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कूनो की रानी धीरा पहुंची गांधी सागर, जहां पहले से हैं दो नर चीते — जंगल में रोमांच बढ़ा

मंदसौर  प्रोजेक्ट चीता के तहत मध्य प्रदेश में चीतों की संख्या बढ़ाने की कवायद लगातार चल रही है. कूनो नेशनल पार्क के बाद मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य को चीतों के नए आशियाने के रूप में स्थापित किया जा रहा है. इसी के तहत बुधवार को यहां पर कूनो की मादा चीता 'धीरा' का छोड़ा गया. धीरा के आने से यहां चीतों की संख्या 3 हो गई. करीब 5 महीने पहले यहां पर 2 नर चीतों को छोड़ा गया था. यह कदम कूनो के बाहर चीतों के प्राकृतिक संबंध और प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा रहा है. गांधी सागर अभ्यारण्य में धीरा को शिफ्ट किया गया चीता प्रोजेक्ट के तहत कूनो नेशनल पार्क के बाद गांधी सागर अभ्यारण्य चीतों का दूसरा आश्रय स्थल है. इसको चीतों के लिए अनुकूल स्थान माना गया है. बीते अप्रैल माह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहां पर 2 नर चीतों 'प्रभाष' और 'पावक' को छोड़ा था. इस अभ्यारण्य में चीतों में प्रजनन बढ़ाने के उद्देश्य से साढ़े 7 वर्षीय मादा चीता धीरा को छोड़ा गया. बुधवार की सुबह कुनो राष्ट्रीय उद्यान से शुरू हुए इस ऑपरेशन में वन विभाग की टीम, वेटरनरी विशेषज्ञ और फील्ड स्टाफ हर चरण पर बारीकी से नजर रख रहे. धीरा को विशेष रूप से तैयार एयर-कंडीशंड वाहन से 7 घंटे में 300 किलोमीटर की यात्रा कर गांधी सागर लाया गया. इस चीता को उसी बाड़ा भाग-2 में छोड़ा गया है, जहां दोनों नर चीता को छोड़ा गया था. 3 महीने तक धीरा पर रखी जाएगी नजर गांधी सागर अभ्यारण क्षेत्र के अधीक्षक के अमित राठौर ने बताया कि "मादा चिता धीरा को रावली कुड़ी इलाके में सुरक्षित छोड़ दिया गया है. अगले 3 महीने तक यहां लगे सीसीटीवी कैमरे के जरिए इसकी निगरानी की जाएगी." इस अवसर पर मध्य प्रदेश शासन के कई अधिकारी मौजूद रहे. गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों की यह बढ़ती संख्या परियोजना के सफल क्रियान्वयन और प्रदेश में वन्य जीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है. दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों में से एक है धीरा भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी परियोजना 'चीता प्रोजेक्ट' के तहत 2022 में नामीबिया से 8 चीते (5 नर 3 मादा) लाए गए थे. इसके बाद फरवरी 2023 में साउथ अफ्रीका के वॉटरबर्ग बायोस्फीयर रिजर्व से 12 चीते और लाए गए. धीरा भी उन्हीं 12 अफ्रीकी चीते में से एक है. सभी चीतों को कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया था. इनमें से अभी तक 9 की मौत हो चुकी है. जबकि अभी तक यहां पर 26 शावकों ने जन्म लिया, जिनमें से भी 10 की मौत हो गई. अभी प्रदेश में 27 चीते मौजूद हैं. इसमें 24 चीते कूनो और 3 चीते गांधी सागर अभ्यारण्य में मौजूद हैं. इस चीते प्रोजेक्ट के 3 साल भी पूरे हो गए हैं. 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर कूनो में पहली बार चीतों को छोड़ा था.  

टाइगर सफारी के बाद अब चीता सफारी का रोमांच, कूनो में करें बुकिंग

भोपाल   टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश अब चीता स्टेट भी बन गया है. मध्यप्रदेश में अब पर्यटक खुले जंगलों में चीता सफारी का मजा ले सकेंगे. दरअसल, मध्यप्रदश के कूनो नेशनल पार्क में रोमांचक चीता सफारी शुरू होने जा रही है. इसमें पर्यटक खुली जीप में बैठकर कूनो के खुले जंगल में घूम रहे चीतों को देख सकेंगे. कूनो में हीरा गेट और टिक्टोली गेट से 1 अक्टूबर के बाद से सफारी शुरू होगी. कूनो में चीता सफारी 1 अक्टूबर के बाद कूनो पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए कूनो सफारी यादगार बनाने के लिए पर्यटन विभाग 5 अक्टूबर से कूनो नेशनल पार्क के पास कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट एंड फेस्टिवल और 12 सितंबर से गांधी सागर फॉरेस्ट रिट्रीट शुरू करने जा रहा है. इसमें पर्यटकों के लिए टेंट सिटी, एडवेंचर गेम्स जैसी की सुविधाएं मिलेंगी. खुली जीप में बैठकर नजदीक से देखें चीते मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में कूनो को तीन साल पूरे होने जा रहे हैं. 17 सितंबर 2022 को 8 चीते नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे. इसके बाद 18 फरवरी 2023 के 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे. अब कूनो नेशनल पार्क में पर्यटक खुले जंगल में चीतों का दीदार कर सकेंगे. चीतों के दीदार के साथ प्राकृतिक सुंदरता का मजा ले सकेंगे टूरिस्ट  पर्यटन विभाग के अपर मुख्य सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया, '' कूनो में चीतों के दीदार होने की उम्मीद अब बहुत ज्यादा है. चीतों की संख्या भी अब बढ़ गई है. कूनो के हीरा गेट और टिक्टोली गेट से 1 अक्टूबर के बाद से सफारी शुरू होगी. टूरिज्म जोन इस बार ओपन रहेगा. इस बार जो भी कूनो जाएंगे वह चीता देख पाएंगे. भारत में चीता देखना अपने आप में सपने जैसा है, जो अब संभव हो सकेगा.'' कूनो में चीतों की संख्या बढ़कर हुई 30 कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि, पिछले तीन सालों के दौरान कई बार कूनो से दुखद खबरें भी आईं, लेकिन अब कूनो में चीतों के कुनबे में संख्या 30 पहुंच गई है. कूनो नेशनल पार्क में 9 वयस्क सहित कुल 26 चीते मौजूद हैं. 9 वयस्क चीतों में 6 मादा और 3 नर हैं. खासबात यह है कि इनमें 17 भारत में ही जन्मे शावक हैं और खुले जंगल में घूम रहे हैं. कूनो में पर्यटन बढ़ाने पर वन विभाग व पर्यटन विभाग का जोर कूनो में 16 चीते खुले जंगल में घूम रहे हैं. बाकी दो मादा चीता वीरा और नीरवा अपने नन्हें शावकों के साथ हैं, जबकि बाकी दो नर चीतों को गांधी सागर में शिफ्ट किया गया है. इस तरह मध्यप्रदेश में कुल 30 चीता मौजूद हैं. कूनो और गांधी सागर में कर रहे डेवलपमेंट अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला ने बताया, '' चीता आने के पहले कूनो टूरिज्म के मैप पर नहीं था, लेकिन अब कूनो टूरिज्म साइट के मैप पर प्रमुखता से आ गया है. इसी उद्देश्य के लिए कूनो और गांधीसागर साइट को डेवलप किया गया है. दूसरे प्रदेश जो नहीं कर पा रहे, वह मध्यप्रदेश कर रहा है. दूसरे राज्यों में उनके प्रचलित स्थान है, जहां लगातार पर्यटकों की भीड़ बढ़ती जा रही है, जबकि मध्यप्रदेश में नए 50 स्थानों को टूरिज्म के लिए डेवलप किया जा रहा है.'' अपर मुख्य सचिव ने कहा कि इससे मध्यप्रदेश का पर्यटन में विविधता बढ़ रही है और पर्यटक अलग-अलग स्थानों पर पहुंच रहे हैं. कूनो और बांधवगढ़ भी तेजी से पर्यटन स्थल के रूप में अपना स्थान तेजी से बना रहे हैं.  

कूनो नेशनल पार्क में बारिश से बिगड़े हालात, चीतों के फंसने का खतरा गहरा

 ग्वालियर  कूनो नेशनल पार्क में लगातार हो रही भारी वर्षा ने एक बार फिर चीतों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि मादा चीता 'आशा' और उसके तीन शावक रविवार को पार्क की सीमा पार कर बागचा क्षेत्र की ओर निकल गए। इस समय जंगल में चारों ओर जलभराव और दलदल जैसी स्थिति है, जिससे ट्रैकिंग में भारी बाधा आ रही है। जंगल के बाहर पहुंचना जोखिम भरा पार्क की सीमा पार कर चुके चीतों के सामने नहर में डूबने और गड्ढों में फंसने का खतरा बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल चीता 'पवन' की मौत पानी से भरे एक गड्ढे में गिरने से हो चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए, वन विभाग की टीम विशेष सतर्कता बरत रही है, लेकिन वर्षा और रास्तों के बाधित होने के कारण ट्रैकिंग बेहद मुश्किल हो गई है। गार्ड्स और ट्रैकर्स की सीमाएं हालांकि सभी चीतों के गले में कालर आइडी लगे हुए हैं, फिर भी ट्रैकिंग टीमें बारिश के चलते मौके पर जल्दी नहीं पहुंच पा रहीं। पानी से भरे रास्तों और कीचड़ के कारण न तो गाड़ियों से पहुँचना संभव है और न ही पैदल ट्रैकिंग आसान रह गई है। इसी कारण, ट्रैकर्स और वनरक्षकों ने एक प्रस्ताव प्रबंधन के सामने रखा है कि मानसून खत्म होने तक चीतों को सुरक्षित बाड़ों में रखा जाए। संक्रमण से बचाव के उपाय कूनो डीएफओ थिरूकुरल आर ने बताया कि सभी चीतों को संक्रमण से बचाने के लिए एंटी एक्टो परजीवी दवा दी जा चुकी है। साथ ही लगातार निगरानी जारी है। कूनो नेशनल पार्क में इस समय कुल 26 चीते हैं, जिनमें 9 वयस्क (6 मादा, 3 नर) और 17 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं। इनमें से 16 चीते अब खुले जंगल में विचरण कर रहे हैं। शावकों के लिए स्थिति ज्यादा संवेदनशील मादा चीतों के साथ मौजूद शावकों के लिए बारिश के मौसम में खुले जंगल में रहना और भी खतरनाक है। पानी भरे गड्ढों और दलदली जमीन में उनके फिसलने या फंसने का खतरा लगातार बना हुआ है। ट्रैकिंग रूट्स में पानी भरने से निगरानी टीमों की गतिविधि सीमित हो गई है, जो किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता में बाधा बन सकती है।