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खेती की जमीन पर अवैध कॉलोनियां, भोपाल कलेक्टर ने एसडीएम को दिए सख्त निर्देश

भोपाल  भोपाल जिले में कॉलोनाइजरों द्वारा किसानों के साथ मिलकर खेती जमीन पर अवैध कॉलोनियां काटकर प्लाट बेचे जा रहे हैं। जब इन सभी कॉलोनाइजरों को चिह्नित कर नोटिस देते हुए अनुमतियों के दस्तावेज मांगे गए तो यह कलेक्टर न्यायालय में पेश नहीं कर सके। ऐसे में अब इन सभी अवैध कॉलोनियों को काटने वाले बिल्डर, किसान व अन्य सहित करीब 113 लोगों पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसको लेकर कलेक्टर न्यायालय द्वारा इनकी सूची बनाकर एसडीएम को थमा दी गई है और जल्द से जल्द इनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी यदि जमीनी स्तर पर एसडीएम, तहसीलदार द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है तो उनसे भी जवाब-तलब किया जाएगा। शहर के नगरीय क्षेत्र में प्रापर्टी के दामों में जमकर वृद्धि होने के बाद से अब लोग मकान, प्लाट, फार्म हाउस खरीदने के लिए शहरी क्षेत्र से लगी सीमा पर ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर प्रापर्टी की खरीदारी कर रहे हैं। तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं यही कारण है कि बड़े -बड़े बिल्डर यहां स्थित जमीनों के मालिक यानि किसानों के साथ मिलकर बिना किसी अनुमति के अवैध कॉलोनिया काटकर प्लाट बेच रहे हैं। जिसमें किसी तरह की कोई अनुमति नहीं ली जाती है बस खरीदार को बदले में एक रजिस्ट्री थमा दी जाती है। जिसके बाद में बिजली, पानी, सड़क, सीवेज सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगाना पड़ते हैं। इन्हीं अवैध कॉलोनियों के खिलाफ हुजूर, कोलार तहसील, गोविंदपुरा वृत्त के एसडीएम और तहसीलदारों को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने निर्देश दिए थे। कलेक्टर न्यायालय में अवैध कॉलोनी काटने के मामले में एसडीएम द्वारा चिह्नित कॉलोनाइजर, बिल्डर व किसानों को नोटिस जारी कर अनुमति संबंधी दस्तावेज पेश करने का समय दिया गया था। कलेक्टर न्यायालय में वह डायवर्जन, भवन अनुज्ञा सहित अन्य कोई भी ऐसी अनुमति नहीं पेश कर पाए, जिससे यह साबित हो सके कि वह अवैध कॉलोनी नहीं काट रहे हैं। इसके बाद कलेक्टर ने सभी के खिलाफ एसडीएम को एफआईआर करवाने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने सूची कुछ दिनों पहले हुजूर, कोलार एसडीएम को भेज दी थी, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं। नगरीय सीमा से लगे इन क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियां जिले में नगरीय सीमा से लगे जिन क्षेत्रों में जमकर खेती की जमीन पर अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं। इनमें सेवनिया ओंकारा, कोटरा, पिपलिया बेरखेड़ी, कुराना, थुआखेड़ा, कालापीन, सुरैया नगर, छावनी पठार, कुराना, कानासैया, खंडाबर, सिकंदराबाद, थुआखेड़ा, शोभापुर, कोलुआ खुर्द, अरेड़ी, नरेला वाज्याफ्त, इब्राहिमपुरा, जगदीशपुर, कलखेड़ा, हज्जामपुरा, अचारपुरा, बसई, परेवाखेड़ा, ईंटखेड़ी सड़क, अरवलिया, मुबारकपुर, बीनापुर, गोलखेड़ी, चौपड़ा कलां, हज्जाम सहित बसई शामिल हैं। एसडीएम को दिए एफआईआर के निर्देश     जिले में बिना अनुमति के अवैध कॉलोनी विकसित कर प्लाट बेचने वालों की सूची तैयार कर ली है। उनके खिलाफ एफआईआर करने के निर्देश हुजूर, कोलार तहसील के एसडीएम को दिए गए हैं। यदि निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो जवाब तलब किया जाएगा। – कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर  

भोपाल की अवैध कॉलोनियों पर प्रशासन की सुस्ती, बिना अनुमति फल-फूल रही 250 बस्तियां

भोपाल  भोपाल जिले में अवैध कॉलोनियों पर प्रशासन की कार्रवाई पूरी तरह ठप हो गई है, यही कारण है कि भूमाफिया बिना अनुमतियों के प्लाट बेचकर मोटा लाभ कमा रहे हैं। जबकि पिछले दिनों ईंटखेड़ी के घासीपुरा इलाके की अवैध कॉलोनी स्थित मकान में ड्रग्स फैक्ट्री का खुलासा हो चुका है। इसके बाद भी जिम्मेदारों ने अवैध कॉलोनियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है। जबकि छह महीने पहले कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने अवैध कॉलोनियों को चिह्नित कर कार्रवाई करने के निर्देश सभी एसडीएम को दिए थे, जिसके बाद एसडीएम द्वारा करीब 250 अवैध कॉलोनियों को चिह्नित तो किया था, लेकिन इसके आगे कार्रवाई नहीं बढ़ सकी और मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां बीते दो से तीन महीने की बात करें, तो अन्य तहसील/सर्कल में कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। दरअसल, प्रशासन ने जिले में 250 ऐसी जमीनें चिह्नित की थीं, जहां अवैध कॉलोनियों का निर्माण जारी है। इन कॉलोनियों के निर्माण के लिए शासकीय अनुमति नहीं ली गई है। एसडीएम ने ऐसी कॉलोनियों को नोटिस तो जारी किए, लेकिन इसके बाद एक्शन नहीं लिया। सूत्रों की मानें तो राजनीतिक संरक्षण की वजह से अधिकारियों द्वारा अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई नहीं की गई है। जिले में कोलार, हुजूर, गोविंदपुरा व बैरसिया क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों जमकर फल-फूल रही हैं। कोलार में अवैध कॉलोनियों का जाल कोलार तहसील के आसपास ही अवैध कॉलोनियों का जाल बुना जा रहा है। रतनपुर सड़क, पिपलिया केशो, सेमरी, सोहागपुर, गेहूखेड़ा, राजहर्ष सहित अन्य क्षेत्रों में कृषि भूमि पर कॉलोनियों का निर्माण किया जा रहा है। यह सभी गांव नगर निगम क्षेत्र में आते हैं। यहां पर कृषि भूमि पर सड़क बनाकर प्लाट बेचे जा रहे हैं। इसके लिए बकायदा कॉलोनाइजरों ने बोर्ड लगा रखे हैं। इसमें से किसी ने भी न तो टीएनसीपी से और न ही नगर निगम से अनुमति ली है। हुजूर से बैरसिया तक काटे जा रहे अवैध प्लाट जिले की हुजूर तहसील से लेकर बैरसिया तक भूमाफिया अवैध कॉलोनियों में जमकर प्लाट बेच रहे हैं। यहां पर भोपाल बायपास से लगे नगर निगम सीमा के पास वाले ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलोनियों काटी गई हैं, जिनमें से किसी के पास भी अनुमतियां नहीं हैं। लांबाखेड़ा से लेकर बैरसिया तक 35 किलोमीटर के मार्ग पर कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस तरह लोगों को फंसा रहे भूमाफिया लोगों को फंसाकर अवैध कॉलोनियों में प्लाट बेचने के लिए भूमाफिया नए-नए तरीके अपना रहे हैं। यह विकसित कॉलोनियों की तर्ज पर कवर्ड कैंपस बनाकर दे रहे हैं। वो जमीन के चारों तरफ बाउंड्री बनाते हैं। इसके बाद रोड, बिजली के पोल व सीवेज लाइन बिछाते हैं। ऐसे में जब कोई व्यक्ति प्लाट लेने आता है, तो वो यह देखकर आकर्षित हो जाता है। ऐसी एक-दो नहीं, करीब 50 से अधिक अवैध कॉलोनियां बन रही हैं। हालांकि, एक बार कॉलोनी में प्लाट बेचने के बाद तथा कथित बिल्डर कभी वहां पलटकर नहीं देखते हैं। एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जिले में अवैध कॉलोनियों को चिह्नित कर कार्रवाई करने के निर्देश सभी एसडीएम को दिए गए हैं। पिछले महीनों में अवैध कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद जिन कॉलोनाइजरों ने दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं, उन पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।  -कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर

नगर निगम की बड़ी पहल: अवैध कॉलोनियां हुईं नियमित, विकास शुल्क वसूली अभी भी चुनौती

 इंदौर  इंदौर नगर निगम शहर की अवैध कॉलोनियों को नियमित तो कर रहा है, लेकिन इन कॉलोनियों के रहवासियों से विकास शुल्क वसूलने का उसके पास कोई सिस्टम ही नहीं है। हालत यह है कि निगम अब तक 150 से ज्यादा कॉलोनियों को नियमित कर चुका है, लेकिन विकास शुल्क किसी भी कॉलोनी का जमा नहीं हुआ। दरअसल जिन कॉलोनियों को नियमित किया गया है, उनमें से ज्यादातर पहले से विकसित हैं। उनमें बिजली, पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध है। ज्यादातर भूखंडों पर बगैर नक्शा पास कराए निर्माण भी हो चुका है। सवाल उठ रहा है कि ऐसी स्थिति में रहवासी विकास शुल्क क्यों जमा कराएंगे जबकि उनकी कॉलोनी में कोई विकास होना ही नहीं है। नगर निगम का कहना है कि कॉलोनी नियमित होने और विकास शुल्क जमा कराने के बाद रहवासी नक्शा पास कर वैध तरीके से निर्माण कर सकेंगे, लेकिन जो पहले से निर्मित हैं, उनका क्या होगा, इस बारे में निगम मौन है। तीन चरणों में 150 कॉलोनियां हुई नियमित शहर की अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की मुहिम करीब ढाई वर्ष पहले शुरू हुई थी। नगर निगम अब तक तीन चरणों में 150 से अधिक कॉलोनियों को नियमित कर चुका है। कॉलोनियों को नियमित करने के एवज में रहवासियों को एक निश्चित विकास शुल्क नगर निगम में जमा कराना था। यह राशि पांच रुपये वर्गफीट से लेकर 150 रुपये वर्गफीट तक है। इस राशि को जमा कराने के लिए कोई सिस्टम ही नगर निगम ने नहीं बनाया। कॉलोनी नियमित करते हुए बताया गया था कि इसके बाद नक्शे पास हो सकेंगे, निर्माण के लिए बैंकों से ऋण मिल सकेगा, लेकिन समस्या यह है कि नियमित हुई ज्यादातर कॉलोनियों में पहले ही से मकान बने हुए हैं। इतना ही नहीं, इन कॉलोनियों में सड़क, पानी और बिजली की सुविधा भी पहले से उपलब्ध है। कुल मिलाकर देखें तो ये कालोनियां पहले से विकसित हैं। इन्हें अतिरिक्त विकास की कोई आवश्यकता ही नहीं है। ऐसे में इन कॉलोनियों के रहवासी निगम में विकास शुल्क क्यों जमा कराएंगे, इसका कोई जवाब निगम के पास नहीं है। अवैध से नियमित की गई किसी भी कॉलोनी के शत-प्रतिशत रहवासियों ने अब तक निगम में विकास शुल्क जमा नहीं कराया है। समझाने का प्रयास करेंगे     कॉलोनियों से विकास शुल्क जमा हो जाए, इसके लिए सिस्टम बनाएंगे। एक तय समय सीमा में विकास शुल्क जमा नहीं होने की स्थिति में कॉलोनी को नियमित करने के निर्णय पर पुनर्विचार का प्रस्ताव भी करेंगे। रहवासियों को यह बात समझाने का प्रयास करेंगे कि विकास शुल्क जमा करने का फायदा उन्हीं को मिलेगा। – राजेश उदावत, कॉलोनी सेल प्रभारी, नगर निगम इंदौर