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दशहरा 2025: रायपुर में छह लोकेशन्स पर रावण दहन, ड्रोन टेक्नोलॉजी से होगी सुरक्षा सुनिश्चित

रायपुर दशहरा और दुर्गा विसर्जन के मौके पर गुरुवार शाम को भारी भीड़ उमड़ेगी। शहर के छह से ज्यादा बड़े स्थलों पर रावण दहन और दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन होगा, जिस कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित रहेगी। ट्रैफिक पुलिस ने शाम चार बजे से रात दो बजे तक विशेष ट्रैफिक प्लान लागू करने का निर्णय लिया है। वहीं प्रमुख स्थलों में ड्रोन के जरिए भी निगरानी रखी जाएगी। सबसे बड़ा आयोजन डब्ल्यूआरएस कॉलोनी में शहर का सबसे बड़ा रावण दहन कार्यक्रम डब्ल्यूआरएस कॉलोनी में होगा। यहां लगभग 20 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटने की संभावना है। इस आयोजन में राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। इसी तरह भाठागांव से मठपारा चौक तक का इलाका भी मुख्य आयोजन स्थल रहेगा। पुलिस का अनुमान है कि इन दोनों स्थानों पर ट्रैफिक का दबाव सबसे ज्यादा रहेगा।   अन्य स्थानों पर भी भीड़ शंकर नगर चौक, रांवाभाठा बीरगांव, बीटीआइ मैदान शंकर नगर, सप्रे शाला मैदान, समता कालोनी और दलदल सिवनी में भी बड़े पैमाने पर रावण दहन का आयोजन होगा। सभी जगहों पर भीड़ को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा और ट्रैफिक दोनों के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है। यातायात में इस प्रकार किया है बदलाव ट्रैफिक पुलिस ने इन मार्गों पर डायवर्जन की व्यवस्था की है। जिन सड़कों से आयोजन स्थल जुड़ते हैं, वहां शाम 4 बजे के बाद केवल कार्यक्रम से जुड़े वाहनों को ही प्रवेश दिया जाएगा। भारी वाहनों का प्रवेश आयोजन समाप्त होने के एक घंटे बाद तक प्रतिबंधित रहेगा। ट्रैफिक पुलिस ने की तैयारी पुलिस का कहना है कि ओवरब्रिज के नीचे हर साल लंबा जाम लगता है। इस बार भीड़ को देखते हुए रावण दहन समाप्त होने के बाद भी ट्रैफिक डायवर्ट किया जाएगा। भनपुरी से आने वाले वाहनों को श्रीनगर और गुढ़ियारी की ओर डायवर्ट किया जाएगा, जबकि शहर से भनपुरी जाने वाले वाहन ओवरब्रिज से होकर जाएंगे। शहर में आने वाली गाड़ियों की होगी जांच 1000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। आईटीएमएस कैमरों से लगातार निगरानी रखी जाएगी। शहर में आने वाली गाड़ियों की जांच होगी, संदेह होने पर गाड़ियों की डिक्की तक खोली जाएगी। तीन सवारी, बिना नंबर प्लेट और रांग साइड चलने वाले चालकों पर कार्रवाई की जाएगी। यह सख्ती रात दो बजे तक जारी रहेगी। महिला पुलिस-क्राइम ब्रांच की टीम भी अलर्ट शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में महिला पुलिस को सादी वर्दी में तैनात किया गया है। पाकेटमारों, लूट और चोरी की घटनाओं पर रोक के लिए विशेष स्क्वाड बनाया गया है। चाकू लेकर घूमने वालों और उपद्रवियों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। क्राइम ब्रांच के साथ वरिष्ठ अधिकारियों को भी ड्यूटी पर लगाया गया है।

हरियाणा का यह जिला मनाएगा धूमधाम से दशहरा, देखें 70 फीट रावण और विशाल मूंछें

सिरसा  इस बार सिरसा में दशहरे का पर्व कुछ खास और अनोखा होने जा रहा है। यहां एक बेहद आकर्षक और अलग तरह का रावण का पुतला तैयार किया जा रहा है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत हैं उसकी जलेबी जैसी लंबी, घुमावदार मूंछें। करीब 40 फीट लंबी इन मूंछों के साथ 70 फीट ऊंचा यह रावण लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस अनोखे पुतले के पीछे हैं दिल्ली के मशहूर कारीगर बाबा भगत, जो पिछले 40 वर्षों से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाने की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। चार दशकों से रामायण की कहानी को जीवित रख रहे हैं बाबा भगत बाबा भगत का कहना है कि वे अब तक दिल्ली और सिरसा में मिलाकर हजारों पुतले बना चुके हैं। सिर्फ सिरसा में ही पिछले 20 वर्षों में उन्होंने लगभग 4000 छोटे रावण के पुतले तैयार किए हैं, जिन्हें बच्चे खास पसंद करते हैं। बच्चे इन पुतलों को मोहल्लों और गलियों में जलाकर अपने तरीके से दशहरा मनाते हैं। वहीं, बड़े पुतलों की बात करें तो बाबा भगत अब तक 500 से अधिक विशालकाय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बना चुके हैं। हर साल वे करीब 100 छोटे रावण के पुतले तैयार करते हैं, जिनकी मांग पूरे साल बनी रहती है—केवल दशहरे के लिए नहीं, बल्कि सजावट और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए भी। इस बार 70 फीट का भव्य रावण, होगी 40 फीट की जलेबी मूंछ  इस बार सिरसा में जो रावण का पुतला तैयार हो रहा है, वह करीब 70 फीट ऊंचा होगा और इसकी सबसे अनोखी बात होगी इसकी 40 फीट लंबी जलेबी जैसी मूंछें, जो इसे बाकी रावणों से बिल्कुल अलग और खास बना रही हैं। इसके अलावा, कुंभकर्ण और मेघनाथ के भी विशाल पुतले तैयार किए जा रहे हैं, जो इस आयोजन को और भी भव्य बना देंगे। कला नहीं, एक संस्कार है यह काम – बाबा भगत बाबा भगत का कहना है कि वे इस कला को केवल रोजगार या पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक सेवा के रूप में करते हैं। उनका उद्देश्य है कि नई पीढ़ी रामायण और रावण की कहानी से जुड़े, केवल पुतले जलाकर उत्सव मनाना नहीं, बल्कि उसके पीछे छिपे अर्थ और संस्कृति को भी समझे। हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि मौजूदा समय में महंगाई ने इस परंपरा को बनाए रखना कठिन बना दिया है। कागज, बांस, रंग और अन्य सामग्री की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन इसके बावजूद उनका और उनके परिवार का जुनून कम नहीं हुआ। परिवार ही टीम है – मिलकर बनाते हैं इतिहास बाबा भगत के परिवार के करीब 20 सदस्य इस परंपरा में उनके साथ काम कर रहे हैं। कोई ढांचा तैयार करता है, कोई कागज चिपकाता है, तो कोई रंग भरने का काम करता है। महीनों की मेहनत के बाद ये भव्य पुतले आकार लेते हैं। इस बार सिरसा का दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक दृश्यात्मक अनुभव होगा। जलेबी मूंछों वाला 70 फीट ऊंचा रावण, उसके साथ विराट कुंभकर्ण और मेघनाथ, दर्शकों को अद्भुत दृश्य और जीवन भर की यादें देंगे। रावण बुरा था या नहीं, बहस का विषय हो सकता है… बाबा भगत का मानना है कि “रावण बुरा था या नहीं, यह बहस का विषय हो सकता है, लेकिन उसकी कहानी अच्छाई और बुराई के बीच फर्क करना सिखाती है। यही संदेश हम अपने पुतलों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं।