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बिहार का चुनावी इतिहास बदला: 40 साल बाद दो चरणों में मतदान, शाहाबाद-मिथिला को अलग फेज़ में रखा गया

पटना

बिहार में 40 वर्षों के बाद विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। इससे पहले वर्ष 1985 में दो चरण में चुनाव हुए थे। 1985 के चुनाव में झारखंड बिहार से अलग नहीं था। तब, बिहार में विधानसभा सीटों की संख्या 324 थी। 2000 के नवंबर में बिहार से झारखंड अलग हुआ। इसके बाद बिहार में विधानसभा की सीटें 324 से घटकर 243 रह गईं। झारखंड से अलग होने के बाद बिहार में पहली बार दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। यहां अब-तक दो से अधिक चरणों में ही चुनाव होते आ रहे हैं। पिछले 25 सालों में बिहार में सबसे अधिक छह चरणों में विधानसभा चुनाव वर्ष 2010 में हुए थे।

2010 के विधानसभा चुनाव में 21, 24 और 28 अक्टूबर तथा 1, 9 और 20 नवंबर को मतदान हुआ था। पिछला चुनाव तीन चरणों में हुआ था। 28 अक्टूबर को 71, 3 नवंबर को 94 और 7 नवंबर को 78 सीटों पर वोट डाले गए थे। 2015 में पांच चरणों में चुनाव हुए। 1980 और 1990 में एक चरण और 1995 में पांच चरणों में चुनाव हुए थे।

शाहाबाद, मिथिला, अंग जैसे भू-सांस्कृतिक क्षेत्र दोनों चरणों में बंटे
2025 के विधानसभा चुनाव में शाहाबाद, मिथिला और अंग जैसे भू-सांस्कृतिक क्षेत्र दोनों चरणों में बंटे हैं। शाहाबाद के चार जिलों में भोजपुर और बक्सर में पहले चरण तो रोहतास और कैमूर में दूसरे चरण में चुनाव हैं। पिछली बार शाहाबाद में पहले चरण में ही चुनाव हुए थे। मिथिला के इलाके को भी दो चरणों में बांट दिया गया है। समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा और बेगूसराय में तो पहले चरण में जबकि शिवहर, सीतामढ़ी और मधुबनी में दूसरे चरण में चुनाव है। अंग इलाके में भागलपुर, बांका और जमुई में दूसरे चरण तो मुंगेर में पहले चरण में चुनाव हैं।

मगध के चार जिलों गया, जहानाबाद, औरंगाबाद और नवादा में पिछली बार की तरह एक ही चरण में चुनाव हैं। सीमांचल के सभी चार जिलों अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में दूसरे चरण में चुनाव है। 2020 के चुनाव में शाहाबाद और मगध में पहले चरण में चुनाव हुए थे, जहां महागठबंधन की बंपर जीत हुई थी। इन क्षेत्रों की 77% सीटों पर उसके उम्मीदवार जीते थे।

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