samacharsecretary.com

संतोष चौबे’ के कहानी संग्रह ‘ग़रीबनवाज़’ का हुआ लोकार्पण

भोपाल.

वरिष्ठ कवि–कथाकार, निदेशक विश्व रंग एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे के नए कहानी संग्रह 'ग़रीबनवाज़' का लोकार्पण एवं पुस्तक चर्चा का आयोजन रवीन्द्र भवन के गौरांजनी सभागार में समारोह पूर्वक किया गया। यह महत्वपूर्ण आयोजन रबीन्द्रनाथ टैगोर विशवविद्यालय, वनमाली सृजन पीठ एवं स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर श्री संतोष चौबे ने अपने कहानी संग्रह से "मगर शेक्सपियर को याद रखना" कहानी का बेहतरीन पाठ किया। उन्होंने इस अवसर पर अपनी रचना प्रक्रिया पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पठनीयता को लेकर मैं हमेशा सजगता बरतता हूँ। कहानी पढ़ते समय पाठक पहले ही वाक्य से कहानी के भीतर प्रवेश करें और फिर उसे पूरा पढ़कर ही रहें। मेरा मानना है कि लेखक की पवित्रता और उसका भोलापन हमेशा बना रहना चाहिए। मेरी कहानियों का मुख्य आधार उनमें दृश्यात्मकता और इंटेनसिटी का होना हैं।
 
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कथाकार एवं वनमाली सृजन पीठ, भोपाल के अध्यक्ष श्री मुकेश वर्मा ने कहा ‘गरीबनवाज़’ कहानियाँ हमें जीवन के भीतर छिपे उस करुण पक्ष से जोड़ती हैं जो अक्सर हमारी दृष्टि से ओझल रह जाता है। संतोष चौबे की कहानियाँ सिर्फ घटनाएँ नहीं, बल्कि मनुष्य के भीतर चल रहे संवाद का दस्तावेज़ हैं। उनका कथा संसार हमारे समय का गहन आत्मपरिचय कराता है।
 
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार श्री शशांक ने कहा कि संतोष चौबे की कहानियों में जीवन की संवेदना, मानवीय द्वंद्व और सामाजिक सरोकार गहराई से जुड़े हुए हैं। उनके पात्र आम जन की जद्दोजहद और आशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस संग्रह की कहानियाँ अपने शिल्प और कथ्य दोनों में उल्लेखनीय हैं।”
 
विशिष्ट अतिथि प्रतिष्ठित कथाकार डॉ. उर्मिला शिरीष ने अपने वक्तव्य में कहा कि कहानी संग्रह में स्त्री–पुरुष संबंधों, सामाजिक असमानताओं और नैतिक प्रश्नों की प्रस्तुति बेहद संवेदनशीलता के साथ की गई है। चौबे जी की कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि आधुनिक हिंदी कथा साहित्य अब भी मनुष्य की जड़ों और उसकी करुणा से जुड़ा हुआ है।
 
कार्यक्रम में साहित्यकार रेखा कस्तवार, भालचंद्र जोशी, पंकज सुबीर ने भी अपनी टिप्पणियाँ दीं। वक्ताओं ने कहा कि चौबे जी की कहानियाँ गहरी मानवीय दृष्टि से ओतप्रोत हैं और वे पाठक को भीतर तक झकझोर देती हैं।
युवा कथाकार सुश्री प्रज्ञा रोहिणी (दिल्ली) ने कहा कि संतोष चौबे जी की कहानियां उत्तर आधुनिकता के शिफ्ट की कहानियां है। हमारे समय की नजर नहीं आने वाली बड़ी-बड़ी खाईयों को पाटने का महत्वपूर्ण कार्य संतोष चौबे तमाम द्वदों के बावजूद अपनी रचनाओं के माध्यम से करते हैं।
 
युवा आलोचक श्री अच्युतानंद मिश्र (केरल) ने कहा कि संतोष जी रचनाओं में विधाओं में आवाजाही सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है। सामाजिक स्वरूप और सामाजिक आलोचना को लेकर चिंता और गहरी वैचारिकी दृष्टि उनकी कहानियों में विन्यस्त है।
 
अतिथियों का स्वागत वनमाली सृजन पीठ की राष्ट्रीय संयोजक एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन की प्रबंधक सुश्री ज्योति रघुवंशी द्वारा किया गया। स्वागत उद्बोधन भी सुश्री ज्योति रघुवंशी द्वारा दिया गया। लोकार्पण समारोह का संचालन युवा कथाकार एवं वनमाली कथा के संपादक श्री कुणाल सिंह द्वारा किया गया।
इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में वरिष्ठ रचनाकारों डॉ. विजय बहादुर सिंह, डॉ. विनीता चौबे, डॉ. करुणा शंकर उपाध्याय (मुंबई), आनंद प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. नितिन वत्स, बलराम गुमास्ता, डॉ. जवाहर कर्नावट, मेजर जनरल श्री श्याम श्रीवास्तव, श्री हरि भटनागर, प्रज्ञा रावत, नीलेश रघुवंशी, देवीलाल पाटीदार, डॉ. रामवल्लभ आचार्य, डॉ. गिरजेश सक्सेना, करुणा राजुरकर राज, मोहन सगोरिया सहित युवा रचनाकारों, साहित्यप्रेमियों ने अपनी रचनात्मक उपस्थिति दर्ज की।

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here