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दिव्यांका त्रिपाठी ने कारगिल विजय दिवस पर साझा किया बचपन का सपना, कहा- ‘पहनना चाहती थी सेना की वर्दी’

मुंबई,

टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी और उनके पति व अभिनेता विवेक दहिया ने हाल ही में नासिक के ‘कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल’ का दौरा किया। यहां उन्होंने आर्मी ऑफिसर कर्नल जसकर चौधरी से मुलाकात की और सैनिकों के जीवन के बारे में करीब से जाना। इस मुलाकात को लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया, साथ ही खुलासा किया है कि वह बचपन में सेना में शामिल होने का सपना देखती थीं।

कारगिल विजय दिवस के मौके पर दिव्यांका त्रिपाठी ने इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें शेयर कीं, जो उनकी आर्मी ट्रेनिंग स्कूल के दौरे की थीं। उन्होंने लिखा कि हमारे सैनिक हमें यह याद दिलाते हैं कि सच्ची सेवा क्या होती है।

दिव्यांका ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “हमारी नासिक के कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल की यात्रा बेहद खास थी। यह ऐसी जगह है जहां बहादुरी सिर्फ कही नहीं, बल्कि सिखाई जाती है। हमारे दोस्त और आर्मी ऑफिसर कर्नल जसकर चौधरी से बातचीत के दौरान हमें यह समझ आया कि देश की सेवा करने के लिए कितनी हिम्मत और ताकत चाहिए। हम इससे काफी प्रभावित हुए।”

उन्होंने आगे लिखा, “ये सैनिक अपने जज्बे और जुनून के दम पर आगे बढ़ते हैं और देश के लिए अपनी आरामदायक जिंदगी तक छोड़ देते हैं। ये हमें दिखाते हैं कि असली सेवा क्या होती है।” दिव्यांका ने बताया कि उन्होंने हमेशा सेना की वर्दी पहनने का सपना देखा था।

दिव्यांका ने लिखा, “मेरा कभी सेना की वर्दी पहनने का सपना था… जो असल जिंदगी में पूरा नहीं हो पाया, लेकिन शायद एक दिन मैं यह सपना किसी किरदार के जरिए पर्दे पर जी सकूं। लेकिन आज, मैंने यह सपना उनके किस्सों के जरिए महसूस किया। यह उस चीज की याद है जो मैंने कभी पाई नहीं, लेकिन एक ऐसा गर्व है जो हमेशा मेरे साथ रहेगा।”

पोस्ट के आखिर में दिव्यांका ने लिखा, “आइए हम ऐसे नागरिक बनने की कोशिश करें जो हमारे सैनिकों की कुर्बानियों के लायक हों। जिन्होंने सब कुछ देश के लिए दे दिया, हम उन्हें याद करते हैं, उन्हें सलाम करते हैं। जय हिंद।”

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन 1999 में कारगिल युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर हुई जीत को याद करने का दिन है। इस युद्ध में भारतीय सेना ने लद्दाख के नॉर्दर्न कारगिल इलाके की पहाड़ियों पर पाकिस्तान के कब्जे वाली जगहों से दुश्मन फौजों को बाहर निकाला था।

 

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