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शिक्षा में संकट: मध्य प्रदेश में 6.70 लाख बच्चों ने बीच में छोड़ी पढ़ाई, हर साल बढ़ रही इनकी संख्या

 भोपाल
 मध्य प्रदेश के स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए लगातार प्रयार हो रहे हैं, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या लगातार घटती ही जा रही है। सरकारी व निजी स्कूलों के इस साल 6.70 लाख विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ दी है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 5.70 लाख था। वहीं सरकारी स्कूलों में इस साल करीब 4.67 लाख बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है। पिछले साल 3.99 लाख विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ी थी। इसमें निजी स्कूलों के करीब दो लाख विद्यार्थी शामिल हैं।

यह आंकड़ा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन (यूडाईस) रिपोर्ट में सामने आई है। इसके अनुसार, वर्ष 2024-25 में प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों में पहली से 12वीं तक में करीब 1.50 करोड़ विद्यार्थियों का पंजीयन हुआ था। वहीं 2025-26 में करीब एक करोड़ 41 हजार बच्चों का 13 जुलाई तक प्रोग्रेसिंग पेंडिंग है।

वहीं 6.70 लाख बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विद्यार्थियों के प्रोग्रेशन को पूर्ण करें और ड्रापबाक्स के बच्चों को खोजकर स्कूल में नामांकन कराएं तथा नामांकित विद्यार्थियों का मैपिंग कराएं।

इंदौर की स्थिति ज्यादा खराब

प्रदेश के कुछ जिलों में अधिक संख्या में बच्चों ने स्कूल में प्रवेश नहीं लिया है। इसमें इंदौर में सर्वाधिक 38 हजार, शिवपुरी में 25 हजार, धार व बड़वानी में 21 हजार, छिंदवाड़ा में 20 हजार, छतरपुर में 19 हजार, खरगोन में 18 हजार, बालाघाट में 17 हजार और खंडवा में 16 हजार बच्चों ने स्कूल में प्रवेश नहीं लिया।
यहां के सरकारी स्कूलों में सबसे अधिक बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले सत्र में 79.75 लाख बच्चों का नामांकन दर्ज हुआ था। इस सत्र में अब तक 53.81 लाख का प्रोग्रेशन पेडिंग है। वहीं 4.67 लाख बच्चों ने किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं लिया है। इसमें सबसे अधिक बड़वानी में 17 हजार, छिंदवाड़ा व छतरपुर में 16 हजार, बालाघाट में 13 हजार, भिंड में 10 हजार, शहरी क्षेत्र ग्वालियर व भोपाल में चार-चार हजार, जबलपुर में छह हजार और इंदौर में 11 हजार विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ी है।

विभाग ने ये कारण गिनाए

    बच्चों का अपने माता-पिता के साथ दूसरी जगह जाना।
    समग्र आईडी से मैपिंग नहीं होने के कारण ऐसे हालात बने।
    जगह बदलने के कारण बच्चे का ठीक से मैपिंग नहीं होना।
    अब ऑनलाइन चाइल्ड ट्रैकिंग से सही संख्या सामने आ रही है।

ऑनलाइन चाइल्ड ट्रैकिंग से सामने आ रही संख्या

    ऐसा भी हो सकता है कि कई जगहों पर सरकारी व निजी स्कूलों में एक ही बच्चों के नाम दर्ज होते हैं। अब ऑनलाइन चाइल्ड ट्रैकिंग के कारण वास्तविक संख्या सामने आ रही है। – डॉ. दामोदर जैन, शिक्षाविद्

 

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