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नाटो प्रमुख ने कहा– रूस से कच्चा तेल खरीदने से उसकी युद्ध नीति को मिल रही मदद, भारत और चीन को जिम्मेदारी से कदम उठाने की सलाह

नई दिल्ली

"सुनिए.. अगर आप चीन के राष्ट्रपति हैं, या फिर भारत के प्रधानमंत्री हैं या फिर ब्राजील के राष्ट्रपति हैं और आप अभी भी रूसियों के साथ बिजनेस कर रहे हैं और उनका तेल और गैस खरीद रहे हैं, तो आप समझ लीजिए कि अगर मॉस्को में बैठा वो आदमी शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं ले रहा है तो मैं 100 परसेंट का सेकेंडरी सैंक्शंस लगाने जा रहा हूं."

धमकी की ये भाषा दुनिया के शक्तिशाली देशों के संगठन नाटो चीफ मार्क रूट की है. उन्होंने गैर कूटनीतिक शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए भारत-ब्राजील और चीन को रूस के साथ बिजनेस न करने की सलाह दी है. नाटो महासचिव मार्क रूट ने मंगलवार को चेतावनी दी कि यदि ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं तो उन पर 100% सेकेंडरी सैंक्शंस लगाया जा सकता है और ये प्रतिबंध बहुत भारी पड़ सकते हैं. ये सैंक्शंस अमेरिका द्वारा इन देशों पर लगाया जा सकता है.

उन्होंने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों के साथ बैठक के दौरान यह बात कही. यह बात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यूक्रेन के लिए नए हथियारों की घोषणा और रूस से सामान खरीदने वाले देशों पर कठोर टैरिफ लगाने की धमकी देने के ठीक एक दिन बाद कही गई. 

मार्क रूट ने कहा है कि इन देशों को चाहिए कि वे पुतिन पर यूक्रेन के साथ सीजफायर के लिए दबाव बनाएं.

रूट ने कहा, "इन तीनों देशों के लिए मेरा विशेष प्रोत्साहन यह है कि अगर आप बीजिंग या दिल्ली में रहते हैं, या ब्राज़ील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको इस पर गौर करना चाहिए, क्योंकि यह आपको बहुत प्रभावित कर सकता है." उन्होंने आगे कहा, "तो कृपया व्लादिमीर पुतिन को फोन करें और उन्हें बताएं कि उन्हें शांति वार्ता के बारे में गंभीर होना होगा, क्योंकि अन्यथा इसका ब्राज़ील, भारत और चीन पर व्यापक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा."

गौरतलब है कि ट्रंप रूस के खिलाफ यूक्रेन को हथियारों की नई खेप देने का ऐलान कर चुके हैं. ट्रंप ने यह भी धमकी दी है कि अगर रूस 50 दिनों के अंदर शांति समझौते पर सहमत नहीं होता है तो रूस का तेल खरीदने वाले देशों पर अमेरिका 100 फीसदी सेकेंडरी टैरिफ लगाएगा.

ट्रंप ने अपने बयान में ब्राजील, चीन या भारत का नाम नहीं लिया था. लेकिन मार्क रूट ने तस्वीर साफ कर दी है. बता दें कि ये तीन देश हैं जिन्होंने 2022 में पुतिन की सेना द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूसी तेल और पेट्रोलियम उत्पाद खरीदना जारी रखा है.

बता दें कि अमेरिकी सीनेटर एक ऐसे विधेयक पर जोर दे रहे हैं जिसमें रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने का प्रावधान है.

मार्क रूट ने अपने बयान में काफी तल्खी लाते हुए कहा, "इसलिए मुझे यकीन है कि उन्हें अभी तक पता नहीं है कि उन्हें क्या हिट करेगा? इसे समझने में कुछ समय लगेगा. और मुझे लगता है कि आप लोग मीडिया में यह बात स्पष्ट कर रहे हैं, सीनेटर भी ब्राज़ील, भारत और चीन के अपने समकक्षों के साथ इस पर चर्चा कर रहे होंगे. हथियारों की आपूर्ति के अलावा, रूस पर अधिकतम दबाव डालने में यह बहुत मददगार होगा."

बता दें कि भारत अमेरिका के साथ एक ऐसे व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहे हैं. जिसमें अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया जाने वाला टैरिफ 20 प्रतिशत हो सकता है. 

चीन और भारत रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार थिंक टैंक सेंटर फ़ॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के डेटा बताते हैं कि चीन और भारत कच्चे रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं. 

पांच दिसंबर 2022 से मई 2025 के अंत तक चीन ने रूस के कुल कच्चे तेल के निर्यात का 47 फीसदी और भारत ने 38 फीसदी खरीदा है. 2024 में भारत ने रूस से लगभग 1.8 से 2.07 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) कच्चा तेल आयात किया. जो उसके कुल तेल खरीद का 40-44% है. इसकी वैल्यू 2024 में 52.73 बिलियन डॉलर थी.

चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है. चीन ने 2024 में 1.76 से 2 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात रूस से प्रतिदिन किया. जो उसके कुल आयात का 20-22% है. 2024 में इसकी वैल्यू 78 बिलियन यूरो रही. दोनों देशों ने मिलकर मार्च 2023 में रूस के 91% तेल खरीदे. 

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