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Vivo ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन vivo X200 FE किया लॉन्च

नई दिल्ली Vivo ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है, जिसका नाम Vivo X200 FE है। यह स्मार्टफोन Vivo X200 सीरीज में शामिल किया गया है। इस फोन में कई बेहतरीन फीचर्स को शामिल किया गया है। यह फोन OnePlus 13s और Apple के iPhone 16e जैसे फोन्स को टक्कर देगा। Vivo X200 FE में MediaTek Dimensity 9300+ प्रोसेसर और Zeiss-ट्यून ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप दिया गया है। आइए आपको इस फोन के फीचर्स के बारे में डिटेल में बताते हैं। कीमत सबसे पहले कीमत की बात कर लेते हैं। Vivo X200 FE की शुरुआती कीमत ₹54,999 है। यह कीमत 12GB रैम और 256GB स्टोरेज वाले बेस मॉडल के लिए है। वहीं, इसके 16GB रैम और 512GB स्टोरेज वाले वेरिएंट की कीमत ₹59,999 रखी गई है। यह फोन एम्बर येलो , फ्रॉस्ट ब्लू  और लक्स ग्रे तीन कलर ऑप्शन में लॉन्च किया गया है। आप इसे वीवो इंडिया ऑनलाइन स्टोर, फ्लिपकार्ट और ऑफलाइन स्टोर्स से खरीद सकते हैं। फोन की प्री-बुकिंग आज से शुरू हो गई है और इसकी बिक्री 23 जुलाई से शुरू होगी। ग्राहक HDFC बैंक, SBI और Axis बैंक कार्ड से पेमेंट करने पर ₹6,000 तक का इंस्टेंट डिस्काउंट पा सकते हैं। इसके अलावा पुराने फोन को एक्सचेंज करने पर ₹6,000 तक का एक्सचेंज बोनस भी मिलेगा। स्पेसिफिकेशंस स्पेसिफिकेशंस की बात करें तो Vivo X200 FE में 6.31 इंच की 1.5K AMOLED डिस्प्ले है, जो 120Hz रिफ्रेश रेट और 1,800 निट्स की पीक ब्राइटनेस के साथ आती है। यह फोन MediaTek Dimensity 9300+ चिपसेट से पावर्ड है और इसमें 16GB तक LPDDR5X रैम और 512GB तक UFS 3.1 स्टोरेज मिलती है। कैमरे की बात करें तो फोन में Zeiss-सपोर्टेड ट्रिपल रियर कैमरा यूनिट है। इसमें ऑप्टिकल इमेज स्टेबिलाइजेशन (OIS) के साथ 50MP Sony IMX921 प्राइमरी सेंसर, 8MP अल्ट्रा-वाइड सेंसर और 3x ऑप्टिकल जूम के साथ 50MP Sony IMX882 पेरिस्कोप टेलीफोटो शूटर दिया गया है। सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए डिवाइस में 50MP का फ्रंट सेंसर दिया गया है। बैटरी और AI फीचर्स Vivo X200 FE में 6,500mAh की बड़ी बैटरी है, जो 90W वायर्ड फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है। सॉफ्टवेयर के मामले में यह डिवाइस Android 15 पर आधारित Funtouch OS 15 पर काम करता है। इसमें कई AI फीचर्स भी दिए गए हैं, जैसे AI स्क्रीन ट्रांसलेशन, लाइव टेक्स्ट और स्मार्ट कॉल असिस्टेंट। कंपनी का दावा है कि यह फोन IP68+IP69 रेटिंग के साथ डस्ट और पानी से सुरक्षित है। कनेक्टिविटी के लिए इसमें 5G, ब्लूटूथ 5.4, GPS, NFC और एक USB Type-C पोर्ट शामिल हैं। इस फोन का वजन 186 ग्राम है।

ऐसे हटा सकते हैं अपने पीसी से डुप्लीसकेट फाइल्सि

पर्सनल कम्यू नी टर में मौजूद डुप्लींकेट फाइल्सा, न केवल कीमती स्टो रेज स्पे स को गैरजरूरी रूप से उपयोग करती हैं। बल्कि यह यूजर को कन्फ्यूिज भी करती हैं। यानी जब भी आप कम्यूररे टर में सर्च प्रोग्राम चलाएंगे, तो आपको दो रिजल्ट् दिखेंगे। यदि आप डुप्लीजकेट फाइल्सक को मैनुअली हटाएंगे तो इसमें काफी समय लगेगा तथा इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सारी फाइल्डं आप हटा लेंगे। कैसे एकत्रित होती हैं डुप्लीपकेट फाइल्स:- कई बार यूजर फाइल्सट को डाउनलोड करके भूल जाते हैं। फिर उसी फाइल को दोबारा डाउनलोड कर लेते हैं। इस प्रकार से एक ही फाइल की दो कॉपी बन जाती हैं। इसी तरह डेटा फोल्डनर की कॉपी करने से भी कई बार डुप्लीकेट फाइल्स बन जाती हैं। आइए, जानते हैं कि किस प्रकार से डुप्लीइकेट फाइल्सं से छुटकारा पाया जा सकता है… डुपगुरु: डुपगुरु ऐसा प्रोग्राम है, जो पीसी से डुप्लीकेट फाइल्सह को खोजता है। यह प्रोग्राम विंडोज के साथ ही मैक और लिनक्स् ऑपरेटिंग सिस्ट्म पर भी चलाया जा सकता है। अगर आपके पास डुपगुरु नहीं है तो आप सीक्लिनर को भी उपयोग कर सकते हैं। यह प्रोग्राम भी मशीन से डुप्ली्केट फाइल्से को खोजता है। ऐसे उपयोग करें: डुपगुरु को इंस्टॉइल करने के बाद आपको एक स्क्रीइन दिखाई देगी। यहां आपको डुप्लीतकेट फाइल्सथ को सर्च किए जाने वाले फोल्डीर्स को चुनना होगा। चुनने के बाद आप स्कैनन पर क्लिक करिए और यह प्रोग्राम अपना काम शुरू कर देगा। हो सकता है कि स्कैटनिंग में यह कुछ समय लगाए, लेकिन टास्कप पूरा होन के बाद यह आपको डुप्लीककेट फाइल्सर की लिस्टस दिखाएगा। यहां ओरिजिनल फाइल्सइ नीले रंग की दिखाई देंगी और डुप्लीरकेट फाइल ठीक इसी के नीचे दिखाई देगी। आप यहां सिलेक्टं ऑल करके सारी डुप्लीरकेट फाइल्सय को चुन सकते हैं या फिर मैनुअली एक-एक फाइल भी सिलेक्टय कर सकते हैं। इसके बाद आप चाहें तो इन फाइल्सप को डिलीट कर दें, या फिर किसी अन्यड ड्राइव अथवा फोल्ड्र में रख लें।  

धीरे-धीरे जुड़ेगा टूटा रिश्ता, इसे ऐसे संभालें…

रिश्तों का जुड़ना जितना मुश्किल होता है, उन्हें सहेजना उससे भी ज्यादा कठिन। इसके विपरीत तोड़ने के लिए एक झटका ही काफी है। यह झटका कुछ भी हो सकता है- कोई कड़वी बात, किसी मसले पर उपेक्षा, कोई मामूली गलती, गलतफहमियां या कुछ और। मुश्किल यह है कि ऐसा जब भी होता है तो इसका पहले से कोई एहसास नहीं होता। पता ही तब चलता है, जब घटना घट चुकी होती है। अगर समय से पता चल जाए कि जो हम कहने या करने जा रहे हैं, वह हमारे संबंधों पर क्या असर डालेगा तो अधिकतर संबंध बिगड़ने ही न पाएं। कई बार ऐसा भी होता भी है कि गलती के बाद तुरंत एहसास हो जाता है। ऐसी स्थिति में समझदार लोग बात को संभालने की कोशिश भी करते हैं। कई बार बात बन भी जाती है, लेकिन कई बार यह कोशिश बेकार साबित होती है। इसीलिए कवि रहीम ने कहा है- रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय टूटे से फिर ना जुडे, जुडे तो गांठ पड़ जाय। अक्सर देखा जाता है कि ऐसे रिश्तों में जुड़ने के बाद भी कुछ कसक-सी रह जाती है। हालांकि आधुनिक मनोविज्ञान का मानना है कि यह मुश्किल ही है, असंभव नहीं। अगर रिश्ते में आई दरार की वजह को समझते हुए ठीक तरह से प्रयास किए जाएं तो उस कसक का मिटना भी असंभव नहीं है। इसके पहले कि किसी टूटे हुए रिश्ते को नए सिरे से सहेजने की कोशिश शुरू की जाए, सबसे जरूरी है कि उसके वास्तविक कारण की तलाश की जाए। देखें अपनी ओर यह जरूरी नहीं कि संबंध टूटने के मामले में गलती हर बार आपकी ही हो, पर ऐसे मामले में देखना सबसे पहले अपनी ओर ही चाहिए। अधिकतर होता यह है कि हम स्थितियों को समझे बिना ही दूसरे पक्ष को जिम्मेदार मान लेते हैं। यह सोचे बगैर कि उसने ऐसा कुछ किया भी तो किन हालात में। यह गौर करना चाहिए कि अगले व्यक्ति ने जो कुछ भी किया, उस पर हमारी प्रतिक्रिया क्या थी। हमने जो किया, क्या वह सही था! ऐसा तो नहीं कि हमने उसकी बात को समझे बिना ही प्रतिक्रिया दी और उसका दिल दुखाया! ऐसा कुछ लगे तो अपनी गलती स्वीकार कर, माफी मांग लेने में कोई हर्ज नहीं है। स्वीकारें दूसरों को दूसरों में ही गलती ढूंढने का एक कारण यह है कि अधिकतर लोग दूसरे के व्यक्तित्व को स्वीकार नहीं पाते। हर व्यक्ति दूसरों से अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की उम्मीद करता है। खासकर रिश्तों के मामले में हर किसी के मन में एक फ्रेम होता है। सभी चाहते हैं कि संबंधित व्यक्ति उसी फ्रेम में फिट बैठे। कुछ लोग किसी का भी इस फ्रेम से बाहर जाना बर्दाश्त नहीं कर पाते। लेकिन, दुनिया में सब कुछ किसी की अपेक्षा के अनुरूप ही हो, यह कैसे संभव है? हमें यह बात समझनी चाहिए कि हर किसी का अपना व्यक्तित्व है। किसी से अपने जैसा बनने की अपेक्षा या उसे अपने अनुरूप ढालने की कोशिश खतरनाक हो सकती है। बेहतर होगा कि जो जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकार करें। व्यक्ति का सम्मान रिश्ता कोई भी हो, टूटने का कारण अधिकतर अहं का टकराव होता है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह होता क्यों है? इसकी एक वजह तो यही होती है कि हम दूसरे के व्यक्तित्व को वैसे ही स्वीकार नहीं कर पाते, जैसा वह है। दूसरी यह कि किसी पर अपने व्यक्तित्व और अपनी अपेक्षाओं को थोपने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में अगर दूसरा व्यक्ति हमसे मजबूत हुआ तो वह खुद को साबित करने में लग जाता है और अगर कमजोर हुआ तो समर्पण जैसी अवस्था में आ जाता है। ये दोनों ही स्थितियां सही नहीं हैं। दोनों ही स्थितियों में अहं का टकराव तय है। अगर आपकी ऐसी किसी प्रवृत्ति के कारण कोई संबंध टूटने की ओर बढ़ रहा है, सचेत हो जाएं। पहले तो दूसरों पर अपनी अपेक्षाएं और अपना व्यक्तित्व थोपना बंद कर दें। धीरे-धीरे यह एहसास कराएं कि आपने खुद को बदलना शुरू किया है। प्रशंसा है जरूरी रिश्ते चाहे निजी हों या प्रोफेशनल, सभी पौधों की तरह होते हैं। वे फूलते-फलते रहें, इसके लिए उन्हें सींचना अनिवार्य है और रिश्तों की सिंचाई के लिए अच्छे कार्यों की प्रशंसा से बेहतर जल नहीं हो सकता। कोई जब अच्छा कार्य करता है तो वह प्रशंसा चाहता है। होता अक्सर उल्टा है। किसी से कोई गलती हो जाने पर तो हम उसे दस बातें सुना देते हैं, लेकिन अच्छे काम को उसका कर्तव्य मानकर टाल देते हैं। इसके विपरीत अगर अच्छा काम करने पर किसी की प्रशंसा की जाए तो गलतियों पर टोके जाने से भी उसे पर बुरा नहीं लगता। आभार जताएं जिस तरह अपेक्षाएं स्वाभाविक हैं, वैसे ही उनके पूरे होने पर आभार जताना भी। कई बार रिश्ते इसलिए टूट जाते हैं कि हम अपना काम हो जाने के बाद संबंधित व्यक्ति को धन्यवाद तक नहीं बोलते। रिश्ते बने रहें, इसके लिए उन्हें सहेजना जरूरी है। जारी रहे संवाद बेशक कई बार गलती आपकी नहीं होती, दूसरा पक्ष ही गलत होता है और यह बात जाहिर होती है। यदि यह बात बार-बार की है तो स्थिति अलग है, लेकिन अगर पहली-दूसरी बार की बात है तो क्षमा कर देना बेहतर है। ध्यान रहे, ऐसी स्थिति में संवाद नहीं टूटना चाहिए। क्योंकि किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी तत्व है संवाद। संवाद टूट जाने की स्थिति में बने-बनाए रिश्ते भी बेजान होने लगते हैं और टूटे रिश्तों को फिर से जोड़ने में तो सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ही संवाद की होती है।  

क्या खत्म हो रहा है पारंपरिक ब्राउज़िंग का युग? आ गए हैं AI ब्राउज़र!

नई दिल्ली वेब ब्राउजर का इस्तेमाल आज के समय में हर कोई करता है। स्मार्टफोन हो या कंप्यूटर सभी पर ब्राउजर डाउनलोड किया जाता है। लोग सालों से Chrome, Safari या Firefox जैसे ब्राउजर का इस्तेमाल कर रहे हैं। आमतौर पर लोग ब्राउजर खोलते हैं और एड्रेस बार में वेबसाइट टाइप करते हैं। वेब ब्राउजर हमारे कंप्यूटर पर लगभग हर काम के लिए जरूरी है, चाहे वह वर्ड प्रोसेसिंग हो, चैट करना हो या ईमेल चेक करना हो। अभी तक लोग साधारण ब्राउजर का इस्तेमाल करते थे लेकिन अब AI ब्राउजर भी आ गए हैं। यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से चलने वाले ब्राउजर। इसी कड़ी में Dia ब्राउजर का नाम भी आता है जो एआई से चलता है। आइए आपको इसके बारे में डिटेल में बताते हैं। Dia ब्राउज़र क्या है और यह क्यों खास है? Browser Co. of New York नाम की एक स्टार्टअप कंपनी का नया वेब ब्राउजर Dia काफी रोमांचक लगता है। यह ऐप जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर काम करता है, ठीक वैसे ही जैसे ChatGPT और Google के Gemini जैसे चैटबॉट काम करते हैं। Dia यह दिखाता है कि एक वेब ब्राउजर सिर्फ वेबसाइट खोलने से कहीं ज्यादा कर सकता है। यह हमें सीखने और समय बचाने में भी मदद कर सकता है। Dia कैसे बदलता है वेब ब्राउजिंग का एक्सपीरियंस? यह ब्राउजर कुछ ही सेकंड में वीडियो की समरी लिख कर दे देता है। ऐसे में लंबे वीडियो पूरा देखने की जरूरत नहीं पड़ती। ब्रेकिंग न्यूज पढ़ते समय मामले को बेहतर तरीके से समझने के लिए यह उससे जुड़े दूसरे आर्टिकल्स की लिस्ट दे देता है। इस चैटबॉट से पैराग्राफ की प्रूफरीडिंग करने में भी मदद ली जा सकती है। Perplexity का AI ब्राउजर Dia जैसे AI-पावर्ड इंटरनेट ब्राउजर का एक नया युग शुरू होने जा रहा है। यह भविष्य में इंटरनेट इस्तेमाल करने के हमारे अनुभव को पूरी तरह से बदल देगा। हाल ही में सर्च इंजन बनाने वाली स्टार्टअप Perplexity ने Comet नाम का एक AI वेब ब्राउजर लॉन्च किया है और खबरें हैं कि ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI भी इस साल एक ब्राउजर लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। Dia ब्राउजर की खासियत दूसरे वेब ब्राउजरों की तरह Dia भी एक ऐप है जिससे आप वेबपेज खोल सकते हैं। लेकिन इसकी खासियत यह है कि यह एक AI चैटबॉट को आसानी से जोड़ता है जो यूजर को वेबपेज छोड़े बिना कई तरह के काम करने में मदद करता है। Dia में एक शॉर्टकट (command+E) दबाने पर एक छोटी सी विंडो खुलती है जो वेबपेज के साथ चलती है। यहां आप उस चीज या वीडियो से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं जिसे आप पढ़ या देख रहे हैं और चैटबॉट जवाब देगा। यह कैसे काम करता है? AI चैटबॉट जैसे ChatGPT, Gemini और Claude लार्ज लैंग्वेज मॉडल का इस्तेमाल करके जवाब देते हैं। Browser Co. of New York ने बताया कि उन्होंने कई कंपनियों के AI मॉडल का इस्तेमाल किया है, जिनमें Gemini, ChatGPT और Claude के पहले वाले मॉडल भी शामिल हैं। जब यूजर कोई सवाल पूछते हैं, तो Dia ब्राउजर उसका अच्छे से जांचता है और उस AI मॉडल से जवाब लेता है जो सवाल का जवाब देने के लिए सबसे सही होता है। क्या होगी कीमत? Dia अभी फ्री है, लेकिन AI मॉडल आमतौर पर कंपनियों के लिए बहुत महंगे होते हैं। Dia के AI ब्राउजर पर निर्भर रहने वाले यूजर्स को आखिर में इसके लिए पेमेंट करना ही होगा। आने वाले हफ्तों में Dia की मेंबरशिप करने के लिए हर महीने 5 डॉलर से लेकर हजारों डॉलर प्रति माह देने पड़ सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि यूजर AI बॉट से कितनी बार सवाल पूछते हैं। जो लोग AI टूल का इस्तेमाल केवल सप्ताह में कुछ बार करते हैं, उनके लिए ब्राउजर फ्री रहेगा।

ऐसे दूर होगी खर्राटों की खर्र-खर्र

जब हम खर्राटा लेते हैं तो हमारा मुंह और गला, जीभ, गले का ऊपरी हिस्सा, तालु और यूव्यल टॉन्सिल और कंठशूल के विरुद्ध वाइब्रेट होता है। खर्राटा लेने के कई कारण हो सकते हैं और ऐसा माना जाता है कि मोटे लोग अधिक खर्राटा लेते हैं लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार अतिरिक्त फैटी टिशूज एअर पैसेज को दबाने का काम करते हैं। सोने जाने से पहले अल्कोहल लेने से भी खर्राटों की समस्या हो सकती है। कोल्ड और एलर्जी के कारण यदि नाक बंद हो तो भी कई बार व्यक्ति खर्राटे लेते हैं। कुछ साधारण उपायों के जरिए खर्राटों की यह समस्या दूर की जा सकती है… -बिस्तर पर सोने के दौरान कुछ अतिरिक्त तकिओं के जरिए खुद को थोड़ा ऊपर उठाकर रखें। पीठ के बल समतल पर ना लेटें। इससे आपके गले के टिशूज एअर पैसेज को बाधित नहीं कर पाएंगे। -अपने बेड के सिरहाने को थोड़ा ऊपर की ओर उठाकर रखें। इसके लिए बेड के हर पैर के नीचे थोड़े मोटे गुटके लगा दें। इससे बेड थोड़ा ऊंचा हो जाएगा और खर्राटों की समस्या में कमी आएगी। -हमेशा करवट लेकर सोएं। गहरी नींद में हो सकता है आपकी पोजिशन बदल जाए लेकिन सोने की शुरुआत कम से कम करवट लेकर करें। सीधे सोने से आपकी जीभ और तालु, गले से हवा निकलने के रास्ते को रोकने का काम करते हैं। -तकिए को पकड़कर सोने से अधिक लाभ नहीं मिलेगा। इससे बेहतर है कि आप जो भी कपड़े पहनकर सो रहे हैं उसके पिछले हिस्से में टेनिस बॉल सी दें। रात में गहरी नींद के दौरान जब आप अपने बैक पर सोने की कोशिश करेंगे तो बॉल की वजह से फिर करवट ले लेंगे। -नेजल स्ट्रिप की मदद से अपनी नाक को बाहर की ओर से टेप कर दें। यह दवाओं की दुकान पर भी आसानी से मिल जाता है। यह आपकी नासिका छिद्र को खोल देगी और हवा का प्रवाह बेहतर होगा। -पिपरमेंट माउथवॉश से कुल्ला करें, इससे गले और नाक में मौजूद लाइनिंग सिकुड़ जाएगी। यह उस स्थिति में अधिक कारगर हो सकता है जबकि आपके खर्राटे की समस्या अस्थाई हो। हर्बल गारगलिंग के लिए एक ग्लास ठंडे पानी में कुछ बूंदे पिपरमेंट ऑयल की डालें। -कमरे में एलर्जी पैदा करने वाली चीजों को नियमित रूप से साफ करते रहें, जैसे कमरे में बिछा कारपेट, चादर और तकिए का कवर। इससे नाक का कड़ापन कम होगा। -यदि आपके खर्राटों की समस्या मौसमी है तो उस खास मौसम में एलर्जी का ध्यान रखें। इस दौरान रोजाना हर्ब्स युक्त चाय पिएं। इससे सूजन कम करने में मदद मिलती है। -कई बार अधिक वजन भी खर्राटों का कारण बनता है इसलिए शरीर का दस प्रतिशत तक वजन कम करने से ऊपरी एअरवेज के सिकुड़न को कम करने में मदद मिलेगी। -धूम्रपान की आदत हो तो उसे तुरंत छोड़ दें। इससे म्युकस मेब्रेंन में असहजता होती है, जिससे गले में सूजन होती है एअरवे सिकुड़ जाता है। साथ ही धूम्रपान करने वालों को नाक बंद होने की समस्या अधिक होती है। -यदि आप कोई खास दवा ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें। क्योंकि कुछ दवाओं के कारण खर्राटों की समस्या और भी बिगड़ जाती है। जैसे स्लीपिंग पिल्स।  

हाई प्रोटीन डाइट बना रही है युवाओं को बीमार? जानें डॉक्टरों की राय

आजकल फिट रहने का जुनून हर किसी पर हावी है। जिम जाना, प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेना और हाई प्रोटीन डाइट फॉलो करना यंगस्टर्स में एक आम ट्रेंड बन गया है। मसल्स बनाने और वजन कम करने के लिए प्रोटीन को 'सुपरफूड' माना जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस प्रोटीन को आप अपनी सेहत का दोस्त समझ रहे हैं, वो कम उम्र में ही आपके दिल का दुश्मन बन सकता है? जी हां, डॉक्टर्स अब इस बात को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। युवाओं में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले? पहले हार्ट अटैक को बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाता था, लेकिन आजकल 20, 30 और 40 की उम्र के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसके कई कारण हैं, जिनमें तनाव, खराब लाइफस्टाइल, धूम्रपान, शराब, मोटापा और अनहेल्दी खान-पान शामिल हैं, लेकिन अब एक नया और चौंकाने वाला कारण सामने आ रहा है- जरूरत से ज्यादा प्रोटीन का सेवन, खासकर सप्लीमेंट्स के रूप में। हाई प्रोटीन डाइट और दिल का कनेक्शन डॉक्टर्स और शोधकर्ताओं का मानना है कि हाई प्रोटीन, खासकर एनिमल प्रोटीन और कुछ प्रोटीन सप्लीमेंट्स का ज्यादा सेवन, दिल की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।     कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोतरी: कुछ एनिमल प्रोटीन स्रोतों में सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है, जिससे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होकर उन्हें संकरा कर देता है, जिससे खून का बहाव रुकता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।     किडनी पर दबाव: प्रोटीन को पचाने के लिए किडनी को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर आप लंबे समय तक अत्यधिक प्रोटीन का सेवन करते हैं, तो आपकी किडनी पर एक्स्ट्रा दबाव पड़ सकता है, जिससे किडनी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से दिल पर भी असर डाल सकती हैं। एसिडोसिस का खतरा: बहुत अधिक प्रोटीन डाइट शरीर में एसिड का स्तर बढ़ा सकती है। यह शरीर के pH संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें दिल की समस्याएं भी शामिल हैं।     प्रोटीन सप्लीमेंट्स का काला सच: जिम जाने वाले कई युवा बिना डॉक्टर या डायटीशियन की सलाह के प्रोटीन पाउडर का अत्यधिक सेवन करते हैं। कुछ रिसर्च बताती हैं कि बाजार में मिलने वाले कुछ प्रोटीन पाउडर और स्टेरॉयड दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं। एक मामले में तो प्रोटीन सप्लीमेंट्स के ओवरडोज के कारण एक युवक का हार्ट फेल होने की नौबत आ गई थी। अचानक होने वाले हार्ट अटैक डॉक्टर के मुताबिक उन्होंने ऐसे कई 35 साल के 'फिट' लोगों का इलाज किया है जिन्हें हार्ट अटैक आया। उन्हें कोई लक्षण नहीं थे, कोई चेतावनी नहीं थी- बस एक टिक-टिक करता टाइम बम था जो कभी भी फट सकता था। यह हमें सिखाता है कि एथलेटिक होना हमेशा हेल्दी होने का सबूत नहीं है। कम बॉडी फैट का मतलब कम जोखिम नहीं है और एक सिक्स-पैक आपको प्लाक रप्चर (धमनी में जमा प्लाक का फटना) से नहीं बचा सकता है। अगर आपकी डाइट आपकी ब्लड वेसल्स की अंदरूनी परत (एंडोथेलियम) को नुकसान पहुंचा रही है, तो आपके बाइसेप्स कितने भी मजबूत क्यों न हों, इसका कोई फायदा नहीं। क्या है सेहत का असली मंत्र? असली सेहत चरम पर जाने में नहीं है, बल्कि यह संतुलन में है। अपनी डाइट में प्लांट-बेस्ड डाइट को शामिल करना और नियमित रूप से ब्लड टे्स्ट कराना बहुत जरूरी है। आपके टेस्ट के रिजल्ट्स ही बताएंगे कि आपका शरीर अंदर से कितना हेल्दी है। इसलिए, सिर्फ बाहर से फिट दिखने के बजाय, अपनी हार्ट हेल्थ पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। एक बैलेंस डाइट ही आपको लंबी और हेल्दी जिंदगी दे सकती है।  

शाम के ये 5 काम बना सकते हैं आपकी किस्मत, आज़माकर देखिए फर्क!

एक बेहतरीन, खुशहाल और सुकून भरी जिंदगी की चाहत सभी को होती है और इसी चाहत को पूरा करने के लिए हम दिन भर कड़ी मेहनत करते हैं। पर अक्सर शाम का समय टीवी देखने, फोन पर समय बिताने या थक कर कुछ ना करने में ही बेकार चला जाता है। लेकिन अगर आप हर शाम 5 छोटे-छोटे कामों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें, तो ये आपकी सोच, स्वास्थ्य और जीवनशैली में मैजिकल बदलाव ला सकती हैं। ये आदतें ना केवल आपको एक अच्छा इंसान बनाएंगी बल्कि आपको जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद भी करेंगी। तो चलिए जानते हैं उन 5 कामों के बारे में जो आपकी शाम को बना सकती है आपकी सफलता की सीढ़ी। आत्ममंथन से करें दिनभर की समीक्षा हर शाम 10-15 मिनट शांत बैठकर यह जरूर सोचें कि आपका दिन कैसा रहा। आपने पूरे दिन क्या अच्छा किया, आपसे कौन सी गलतियां हुईं और उनसे आपको क्या सीख मिली। जब आप शांत मन से बैठकर आत्ममंथन करेंगे, तो इससे आपको अपनी कमियों और खूबियों के बारे में पता चलेगा। इससे आप आत्म-जागरूक बन पाएंगे और अपनी गलतियों को सुधार कर, जीवन में पॉजिटिविटी के साथ आगे बढ़ेंगे। अगली सुबह की करें तैयारी जीवन में आगे बढ़ाने के लिए हर छोटे बड़े काम की बेहतर प्लानिंग करना बहुत जरूरी है। फिर वो चाहे नए दिन की शुरुआत की ही प्लानिंग क्यों ना हो। इसलिए रात में ही अगले दिन की टू-डू लिस्ट बना लें। इससे सुबह आपका समय बर्बाद नहीं होगा और आप साफ लक्ष्य के साथ दिन की शुरुआत कर पाएंगे। यह आदत आपके काम में फोकस और प्रोडक्टिविटी दोनों बढ़ाएगी। शाम को लें डिजिटल डिटॉक्स आज के समय में मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। ऑफिस के ज्यादातर काम लैपटॉप और मोबाइल में ही होते है। काम ना होने पर भी लोग मोबाइल का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इनसे थोड़ी दूरी बनाना जरूरी है। ऐसे में शाम के वक्त आप डिजिटल वर्ल्ड से दूरी बनाकर रखने का प्रयास करें। सोने से कम से कम 1 घंटे पहले मोबाइल, लैपटॉप या टीवी से दूरी बना लें। इसकी जगह ध्यान करें या परिवार से बात करें। इससे नींद भी अच्छी आएगी और मानसिक शांति भी बढ़ेगी। शरीर के लिए निकालें समय दिन भर के काम के बाद शरीर को भी आराम की जरूरत होती है। ऐसे में शाम के समय थोड़ा वक्त अपने शरीर के लिए निकालें। इस समय आप हल्की स्ट्रेचिंग, योग या वॉक कर सकते हैं। इससे शरीर की थकान दूर होती है और नींद भी अच्छी आती है। और जब नींद अच्छी आती है तो अगला दिन भी ताजगी के साथ शुरू होगा। किताबों को भी दें समय दिमाग को शांत करने के लिए बुक रीडिंग से बढ़िया कोई ऑप्शन नहीं है। इसलिए रोज रात सोने से पहले थोड़ी देर तक अपनी मनपसंद किताब पढ़ें। इससे आपको मानसिक सुकून मिलेगा, जिससे आपका फोकस बढ़ेगा। इसलिए फिक्शन या नॉन फिक्शन जिस भी फील्ड में आपकी रुचि है, सोने से पहले उससे जुड़ी किताबें पढ़ें।  

iPhone 17 Pro का कैमरा पूरे फोन को ढक देगा? Xiaomi से लिया आइडिया?

नई दिल्ली iPhone 17 Pro के लॉन्च में अभी समय है लेकिन यह अभी से चर्चा में बना हुआ है। इसकी लीक हुई तस्वीरें पहले ही काफी सुर्खियों में रह चुकी हैं। इसकी वजह है इसका बोल्ड और नया डिजाइन। iPhone 17 Pro के प्रोटोटाइप में ज्यादा गोल किनारे देखने को मिले हैं। इसका ये लुक एंड्रॉयड यूजर्स को ज्यादा पसंद आ सकता है। अगर यह डिजाइन असल में आया, तो शायद यह एंड्रॉयड कंपनियों को भी सपाट किनारों (Flat Edges) को छोड़कर ज्यादा आरामदायक डिजाइन अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। Xiaomi Mi 11 Ultra से मिलता-जुलता कैमरा डिजाइन iPhone 17 Pro में सबसे बड़ा बदलाव फोन में पीछे की तरफ कैमरा डिजाइन में देखने को मिल सकता है। फोन में बड़ा और ज्यादा चौड़ाई वाला कैमरा आइलैंड दिया जा सकता है। यह कुछ-कुछ Xiaomi Mi 11 Ultra जैसा दिखता है। कैमरे का डिजाइन भले ही बड़ा हो गया है, लेकिन असल कैमरे की जगह में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। इसमें तीन लेंस वाला सिस्टम ही मिलने वाला है, जिसमें 48MP का मेन सेंसर, 48MP का अल्ट्रावाइड और 5x ऑप्टिकल जूम वाला 12MP का टेलीफोटो लेंस शामिल होगा। एल्यूमीनियम फ्रेम और ज्यादा वजन Apple के एनालिस्ट जेफ पु के मुताबिक बीच का फ्रेम अब एल्यूमीनियम का बना होगा। दिलचस्प बात यह है कि iPhone 17 Pro मॉडल के ज्यादा भारी होने की अफवाह है, जबकि आज के समय में आने वाले ज्यादातर फोन्स पतले और हल्के आ रहे हैं। शायद यही वजह है कि Apple प्रीमियम और ज्यादा टिकाऊ मेटल से दूर हट रहा है। आमतौर पर लोगों को भी पतले और हल्के फोन्स पसंद आते हैं। Apple लोगो की बदली हुई जगह Apple का लोगो भी जो फोन के पीछे होता था वह अब नीचे खिसका दिया गया है। यह एक छोटी सी बात है लेकिन इसे लेकर लोगों की राय बंटी हुई है। iPhone 17 Pro Max में भी ज्यादातर यही फीचर्स हो सकते हैं, लेकिन उसकी स्क्रीन बड़ी होगी। क्या लोगों को पसंद आएगा डिजाइन? अपने चौंड़े कैमरा आइलैंड, नए मैटेरियल और बदली हुई लोगो की जगह के साथ iPhone 17 Pro ऐप्पल के हाल के सालों में किए गए सबसे बोल्ड विजुअल बदलावों में से एक होने वाला है। यूजर्स को यह बदलाव पसंद आते हैं या नहीं यह तो फोन लॉन्च होने के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, ज्यादा जानकारी के लिए हमें सिंतबर में होने वाले Apple के फॉल लॉन्च इवेंट का इंतजार करना होगा।

डॉक्टरों की आंखें खुली की खुली रह गईं, जब पेट में मिले 36 साल पुराने जुड़वा भ्रूण

नई दिल्ली  चिकित्सा विज्ञान में कभी-कभी ऐसे चौंकाने वाले मामले सामने आते हैं जो डॉक्टरों को भी सोचने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसा ही एक दुर्लभ और हैरान करने वाला मामला नागपुर के संजू भगत नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जो 36 साल तक अपने पेट में एक अधूरे जुड़वा भ्रूण के साथ जीवित रहा। यह मेडिकल स्थिति 'फीटस इन फीटू' (Fetus in Fetu) कहलाती है। बचपन से पेट दिखता था फूला हुआ संजू भगत का पेट बचपन से ही सामान्य बच्चों की तुलना में कुछ ज्यादा फूला हुआ था। परिवार वालों ने इसे साधारण मोटापा समझ कर नजरअंदाज कर दिया। लेकिन जैसे-जैसे संजू की उम्र बढ़ती गई, उनका पेट असामान्य रूप से बढ़ता गया। स्थिति इतनी अजीब हो गई कि लोग उन्हें मजाक में 'प्रेग्नेंट आदमी' कहकर बुलाने लगे।   1999 में बिगड़ी तबीयत, पहुंचना पड़ा अस्पताल करीब 1999 के आसपास, संजू की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। उनका बढ़ता हुआ पेट डायाफ्राम पर दबाव डालने लगा, जिससे उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी। जब स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हुई, तो उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।   ऑपरेशन में निकला इंसानी भ्रूण, डॉक्टर रह गए दंग अस्पताल में डॉक्टरों को शुरू में लगा कि संजू के पेट में कोई बड़ा ट्यूमर है। डॉक्टर अजय मेहता और उनकी टीम ने ऑपरेशन का फैसला किया। लेकिन जैसे ही उन्होंने सर्जरी शुरू की, नजारा देखकर सब हैरान रह गए। पेट में ट्यूमर नहीं, बल्कि एक अधूरा मानव भ्रूण मौजूद था। डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान हड्डियां, बाल, जबड़ा और अन्य अंग दिखाई दिए। यह सब देखकर मेडिकल टीम भी हैरान रह गई। क्या होता है फीटस इन फीटू? 'Fetus in Fetu' एक दुर्लभ जन्मजात स्थिति है, जिसमें गर्भ के दौरान एक जुड़वा भ्रूण पूरी तरह विकसित हो जाता है, जबकि दूसरा भ्रूण अधूरा रह जाता है और पहले भ्रूण के शरीर के अंदर ही विकसित होता रहता है। यह अधूरा भ्रूण अक्सर पेट या शरीर के किसी हिस्से में पाया जाता है और विकसित भ्रूण के शरीर से ही रक्त आपूर्ति प्राप्त करता है। हालांकि, इसका अपना मस्तिष्क, दिल या अन्य महत्वपूर्ण अंग पूरी तरह विकसित नहीं होते। सफल ऑपरेशन के बाद मिली राहत संजू भगत का यह मामला पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया। सर्जरी के बाद उनका पेट सामान्य हुआ और उन्हें राहत मिली। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक बेहद दुर्लभ और चिकित्सा विज्ञान के लिए अध्ययन योग्य केस था।

iPhone और Apple Watch से मिली प्रेग्नेंसी की जानकारी, Apple की नई AI टेक्नोलॉजी

नई दिल्ली टेक्नोलॉजी दिनों-दिन आगे बढ़ रही है। आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) काफी चलन में है। ऐसा तय माना जा रहा है कि भविष्य में एआई का खूब इस्तेमाल किया जाएगा। कई कंपनियों ने एआई का इस्तेमाल करना शुरू भी कर दिया है। अभी तक AI का इस्तेमाल बीमारियों का पता लगाने, बीमारियों का इलाज करने या पढ़ाई-लिखाई में मदद करने के लिए किया जाता है। आने वाले वक्‍त में एआई का इस्तेमाल प्रेग्‍नेंसी का पता लगाने के लिए भी किया जाएगा। दुनिया की जानी मानी कंपनी Apple ने ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई है। आइए आपको इसके बारे में डिटेल में बताते हैं। iPhone और Apple Watch से पता चलेगी प्रेग्नेंसी ऐपल के प्रोडक्ट्स जैसे iPhone, iPad, Apple Watch आदि को सबसे बेहतरीन प्रोडक्ट्स माना जाता है। इनमें कई ऐसे फीचर्स होते हैं जो इन्हें दूसरे डिवाइस से अलग बनाते हैं। एक नई रिसर्च के मुताबिक Apple ने एक कमाल का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल बनाया है जो अब iPhone और Apple Watch से मिली जानकारी (व्यवहारिक डेटा) का इस्तेमाल करके 92% सटीकता के साथ प्रेग्नेंसी का पता लगा सकता है। कैसे काम करती है यह नई टेक्नोलॉजी? इस रिसर्च का नाम "Beyond Sensor Data: Foundation Models of Behavioral Data from Wearables Improve Health Predictions" है। इस रिसर्च में बताया गया है कि यह नया AI मॉडल कुछ खास स्वास्थ्य संकेतों जैसे नींद की गुणवत्ता, दिल की धड़कन में बदलाव (हार्ट रेट वेरिएबिलिटी), चलने-फिरने की आदतें (मोबिलिटी) और अन्य महत्वपूर्ण बातों को पहचान सकता है। यह वियरेबल बिहेवियर मॉडल (WBM) प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य में होने वाले बदलावों को भी ट्रैक कर सकता है। इस नए फाउंडेशन मॉडल को बनाने के लिए 2.5 बिलियन घंटे से भी ज्यादा वियरेबल डेटा का इस्तेमाल किया गया, जिससे यह पिछले मॉडल्स से बेहतर या उनके बराबर काम कर सके। हालां‍क‍ि अभी यह पता नहीं है क‍ि यह टेक्‍नोलॉजी कबतक ड‍िवाइसेज में ले आएगी जाएगी। रिसर्च में क्या-क्या शामिल था? रिसर्चर्स ने 430 प्रेग्नेंट महिलाओं के डेटा का इस्तेमाल करके एक प्रेग्नेंसी डेटासेट बनाया, जिनकी डिलीवरी नॉर्मल या सिजेरियन हुई थी। WBM ने ऐप्पल हेल्थ ऐप, हेल्थकिट और हार्ट रेट सेंसर डेटा (PPG) से जानकारी इकट्ठा की। रिसर्च में बताया गया है कि डेटा से पता चला कि बच्चे के जन्म से पहले के नौ महीने और डिलीवरी के बाद का एक महीना "पॉजिटिव" हफ्ते थे, क्योंकि महिलाएं प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के बाद ठीक होने के दौरान शारीरिक बदलावों से गुजर रही थीं। बाकी समय को "नेगेटिव" हफ्ते के तौर पर चिन्हित किया गया। नतीजों को ज्यादा सटीक बनाने के लिए रिसर्चर्स ने 24,000 से ज्यादा उन महिलाओं का डेटा भी इकट्ठा किया जिनकी उम्र 50 साल से कम थी और जो प्रेग्नेंट नहीं थीं।