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डिजिटल रेवोल्यूशन में भारत की बड़ी छलांग, 6G टेक्नोलॉजी के लिए पूरी तरह तैयार

मुंबई  नई दिल्ली के यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में 2025 एशिया का सबसे बड़ा टेक इवेंट इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) शुरू हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया और भाषण में उन्होंने भारत की अपनी टेक्नोलॉजी की बड़ी उपलब्धि देश की होमग्रोन 4G स्टैक का ज़िक्र किया. उन्होंने इसे भारत की इंडिजिनस (स्वदेशी) तकनीक के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है. पीएम मोदी ने कहा कि यह नई 4G प्रणाली न सिर्फ तेज़ इंटरनेट स्पीड और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, बल्कि सेवाओं को भी ज्यादा भरोसेमंद बनाएगी. उन्होंने बताया कि देश में 1 लाख 4G टावर लगाए जा चुके हैं, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है. इसके अलावा, यह Made-in-India 4G स्टैक अब निर्यात के लिए तैयार है, जो भारत की तकनीकी क्षमताओं को दुनिया के सामने पेश करता है. उन्होंने पिछले दशक के अनुभव को देखते हुए कहा कि देश की तेजी से बढ़ती डिजिटल टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करने के लिए एक आधुनिक कानूनी ढांचा भी जरूरी है. इस अवसर पर संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत की तकनीकी महत्वाकांक्षा केवल 5G तक सीमित नहीं है. भारत का लक्ष्य 6G में 10% वैश्विक पेटेंट हासिल करना है. उन्होंने यह भी बताया कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन का बाजार 2033 तक तीन गुना बढ़कर लगभग 15 अरब डॉलर का हो जाएगा. सिंधिया ने कहा कि सैटकॉम आज जमीन से लेकर समुद्र और अंतरिक्ष तक कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है. उन्होंने जोर दिया कि इस पूरी तकनीकी क्रांति के पीछे सबसे बड़ी ताकत भारत के लोग हैं. आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल रूप से सक्षम ताकत बन जाएगा. ग्लोबल लेवल पर लीडर बना भारत सिंधिया ने भारत की डिजिटल नेतृत्व की दिशा की भी बात की और कहा कि देश अब तकनीक में पीछे रहने वाला नहीं बल्कि ग्लोबल लेवल पर डिजिटल पर अग्रणी बन गया है. उन्होंने कहा, ‘वो दिन दूर नहीं जब लोग कहेंगे कि दुनिया भारत पर निर्भर है. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि यहां डिज़ाइन करें, यहां समाधान करें और उसे हर जगह स्केल करें. भारत नवाचार करता है, और दुनिया बदलती है.’ उन्होंने ये भी बताया कि भारत अब सिर्फ सेवा राष्ट्र (Service Nation) नहीं बल्कि उत्पादक राष्ट्र (Product Nation) बन गया है. प्रधानमंत्री के PLI (Production-Linked Incentive) योजना के जरिए अब तक लगभग 91,000 करोड़ रुपये का नया उत्पादन हुआ है, 18,000 करोड़ रुपये का निर्यात बढ़ा है और 30,000 नए रोजगार पैदा हुए हैं. इवेंट में पीएम मोदी ने कहा, ‘आज देश में 1GB वायरलेस डेटा की कीमत एक कप चाय से भी कम है,’ जो बताता है कि डिजिटल सेवाएं अब हर आम आदमी की पहुंच में हैं. उन्होंने ये भी ज़ोर देकर कहा कि देश में अब साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए कानून को और मज़बूत किया गया है और ग्रिवेंस रिड्रेसल सिस्टम भी बेहतर हुआ है.’ कुल मिलाकर, इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 ने भारत की तकनीकी उपलब्धियों और भविष्य की महत्वाकांक्षाओं को उजागर किया. 4G और 5G नेटवर्क के विस्तार, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, 6G के लिए तैयारी और डिजिटल कौशल में निवेश भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत तकनीकी ताकत बना रहा है.  

भारत के पड़ोसी ने बनाया 6G चिप, टेक्नोलॉजी की दुनिया में नया कीर्तिमान

बीजिंग  चीन ने दुनिया का पहला 6G चिप डेवलप किया है, जो रिमोट एरिया में भी हाई स्पीड इंटरनेट प्रोवाइड कराएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा इंटरनेट स्पीड की तुलना में  6G चिप से 5 हजार गुना फास्ट इंटरनेट स्पीड मिलेगी. इससे ग्रामीण इलाकों को भी फायदा होगा, जहां अभी तक हाई स्पीड इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीनी रिसर्चर ने इस चिपसेट को बीजिंग के पेकिंग यूनिवर्सिटी और हांगकांग की सिटी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर के साथ मिलकर तैयार किया है. इसको ऑल फ्रीक्वेंसी 6G सॉल्यूशन बताया गया है, जो मोबाइल स्पीड को कई गुना बढ़ सकता है.   6G चिप का साइज  चीनी रिसर्चर ने जिस 6G चिपसेट को डेलवल किया है, उसका साइज 11mm X 1.7mm का है. यह चिपसेट लो फ्रीक्वेंसी पर काम कर सकता है. इससे मोबाइल और अन्य डिवाइस को बेहतर स्पीड के साथ अच्छी कनेक्टिविटी भी मिलेगी. 6G चिपसेट की मदद से एक सेकंड में 100GB डेटा को ट्रांसफर कर सकते हैं. यह पूरी तरह से वायरलेस स्पेक्ट्रम पर काम करेगा. 1 सेकंड में ट्रांसफर होगी 50GB की मूवी उदाहरण के रूप में समझें तो यह 6G चिपसेट की मदद से 50GB की HD 8K मूवी को एक सेकंड के अंदर डाउनलोड किया जा सकेगा. यह स्पीड अर्बन और रूरल एरिया दोनों इलाकों में मिलेगी.  चिपसेट क्या होता है और यह कैसे काम करता है?   चिपसेटकंप्यूटर, मोबाइल या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए उतना ही जरूरी है, जितना इंसान के लिए ब्रेन जरूरी है. चिपसेट असल में मेमोरी, स्टोरेज, ग्राफिक्स और बाकी हार्डवेयर के बीच एक कम्युनिकेशन्स बनाता है.  6G की स्पीड के साथ चिताएं भी बढ़ेंगी  5G और 6G के बेनेफिट्स के बावजूद इन टेक्नोलॉजी को आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है. कई एक्सपर्ट का मानना है कि 6G में हाई फ्रीक्वेंसी बैंड्स का यूज करने की वजह से  इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन भी बढ़ सकता है. यह ह्यूमन हेल्थ को खतरे में डाल सकते हैं.  साइबर खतरे भी बढ़ सकते हैं  साथ ही जैसे-जैसे कई डिवाइस एक साथ कनेक्ट होंगे, उसके साथ ही साइबर खतरे भी बढ़ सकते हैं. डेटा प्राइवेसी को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं.  कॉम्पैक्ट चिप पर कई खूबियां जहां मौजूदा 5G वायरलेस टेक्नोलॉजी सीमित फ्रीक्वेंसी रेंज पर काम करती हैं. ये लेटेस्ट डेवलप 6G चिप पूरे स्पेक्ट्रम 0.5 GHz से लेकर 115 GHz तक को एक 11mm x 1.7mm के कॉम्पैक्ट चिप पर लेकर आता है.