना के पास अब कुल 180 तेजस मार्क 1ए विमान होंगे.

यह डील हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को मिली है, जो भारत का प्रमुख रक्षा विमान निर्माता है. इस डील को मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक में मंजूरी दी गई, जिसके बाद HAL अब इन विमानों का उत्पादन शुरू करेगा.

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को रक्षा क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. इस डील से न केवल भारतीय वायुसेना को आधुनिक विमान मिलेंगे, बल्कि देश के छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को भी रक्षा क्षेत्र में व्यापार का बड़ा अवसर मिलेगा. तेजस मार्क 1ए में 65% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा, जो भारत की तकनीकी और औद्योगिक क्षमता को बढ़ाएगा.

HAL को न केवल तेजस विमानों के लिए, बल्कि स्वदेशी हेलीकॉप्टरों और उनके इंजनों के लिए भी ऑर्डर मिले हैं. रक्षा खरीद परिषद ने 156 LCH प्रचंड हेलीकॉप्टरों और 84 सुखोई-30 एमकेआई विमानों के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी थी.  

प्रधानमंत्री का तेजस में उड़ान अनुभव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तेजस के ट्रेनर संस्करण में उड़ान भरी थी, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा लड़ाकू विमान में पहली उड़ान थी. इस उड़ान ने तेजस की तकनीकी क्षमता और भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र में प्रगति को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया.  

तेजस मार्क 1ए की खासियत

तेजस मार्क 1ए एक आधुनिक लड़ाकू विमान है, जिसमें कई उन्नत विशेषताएं हैं…

    एडवांस एवियोनिक्स और रडार: यह विमान पहले के तेजस विमानों की तुलना में अधिक उन्नत रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लैस है, जो इसे लंबी दूरी के हवाई युद्ध (BVR) और हवाई निगरानी के लिए बेहतर है.

    65% स्वदेशी सामग्री: इस विमान में 65% से अधिक हिस्सा भारत में बना है, जो देश की तकनीकी प्रगति को दर्शाता है.

    मैन्यूवरिंग और डिजाइन: इसका डेल्टा-विंग डिजाइन इसे हल्का और तेज बनाता है, साथ ही इसका रडार क्रॉस-सेक्शन कम है, जिससे इसे दुश्मन के रडार में पकड़ना मुश्किल होता है.

    हथियारों की क्षमता: यह विमान आर-73 क्लोज-कॉम्बैट मिसाइल, डर्बी बीवीआर मिसाइल और सटीक बमों को ले जाने में सक्षम है.

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने बताया कि तेजस मार्क 1ए में अभी मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम (MAWS) की कमी है, जो मिसाइल हमले की चेतावनी देता है. इस सिस्टम पर डीआरडीओ और अन्य कंपनियों के साथ काम चल रहा है. भविष्य में इसे शामिल किया जा सकता है.

तेजस का भविष्य और भारतीय वायुसेना

तेजस कार्यक्रम भारतीय वायुसेना के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है. वर्तमान में, दो वायुसेना स्क्वाड्रन तेजस विमानों का संचालन कर रहे हैं. आने वाले वर्षों में यह वायुसेना का सबसे बड़ा लड़ाकू बेड़ा बन सकता है. 2016 में तेजस के पहले संस्करण को शामिल किया गया था. अब मार्क 1ए के साथ वायुसेना की ताकत और बढ़ेगी.

इसके अलावा, HAL को 200 से अधिक तेजस मार्क 2 और उतनी ही संख्या में पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है. ये विमान और भी उन्नत होंगे और भारत को वैश्विक एयरोस्पेस शक्ति के रूप में स्थापित करेंगे.

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