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नियमितीकरण नीति 2014: सरकार ने डाटा अपडेट के लिए अधिकारियों को दिया अंतिम समय

हरियाणा 
सुप्रीम कोर्ट में लंबित स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम योगेश त्यागी केस को लेकर हरियाणा सरकार ने सभी विभागों, निगमों और बोर्डों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2014 की नियमितीकरण नीति के तहत कितने कर्मचारियों को स्थायी किया गया, कितनों का अभी तक नहीं हुआ और कितनों का होना बाकी है – इसकी पूरी और ताज़ा जानकारी 12 सितंबर तक भेजनी होगी।

मानव संसाधन विभाग द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि 28 जुलाई 2025 को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से नवीनतम आंकड़े प्रस्तुत करने को कहा था। इससे पहले 95 विभागों, बोर्डों और निगमों की रिपोर्ट महाधिवक्ता कार्यालय, चंडीगढ़ को भेजी जा चुकी है। अब अदालत ने दोबारा अपडेटेड डेटा मांगा है। विभाग ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों और उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने पुराने आंकड़ों में कोई बदलाव है तो उसे अपडेट करें और तुरंत भेजें। जानकारी न होने की स्थिति में भी ‘शून्य सूचना’ अनिवार्य रूप से भेजनी होगी। सभी विभागों को यह रिपोर्ट मानव संसाधन-1 शाखा को ई-मेल के माध्यम से भेजनी है।

लापरवाही पर जवाबदेही तय
सरकार ने आदेश में स्पष्ट किया है कि अगर समयसीमा का पालन नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। अदालत से होने वाले किसी भी प्रतिकूल आदेश की जवाबदेही उसी विभाग/अधिकारी की होगी जिसने जानकारी देने में लापरवाही बरती।

इसलिए उठाया कदम
सरकार की ओर से यह पत्र इसीलिए जारी किया है ताकि समय पर ताज़ा आंकड़े उपलब्ध हों और अदालत में सरकार की स्थिति मजबूत हो। नियमितीकरण नीति 2014 से जुड़े विवादित मुद्दों पर न्यायिक फैसला तेज़ी से आ सकेगा। साथ ही, विभागीय जवाबदेही तय होने से आगे लापरवाही पर अंकुश लगेगा।

विभागों के सामने चुनौती
मानव संसाधन विभाग की ओर से बृहस्पतिवार को ही सभी प्रशासनिक सचिवों को यह पत्र जारी किया है। जानकारी के लिए उन्हें केवल एक दिन का समय दिया है। यानी शुक्रवार तक उन्हें पूरी जानकारी देनी होगी। कम समय में सभी विभागों और निगमों से सटीक आंकड़े जुटाना कठिन है। पुराने रिकॉर्ड और नई जानकारी में अंतर होने से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। समयसीमा चूकने पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी और प्रतिकूल आदेश का खतरा है।
 
इस तरह समझें पूरा केस
स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम योगेश त्यागी एवं अन्य (विशेष अनुमति याचिका संख्या 31566/2018) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि हरियाणा सरकार ने 2014 में नियमितीकरण नीति लागू की थी। इसमें लंबे समय से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने का प्रावधान था। कर्मचारियों ने दावा किया कि नीति लागू करने में भेदभाव हुआ।

इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
कुछ कर्मचारियों ने अदालत का रुख किया और नीति की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। इसके बाद सरकार ने इस पर सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। अब अदालत यह तय करेगी कि किन संविदा कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। अदालत ने सरकार से ताज़ा और सही आंकड़े मांगे हैं। इसी कारण सरकार ने सभी विभागों को 12 सितंबर तक रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है।

अहम बिंदु
सुप्रीम कोर्ट में 2014 की नियमितीकरण नीति पर सुनवाई जारी
हरियाणा सरकार ने सभी विभागों को रिपोर्ट जमा करने का आदेश
12 सितंबर तक भेजनी होगी जानकारी, वरना अधिकारी होंगे जिम्मेदार
पहले ही 95 विभागों की रिपोर्ट महाधिवक्ता कार्यालय को दी जा चुकी है

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