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मानसून के बाद अब सर्दी ने मचाई दस्तक, जानें कब आएगी असली ठंड!

ग्वालियर
मानसून ने इस बार अंचल में सात दिन पहले दस्तक दी थी। इसी तरह अब ठंड ने भी कुछ समय से पहले आ गई है। लोगों को गुलाबी सर्दी का एहसास सुबह शाम में होना शुरू हो गया है। साथ ही रात व दिन का तापमान भी कम हो रहा है। केंद्रीय मौसम विज्ञान केंद्र की माने तो इस बार दिसंबर व जनवरी माह में कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है। इसकी वजह यह है कि यह ला नीना के असर की वजह से होगा। यानि इस बार कड़ाके की ठंड के लिए तैयार रहना होगा। यहां बता दें कि ला नीना प्रशांत महासागर में होने वाली समुद्री सतह के तापमान में असामान्य ठंडक की स्थिति है, जिसके कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में औसत से अधिक ठंडे पानी और तेज़ पूर्वी हवाएं होती हैं।
 
केंद्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने तो पूरे देश को लेकर संभावना व्यक्त है, लेकिन अंचल सर्दी व गर्मी के लिहाज से संवेदनशील है। यहां पर सर्दी के दिनों के सर्दी भी अधिक पड़ती है और गर्मी के दिनों में गर्मी भी। चूंकि उत्तर भारत से आने वाली ठंडी हवाएं शहर व जिले में जल्द पहुंचती हैं और अधिक ठंडा करती हैं। ऐसे में अंचल में और अधिक कड़ाके की ठंड पड़ने का अंदेशा है।

कितना कम हो जाता है तापमान
अंचल में सर्दियाें में न्यूनतम तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में यह तापमान 0.4 और 05 तक ही गिरा है। लेकिन दिसंबर 1961 को तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था। इसलिए ला नीना इफेक्ट की वजह से अंचल में ठंड में न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड तोड़ सकता है। स्थानीय मौसम वैज्ञानिक हुकुम सिंह के मुताबिक यदि आगामी दिनों में पश्चिमी विक्षोभ जैसे सिस्टम अधिक नहीं बने तो फिर ठंड अधिक पड़ सकती है।

लगातार कम हो रहा है रात का तापमान, बढ़ रही है ठंड
ग्वालियर अंचल के रात के तापमान में लगातार कमी हो रही है। हालांकि तापमान धीमी गति से गिर रहा है। लेकिन इससे ठंड बढ़ रही है। तापमान में गिरावट पिछले चार दिन से हो रही है। शनिवार को न्यूनतम तापमान 18.2 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। हालांकि शुक्रवार की तुलना में 0.7 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि दिन में धूप निकलने की वजह से तापमान में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। दिन का तापमान 31.2 डिग्री सेल्सियस रहा। यह कल के मुकाबले 0.2 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। मौसम विभाग की माने वर्तमान में पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऊपर सक्रिय है। इसका प्रभाव खत्म होते ही अंचल में और तेजी से तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। यहां बता दें कि शुक्रवार को करीब बीस साल में पहली बार अक्टूबर माह में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया था।

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