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AIIMS भोपाल में शुरू हुई अत्याधुनिक छाती कैंसर इलाज सुविधा, मरीजों को अब लंबा सफर नहीं

भोपाल  अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल ने कैंसर के इलाज में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के सर्जिकल आंकोलाजी विभाग में अब विशेष रूप से छाती के कैंसर (फेफड़ों और भोजन नली) के इलाज के लिए एक 'समर्पित थोरासिक आंकोलाजी सुविधा' शुरू की गई। अब मध्य भारत के कैंसर रोगियों के लिए यह सुविधा मिलती रहेगी, अब इलाज के लिए बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। इस नई सुविधा की शुरुआत के साथ ही एक बेहद जटिल आपरेशन को अंजाम दिया गया है। डॉक्टरों ने एक मरीज की भोजन नली (इसोफेगस) के कैंसरग्रस्त हिस्से को निकाला। इसके बाद पेट के एक हिस्से से एक नई नली बनाकर उसे गले तक जोड़ा गया। यह पूरी सर्जरी दूरबीन और कैमरे वाली अत्याधुनिक थोरोस्कोपिक और लैप्रोस्कोपिक तकनीक से की गई। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें मरीज को बड़े चीरे नहीं लगाए जाते, जिससे दर्द कम होता है और वह जल्दी ठीक हो पाता है। एम्स भोपाल का सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग पहले से ही मध्य प्रदेश और आसपास के राज्यों के लगभग 20 हजार कैंसर मरीजों का हर साल इलाज करता है। अब तक छाती से जुड़े जटिल कैंसर के ऑपरेशन के लिए मरीजों को दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था, जो काफी खर्चीला और मुश्किल होता था। अब यह विश्वस्तरीय सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होने से हजारों मरीजों और उनके परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। विशेषज्ञ नेतृत्व और मजबूत टीम इस महत्वपूर्ण पहल का नेतृत्व प्रो. डॉ. माधवानंद कर रहे हैं, जो न केवल एक बेहतरीन सर्जन हैं, बल्कि एक कुशल शिक्षक भी हैं। उन्होंने देश के कई एम्स संस्थानों का मार्गदर्शन किया है और लगातार युवा डाक्टरों को प्रशिक्षित करते रहते हैं। उनके नेतृत्व में डॉ. विनय कुमार (विभागाध्यक्ष, सर्जिकल आंकोलाजी), डॉ. अंकित, डॉ. वैशाली, डॉ. जैनब और डॉ. शिखा सहित एक विशेषज्ञ टीम ने पहली जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने एम्स भोपाल की व्यवस्थाओं का किया अवलोकन

प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने विभिन्न विषयों पर की चर्चा भोपाल  उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने एम्स भोपाल का दौरा कर वहाँ की चिकित्सा व्यवस्थाओं एवं अधोसंरचना का अवलोकन किया। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने एम्स भोपाल द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सहज एवं सुलभ बनाने के लिए किए जा रहे विभिन्न नवाचारों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए एम्स जैसे अग्रणी संस्थानों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानंद ने एम्स की वर्तमान स्वास्थ्य सेवाओं तथा भविष्य की योजनाओं की विस्तार से जानकारी प्रदान की। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने विश्वास व्यक्त किया कि एम्स भोपाल के अनुभव एवं नवाचार प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावी व गुणवत्तापूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। इस दौरान प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को नई तकनीक एवं आधुनिक संसाधनों से सशक्त करने, अनुसंधान आधारित चिकित्सा सेवाओं को बढ़ावा देने तथा जनसामान्य को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने संबंधी विभिन्न आयामों पर वृहद चर्चा हुई। इस दौरान उप संचालक प्रशासन श्री संदेश जैन सहित एम्स के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।  

दांतों की बीमारियों से परेशान MP: एम्स सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

भोपाल  एम्स भोपाल ने मध्यप्रदेश में दांत और मुंह की बीमारियों पर अब तक का सबसे बड़ा राज्यव्यापी सर्वेक्षण पूरा किया है। 2002-03 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर मौखिक स्वास्थ्य की स्थिति दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट को हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साउथ-ईस्ट एशिया जर्नल आफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित किया है। यह सर्वेक्षण एम्स भोपाल के दंत विभाग और रीजनल ट्रेनिंग सेंटर फार ओरल हेल्थ प्रमोशन एंड डेंटल पब्लिक हेल्थ के नोडल अधिकारी डा. अभिनव सिंह के नेतृत्व में किया गया। इसमें मध्यप्रदेश शासन के स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय ने सहयोग दिया। अध्ययन में प्रदेश के 41 जिलों के शहरी और ग्रामीण इलाकों से करीब 48 हजार लोगों को शामिल किया गया। नतीजे चौंकाने वाले सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में दांतों में कीड़े लगना 40 से 70 प्रतिशत लोगों में पाया गया। मसूड़ों की बीमारी 50 से 87 प्रतिशत और मुंह के कैंसर दो से 17 प्रतिशत तक देखी गईं। सबसे गंभीर स्थिति यह रही कि 70 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग और लगभग 50 फीसद 5 साल के बच्चे दांतों की सड़न यानी कैविटी से जूझ रहे हैं। देश का पहला मौखिक स्वास्थ्य डेटा बैंक एम्स भोपाल ने केवल सर्वे ही नहीं किया, बल्कि इसके आधार पर देश का पहला मौखिक स्वास्थ्य डेटा बैंक भी बनाया है। डब्ल्यूएचओ माडल पर आधारित इस डेटा बैंक में जिलेवार मौखिक स्वास्थ्य की स्थिति और सेवाओं का ब्योरा दर्ज है। सरकार और नीति-निर्माता अब इस आधार पर नई योजनाएं बना सकेंगे। तकनीक से आई पारदर्शिता सर्वेक्षण को पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए मोबाइल एप और जीपीएस तकनीक का उपयोग किया गया। साथ ही एम्स भोपाल ने अपने ट्रेनिंग सेंटर के माध्यम से डॉक्टरों, शिक्षकों और काउंसलरों को विशेष प्रशिक्षण देने की भी शुरुआत की है, ताकि रोकथाम और उपचार की सुविधाएं सीधे समाज तक पहुंच सकें। विशेषज्ञों की राय डॉ. अभिनव सिंह का कहना है कि अब जब मौखिक स्वास्थ्य की वास्तविक तस्वीर सामने आ चुकी है तो जनजागरुकता बढ़ाने, बचाव और उपचार के लिए ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। यह सर्वे मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मौखिक स्वास्थ्य को नई दिशा देगा।     दांतों में कीड़े (कैविटी) – 40% से 70%     मसूड़ों की बीमारी (गम डिजीज) – 50% से 87%     मुंह के कैंसर से पहले की अवस्थाएं – 2% से 17%     बुजुर्गों में दांतों की सड़न – 70% से अधिक     5 साल के बच्चों में कैविटी – लगभग 50%