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DGP ने थानेदारों को बताया जनता से जुड़ने का तरीका, कानून के साथ जागरूकता भी जरूरी

चंडीगढ़ 
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने राज्यभर के सभी थाना प्रभारियों (एसएचओ) को सख्त लेकिन प्रेरक लहजे में पत्र लिखा है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि हर थाना अपने क्षेत्र में 31 अक्तूबर तक राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करे। पत्र में डीजीपी ने स्पष्ट किया है कि पुलिस की असली ताकत जनता का विश्वास है, और यह विश्वास सिर्फ शब्दों से नहीं, कर्मों से हासिल किया जा सकता है।

डीजीपी सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि थाना केवल एक भवन नहीं, बल्कि कानून और सुरक्षा की पहली चौकी है। उन्होंने कहा – ‘आपके पास वर्दी, लाठी, बंदूक और कानून की ताकत है। यह शक्ति जनता की रक्षा के लिए है, भय पैदा करने के लिए नहीं। अगर आपके इलाके में ठग, बदमाश और अपराधी चैन की सांस ले रहे हैं, तो यह आपकी नाकामी है।’

डीजीपी ने चेतावनी दी कि किसी भी थाना प्रभारी के क्षेत्र में अपराध बढ़ा या जनता का भरोसा टूटा, तो उसकी जवाबदेही तय होगी। उन्होंने कहा कि थाने की मेज़ पर बैठने से पुलिसिंग नहीं होती, थाने से निकलकर गलियों, स्कूलों, चौपालों में जाना ही सच्ची पुलिसिंग है।

नशे और इंटरनेट के जाल में फंसा युवा
पत्र में ओपी सिंह ने युवाओं के बीच फैलती नशाखोरी और ऑनलाइन ठगी पर चिंता जताई। उन्होंने थानेदारों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्र के स्कूलों और कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों से संवाद करें। उन्होंने कहा कि आज का युवा इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप की आभासी दुनिया में उलझ रहा है। उन्हें समझाइए कि जीवन मोबाइल में नहीं, मैदान में है। वे खेलें, नाचें, गाएं, जिएं, लेकिन जिएं अपने सपनों के लिए, नशे के लिए नहीं। डीजीपी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे किसी महंगी गाड़ी के इंजन में चीनी डालने से इंजन जाम हो जाता है, वैसे ही नशे का ज़हर शरीर और दिमाग को जकड़ देता है। ड्रग्स यानी नशा, इंसान की नसों को नहीं, उसकी पीढ़ियों को खत्म करता है।

जन-जागरूकता कार्यक्रम बनें पुलिस-जन सहयोग का जरिया
डीजीपी ने थानेदारों से कहा कि वे शाम के समय सामुदायिक सभाएं, नुक्कड़ नाटक, गीत-संगीत, खेलकूद और संवाद कार्यक्रम आयोजित करें। इनमें विद्यार्थियों, शिक्षकों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम नागरिकों को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि इन कार्यक्रमों के चित्र और वीडियो (चित्रांकन और चलचित्र) भी बनाए जाएं और पुलिस मुख्यालय को भेजे जाएं ताकि आने वाली डीजीपी-आईजीपी कॉन्फ्रेंस में उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शित किया जा सके। डीजीपी ने कहा कि जो थाने जनता से जुड़ेंगे, वही पुलिस की पहचान बनाएंगे।

‘एक नन्हा शम्मा…’, बदलाव की शुरुआत थाने से ही
अपने पत्र के अंत में डीजीपी सिंह ने एक प्रेरक शेर का उल्लेख किया – ‘एक नन्हा शम्मा अंधेरे में जलाया सिखाया, सुबह होने के माहौल को बनाया सिखाया।’ उन्होंने लिखा कि हर थाने में यह छोटा-सा दीपक जलना चाहिए – एक आशा, एक सुरक्षा और एक बदलाव का प्रतीक बनकर। डीजीपी ने कहा कि यदि हर थाना अपनी जिम्मेदारी निभाएगा तो हरियाणा पुलिस देश की सबसे जवाबदेह और जनहितैषी पुलिस बनकर उभरेगी।

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