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कल मनाई जाएगी वामन जयंती: जानें व्रत-पूजन की विधि और महत्व

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन देव की जयंती मनाई जाती है. यह पर्व इस साल 4 सितंबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लेकर राजा बलि के अभिमान का अंत किया था और उन्हें मोक्ष प्रदान किया था. इस दिन भगवान वामन की पूजा और व्रत करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वामन जयंती के दिन विशेष पूजा, व्रत और दान का विधान है.

शुभ मुहूर्त और तिथि

पंचांग के अनुसार, वामन जयंती की द्वादशी तिथि 4 सितंबर 2025 को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 5 सितंबर को सुबह 4 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी. इस दौरान श्रवण नक्षत्र भी रहेगा, जो 4 सितंबर को रात 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 5 सितंबर को रात 11 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगा. द्वादशी तिथि 4 सितंबर को पूरे दिन रहेगी, इसलिए इसी दिन वामन जयंती का पर्व मनाया जाएगा.

वामन जयंती की पूजन विधि
वामन जयंती के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के पूजा स्थल को साफ कर भगवान वामन या भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें और वामन देव से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें. वामन देव की प्रतिमा का पंचामृ से अभिषेक करें. भगवान वामन को पीले वस्त्र, पीले फूल, चंदन, तुलसीदल और नैवेद्य अर्पित करें. पूजा में दही और मिश्री का भोग अवश्य लगाएं. पूजा के दौरान वामन जयंती की कथा सुनें या पढ़ें. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, विशेषकर “ॐ नमो भगवते वामनाय” मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है. आखिर में धूप, दीप जलाकर भगवान वामन की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें.

धार्मिक मान्यताएं और महत्व
वामन जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह पर्व भगवान विष्णु के वामन अवतार की महिमा को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने राजा बलि के अहंकार को समाप्त कर तीनों लोकों को वापस देवताओं को दिलाया. यह पर्व हमें सिखाता है कि अहंकार का अंत निश्चित है. राजा बलि को भगवान वामन ने अपनी लीला से यह ज्ञान दिया कि किसी भी शक्ति या संपत्ति पर घमंड नहीं करना चाहिए.वामन जयंती दान के महत्व को भी दर्शाती है. इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है. इस प्रकार, वामन जयंती का पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमें जीवन में विनम्रता, त्याग और दान के महत्व का भी स्मरण कराता है.

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