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AAP-कांग्रेस पर हरियाणा का वार, महिलाओं को मासिक ₹2100 देकर खड़ा किया सवाल

चंडीगढ़  हरियाणा में नायब सैनी सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों से जहां प्रदेश में विपक्षी दल सकते में आ गए हैं वहीं पंजाब की राजनीति पूरी तरह से गरमा गई है। पंजाब में वर्ष 2027 की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक दल अभी से चुनावी मोड पर आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी पंजाब में अभी तक शिरोमणि अकाली दल के सहारे सत्ता में आती रही है लेकिन वर्तमान में अकाली दल व भाजपा अलग-अलग राह पर चल रहे हैं।  दूसरी तरफ हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है। पहले दो चुनावों के मुकाबले भाजपा को तीसरे चुनाव में अधिक सीटों पर जीत हासिल हुई है। पंजाब के फिरोजपुर, मुक्तसर, मानसा, भटिंडा, संगरूर, पटियाला, मोहाली जिले हरियाणा से सटे हुए हैं। हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला और पंचकूला जिले पंजाब के जिलों के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा पिछले दिनों लिए गए फैसलों से इन दिनों पंजाब की राजनीति गरमाई हुई है। पंजाब की राजनीति पर वर्ष 1984 में हुए दंगों का असर आज भी दिखाई देता है। वर्ष 1984 में हुए दंगों में हरियाणा के 121 लोगों की मृत्यु हुई थी। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए  सभी 121 परिवारों के वर्तमान सदस्य को उनकी सहमति से प्राथमिकता के आधार पर नौकरी देने का फैसला किया है। इसके अलावा गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर शहीदी वर्ष को गरिमापूर्ण ढंग से मनाने का फैसला किया है। अपनी यात्राओं के दौरान गुरु साहिब ने कुरुक्षेत्र, पिहोवा, कैथल, जींद, अंबाला, चीका और रोहतक में आकर इस भूमि को पवित्र किया है। सरकार इन कार्यक्रमों की रूपरेखा को जल्द जारी करेगी। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले महिलाओं को हर माह 1100 रुपये देने का ऐलान किया था, वहीं पड़ोसी राज्य हिमाचल में कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रुपये महीना देने का ऐलान किया था। दोनों सरकारों का आधा-आधा कार्यकाल बीत चुका है लेकिन अभी तक इस योजना को लागू करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुआ है। दूसरी तरफ हरियाणा में भाजपा सकरार ने अपने पहले ही साल में इस योजना को लागू करके आम आदमी पार्टी तथा कांग्रेस को मुद्दा विहीन करते हुए सवाल खड़ा कर दिया है। हरियाणा के इन फैसलों का सीधा असर पंजाब की राजनीति पर हो रहा है। मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा लिए गए फैसलों से भारतीय जनता पार्टी को पंजाब में मजबूत मैदान मिल गया है। पंजाब भाजपा के नेता पड़ोसी राज्य की सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों को भुनाकर जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं। हरियाणा द्वारा पंजाब के संबंध में लिए गए फैसलों के बल पर पंजाब में भाजपा की राह आसान बना दी है।  सदस्यता अभियान की निगरानी से हुई थी पंजाब में एंट्री हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की पंजाब में एंट्री उस समय हुई जब पंजाब में भाजपा द्वारा सदस्यता अभियान चलाया जा रहा था। नायब सैनी ने पंजाब भाजपा कार्यालय जाकर अभियान का जायजा लिया और भाजपा के साथ जुड़े लुधियाना व अमृतसर के लोगों से बातचीत की। इसके बाद चंडीगढ़ से सटे जीरकपुर व डेराबस्सी में कार्यक्रमों के दौरान कई जनप्रतिनिधियों को भाजपा में शामिल करवाया। मुख्यमंत्री नायब सैनी पिछले समय के दौरान बैसाखी के अवसर पर आनंदपुर साहिब गए तो उन्होंने जालंधर के निकट राधा स्वामी सत्संग ब्यास का दौरा किया। नायब सैनी जालंधर में हुए धार्मिक कार्यक्रम का हिस्सा बने वहीं शहीद उधम सिंह की जयंती के अवसर पर सुनाम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके अलावा पंजाब में भाजपा नेता मनोरंजन कालिया के घर पर हुए ग्रेनेड हमले के बाद भी नायब सैनी जालंधर पहुंचे। पंजाब के सीमावर्ती जिलों के जनप्रतिनिध नियमित रूप से चंडीगढ़ मुख्यमंत्री आवास पर आकर पंजाब के कार्यक्रमों मुख्यमंत्री को शामिल कर रहे हैं। भाजपा ने सत्ता में आने के बाद वर्ष 2014, 2019 तथा 2024 के संकल्प पत्रों को ध्यान में रखकर काम किया है। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। वादा करके भूलना दोनों राजनीतिक दलों की पुरानी आदत रही है। हरियाणा में इस समय कोई चुनाव नहीं है। फिर भी हरियाणा सरकार द्वारा पिछले दस दिन में लिए गए फैसलों ने यह साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी भी सभी वर्गों के हित की सोचते हैं।  

वेतन-भत्तों को लेकर हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, विधायकों को मिलेगा फायदा

हरियाणा  हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में सोमवार को विधायकों के लिए एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक के तहत विधायकों के विशेष यात्रा भत्ते में बदलाव किया गया है। हरियाणा विधान सभा ने सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम में संशोधन किया है। पहले विधायकों को विशेष यात्रा भत्ते के तहत मासिक पेंशन और महंगाई राहत की कुल राशि एक लाख रुपए तक सीमित थी। इसमें प्रति माह अधिकतम 10,000 रुपए का विशेष यात्रा भत्ता शामिल था। विधायकों ने अध्यक्ष से संपर्क कर बताया कि वर्तमान मुद्रास्फीति को देखते हुए यह सीमा उचित नहीं है। उन्होंने एक लाख रुपए की सीमा हटाने का सुझाव दिया। साथ ही विधायक या उनके परिवार के सदस्यों को भारत में कहीं भी यात्रा के लिए प्रति माह 10,000 रुपए का विशेष यात्रा भत्ता जारी रखने की मांग की। विधानसभा ने इस सुझाव को स्वीकार करते हुए 1975 के अधिनियम की धारा 7ग में संशोधन कर दिया है। अब विधायकों को एक लाख रुपए की सीमा से मुक्त कर दिया गया है। वे प्रति माह 10,000 रुपए का विशेष यात्रा भत्ता प्राप्त कर सकेंगे।