मैहर
महाराष्ट्र राज्य के जालना जिले में एक महीने से फंसे मैहर जिले के 12 मजदूरों को सुरक्षित उनके घर वापसी कराई गई। घर से काम की तलाश में निकले 12 मजदूर महाराष्ट्र के जालना जिले में बंधुआ मजूदर के रूप में बंधक बना लिए गए थे। जिनकी कलेक्टर रानी बाटड के निर्देशन में श्रम विभाग और पुलिस की तत्पर कार्रवाई से राहतभरी वापसी संभव हो सकी। मजदूरों की वापसी पर उनके परिवारों की आंखें खुशी से छलक उठीं दीपावली में जैसे घर में फिर से उजाला लौट आया। मैहर प्रशासन की तत्परता और समन्वय से न केवल 12 परिवारों के दीप जल उठे, बल्कि यह संदेश भी गया कि किसी भी नागरिक की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा।
12 अगस्त को निकले थे घर से
जिला प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मैहर के कोठी क्षेत्र के ये 12 मजदूर अगस्त माह में काम की तलाश में महाराष्ट्र के जालना जिले पहुंचे थे। वहां सुखापुड़ी गांव के एक व्यक्ति आबा ने उन्हें संतरे तोड़ने का काम दिया। शुरू में सब कुछ सामान्य रहा, परंतु दीपावली के पहले जब मजदूरों ने घर लौटने की इच्छा जताई तो उन्हें रोक दिया गया। मजदूरों के अनुसार, आबा ने कहा कि संतरे के बाद गन्ना काटने के बाद ही वापस जा सकते हो। विरोध करने पर उन्हें धमकाया गया और उन पर कड़ी निगरानी रखी जाने लगी। भय के माहौल में मजदूरों ने छिपकर अपने घरवालों को पूरी जानकारी दी।
स्वजनों को दी सूचना तब मिली मदद
मजदूरों द्वारा जब अपने स्वजनों को इस बात कि सूचना दी तब उनके स्वजनों ने इन बात कि जानकारी कलेटर को दी। जिस पर कलेक्टर रानी बाटड ने तत्काल श्रम निरीक्षक नरेश पटेल और पुलिस टीम को महाराष्ट्र प्रशासन से संपर्क करने के निर्देश दिए।
दोनों राज्यों की सयुक्त कार्रवाई से मिली मुक्ति
दोनों राज्यों की संयुक्त कार्रवाई के बाद मजदूरों को सुरक्षित छुड़ाया गया। सभी श्रमिक ट्रेन से इटारसी होते हुए मैहर पहुंचे, जहां श्रम निरीक्षक ने उनका स्वागत किया और पूरी घटना की रिपोर्ट तैयार की। श्रम निरीक्षक नरेश पटेल ने बताया कि सभी मजदूर फिलहाल सुरक्षित हैं और उनके बयान दर्ज किए जा रहे हैं। पुलिस अब इस पूरे मामले की विस्तृत जांच में जुटी है, ताकि भविष्य में इस तरह के मानव शोषण की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।





