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पंजाब पुलिस और BSF ने संयुक्त बड़ी कार्रवाई करते हुए भारी मात्रा में ICE बरामद की

पंजाब  पंजाब पुलिस और BSF ने संयुक्त बड़ी कार्रवाई करते हुए भारी मात्रा में ICE बरामद की है। अमृतसर ग्रामीण पुलिस ने पंजाब सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ मिलकर भैणी राजपूतान गांव के पास एक औचक निरीक्षण के दौरान 3 किलो ICE (मेथामफेटामाइन) बरामद किया। यह जानकारी पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने साझा की।  DGP Punjab ने ट्वीट साझा करके बताया कि पंजाब पुलिस ने बीएसएफ के साथ संयुक्त अभियान चलाते हुए भैनी राजपूतान गांव के पास एक औचक निरीक्षण किया जिस दौरान भारी मात्रा  ICE  बरामद हुई है। घरिंडा पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज कर ली गई है। उन्होंने कहा कि, पंजाब पुलिस नशीले पदार्थों की सप्लाई चेन को तोड़ने नशा मुक्त पंजाब बनाने के लिए वचनबद्ध है। 

जज्बे को सलाम! पैर कटने के बाद भी ड्यूटी पर डटा रहा BSF का शेरदिल जवान

लुधियाना पंजाब के लुधियाना में बीएसएफ के एक जवान ने दोनों पैर कटने के बावजूद ऐसी बहादुरू दिखाई, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। घायल जवान का वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो को देखकर सभी जवान की जमकर तारीफ कर रहे हैं। यह जवान फोन छीनने वाले गिरोह से लड़ते हुए ट्रेन से नीचे गिर गया था। इस हादसे में उसके दोनों पैर कट गए। इसके बावजूद वह हिम्मत नहीं हारा और दूसरे के फोन से अपने परिजनों को हादसे की सूचना देकर मदद मांगी। घटना लुधियाना की है। शुक्रवार के दिन शाने शान-ए-पंजाब ट्रेन में यात्रा कर रहा बीएसएफ का जवान फोन स्नैचिंग का शिकार हो गया। इस वजह से उसके साथ बहुत बड़ा हादसा हो गया। ट्रेन जब लुधियाना स्टेशन से जालंधर के लिए निकली तो स्टेशन के आउटर पर दमोरिया पुल के पास ट्रेन के पहुंचते ही पहले से ही ट्रेन में योजना बनाकर चढ़े फोन स्नैचर ने उसका फोन छीन लिया। इस समय जवान ट्रेन के डिब्बे में शौचालय के पास खड़ा था।  फोन बचाने के चक्कर में खोए पैर बीएसएफ जवान अमन जायसवाल ने मोबाइल छीनने वाले लुटेरे से अपना फोन वापस लेने की कोशिश की। इस दौरान अज्ञात लुटेरे ने उसे ट्रेन से नीचे गिरा दिया। पीड़ित जवान ट्रेन के नीचे आ गया और इस हादसे में उसने अपनी दोनों टांगें गंवा दीं। अमन ने अपना फोन और दोनों पैर खोने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। गंभीर रूप से घायल होने के बाद उसने परिजनों को दूसरे के फोन से सूचना दी। हादसे के बाद उसे तुरंत सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उसे निजी अस्पताल रेफर कर दिया।  बरेली का रहने वाला है अमन अमन, उत्तर प्रदेश के बरेली का निवासी और 15 साल से बीएसएफ में कार्यरत है। ट्रांसफर होने की वजह से वह जालंधर कैंट में अपना सामान लेने जा रहा था। उसकी बहादुरी और हिम्मत थी कि दोनों टांगे कट जाने और हाथ गंभीर रूप से जख्मी हो जाने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और किसी अन्य व्यक्ति के फोन से उसने अपने घरवालों को इस घटना की सूचना दी जो आप भी इस वीडियो में देख सकते हैं। जीआरपी पुलिस ने अज्ञात लुटेरे के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

इंदौर के बीएसएफ म्यूजियम की शान बनी सदी पुरानी ऐतिहासिक रिवाल्वर

इंदौर  केंद्रीय शस्त्र और रणनीति स्कूल बीएसएफ में बने हथियारों के संग्रहालय में कई प्रमुख और पुराने हथियारों का संग्रहित है। अब झारखंड के चाईबासा से जुड़े रूंगटा परिवार की एतिहासिक रिवाल्वर संग्रहालय की शान बढ़ाएगी। चाइबासा निवासी रूंगटा भाइयों की ओर से पिता सीताराम रूंगटा की स्मृति को जीवंत रखने के लिए सीएसडब्ल्यूटी संग्राहालय को रिवाल्वर .45 वेबली मार्क-वी दान की गई है। यह रिवाल्वर साल 1914 का माडल है, जिसे इंग्लैंड की कंपनी द्वारा बनाया गया था। जानकारी के अनुसार, इसका उपयोग प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा किया जाता था। राम रुंगटा के नाम पर थी यह रिवाल्वर यह रिवाल्वर एनएल रुंगटा के पिता सीता राम रुंगटा के नाम थी। उनका 1994 में निधन हो गया था। इसके बाद इसे आर्म्स डीलर के पास जमा करवा दिया गया था। इसी बीच दो साल पूर्व रुंगटा परिवार ने कोलकाता के एक अखबार में सीएसडब्ल्यूटी हथियार संग्रहालय पर एक लेख पढ़ा था, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने रिवाल्वर बंदूक संग्रहालय को सौंपने का निश्चय किया। रुंगटा परिवार ने हमारे झारखंड ब्यूरो के प्रतिनिधि को बताया कि जिला शस्त्र मजिस्ट्रेट, चाईबासा, झारखंड से अनुमति प्राप्त होने के बाद यह रिवाल्वर सीएसडब्ल्यूटी बीएसएफ इंदौर के डीआईजी सह कार्यवाहक महानिरीक्षक राजन सूद की उपस्थिति में दान की गई है। नान सर्विसेबल की गई बंदूक बता दें कि यह बंदूक पूर्व में चालू अवस्था में थी। इसे दान करने से पूर्व सभी औपचारिकरताएं पूरी की गई और इसे नान सर्विसेबल किया गया। ताकि इसका दोबारा उपयोग न किया गया जा सके। अब यह बंदूक सीएसडब्ल्यूटी बीएसएफ इंदौर के शस्त्र संग्रहालय में सुरक्षित रखी जाएगी। उल्लेखनीय है कि यह संग्रहालय बीएसएफ के पुराने संग्रहालयों में से एक है, जिसकी स्थापना सन् 1967 में सीमा सुरक्षा बल के प्रथम महानिदेशक केएफ रूस्तम द्वारा की गई थी। संग्रहालय में 300 से अधिक हथियार प्रदर्शित किए गए हैं। इसमें 14 वीं शताब्दी से लेकर वर्तमान तक उपयोग में लाए जा रहे विभिन्न प्रकार के छोटे हथियार शामिल हैं।