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मध्य प्रदेश में बदलेगा शिकायत निवारण का सिस्टम, अब मुख्य सचिव देखेंगे लंबित मामलों को

 भोपाल
 मुख्यमंत्री (सीएम) हेल्पलाइन की लंबित शिकायतों का शीघ्र समाधान हो, इसके लिए अब संबंधित विभाग के अधिकारी के अलावा लंबित शिकायतें मुख्य सचिव तक पहुंचेंगी। मध्य प्रदेश सरकार एल-4 के बाद अब एल-5 स्तर को भी जोड़ने जा रही है। यहां मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव की निगरानी में लंबित शिकायतों का समाधान होगा।

एल-1 यानी पहले स्तर के अधिकारी को जवाबदेह बनाने के लिए कार्रवाई विवरण भरने के कालम में संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे। इसके अलावा अन्य स्तर पर भी अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर करने का नियम लागू किया जाएगा। सीएम हेल्पलाइन-181 में दर्ज समस्याओं के समाधान में लगातार देरी के बीच राज्य सरकार इसमें यह महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है।

फोर्स क्लोज करने से पहले शिकायतकर्ता को बताना होगा कारण

शिकायतों के निराकरण के लिए एल-1, एल-2, एल-3 व एल-4 हैं। एल-1 से एल-3 तक निराकरण नहीं होता है तो वह एल-4 पर जाती हैं। यहां फिर भी लंबित रहती हैं या उसे फोर्स क्लोज कर दिया जाता है। अब ऐसा करने से पहले एल-5 लेबल पर मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव भी शिकायतों का समाधान करेंगे। इसके अलावा शिकायतकर्ता को यह भी बताना होगा कि उसकी शिकायत को फोर्स क्लोज क्यों किया जा रहा है।

गुजरात मॉडल पर होगा काम

यह पूरी व्यवस्था गुजरात मॉडल पर होगी। इसके लिए मप्र सरकार के अधिकारियों का एक दल गुजरात भेजा गया था। यहां दल ने गुजरात की सीएम हेल्पलाइन की कार्यप्रणाली और निराकरण करने के तरीके व मानीटरिंग सिस्टम को समझा। गुजरात से आए दल ने मध्य प्रदेश की सीएम हेल्पलाइन की विशेषताओं और खामियों का अध्ययन कर रिपोर्ट पेश की थी।

इसमें बताया गया कि एल-1 स्तर पर उचित जिम्मेदारी नहीं होने से शिकायतों के समाधान में देरी होती है। अधिकांश कार्रवाई का विवरण कंप्यूटर आपरेटरों के भरोसे चलता है, जिसमें शिकायत का केवल प्रारंभिक ब्यौरा ही दिया जाता है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही नई व्यवस्था की जा रही है।

यह कार्रवाई अभी प्रस्तावित है

    गुजरात मॉडल की तर्ज पर मध्य प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन की लंबित शिकायतें के निराकरण के लिए एल-5 स्तर को जोड़ा जा रहा है, इसमें मुख्य सचिव तक शिकायतें भेजी जाएगी। यह कार्रवाई अभी प्रस्तावित है, शासन से अनुमति मिलने पर लागू करेंगे। – संदीप आष्ठाना, अवर सचिव, मुख्यमंत्री सचिवालय

 

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