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छठ पर्व की शुरुआत पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने दी बधाई, कहा—छठी मैया सबकी मनोकामना पूर्ण करें

रांची झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लोगों को लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना पूजा पर शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल गंगवार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, 'लोक आस्था और सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के द्वितीय अनुष्ठान ‘खरना' की सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक शुभकामनाएं। छठी मैया और भगवान भास्कर की कृपा से हर घर में सुख, शांति और समृद्धि का प्रकाश फैले, यही मंगलकामना बहै।' वहीं, मुख्यमंत्री सोरेन ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, 'लोक आस्था और सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा का अनुष्ठान, लोक-आस्था, आत्म-संयम, समर्पण और शुद्धता का अछ्वुत प्रतीक है। यह पर्व हमें प्रकृति, जल, सूर्य, परिवार और समाज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की प्रेरणा देता है। छठ व्रतियों की तपस्या, श्रद्धा और संकल्प पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। मैं सभी छठ व्रतियों और परिवारजनों के इस अछ्वुत आत्मबल को नमन करता हूं। छठी मैया और भगवान भास्कर से प्रार्थना करता हूं कि वे सभी को उत्तम स्वास्थ्य, सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें, आपकी मनोकामना पूर्ण करें। आप सभी को खरना पूजा की अनेक-अनेक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार। जय छठी मैया! जय भगवान भास्कर!'  

छठ पर्व का पहला चरण: खरना पर आम की लकड़ी से बनता है प्रसाद, जानें वजह

छठ पूजा का महापर्व आज से शुरू हो गया है. आज छठ पूजा का पहला दिन है. आज नहाय-खाय है. 28 अक्टूबर को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही ये महापर्व संपन्न हो जाएगा. छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. ये कल मनाया जाने वाला है. खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाए जाने की परंपरा है. ये प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है. इतना ही नहीं प्रसाद बनाने के लिए चूल्हे में लगाने के लिए सिर्फ आम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है. किसी दूसरी लकड़ी से यह प्रसाद नहीं बनाया जाता, लेकिन ऐसा करने के पीछे की वजह क्या है? आइए जानते हैं इसके पीछे की परंपरा और धार्मिक कारण. खरना का महत्व छठ का दूसरा यानी खरने के दिन का खास महत्व धर्म शास्त्रों में बताया गया है. खरना का अर्थ होता है. ‘शुद्धता’. खरने के दौरान व्रतियों के द्वारा स्वच्छता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है. मान्यताओं के अनुसार, वो खरने का दिन होता है, जब छठी का घर में प्रवेश होता है. खरना का दिन पूर्ण रूप से भक्ति और समर्पण का माना जाता है. इस दिन सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद मिलता है. प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ी का उपयोग क्यों? खरना की शाम मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है. इस चूल्हे में आम की लकड़ियां उपयोग की जाती हैं. आम की लकड़ी शुद्ध और सात्विक मानी जाती है. मान्यता है कि आम की लकड़ी छठी मैया को बहुत प्रिय है, इसलिए छठ के अवसर पर प्रसाद बनाने के लिए आम की लकड़ियों का उपयोग होता है. इस लकड़ी से प्रसाद बानने पर घर में सकारात्मक उर्जा आती है. खरना की विधि     खरना के दिन व्रती महिलाओं द्वारा मिट्टी के नए चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है.     ये खीर पीतल के बर्तन में गुड़, चावल और दूध से तैयार की जाती है.     साथ ही गेहूं के आटे से बनी रोटी, पूड़ी या ठेकुआ बनाया जाता है.     इस खीर का भोग छठी मैया को लगता है.     इसके बाद इसे सभी लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.     फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है.