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बिहार दौरे पर रविशंकर प्रसाद का बयान, राहुल-प्रियंका का कदम बदलाव नहीं लाएगा

पटना  लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में बिहार में चल रही इंडिया ब्लॉक की 'वोटर अधिकार यात्रा' में मंगलवार को सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हुईं। उनकी मौजूदगी से कार्यकर्ताओं और समर्थकों में खासा उत्साह देखने को मिला। हालांकि, प्रियंका गांधी वाड्रा के शामिल होने पर भाजपा ने कड़ा प्रहार किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भाई आए, बहन आईं, दौरे से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। फिर से वही गलत बयानबाजी करेंगे। पत्रकारों से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने एफिडेविट क्यों नहीं फाइल किया? क्योंकि उन्हें पता था कि झूठ बोलने पर कार्रवाई होगी। पेगासस और राफेल मामले में भी वही रवैया अपनाया। मीडिया, सीबीएसई, कैग और अब चुनाव आयोग तक को गाली देना राहुल गांधी की आदत बन गई है। उनका एक ही मंत्र है, 'ना कायदा सही, ना कानून सही, जो राहुल कहे वही सही।' लेकिन, देश ऐसे नहीं चलेगा। रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी और कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा कि बिहार की जनता इनकी झूठी बातों का करारा जवाब देगी। वहीं, उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के उस बयान पर भी नाराजगी जताई, जिसमें बिहार के डीएनए पर सवाल उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि बिहार के डीएनए में सम्राट अशोक की विरासत है। बिहार के डीएनए में महात्मा गांधी की प्रेरणा है। गांधी जब महात्मा बने तो वह चंपारण आए थे और यहीं से सत्याग्रह शुरू किया था। मैं रेवंत रेड्डी से आग्रह करूंगा कि थोड़ा बिहार को जान लें। बता दें कि बिहार में इंडिया ब्लॉक ने 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली है। इसमें राजद के नेता तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के नेता शामिल हो रहे हैं। मंगलवार को यात्रा के दसवें दिन की शुरुआत सुपौल जिले से हुई। सोमवार को इस यात्रा को ब्रेक दिया गया था। राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' 17 अगस्त को बिहार के सासाराम से शुरू हुई थी। 16 दिन की यह यात्रा लगभग 20 जिलों से होकर गुजरेगी और 1,300 किलोमीटर का सफर पूरा करेगी। एक सितंबर को पटना में बड़ी रैली के साथ यात्रा का समापन होगा। यह यात्रा औरंगाबाद, गया, शेखपुरा, कटिहार, पूर्णिया, मुंगेर, भागलपुर होते हुए सुपौल पहुंची।

कार्रवाई के दूसरे दिन संविदा शर्तों का उल्लंघन करने के लिये 146 विशेष सर्वेक्षण कर्मी हुये बर्खास्त

•हड़ताल में शामिल सभी पर क्रमिक रूप से जारी है कार्रवाई * सभी हड़ताली कर्मियों पर कारण पृच्छा के बाद विभाग द्वारा सोमवार से शुरू की गई है कार्रवाई पटना राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने आज कार्रवाई के दूसरे दिन हड़ताल भड़काने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में  97 विशेष सर्वेक्षण अमीन, 24 विशेष सर्वेक्षण कानूनगो एवं 25 विशेष सर्वेक्षण लिपिक की संविदा सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है। सभी संविदा कर्मियों पर उनके पदस्थापित जिलों से प्राप्त प्रतिवेदन के आलोक में कार्रवाई की गई है। भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि बर्खास्त किए गए विशेष सर्वेक्षण अमीन, विशेष सर्वेक्षण कानूनगो एवं विशेष सर्वेक्षण लिपिक ने अनुचित मांगों को लेकर हड़ताल की राह अपनाई और विभागीय कार्य बाधित किया। विभाग ने माना कि राजस्व महा अभियान की शुरुआत होते ही हड़ताल पर चले जाने का इनका आचरण अनुशासनहीनता और सरकारी आदेश की अवहेलना की श्रेणी में आता है। विभाग ने स्पष्ट किया कि सभी संविदा विशेष सर्वेक्षण अमीन, विशेष सर्वेक्षण कानूनगो एवं विशेष सर्वेक्षण लिपिक की नियुक्ति संविदा नियमावली 2019 एवं संशोधित नियमावली 2022 के तहत हुई थी। नियमों के मुताबिक यह सेवा किसी भी परिस्थिति में नियमित नियुक्ति में परिवर्तित नहीं होगी। इसके बावजूद पदनाम बदलने, नियमितीकरण और समतुल्य वेतनमान जैसी अनुचित मांगों को लेकर हड़ताल पर जाना शपथपत्र और संविदा शर्तों का खुला उल्लंघन है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने स्पष्ट किया है कि हड़ताल से सरकार के महत्वाकांक्षी राजस्व महा–अभियान की गति प्रभावित हुई। इस अभियान के तहत राज्यभर में जमाबंदी में त्रुटि सुधार, ऑफलाइन जमाबंदी को ऑनलाइन करना, बंटवारा नामांतरण और उत्तराधिकार नामांतरण जैसी सेवाएं आमजन तक पहुंचाई जा रही हैं। ऐसे में हड़ताल का कदम जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाला साबित हुआ। इसी आधार पर विभाग ने कठोर कार्रवाई करते हुए नियमावली की धारा 8(4) के तहत संविदा सर्वेक्षण कर्मियों की संविदा सेवा समाप्त कर दी है। विभाग के स्तर से कार्य से अनुपस्थित अन्य सभी पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।

‘सहकारिता की मजबूती ही किसानों की प्रगति का आधार है’: डॉ॰ प्रेम कुमार

●     05 सितम्बर 2025 को उत्तर बिहार के सभी जिलों में ‘‘किसान सहकारी चैपाल’’ का होगा आयोजन   ●     सहकारी चैपाल में सहकारिता विभाग की योजनाओं की किसानों को मिलेगी जानकारी ●     किसानों के कल्याण के लिए सहकारिता विभाग चला रहा है कई योजनाएं   पटना  सूबे के सहकारिता मंत्री डॉ॰ प्रेम कुमार ने मंगलवार को दीप नारायण सिंह क्षेत्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान, शास्त्री नगर, पटना में सहकारिता विभाग, बिहार सरकार द्वारा आयोजित ’’किसान सहकारी चैपाल’’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विभागीय योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए LED युक्त प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर उन्होंने रवाना भी किया। इस दौरान एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन कर भी विभाग की योजनाओं की जानकारी दी गई। किसान सहकारी चैपालों का आयोजन जिलों के चयनित पैक्स/व्यापार मंडलों में किया जाएगा। इसमें पैक्स प्रतिनिधि, किसान, स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं विभागीय पदाधिकारी भी भाग लेंगे। इसके जरिए विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे खाद्यान्न अधिप्राप्ति, फसल सहायता योजना, कॉमन सर्विस सेंटर, पैक्स कम्प्यूटराइजेशन, भंडारण सुविधा, प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समिति, दुग्ध, बुनकर, मत्स्यजीवी, मधुमक्खी समिति आदि से संबंधित जानकारी सभी सहकारी समितियों के सदस्यों को दी जाएगी।   इस कार्यक्रम में माननीय मंत्री, सहकारिता विभाग, डॉ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि सहकारिता की मजबूती ही किसानों की प्रगति का आधार है। विभाग की विभिन्न योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाना सहकारिता विभाग की प्राथमिकता है। राज्य सरकार अच्छा काम करने वाले पैक्सों को पुरस्कृत करने जा रही है। सहकारिता विभाग ने मुख्यमंत्री आदर्श पैक्स प्रोत्साहन योजना 2025-26 के तहत आवेदन आमंत्रित किया है। इसमें प्रत्येक जिले के तीन पैक्सों एवं राज्य स्तर पर तीन पैक्सों को पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग की ओर से आयोजित होने वाले ‘‘किसान सहकारी चैपाल’’ एवं एलईडी युक्त प्रचार वाहन के जरिए किसानों एवं पैक्स सदस्यों तक विभागीय योजनाओं की जानकारी सहज एवं प्रभावी रूप से पहुंचाई जाएगी।  आज के इस कार्यक्रम में सचिव, सहकारिता विभाग, श्री धर्मेन्द्र सिंह, निबंधक, सहयोग समितियाँ, श्री अंशुल अग्रवाल, अपर सचिव, सहकारिता विभाग, श्री अभय कुमार सिंह, अपर निबंधक, सहयोग समितियाँ, श्री प्रभात कुमार सहित सहकारिता विभाग के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित रहे। साथ हीं कार्यक्रम में दीप नारायण सिंह क्षेत्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान के निदेशक डाॅ॰ के॰पी॰ रंजन सहित पटना जिले के सभी पैक्स अध्यक्ष उपस्थित रहे एवं राज्य के अन्य जिलों के पैक्स अध्यक्ष एवं विभागीय पदाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।

नई वैश्विक खेल की शुरुआत, पीएम मोदी ने ट्रंप के खिलाफ चीन और रूस के साथ गठबंधन किया

नई दिल्ली  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (आयात शुल्क) नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला दिया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति उल्टा असर डाल रही है और अब  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन-रूस के साथ मिलकर अमेरिका के खिलाफ नया चक्रव्यूह तैयार कर लिया है और तीनों देश  एक नई आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे हैं। यह गठजोड़ न सिर्फ अमेरिका पर निर्भरता को कम करेगा बल्कि दुनिया को बहुध्रुवीय (Multipolar) आर्थिक व्यवस्था की ओर ले जाएगा।  विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस सस्ती ऊर्जा देगा , चीन निवेश करेगा  और भारत सबसे बड़ा बाज़ार और सेवा हबबनेगा  । आने वाले सालों में दुनिया "India + 2" के फॉर्मूले पर चलेगी।   ट्रंप ने किया मजबूर ट्रंप प्रशासन द्वारा बढ़ते शुल्क और डॉलर की प्रधानता बनाए रखने की कोशिशों ने कई देशों को वैकल्पिक रास्ते खोजने पर मजबूर किया है। ऐसे समय में, खबर है कि  रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्ष 2025 के अंत तक भारत का दौरा करेंगे वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन  के लिए सात साल बाद चीन जाने की तैयारी में हैं। इन यात्राओं को सामान्य कूटनीति न मानकर, एक “रणनीतिक त्रिकोण” (Dragon–Bear–Tiger) की दिशा में उठते कदम के तौर पर देखा जा रहा है।   तीन महाशक्तियां एक साथ भारत-चीन-रूस की संयुक्त GDP (PPP) करीब 53.9 ट्रिलियन डॉलर है। यानी पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का लगभग 1/3 हिस्सा अब इस तिकड़ी के पास है।रूस पर पाबंदियों के बाद भारत और चीन ने स्थानीय मुद्रा में तेल खरीदना शुरू किया। इससे अमेरिकी डॉलर की पकड़ ढीली हुई और "डि-डॉलराइजेशन" की राह तेज हो गई। तीनों देशों का रक्षा खर्च 549 बिलियन डॉलर है, जो दुनिया का 20% है। ऊर्जा खपत में इनकी हिस्सेदारी 35% है। यानी ये न सिर्फ अर्थव्यवस्था, बल्कि सुरक्षा और ऊर्जा में भी सुपरपावर हैं। विशेषज्ञों की राय मनीष भंडारी (संस्थापक, Vallum Capital) का कहना है कि चीन के पास विनिर्माण (manufacturing) की ताकत है, रूस ऊर्जा (energy) का सबसे बड़ा खिलाड़ी है और भारत सेवा क्षेत्र (services) व विशाल उपभोक्ता बाज़ार की ताकत रखता है। यह साझेदारी केवल व्यापारिक आँकड़ों से आगे बढ़कर एक नए वैश्विक संतुलन का प्रतीक है। संदीप पांडे (Basav Capital)  के अनुसार, तेल व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर अत्यधिक निर्भरता ही अमेरिका की ताकत रही है। लेकिन रूस और चीन के साथ स्थानीय मुद्रा में तेल खरीदकर भारत ने डॉलर के दबदबे को चुनौती दी है। अविनाश गोरक्षकर (SEBI-पंजीकृत विश्लेषक)  मानते हैं कि ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत और चीन को भी एक-दूसरे के करीब ला दिया है, क्योंकि दोनों को निर्यात में नए रास्ते तलाशने की ज़रूरत है।

धार्मिक धरोहरों को मिलेगी आधुनिक पहचान! बक्सर, रोहतास, कैमूर को सीएम नीतीश की नई सौगात

गंगा तट पर भव्य प्रतिमा और बोटहाउस कैंप! बिहार के धार्मिक पर्यटन को मिला नया आयाम पटना बिहार की पहचान अब केवल इतिहास और परंपराओं तक सीमित नहीं रहने वाली है! बल्कि ये आधुनिकता के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को संजोने की दिशा में आगे बढ़ रही है। नीतीश सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। जिसका नतीजा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने एक साथ कई बड़े धार्मिक-पर्यटन प्रोजेक्ट्स की नींव रखी है। जो आने वाले समय में बिहार के पर्यटन मानचित्र को नई ऊंचाई देंगे। सोन नदी के किनारे स्थापित होगी महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा इसी चरण में बक्सर जिले में “महर्षि विश्वामित्र पार्क” के निर्माण का काम शुरू भी हो चुका है। इसका शिलान्‍यास पर्यावरण मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने किया था। सोन नहर के किनारे विकसित होने वाला यह पार्क न केवल बक्सर की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करेगा बल्कि आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भी होगा। यहां वॉकिंग ट्रैक, ओपन जिम, योगा पार्क, एम्फीथिएटर, जेन गार्डन, बच्चों का जोन और ग्रामीण हाट जैसी सुविधाएं होंगी। सबसे खास आकर्षण होगा गंगा तट पर स्थापित महर्षि विश्वामित्र की भव्य प्रतिमा और “सिद्धाश्रम म्यूजियम” होगा। धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित होगा बाबा गुप्ताधाम इसके अलावा रोहतास जिले के पौराणिक बाबा गुप्ताधाम में भी 14.91 करोड़ की लागत से ईको-पर्यटन का विकास किया जा रहा है। जहां लोग शहर के शोर शराबे से दूर शांति की तलाश में आ सकेंगे। यहां श्रद्धालुओं को धर्मशाला, फूड कोर्ट, शौचालय और सोलर एनर्जी से संचालित सुविधाएं मिलेंगी। इतना ही नहीं, धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए यहां शिवलिंग का लाइव टेलीकास्ट भी एक बड़े एलईडी स्क्रीन पर होगा। मां मुण्डेश्वरी धाम परिसर का होगा जीर्णोद्धार कैमूर जिले में भी बिहार सरकार बड़े पैमाने पर धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से विकास कर रही है। कैमूर के मां मुण्डेश्वरी धाम परिसर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। वहीं, दुर्गावती जलाशय स्थित करमचट डैम में नया कश्‍मीर बसाने की कोशिश की जा रही है। यहां बिहार का पहला बोटहाउस कैंप बनाया जा रहा है। जहां लोग पानी की लहरों के बीच सुंदर वादियों और एक दर्जन झरनों का आनंद ले पाएंगे। जो पर्यटकों के लिए नया आकर्षण बन जाएगी। राजगीर की सफलता के बाद उत्‍साहित सरकार बिहार प्राचीन काल से से धार्मिक और पर्यटन का केंद्र रहा है। जो हमेशा स्थायी है। ऐसे में डॉ. सुनील कुमार का कहना है कि “लोगों की आस्था से जुड़ी जगहों को विकसित करना हमारी प्राथमिकता में है। राजगीर में जो सफलता मिली है, उसी को देखते हुए अब कई जिलों में इस तरह का काम किया जा रहा है।”

राजस्व महा-अभियान : विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की हड़ताल के बीच सरकार ने की वैकल्पिक व्यवस्था

सीएससी को मिली जिम्मेदारी, राजस्व महा अभियान हेतु 11549 सीएससी कर्मियों की सेवा लेने के प्रस्ताव पर लगी मंत्रिपरिषद की मुहर राजस्व महा–अभियान के दौरान त्वरित समाधान की दिशा में बड़ा कदम ⁠अबतक कुल जमाबंदी पंजियों में से 42 फीसदी का वितरण हुआ पूर्ण हड़ताल पर गये विशेष सर्वेक्षण कर्मियों का क्रमिक निलंबन शुरू पटना राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि संबंधी मामलों में आम रैयतों को त्वरित राहत दिलाने और संविदा सर्वेक्षण कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद राजस्व महा-अभियान को गति देने के लिए बड़ा निर्णय लिया है। विभाग संविदा सर्वेक्षण कर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद एक वैकल्पिक व्यवस्था के लिये विचार कर रहा था। विभाग के प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद ने आज मुहर लगा दी।  राज्य मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को सीएससी, ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली को गैर-परामर्शी सेवाओं के तहत नामित करने की मंजूरी दे दी है। अब महा–अभियान के तहत आयोजित शिविरों में सीएससी के प्रशिक्षित कर्मी मौजूद रहेंगे और नागरिकों के आवेदन की तत्काल इंट्री सुनिश्चित करेंगे।  सर्वे अमीनों की हड़ताल के बीच सरकार का फैसला राज्य में 16 अगस्त से 20 सितंबर तक चलने वाले राजस्व महा-अभियान का मुख्य उद्देश्य डिजिटाइज्ड जमाबंदी की त्रुटियों को सुधारना, छूटी हुई जमाबंदियों को ऑनलाइन करना, उत्तराधिकार नामांतरण और बंटवारा नामांतरण करना है। लेकिन विशेष सर्वेक्षण अमीनों के अचानक हड़ताल पर चले जाने से कर्मियों की कमी हो गई थी। ऐसे में विभाग द्वारा सीएससी की सेवाएं लेने का निर्णय लिया गया है। इस हेतु आज विभाग द्वारा कैबिनेट में , वित्त विभागीय संकल्प संख्या-12888, दिनांक-03.12.2024 के आलोक में राजस्व महा अभियान के सुगम क्रियान्वयन हेतु गैर-परामर्शी सेवाओं की अधिप्राप्ति के लिये CSC के कर्मियों की सेवा लिये जाने का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसपर राज्य मंत्रीपरिषद की बैठक दिनांक-26.08.2025 के मद संख्या-25 के रूप में स्वीकृति प्रदान की गई। राज्य के कुल 38 जिलों के 8481 हलका में सीएससी के माध्यम से कुल 11,549 कर्मियों की सेवा ली जायेगी। इनमें कुल 10936 कंप्यूटर ऑपरेटर, अंचल और जिला स्तर पर क्रमशः कुल 537 तथा 76 पर्यवेक्षक होंगे। साथ ही विभाग द्वारा हड़ताल पर गये विशेष सर्वेक्षण कर्मियों का क्रमिक निलंबन शुरू कर दिया गया है। सीएससी पहले से ही राज्य में जमाबंदी देखने, लगान भुगतान, दाखिल-खारिज, परिमार्जन प्लस और भू-मापी जैसी ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराती रही है। अब इसके हजारों वीएलई (Village Level Entrepreneur) शिविरों में भी सक्रिय रहेंगे। सरकार का मानना है कि इससे पंचायतवार आयोजित राजस्व महा अभियान शिविर में रैयतों को आसानी होगी और कर्मियों की कमी होने वाली भीड़ से बचेंगे। •प्रशासनिक मंजूरी और राजपत्र में प्रकाशन इस प्रस्ताव को विभागीय स्थायी वित्त समिति और विभागीय मंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद 26 अगस्त को मंत्रिपरिषद की बैठक (मद संख्या–25) में मंजूरी दी गई। अब यह संकल्प तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। राज्य में अबतक कुल जमाबंदी पंजियों में से 42 फीसदी का वितरण किया जा चुका है। CSC के माध्यम से 11,549 कर्मियों की नियुक्ति के पश्चात राजस्व महा-अभियान में और तेजी आयेगी।

त्योहारों में यात्रियों की सुविधा के लिए चालकों-संवाहकों को दिया जाएगा विशेष प्रशिक्षण

*      बीएसआरटीसी अगले महीने देगा प्रशिक्षण •    सभी बसों पर बीएसआरटीसी का लोगो स्टीकर लगाना अनिवार्य पटना बिहार में आगामी पर्व-त्योहारों के दौरान अंतर्राज्यीय बस परिचालन को सुगम बनाने के लिए बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (बीएसआरटीसी) ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। फुलवारीशरीफ स्थित निगम परिसर में सोमवार को प्रशासक अतुल वर्मा की अध्यक्षता में बस ऑपरेटरों के साथ बैठक आयोजित की गई। इसमें कई अहम दिशा-निर्देश जारी किए गए। प्रशासक ने जानकारी दी कि अगले महीने(सितम्बर) में सभी बस चालकों और संवाहकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि यात्रियों को बेहतर और सुरक्षित सेवा मिल सके। साथ ही, पर्व-त्योहारों के दौरान बिहारवासियों को सस्ती दरों पर टिकट उपलब्ध कराया जाएगा। 20 सितंबर से शुरू होगा बसों का परिचालन दुर्गा पूजा, दीपावली और छठ के अवसर पर 20 सितंबर से 30 नवंबर तक दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लिए लोक-निजी भागीदारी के तहत बसों का परिचालन किया जाएगा। यात्रियों की सुविधा के लिए 1 सितंबर 2025 से ऑनलाइन सीट बुकिंग शुरू होगी। बिना ऑनलाइन बुकिंग वाले यात्रियों को बस में ई-टिकटिंग मशीन से टिकट उपलब्ध कराया जाएगा. बस संचालकों के लिए सख्त निर्देश  सभी बसों पर बीएसआरटीसी का लोगो स्टीकर या पेंट से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। बस के शीशे पर परमिट चिपकाना और चालकों को एकरारनामा की प्रति रखना जरूरी है। इसके साथ ही दिल्ली और हरियाणा के लिए दो चालकों की नियुक्ति अनिवार्य होगी। बसों में किराया और सरकारी छूट की जानकारी स्टीकर को चिपकाना होगा। अधिक किराया वसूलना दंडनीय अपराध माना जाएगा। राज्य में लागू पूर्ण शराबबंदी के तहत बसों में शराब लाना, रखना या सेवन करना प्रतिबंधित होगा। बस के सभी कागजात जैसे टैक्स, पीयूसी, बीमा और परमिट अनिवार्य होंगे और चालकों को निर्धारित गति सीमा का पालन होगा।

बिहार में 36 हजार 7 सौ कि.मी. से अधिक ग्रामीण सड़कों का हुआ कायाकल्प

•    20 हजार करोड़ रूपये से बदल रही है सूबे के ग्रामीण सड़कों की तस्वीर •    कुल 16,171 ग्रामीण सड़कों में 15,104 की मरम्मति का काम पूर्ण पटना बिहार में गांव की गलियों से होकर खेत-खलिहान तक जाने वाली सड़कों की सूरत बदल चुकी है। बिहार ग्रामीण पथ अनुरक्षण नीति-2018 के तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों की कुल 16,171 सड़कों की, जिसकी कुल लम्बाई 40,259.35  किलोमीटर है, की मरम्मति और रखरखाव का लक्ष्य तय किया गया था। इसमें अबतक कुल 15,104 सड़कों की जिसकी कुल लम्बाई 36,757.22 किलोमीटर है, को चकाचक किया जा चुका है। गांव के लोगों के लिए यह सिर्फ सड़क नहीं, बल्कि बाज़ार, अस्पताल, स्कूल और रोज़गार तक पहुंचने का सुगम मार्ग है। इस योजना के तहत 16,171  सड़कों की मरम्मति की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है। जिनकी कुल लंबाई 40,259.35 किलोमीटर है। इन पर 20 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि खर्च की जा रही है। इनमें से 15,104 ग्रामीण सड़कों की मरम्मति का काम पूरा किया जा चुका है, जिनकी कुल लंबाई 36,757.22 किलोमीटर बताई गई है। माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के दिशा-निर्देश के तहत बिहार ग्रामीण पथ अनुरक्षण नीति-2018 का उद्देश्य केवल ग्रामीण सड़कों का निर्माण करना ही नहीं, बल्कि उन्हें लंबे समय तक दुरुस्त रखना भी है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य की ग्रामीण सड़कों और पुलों का नियमित रख-रखाव किया जा रहा है, ताकि पूरे साल हर मौसम में गांव के लोग इन रास्तों से आसान सफर कर सकें। जिसका लाभ गांव के किसानों से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चों तक को मिल सके। किसानों के लिए अब अपनी फसल को बाजार तक पहुंचाना आसाना हो गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को इससे स्कूल आने-जाने में सुविधा हो रही है। साथ ही, बीमार लोगों को अब कच्चे रास्तों से अस्पतालों तक नहीं पहुंचाना पड़ता है। बाढ़ या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इन ग्रामीण सड़कों के माध्यम से लोगों तक राहत पहुंचाना भी अब आसान हो गया है। इतना ही नहीं, ग्रामीण सड़कों का चेहरा बदलने से बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जीवनस्तर भी बेहतर हुआ है। सबसे अधिक पूर्वी चंपारण मेंबदली है ग्रामीण सड़कों की सूरत अनुरक्षण यानी सड़कों की मरम्मति के मामले में राज्य का पूर्वी चंपारण जिला सबसे आगे है। यहां चयनित कुल 957 सड़कों में 905 सड़कों की मरम्मति का काम पूरा कर लिया गया है। जिसकी कुल लम्बाई 2,384.03 किलोमीटर है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मुजफ्फरपुर जिला है। मुजफ्फरपुर जिले की कुल 718 सड़कों में 657 सड़कों की मरम्मति का काम पूरा हो चुका है। मुजफ्फरपुर में कुल 1861.52 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों की मरम्मति का लक्ष्य तय किया गया था। जिसके विरुद्ध 1680.458 कि.मी. सड़क की मरम्मति का काम पूरा कर लिया गया है। ग्रामीण सड़कों के कायाकल्प के मामले में पश्चिम चंपारण जिला तीसरे स्थान पर है। यहां कुल 617 ग्रामीण सड़कों को चकाचक करने का लक्ष्य निर्धारित था। जिसकी कुल लम्बाई 2091.32 कि.मी. है। इस लक्ष्य के विरुद्ध 597 सड़कों का कायाकल्प किया जा चुका है। जिसकी कुल लम्बाई 1994.23 कि.मी. है। इसके अलावा सारण में 1,583.90 कि.मी., समस्तीपुर में 1,404.90 कि.मी., गयाजी में 1,370.45 कि.मी. और वैशाली 1,354.41 कि.मी. हैं।

निषाद पार्टी की जड़ें गोरखपुर से निकलीं, पर कुछ नेता इसे बदनाम करने में लगे हैं: डॉ संजय कुमार निषाद

“आरक्षण देना भाजपा की जिम्मेदारी है, सहयोगी के तौर पर हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” – डॉ संजय कुमार निषाद “त्रेता से ही हम प्रभु श्रीराम की विचारधारा से जुड़े हैं और आगे भी जुड़े रहेंगे।” – डॉ संजय कुमार निषाद “संजय निषाद के विरोध में जिन्हें सांसद और सुरक्षा मिली, उन्होंने समाज का आरक्षण कितनी बार उठाया?” – डॉ संजय कुमार निषाद “अगर भरोसा है तो गठबंधन निभाइए, नहीं है तो साफ कह दीजिए – हम तैयार हैं।” – डॉ संजय कुमार निषाद “सहयोगियों की ताकत को कम मत आंकिए, जीत अकेले की नहीं, सबकी साझी है।” – डॉ संजय कुमार निषाद “प्रवीण की हार पर सवाल हमसे नहीं, भाजपा नेतृत्व की रिपोर्ट से पूछिए।” – डॉ संजय कुमार निषाद गोरखपुर कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने आज अपने जनपद गोरखपुर दौरे के दौरान एनेक्सी भवन सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी की नींव गोरखपुर से रखी गई है, लेकिन अफसोस की बात है कि गोरखपुर और प्रदेश के कुछ नेता लगातार पार्टी और मेरी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरक्षण का निर्णय भारतीय जनता पार्टी को लेना है, क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों जगह उनकी ही सरकार है, और निषाद पार्टी भाजपा की सहयोगी है। केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों ही स्तर पर इस मुद्दे पर सकारात्मक पहल हो रही है। मगर कुछ तथाकथित निषाद नेता समाज और पार्टी को गुमराह कर केवल कड़वाहट फैलाने का काम कर रहे हैं। श्री निषाद ने कहा कि हमारा रिश्ता त्रेता युग से ही मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के साथ रहा है और हम उसी आदर्श को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। पत्रकारों द्वारा भाजपा नेता के इस बयान पर प्रश्न पूछे जाने पर कि भाजपा निषाद समाज को अधिक टिकट देगी, डॉ. निषाद ने कहा – “क्या ये वही लोग हैं जो ‘हाथी’ से आए और इम्पोर्ट होकर भाजपा में शामिल हुए? मैंने अखबारों में पढ़ा कि वे कह रहे थे भाजपा निषाद समाज को टिकट देगी। इसका तो हम स्वागत करते हैं। हम तो चाहते हैं कि पूरा विधानसभा ‘निषादमय’ हो जाए और 403 में से 403 विधायक निषाद जीत कर आएं। लेकिन एक सवाल है – जो लोग निषादों को टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे हैं, क्या वे भाजपा से यह गारंटी लेकर आए हैं कि 2027 में उन्हें टिकट मिलेगा? 2024 में भी तो वे खाली हाथ ही रह गए। कभी एक कुंभ, कभी दूसरा सम्मेलन… नतीजा क्या? ज़ीरो बट्टा सन्नाटा।” उन्होंने आगे कहा कि डॉ संजय निषाद जी के विरोध जिन्हें सांसद की कुर्सी और सुरक्षा दी गई है, वे यह बताएं कि अपने कार्यकाल में उन्होंने कितनी बार मछुआ समाज के आरक्षण की आवाज़ उठाई? यदि नहीं उठाई, तो समाज सब देख रहा है और समय आने पर उचित फैसला भी करेगा। सहयोगी दलों के सम्मान को लेकर पूछे गए सवाल पर श्री निषाद ने कहा – “हम भाजपा के सहयोगी दल हैं – सुभासपा, अपना दल, निषाद पार्टी और रालोद। अगर भाजपा को हम पर भरोसा है कि हम अपने समाज को सही दिशा में ले जा रहे हैं और इसका राजनीतिक लाभ भी भाजपा को मिल रहा है, तो यह रिश्ता आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन यदि भरोसा नहीं है तो साफ कह दें और गठबंधन खत्म कर दें।         राजभर भाई के लिए बीजेपी के बड़े इम्पोर्टेड राजभर नेता, रालोद के लिए मथुराबड़े जाट नेता, और हमारे लिए? गोरखपुर में हर समय यही कोशिश रहती है कि हमें कैसे नीचे गिराया जाए। भाई आशीष पटेल जी के मामले में तो खुलासा हो ही गया है। सवाल यह है कि भाजपा नेतृत्व सीधे क्यों नहीं बोलता और छुटभैया नेताओं से ऐसे बयान क्यों दिलवाता है?”         डॉ. निषाद जी ने कहा कि किसी को इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश की जीत केवल भाजपा की थी। यह जीत सभी सहयोगी दलों के योगदान से मिली है। आशीष भाई पटेल समाज को, राजभर भाई राजभर समाज को, रालोद जाट समाज को और निषाद पार्टी मछुआ समाज को भाजपा से जोड़कर खड़ी है। 2018 की जीत सबको याद रखनी चाहिए। 2022 के चुनाव में जब रालोद और राजभर भाई समाजवादी पार्टी से जुड़े, तो उनकी संख्या समाजवादी पार्टी की संख्या 45 से बढ़कर 125 हो गई थी। बाकी आप सभी समझदार हैं।”         संतकबीरनगर चुनाव हारने पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा – “बार-बार ये सवाल उठता है कि प्रवीण चुनाव कैसे हारे। इस संसदीय क्षेत्र के भाजपा नेतृत्व ने क्या किया और क्या नहीं, इसकी पूरी रिपोर्ट भाजपा के पास है। उसे सार्वजनिक कर दिया जाना चाहिए।”         डॉ. निषाद जी ने कहा कि “यदि वास्तव में निषाद समाज के लिए संघर्ष की भावना है तो वे इंपोर्टेड नेता और भाजपा के निषाद नेता आरक्षण के मुद्दे पर विधानसभा का घेराव करें। मैं उनके साथ और पीछे चलने के लिए तैयार हूँ। यदि वे ऐसा नहीं करते तो यह माना जाएगा कि वे समाज और पार्टी के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं।”

जनवितरण प्रणाली के डीलरों के कमीशन में 52 फीसद की बढ़ोतरी

–    राज्य मंत्रिमंडल ने खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रस्ताव पर लगाई मुहर  –    अब खाद्यान्न डीलरों को प्रति क्विंटल मिलेगी 258.40 रूपये की कमीशन राशि   पटना  राज्य में खाद्य वितरण प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ तथा पारदर्शी बनाने की दिशा में मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत डीलर कमीशन की राशि में वृद्धि के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगाकर जनवितरण प्रणाली के डीलर कमीशन की राशि में करीब 52 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है।  अबतक डीलर कमीशन मद में केन्द्रांश के रूप में प्रति क्विंटल 45 रूपये तथा राज्यांश के रूप में 45 रूपये यानी कुल 90 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित था। राज्य मंत्रिमंडल ने खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रस्ताव के अनुसार कमीशन की राशि को सितंबर, 2025 से प्रभावी करते हुए राज्य योजना से अतिरिक्त 47 रूपये प्रति क्विंटल कमीशन में वृद्धि करने का फैसला लिया है। इस निर्णय के साथ ही कुल दर (केन्द्रीय सहायता, राज्यांश व राज्य योजना मद) 211.40 रूपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 258.40 रूपये प्रति क्विंटल कर दी गई है। राज्य सरकार के इस फैसले से राज्यभर के लगभग 50 हजार जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत कार्यरत डीलरों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, राज्य में इससे खाद्यान्न वितरण की गुणवत्ता और पारदर्शिता भी पहले से बेहतर होगी। राज्य की खाद्य एवं उप्प्भोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह ने इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का धन्यवाद करते हुए कहा कि बिहार सरकार गरीब एवं जरुरतमंद परिवारों तक खाद्यान्न की समय पर और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि डीलर कमीशन दर में वृद्धि से सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूती मिलेगी और उपभोक्ताओं तक खाद्यान्न अधिक सुगमता से पहुंच सके। राज्य मंत्रिमंडल के इस फैसले से जनवितरण प्रणाली के दुकानदारों की एक बहुत पुरानी मांग पूरी हुई है।