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चौधरी बीरेंद्र सिंह की तीसरी पीढ़ी की राजनीति में एंट्री, पोती कुदरत ने हिसार में पिता की सद्भावना यात्रा में लिया हिस्सा

हिसार

हरियाणा के कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की तीसरी पीढ़ी को राजनीति में लॉन्च करने की तैयारी है। बीरेंद्र सिंह की 24 वर्षीय पोती कुदरत पिता पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा में हिसार के उकलाना में शामिल हुईं। 

कुदरत ने कहा-" मैं अपने पिता को सपोर्ट करने के लिए सद्भावना यात्रा में शामिल हुई। मेरा और छोटे भाई समरवीर (19) का फोकस अभी सिर्फ पढ़ाई पर है।" राजनीति में आने के सवाल पर हंसते हुए कुदरत ने कहा- मैं समय-समय पर अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए उचाना और हिसार में आती रही हूं। विधानसभा चुनाव में उचाना में पापा के लिए प्रचार किया। इससे पहले हिसार लोकसभा चुनाव में प्रचार करने आई।

कुदरत के दादा बीरेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और करीब 5 दशक से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। बीरेंद्र के पिता नेकी राम भी संयुक्त पंजाब में नरवाना से विधायक बनकर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री रहे। उनसे पहले बीरेंद्र के नाना छोटू राम ने तो अंग्रेजों के जमाने में साल 1920 में जमींदारा लीग बनाई थी।

पिता बृजेंद्र सिंह हिसार से रह चुके सांसद बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह 2019 में भाजपा के टिकट पर हिसार से सांसद बने थे। हिसार से रिकॉर्ड वोटों से वह जीते, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते उनका भाजपा से मोह भंग हो गया।

किसान आंदोलन, अग्निवीर और महिला पहलवानों के यौन शोषण जैसे मुद्दों पर उनकी भाजपा से ठन गई। अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदल लिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस से उनको लोकसभा का टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन नहीं मिला।

इसके बाद अक्टूबर 2024 में परिवार की पसंदीदा सीट उचाना कलां से कांग्रेस का टिकट मिला। हालांकि भाजपा के देवेंद्र अत्री से सिर्फ 32 वोट से हार गए। उन्होंने बैलेट वोटों की दोबारा गिनती के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई हुई है।

बीरेंद्र सिंह और पत्नी प्रेमलता पहली बार उचाना से ही लड़े उचाना विधानसभा सीट की हरियाणा की राजनीति में अलग ही पहचान है। यहां से चुने विधायकों ने हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया है। बृजेंद्र सिंह अब हरियाणा की राजनीति में बड़ा रोल अदा करना चाहते हैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता विधानसभा का पहला चुनाव यहीं से लड़े और राजनीति में मुकाम हासिल किया।

बीरेंद्र सिंह 5 बार उचाना से जीतकर हरियाणा विधानसभा में विधायक बने (1977-82, 1982-84, 1991-96, 1996-2000 और 2005-09) और 3 बार हरियाणा में कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने 3 बार सांसद का चुनाव जीता। बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव 1972 में लड़ा और 1972 से 1977 तक वे ब्लॉक समिति उचाना के चेयरमैन रहे।

उन्होंने 1977 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर उचाना कलां निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और देश में कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद, एक बड़े अंतर से सीट जीती। वहीं पत्नी प्रेमलता ने बीजेपी से 2014 में चुनाव लड़ा और दुष्यंत चौटाला को हराकर विधायक बनीं।

हरियाणा में सद्भावना यात्रा निकाल रहे बृजेंद्र सिंह पूर्व IAS अफसर बृजेंद्र सिंह सद्भावना यात्रा के माध्यम से खुद को हरियाणा की राजनीति में स्थापित करने की कोशिश में जुटे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें पिछले दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ओवरसीज विभाग का सह संयोजक बनाया। बृजेंद्र सिंह हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के दावेदार भी थे।

हिसार से सांसद रह चुके बृजेंद्र सिंह खुद को प्रदेशस्तरीय नेता के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ अपने माता-पिता के समर्थकों को भी लामबंद करना चाहते हैं। 6 महीनों में सभी 90 हलकों में जाने का कार्यक्रम है। अब तक 10 हलके कवर किए हैं। आपस में रिश्ते में भाई होने के बावजूद चौधरी बीरेंद्र सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा में हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इस यात्रा के माध्यम से बृजेंद्र सिंह की कोशिश अफसर की छवि से बाहर निकलकर जमीनी नेता दिखाने की है।

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