samacharsecretary.com

तिनका-तिनका उम्मीद: जेल की दीवारों के भीतर उगती नई ज़िंदगी की किरणें

महिला बंदियों ने सीखा संवाद, संवेदना और सपनों को संवारने का हुनर

महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के ज़रिये अपनी ज़िंदगी को कागज़ पर उकेरा

तिनका-तिनका उम्मीद: जेल की दीवारों के भीतर उगती नई ज़िंदगी की किरणें

भोपाल 

कभी टूटी हुई उम्मीदों के सहारे जी रही केन्द्रीय जेल भोपाल की महिलाएं अब सपनों को नया आकार दे रही हैं। केंद्रीय जेल के महिला वार्ड में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में जब इन महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के ज़रिये अपनी ज़िंदगी को कागज़ पर उकेरा, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें गर्व से नम हो गई।

यह कार्यशाला मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग और तिनका-तिनका फाउंडेशन के सहयोग से “टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से सुधार और व्यक्तित्व विकास” विषय पर आयोजित की गई थी। कार्यशाला में महिला बंदियों ने न सिर्फ संवाद के गुर सीखे बल्कि आत्मविश्लेषण, सुधार और एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर होने का संकल्प भी लिया।

बहुत कुछ सीखा मैंने यहाँ

56 वर्षीय पुतलीबाई, जो कभी अनपढ़ थीं, आज अख़बार पढ़ती हैं, टीवी समाचार देखती हैं और चित्र बनाना जानती हैं। भावुक होकर उन्होंने कहा,“मेरा जीवन बहुत कठिन था। लेकिन यहां मैंने पढ़ना, चित्र बनाना और अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानना सीखा है। परिवार में औरत की ज़िंदगी कहीं ज़्यादा कठिन होती है। यहां मुझे आज़ादी महसूस होती है।”

“मैं फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती हूं”

कल्पना, जो किन्नर समुदाय से हैं, ने कहा “बाहर हमारे साथ भेदभाव होता है, यहां नहीं। यहां पढ़ाई की, कुछ नया करने की प्रेरणा मिली। अब मैं बाहर जाकर फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती हूं।”

 “खेतों में मेहनत करूंगी, बच्चों को पालूंगी”

सुनीता बाई ने अपने भीतर के पश्चाताप को शब्द दिए “मुझसे गलती हुई, उसका पछतावा है। यहां रहकर मैंने बागवानी सीखी है। अब बाहर जाकर खेती करूंगी और अपने बच्चों का पालन-पोषण करूंगी।”

कला और शब्दों से उभरे भाव

कार्यशाला में महिलाओं ने “जेल में सपना”, “जेल में उत्सव”, “जेल में रेडियो” जैसे विषयों पर चित्र बनाकर अपने मन की स्थिति को व्यक्त किया।

हर बंद दरवाज़े के पीछे खुलती है एक उम्मीद की खिड़की

कार्यक्रम की सूत्रधार और तिनका-तिनका फाउंडेशन की अध्यक्ष सुवर्तिका नंदा ने कहानियों और संवाद के ज़रिए महिलाओं को संदेश दिया कि “हर परिस्थिति में डटे रहना ही असली नारी शक्ति है। सीखते रहना, आगे बढ़ते रहना ही जीत है।”

सतत कौशल विकास की प्रतिबद्धता

राज्य महिला आयोग के सदस्य सचिव सुरेश तोमर ने बताया कि महिला बंदियों के लिए आयोग द्वारा कौशल विकास के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और आगे भी प्रदेश में इन्हें विस्तारित किया जाएगा। कार्यशाला में डीआईजी जयपटेल, जेल अधीक्षक राकेश भांगरे, और आनंद विभाग के संचालक प्रवीण गंगराड़े भी उपस्थित रहे। यह आयोजन सिर्फ एक कार्यशाला नहीं, बल्कि उन ज़िंदगियों की कहानी है जो तिनका-तिनका जोड़कर खुद को फिर से गढ़ रही हैं। जहां दीवारें हैं, वहीं नए रास्ते भी हैं। जहां सज़ा है, वहीं पुनर्जन्म भी।

 

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here