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PM मोदी को भेंट किए गए 108 नदियों के जल कलश, प्रहलाद पटेल की बेटी ने खुद बनाए बॉक्स

भोपाल  मध्य प्रदेश की राजधानी में उस वक्त राजनीतिक हलचल तेज हो गई जब राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री अचानक दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह खबर फैलते ही कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जाने लगे। हालांकि, मंत्री के एक ट्वीट ने कुछ ही देर में सभी अटकलों पर विराम लगा दिया और मुलाकात की असली वजह साफ हो गई। पीएम को भेंट की परिक्रमा-कृपा सार मध्य प्रदेश के पंचायत, ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास जाकर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उनकी यह मुलाकात कोई राजनीतिक चर्चा या मंत्रिमंडल से संबंधित नहीं थी। बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भेंट थी। मंत्री प्रहलाद पटेल ने पीएम मोदी को अपनी पुस्तक परिक्रमा-कृपा सार भेंट की, जो उनके मां नर्मदा परिक्रमा के अनुभवों और अनुभूतियों पर आधारित है। यह पुस्तक उनके दो वर्षों के गहन श्रम और साधना का परिणाम है। 108 नदियों के जल कलश किए भेंट  पुस्तक के साथ-साथ, मंत्री पटेल ने 108 नदियों के उद्गम स्थलों से संकलित पवित्र जल का एक संग्रह भी एक विशेष अखरोट के डिब्बे में प्रधानमंत्री को भेंट किया। उन्होंने एक्स पर बताया कि यह मुलाकात सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और समर्पण की भावनाओं से ओतप्रोत एक आध्यात्मिक संगम बन गई। 108 नदियों का पवित्र जल पटेल ने प्रधानमंत्री को 108 नदियों के उद्गम स्थानों से भरा पवित्र जल भी एक विशेष अखरोट के डिब्बे में अर्पित किया. इसे उन्होंने अपनी 'उद्गम मानस यात्रा' के दौरान एकत्रित किया था. यह भेंट भारतीय जल संस्कृति और नदियों के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाती है. प्रधानमंत्री मोदी ने श्री पटेल के इस आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक प्रयास की सराहना की और उनके समर्पण को प्रेरणादायक बताया. प्रधानमंत्री को भेंट करने से पहले, इस पुस्तक का विमोचन 14 सितंबर, 2025 को 'हिंदी दिवस' के अवसर पर इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने किया था. प्रधानमंत्री को यह ग्रंथ भेंट किया जाना इसे अब राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दे रहा है. भेंट के बाद, श्री पटेल ने अपने 'एक्स' हैंडल पर लिखा कि यह मुलाकात मात्र एक औपचारिकता नहीं, बल्कि "श्रद्धा, संस्कृति और समर्पण की भावनाओं से ओतप्रोत एक आध्यात्मिक संगम बन गई." मंत्री की बेटी ने बनाया अखरोट की लड़की का बॉक्स मंत्री प्रहलाद पटेल ने 2024 और 2025 में एमपी से निकलने वाली 108 नदियों के उद्गम स्थलों की यात्रा की। इस दौरान नदियों के उद्गम स्थलों से भरे गए जल कलशों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करने के लिए मंत्री पटेल की आर्किटेक्ट बेटी फलित सिंह पटेल ने खुद एक बॉक्स तैयार कराया। इस बॉक्स में कांच की शीशियों में 108 नदियों के उद्गमों का जल भरा गया। इस बॉक्स के कवर पर नदियों के उद्गम स्थलों का मैप और अंदर नदियों के उद्गमों के नाम लिखे गए हैं। मंत्री बोले- दो साल में 108 नदियों के उद्गम की यात्रा की मंत्री प्रहलाद पटेल ने बताया कि यह पुस्तक उनके दो सालों की मेहनत और साधना का परिणाम है। उन्होंने दो बार नर्मदा परिक्रमा की है। उसी अनुभव, आस्था व तपस्या को इस पुस्तक में समर्पित भाव से संजोया है।यह पुस्तक न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति में नदियों और परिक्रमा की परंपरा का भी जीवंत दस्तावेज है। पीएम ने पटेल के आध्यात्मिक प्रयास की तारीफ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री प्रहलाद पटेल के इस आध्यात्मिक प्रयास की तारीफ की और उनके समर्पण को प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि 'परिक्रमा कृपा सार' केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि मातृ नर्मदा और भारत की जल संस्कृति के प्रति श्रद्धा का साकार रूप है। मोहन भागवत ने किया था किताब का विमोचन प्रहलाद पटेल की पुस्तक का विमोचन पिछले महीने 14 सितंबर को 'हिंदी दिवस' पर इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया था।

मायका सूना: 32 नदियों का निरीक्षण करने गए मंत्री प्रहलाद पटेल को केवल 7 में पानी मिला

भोपाल  मध्यप्रदेश में 962 छोटी और बड़ी नदियां हैं, जिनका उद्गम स्थल इस प्रदेश में है। इसलिए इसे नदियों का मायका कहा जाता है। लेकिन अब इन नदियों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सरकार भी इस समस्या को लेकर चिंतित है। पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल पिछले दो साल से इन नदियों के उद्गम स्थलों का दौरा कर रहे हैं ताकि इस समस्या का समाधान ढूंढ सकें। प्रहलाद पटेल ने दो बार नर्मदा परिक्रमा की है। साथ ही, उनके पास नर्मदा के संरक्षण का 35 साल का अनुभव है। इस अनुभव से प्रेरित होकर उन्होंने एक किताब लिखी है। इसका नाम है परिक्रमा कृपा सार। इस किताब का विमोचन 14 सितंबर को इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत करेंगे। एक महीने में 32 नदियों किया दौरा     इसके बाद यह सवाल किए जाने पर कि पिछले साल उद्गम की यात्रा में कैसा अनुभव रहा? इस पर पटेल ने साफ कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और मैंने बेतवा के उद्गम से शुरुआत की थी। एक महीने में 32 नदियों के उद्गम पर गए। हमें 7 जगह ही पानी मिला और बाकी जगह सूखा था। यह चिंता का विषय था। फिर 30 जून आ गया। चाहकर भी कुछ कर नहीं पाए। हम सिर्फ इतना निर्णय ही कर पाए कि इस बार पौधरोपण नहीं होगा। मध्य प्रदेश में छोटी-बड़ी 962 नदियों के उद्गम स्थल हैं। इस वजह से प्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है। लेकिन, सरकार नदियों की टूटती सांसों को लेकर चिंतित है। मप्र के पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल नदियों के उद्गम स्थलों की दो सालों से यात्रा कर रहे हैं। नदियों के उद्गम स्थल पर चर्चा  मंत्री प्रहलाद पटेल अब तक 32 नदियों के उद्गम स्थलों का दौरा कर चुके हैं, लेकिन इनमें से केवल 7 नदियों के उद्गम स्थल पर पानी मिला। इससे यह साफ हो गया है कि कई नदियां सूख रही हैं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार अब नदियों के संरक्षण के लिए एक नई योजना पर काम कर रही है।   मंत्री पटेल की नदियों के उद्गम स्थलों की यात्रा पर एक नजर     प्रहलाद पटेल ने अब तक 32 नदियों के उद्गम स्थलों का दौरा किया, जिनमें से केवल 7 स्थानों पर पानी मिला, बाकी जगह सूखा था।     मंत्री पटेल ने बताया कि जब जल गंगा अभियान शुरू हुआ, तब उन्हें राज्य का अनुभव नहीं था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें योजना बनाने का जिम्मा सौंपा।     मंत्री पटेल ने पौधारोपण रोकने का फैसला लिया, क्योंकि पौधों के बचाव के लिए जरूरी सुविधाएं जैसे बाड़ और पानी की व्यवस्था नहीं थी।     पटेल ने नर्मदा परिक्रमा के दौरान अपने गुरुदेव से सीखा कि नदी के संगम और उद्गम स्थल पर जीवन की संभावना होती है, और इनका संरक्षण बेहद जरूरी है।     पटेल का मानना है कि बड़ी नदियाँ तभी बच सकेंगी, जब हम छोटी नदियों को बारहमासी बनाए रखेंगे। पटेल ने रखी अपनी बात मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि जब जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू हुआ, तब मैं राज्य में मंत्री बना। मेरा राज्य का अनुभव नहीं था। मैंने मुख्यमंत्री जी से पूछा कि कार्ययोजना क्या होगी? उन्होंने कहा कि आपके विभाग को ही तय करना है। पटेल ने आगे कहा कि इस अभियान का लक्ष्य बहुत सुंदर है। नए स्त्रोत बनाएं और पुराने स्रोतों की क्षमता का वर्धन करें। नए स्रोतों में खेत तालाब और अमृत सरोवर ही बन सकते हैं। तीसरा कोई विकल्प आपके पास है नहीं। पुराने स्रोतों में कुएं, बावड़ी, तालाब और नदियां हैं। इनकी साफ-सफाई पंचायत के आसपास हैं तो ये काम हम कर सकते हैं। ये काम मैं वर्षों से करता आ रहा हूं। मुझे लगा मंत्री होने के नाते मैं क्या करूंगा। तब मुझे लगा कि हमें नदी के उद्गम से यात्रा शुरू करनी चाहिए। मैं नर्मदा का परिक्रमा वासी हूं। मैं जब परिक्रमा में था और जब नदी का संगम होता था तो मेरे गुरुदेव कहते थे कि एक किलोमीटर ऊपर चलो उस नदी को पार करेंगे फिर वापस आओ और फिर नर्मदा जी के किनारे चलेंगे। गुरू आज्ञा थी इसलिए ज्यादा बुद्धि नहीं लगाई। इस दौरान एक जगह सूखा नाला मिला। मैं अंदर घुसने लगा तो मेरे गुरुदेव ने इशारा किया। हम ऊपर की तरफ गए। फिर डेढ़ किलोमीटर वापस नीचे आए। गर्मी बहुत थी। तीन किलोमीटर ज्यादा चले तो मन खराब हुआ। मैने रात में सेवा करते समय गुरु जी से पूछ ही लिया कि जब पानी नहीं था तो इतना परेशान क्यों किया। मैं तो बहुत परेशान था। वो उठकर बैठे और मुझसे कहा: जहां नदी पहाडों या स्त्री पुरुष का संगम हो वहां जीवन की संभावना होती है उसको रौंदने की गलती मत करना। हमें जागने में 30 साल लग गए मंत्री पटेल ने कहा: मेरे गुरु जी ने कहा और जहां नदी का उद्गम होता है वहां सर्वाधिक ऊर्जा होती है। उद्गम किसी मनुष्य ने नहीं बनाया। उद्गम पहले से था उसके किनारे जीवन आया। उद्गम छोटा हो या बड़ा हो। ये बात 1994-95 की थी आज 2025 चल रहा है। हमको भी जगने में 30 साल लग गए। अब बाद में कई बातें ध्यान में आतीं हैं लोग संगम पर स्नान करने जाते हैं। संगम पर साधना करने जाते हैं अपने आश्रम बनाते हैं। लेकिन, क्यों करते हैं कभी इस पर बहस नहीं हुई। तब मुझे लगा कि बड़ी नदियां जैसे नर्मदा को मैने बचपन से देखा है उसका अस्तित्व तब तक है जब तक हम छोटी नदियों को बारहमासी रखेंगे। मंत्री पटेल ने साझा किया अपना अनुभव मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि वह नर्मदा नदी परिक्रमा में शामिल थे। जब वह परिक्रमा करते थे और नदी का संगम आता था, तो उनके गुरुदेव उन्हें कहते थे कि एक किलोमीटर ऊपर चलो, उस नदी को पार करो, फिर वापस आओ और नर्मदा जी के किनारे चलो। गुरुदेव की आज्ञा मानकर उन्होंने ज्यादा सोचे बिना यह किया। एक दिन, जब वह एक सूखे नाले के पास पहुंचे, तो वह अंदर जाने लगे, लेकिन उनके गुरुदेव ने उन्हें इशारा किया। फिर वे … Read more