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ग्रीन पटाखों की नई नीति: उत्पादन की अनुमति, लेकिन बेचने पर प्रतिबंध बरकरार

नई दिल्ली 
दुर्गा पूजा और नवरात्रि के बाद अब दिवाली की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर इलाके में हरियाणा और पंजाब में जलने वाले पराली से प्रदूषण का खतरा बढ़ने लगा है. वहीं, दिवाली में जलने वाले पटाखों से होने वाले प्रदूषण को लेकर भी चिंता बनी हुई है. राष्ट्रीय राजधानी में 1 जनवरी, 2025 से पूरे वर्ष के लिए सभी प्रकार के पटाखों पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध है. इसके साथ ही राजधानी में पटाखों की बिक्री, भंडारण और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है, लेकिन हाल में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखा निर्माताओं को बड़ी राहत दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली सीजन से पहले दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दे दी है, लेकिन एनसीआर क्षेत्र में उनकी बिक्री पर रोक लगा दी है. सीजेआई बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) से वैध प्रमाणन वाले निर्माताओं को उत्पादन जारी रखने की अनुमति दी है, बशर्ते वे एक वचनबद्धता प्रस्तुत करें कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कोई बिक्री नहीं होगी. लेकिन इससे यह असमंजस बना हुआ है कि ग्रीन पटाखे के बनाने की अनुमति तो मिल गई है, लेकिन बिक्री नहीं होगी, तो फिर बनाने का क्या मतलब है? इसे लेकर ग्रीन पटाखों के निर्माता सवाल उठा रहे हैं.

8 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, टिकीं निगाहें
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार, निर्माताओं और विक्रेताओं सहित सभी हितधारकों से परामर्श करने और 8 अक्टूबर, 2025 को होने वाली अगली सुनवाई पर अदालत के समक्ष एक संतुलित नीति पेश करने का भी निर्देश दिया गया है. इससे अब लोगों की निगाहें आठ अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई है.
 
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से पहले पटाखों पर केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था. एमसी मेहता मामले की सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने टिप्पणी की, “अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो उन्हें पूरे देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए…” उन्होंने कहा था कि जो भी नीति होनी चाहिए, वह अखिल भारतीय स्तर पर होनी चाहिए. हम केवल दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते क्योंकि वे देश के कुलीन नागरिक हैं. मैं पिछले साल सर्दियों में अमृतसर गया था, और वहां प्रदूषण बदतर था.

इससे पहले नवंबर 2024 में, दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि ‘कोई भी धर्म ऐसी किसी भी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता, जो प्रदूषण में योगदान दे या लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करे.
जानें दिल्ली सरकार का क्या है आदेश

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में 1 जनवरी, 2025 से पूरे वर्ष के लिए सभी प्रकार के पटाखों पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. पटाखों की बिक्री, भंडारण और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और फोड़ने पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए गए हैं.

आदेश में आगे कहा गया है, “दिल्ली में, विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में, गंभीर वायु प्रदूषण होता है और पार्टिकुलेट मैटर सांद्रता (पीएम 2.5 और पीएम 10) जैसे प्रदूषकों का स्तर वायु गुणवत्ता के निर्धारित मानकों से कहीं अधिक है. वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 19 की उप-धारा (1) के अंतर्गत संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली को वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित किया गया है.”
 
आदेश में कहा गया है कि त्योहारों के मौसम में पटाखे जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है. इसलिए, दिल्ली सरकार ने वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत 2020 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है.

अक्टूबर से जनवरी के महीनों के दौरान वायु गुणवत्ता में गिरावट की पिछली घटनाओं को देखते हुए, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध है. इसके साथ ही पटाखों के फोड़ने (ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से वितरण सहित) और उन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है.

 

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