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27.78 करोड़ कोसी बराज के रखरखाव और मरम्मत के लिए स्वीकृत: सम्राट चौधरी

* योजना से कोसी बराज की सुरक्षा और गेटों का सुचारु संचालन, किसानों, कृषि उत्पादन और जनसुरक्षा को लाभ मिलेगा। पटना, बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी ने कहा कि कोसी बराज के 66 गेटों, होइस्टिंग अरेंजमेंट, ईओटी, मोनो क्रेन और संबंधित यांत्रिक उपकरणों के रखरखाव और मरम्मत के लिए सरकार ने 27 करोड़ 78 लाख 54 हजार 336 रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है। यह स्वीकृति अगले पांच वर्षों (2025 से 2030) तक गेटों और संबंधित संरचनाओं के संचालन, अनुरक्षण, रख-रखाव और मरम्मत के कार्यों के लिए दी गई है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि विभागीय बजट के अंतर्गत मरम्मत एवं अनुरक्षण मद में 4320.66 लाख रुपये का प्रावधान है। अब इस स्वीकृति के बाद 2778.54 लाख रुपये इस योजना पर खर्च किए जाएंगे। पहले खर्च का अनुमान 48.55 करोड़ रुपये था। लेकिन बाद में इसे घटाकर बजट के हिसाब से ठीक कर दिया गया है। इस योजना के तहत गेटों, प्लेटफॉर्म, पेंटिंग, होइस्टिंग सिस्टम और अन्य उपकरणों का रखरखाव और मरम्मत की जाएगी।  निविदा प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी, ताकि कार्य तय समयसीमा में पूरा हो सके। इस परियोजना के पूरा होने से कोसी बराज के गेटों का कुशल संचालन सुनिश्चित होगा और उनकी दीर्घकालिक सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। यह कदम बिहार के किसानों और प्रदेश के सिंचाई तंत्र के लिए बेहद अहम है। इससे आने वाले वर्षों में कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और जनसुरक्षा को भी लाभ पहुंचेगा। श्री चौधरी ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार लगातार किसानों के हित के लिए काम कर रही है। 2005 की तुलना में बिहार में सिंचाई के लिए मजबूत नेटवर्क तैयार हुआ है। इसी कड़ी में कोसी बराज के 66 गेटों, होइस्टिंग अरेंजमेंट, ईओटी, मोनो क्रेन और संबंधित यांत्रिक उपकरणों के रखरखाव और मरम्मत के लिए सरकार ने 27.78 करोड़ रुपये (2778.54 लाख) की प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है।

बिहार में उद्यमिता क्रांति, हर विचार बन रहा कारोबार

–    बिहार में उद्यमिता की नई उड़ान –    सरकारी योजनाओं से मिल रहा लाभ पटना, बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं अब प्रदेश के आर्थिक विकास और उद्यमिता को नई दिशा देने लगी हैं। गरीब परिवारों से लेकर नवाचार आधारित स्टार्टअप तक, सभी को सरकार की ओर से आर्थिक सहयोग और प्रोत्साहन उपलब्ध कराया जा रहा है।         उद्योग विभाग की एक ऐसी ही योजना जिसके तहत लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत गरीब परिवारों को मासिक आय के आधार पर दो लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता अनुदान के रूप में दी जा रही है। अब तक 60,205 लाभार्थियों को 512.33 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है। योजना के अंतर्गत अनुदान की राशि तीन किस्तों में दी जाती है, पहली किस्त में 50 हजार, दूसरी में 1 लाख और तीसरी में 50 हजार रुपये।           नए उद्योग स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना भी युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत परियोजना राशि के रूप में अधिकतम 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके तहत अब तक 43526 लाभार्थियों को 3072.45 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है। इस सहयोग से हजारों युवाओं ने अपना व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है।        इसी तरह बिहार स्टार्टअप नीति ने भी नवाचार और नई सोच वाले युवाओं को बड़ा अवसर दिया है। इस योजना में 10 लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसमें अब तक 1522 कंपनियां पंजीकृत हो चुकी हैं। 46 स्टार्टअप सेल और 22 इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा पिछले वर्ष में 2261 एमएसएमई और स्थानीय उद्योगों को जोड़ा गया।        उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्यभर में 1903 जागरूकता शिविर और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में 8099 छात्रों को प्रशिक्षित किया गया और 91 छात्रों को इंटर्नशिप का अवसर मिला। वहीं, स्टार्टअप्स को पूंजी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने सिडबी के साथ 150 करोड़ रुपये के फंड का एमओयू भी किया है।

राज्य के सभी 38 जिलों की कुल 17,942 ग्रामीण पथों का कायाकल्प शुरू

–    ग्रामीण सड़कों ने बदली बिहार के गांवों की तस्वीर –    ग्रामीण सड़कों से राज्य के विकास, रोजगार और आर्थिक संभावनाओं को मिल रही गति पटना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना (एमएमजीएसयूवाई) के अंतर्गत ग्रामीण पथ सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम के लागू किए जाने से न केवल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी संरचना को मजबूती मिल रही है, बल्कि इससे गांवों की तस्वीर भी तेजी से बदल रही है। अब यह योजना सिर्फ ग्रामीण सड़कों के संधारण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार के नए अवसर सृजित करने और सामाजिक सशक्तिकरण का एक मजबूत आधार बन चुकी है। अबतक इस योजना के तहत राज्य के सभी 38 जिलों की कुल 17,942 ग्रामीण पथों की जिनकी लंबाई 30,627 किलोमीटर है, के पुनर्निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान मिल चुकी है। इन सड़कों से राज्य के हजारों गांवों को हर मौसम में (बारहमासी) निर्बाध संपर्क, बाजारों तक आसान पहुंच, स्कूलों और अस्पतालों तक आवागमन की सुगम सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने राज्य में मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम लागू कर रखा है। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना का एक महत्वपूर्ण अवयव है, जिसे राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पिछले साल नवंबर में स्वीकृति मिल चुकी है। इसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्थित सड़कों का दीर्घकालिक सुदृढ़ीकरण और प्रभावी रख-रखाव करना है। ग्रामीण कार्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 17,942 स्वीकृत ग्रामीण सड़कों में से 11,985 सड़कें, जिसकी कुल लम्बाई 20,998 किलोमीटर सड़कों का कार्यारम्भ किया जा चुका है। सभी स्वीकृत सड़कों का प्रारंभिक सुधार का कार्य वित्तीय वर्ष 2025-26 में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही, बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम भी लागू किया है। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सड़कों का दीर्घकालिक सुदृढ़ीकरण और प्रभावी रखरखाव करना है। इस कार्यक्रम के तहत पथों का दो बार कालीकरण किया जाएगा, ताकि उनकी सतह की मजबूती और सड़क की पर वाहनों के सुगम परिचालन लगातार बनी रहे। इस योजना का एक और अहम पहलू यह है कि सभी संवेदकों को रूरल रोड रिपेयर वाहन रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि का प्रतिक्रिया समय के अधीन समाधान किया जा सके और सड़क का उपयोग करने वालों को यात्रा के दौरान कोई असुविधा न हो। राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि हर वित्तीय वर्ष के बाद पंचवर्षीय अनुरक्षण अवधि से बाहर हुए सड़कों का चयन कर उन्हें फिर से उन्नत किया जाएगा, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क की गुणवत्ता और स्थायित्व बनी रहे तथा इन्हें टूटने से बचाया जा सके। जिन जिलों की ग्रामीण सड़कों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है, उसमें सबे अधिक मधुबनी और मुजफ्फरपुर की ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। इन दोनों ही जिलों की 1001-1001 सड़कों के सुदृढ़ीकरण और प्रबंधन का कार्य जारी है। जिसकी कुल लम्बाई क्रमश: 17,57.146 और 16,56.49 किलोमीटर है। जबकि समस्तीपुर की 926 सड़कों की जिसकी कुल लम्बाई 1422.844 किमी है। इसी तरह गयाजी की 836 सड़कों की (कुल लम्बाई 1599.927 किमी), पूर्व चंपारण की 899 सड़कों की, पटना की 709, वैशाली की 732 और सिवान की 704 सड़कों को शामिल किया गया है।            ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला पंख इस योजना के कार्यान्वयन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। किसानों के कृषि उत्पादों को बड़ा बाजार मिला है। गांव से शहरों तक आसान पहुंच होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नगदी का प्रवाह बढ़ा है और ग्रामीण परिवारों की आय पर इसका सीधा असर देखा जा रहा है। नई सड़कों ने किसानों को अपनी फसल को समय पर बाजारों तक पहुंचाने का सुगम रास्ता दिया है, जिससे कृषि उपज की गुणवत्ता बनी रहती है और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य भी मिल रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में छोटे व्यापार, दुग्ध व्यवसाय और ग्रामीण पर्यटन जैसे क्षेत्रों को भी इससे काफी लाभ हुआ है। इन प्रयासों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वह सपना भी साकार हो रहा है कि राज्य के किसी भी सुदूर क्षेत्र से राजधानी पटना तक की दूरी महज चार घंटे में तय की जा सके।