samacharsecretary.com

राकेश किशोर की मुश्किलें बढ़ीं: CJI पर हमला मामले में कोर्ट ने दिया हरी झंडी

नई दिल्ली 
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश करने वाले राकेश किशोर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने गुरुवार को जूताकांड में राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाने की अपनी मंजूरी दे दी है। भगवान विष्णु पर सीजेआई गवई की टिप्पणी से नाराज राकेश किशोर ने छह अक्टूबर को उन पर भरी कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश की थी। हालांकि, बाद में सीजेआई ने उन्हें माफ करते हुए कोई भी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। अटॉर्नी जनरल द्वारा अवमानना की मंजूरी दिए जाने की बात की जानकारी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तब दी, जब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने इस मामले को उठाया। कोर्ट की अवमानना क नियम सेक्शन 15 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के खिलाफ इसकी कार्रवाई शुरू किए जाने से पहले अटॉर्नी जनरल की मंजूरी की जरूरत होती है। सीजेआई गवई पर जूता फेंकने के मामले में अटॉर्नी जनरल की ओर से यह मंजूरी दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की थी और एजी वेकंटरमणी को पत्र लिखा था। विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को कल लिस्ट करने की मांग की। उन्होंने लिखा, ''जूता फेंकने के मामले को ऐसे ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। राकेश किशोर को जूता फेंकने पर कोई पछतावा नहीं है। मैंने अटॉर्नी जनरल से मंजूरी मांगी थी और इसे कल लिस्ट किया जा सकता है। सोशल मीडिया इस मामले में पागल हो गया है।'' सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस मामले को गंभीर बताया है।

उन्होंने कहा, ''राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए एजी द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। संस्था की ईमानदारी दांव पर है। कुछ कार्रवाई की जरूरत है।'' हालांकि, इतना सब सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस घटना को जाने देना ही सबसे बेहतर होगा। मेहता और सिंह ने अदालत से सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री पोस्ट करने पर रोक से संबंधी आदेश पारित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि हर तरह की अपमानजनक टिप्पणियां की जा रही हैं। पीठ ने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार दूसरों की गरिमा की कीमत पर नहीं हो सकता है। इसने सोशल मीडिया की अनियमित प्रकृति के दुष्प्रभावों की ओर इशारा किया और कहा, ‘‘हम सामग्री के उत्पाद और उपभोक्ता दोनों हैं’’। हालांकि, कोर्ट ने मामले की कल मामले की सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं किया है। जस्टिस कांत ने कहा, ''देखते हैं एक हफ्ते में क्या होता है और भी बिकने वाली चीजें पढ़ेंगे।'' वहीं, जस्टिस बागची ने कहा कि शायद छुट्टियों के बाद कुछ और बिकने वाली चीजें सामने आएंगी।

प्रधान न्यायाधीश पर जूता फेंकने के प्रयास की यह अभूतपूर्व घटना छह अक्टूबर को हुई। उस दिन सुबह करीब 11:35 बजे अदालत कक्ष संख्या-एक में 71-वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर ने अपने जूते उतारकर उन्हें प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर फेंकने का प्रयास किया। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी अधिवक्ता को तुरंत हिरासत में ले लिया। अदालती कार्यवाही के दौरान हुई इस घटना से अविचलित प्रधान न्यायाधीश ने अदालत के अधिकारियों और अदालत कक्ष में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से इसे नजरअंदाज करने और राकेश किशोर नामक दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ देने को कहा।

 

Leave a Comment

हम भारत के लोग
"हम भारत के लोग" यह वाक्यांश भारत के संविधान की प्रस्तावना का पहला वाक्य है, जो यह दर्शाता है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है और उनकी शक्ति का स्रोत है. यह वाक्यांश भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और लोगों की भूमिका को उजागर करता है.
Click Here
जिम्मेदार कौन
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here
Slide 3 Heading
Lorem ipsum dolor sit amet consectetur adipiscing elit dolor
Click Here