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शॉकिंग अपडेट! पंजाब में पेंशन बंद होने वाले लोगों की सूची जारी

गिद्दड़बाहा पराली जलाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए गिद्दड़बाहा के एस.डी.एम. ने किसानों के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि जो किसान पराली जलाते हुए पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ न केवल मुकदमा दर्ज किया जाएगा, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों की पेंशन और अन्य सरकारी सुविधाएं भी रोक दी जाएंगी। सूत्रों के अनुसार, एस.डी.एम. ने स्पष्ट किया कि पराली जलाने वाले किसानों के परिवार का कोई भी व्यक्ति सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकेगा। इस संबंध में आंगनवाड़ी वर्करों को भी विशेष ड्यूटी दी गई है, जो घर-घर जाकर किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ स्थिति की रिपोर्ट भी तैयार करेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से बार-बार पराली न जलाने की अपील की जा रही है, लेकिन फिर भी कुछ किसान आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। अब ऐसे मामलों में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी। खास बात यह है कि गिद्दड़बाहा सबडिवीजन में आने वाली सभी आंगनवाड़ी वर्करों को इस मुहिम में शामिल किया गया है, ताकि लोगों को पराली जलाने के नुकसान के बारे में जागरूक किया जा सके।  

ऐतिहासिक फैसला: पंजाब सरकार की नई नीति से लाखों लोगों को मिलेगा फायदा

पंजाब पंजाब सरकार लगातार नागरिकों की भलाई और कल्याण के लिए नई पहलें कर रही है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पंजाब में स्टेट मेंटल हेल्थ पॉलिसी की शुरुआत की गई है। यह घोषणा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर की। इस पहल को मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने और मानसिक विकारों, विशेषकर डिप्रेशन, से निपटने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। नई नीति का मुख्य उद्देश्य लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना और सभी नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है। डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि इस नीति के माध्यम से पंजाब सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने का अधिकार मिले। उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति सरकार की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसमें नागरिकों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि अक्सर मानसिक रूप से प्रभावित व्यक्ति अपनी समस्याओं को अकेले झेलते हैं, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में शामिल किया जाएगा, ताकि जरूरतमंदों को तुरंत और प्रभावी इलाज मिल सके। 

रजिस्ट्री कराने वालों को लगेगा झटका, पंजाब में देना होगा 10,000 रुपए

जालंधर  पंजाब सरकार ने जनता की सहूलियत और तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की कवायद के तहत पूरे राज्य में इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी लागू की थी। शुरूआत में इसे पारदर्शी और सरल व्यवस्था बता कर पेश किया गया था ताकि संपत्ति रजिस्ट्रेशन में आम नागरिकों को राहत मिल सके। लेकिन समय के साथ पॉलिसी में लगातार हो रहे बदलावों ने आमजन के साथ-साथ डीड राइटरों को भी परेशान कर दिया है। सरकार ने अब नया आदेश जारी करते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति आपात स्थिति में अपनी प्री-स्क्रूटनी तुरंत करवाना चाहता है तो उसे 10,000 रुपए का तत्काल शुल्क देना होगा। यह ‘शार्टकट’ के रास्ते वाला शुल्क पंजाब के सभी सब-रजिस्ट्रार और तहसीलदार कार्यालयों में एक समान रहेगा। यानी यदि किसी को अचानक लेन-देन करना है या किसी पारिवारिक/कानूनी आपात स्थिति में रजिस्ट्री तुरंत पूरी करनी है तो अब उसके पास 10 हजार रुपए देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। जनता का सवाल: सहूलियत या मजबूरी का फायदा? सरकार के इस नए फरमान ने आम लोगों में असंतोष की लहर पैदा कर दी है। लोग खुले तौर पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह कदम सहूलियत देने के लिए उठाया गया है या फिर जनता की मजबूरी का फायदा उठाने का तरीका है? प्रॉपर्टी कारोबारी जसविंदर सिंह का कहना है कि "सरकार ने भ्रष्टाचार खत्म करने और लोगों को राहत देने के नाम पर इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी लागू की थी। लेकिन अब 10 हज़ार रुपए का आपात शुल्क लगाकर उन्हीं लोगों की जेब पर बोझ डाला जा रहा है। यह सहूलियत नहीं, मजबूरी का फायदा उठाना है।" जिला कांग्रेस के उपप्रधान दीपक मोदी ने कहा कि "हर किसी के पास इतनी बड़ी रकम तुरंत देने की क्षमता नहीं होती। सरकार को गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए राहत का रास्ता निकालना चाहिए, न कि उन्हें और मुश्किलों में धकेलना चाहिए।"   पंजाब सरकार ने नया आदेश जारी करते हुए सभी सब-रजिस्ट्रार और तहसीलदार कार्यालयों में नोटिस बोर्ड लगाने को कहा है, जिन पर रजिस्ट्री संबंधी जानकारी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाएगी। इन नोटिस बोर्डों पर अब नागरिक उप-पंजीयक कार्यालय में स्थापित सुविधा केंद्र से मात्र 550 रुपए शुल्क देकर अपनी रजिस्ट्री लिखवा सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा नियुक्त वकील और सेवानिवृत्त पटवारी/कानूनगो दस्तावेज़ तैयार करेंगे। दस्तावेज़ लिखने के बाद उन्हें पूर्व-जांच (प्री-स्क्रूटनी) के लिए उप-पंजीयक के पास भेजा जाएगा। इस चरण में किसी स्टाम्प पेपर या सरकारी शुल्क की आवश्यकता नहीं होगी और पक्षकारों को तहसील भी नहीं आना पड़ेगा। पूर्व-जांच एफ.आई.एफ.ओ. (फीफो) सिद्धांत के आधार पर की जाएगी। सही पाए गए मामलों की सूचना संबंधित पक्षकारों को शाम 7 बजे व्हाट्सएप पर भेज दी जाएगी। इसके बाद नागरिक ऑनलाइन शुल्क जमा कर रजिस्ट्री के लिए अप्वाइंटमैंट ले सकते हैं। रजिस्ट्री के दिन सभी पक्षकारों को पहचान पत्र और दस्तावेजों के साथ समय पर उप-पंजीयक कार्यालय पहुंचना अनिवार्य लिखा होगा। पॉलिसी का उद्देश्य और हकीकत इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी का उद्देश्य तहसीलों और सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका को खत्म करना था। वर्षों से यह शिकायतें मिलती रही थीं कि लोग अपने दस्तावेज़ समय पर तैयार कराने के लिए मजबूरी में अतिरिक्त पैसे खर्च करते हैं। हालांकि सरकार ने तकनीकी व्यवस्था और ऑनलाइन सिस्टम लागू कर इस प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की कोशिश की, लेकिन बार-बार होने वाले बदलावों से लोग और अधिक परेशान होते जा रहे हैं। इजी रजिस्ट्रेशन ने उल्टा बढ़ाई उलझनें : एडवोकेट अनूप गौतम वहीं इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी को लेकर सीनियर एडवोकेट अनूप गौतम ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि इस पॉलिसी का उद्देश्य भ्रष्टाचार खत्म करना और जनता को सहूलियत देना था, लेकिन लगातार बदलावों ने प्रक्रिया को आसान बनाने के बजाय और अधिक उलझा दिया है। एडवोकेट गौतम ने कहा कि सरकार को चाहिए कि पॉलिसी में स्थिरता लाई जाए और जनता को राहत देने वाले प्रावधान शामिल किए जाएं। आपात स्थिति में 10,000 रुपए का शुल्क लगाना मजबूर लोगों के साथ अन्याय है और यह उनकी मजबूरी का फायदा उठाने जैसा है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिस तरह नागरिक सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में बने सुविधा केंद्र से केवल 550 रुपए शुल्क देकर रजिस्ट्री लिखवा सकते हैं, उसी तर्ज पर आपात प्री-स्क्रूटनी के लिए भी शुल्क 1000 से 2000 रुपए के बीच रखा जाना चाहिए, ताकि जनता को सरकार के “रैवेन्यू चाबुक” से राहत मिल सके।

कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, पंजाब सरकार ने उठाया अहम कदम

चंडीगढ़  पंजाब सरकार द्वारा दिव्यांग कर्मचारियों की मुश्किलों को गंभीरता से लेते हुए और उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि अब सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि दृष्टिहीन और शारीरिक रूप से अक्षम दिव्यांग कर्मचारियों को रात की ड्यूटी से छूट दी जाए और किसी भी दिव्यांग कर्मचारी से रात की ड्यूटी न कराई जाए। डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि बीते दिनों दिव्यांग कर्मचारियों के साथ हुई मीटिंगों में दिव्यांग कर्मचारियों के संगठनों द्वारा यह मुद्दा उठाया गया था कि दृष्टिहीन और शारीरिक रूप से अक्षम कर्मचारियों को रात की ड्यूटी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि रात की ड्यूटी के दौरान सुरक्षा और यात्रा संबंधी चुनौतियों को देखते हुए, मानवीय संवेदना और कर्मचारियों के कल्याण की दृष्टि से यह कदम उठाया गया है।