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झांतल का विश्वनाथ धाम: आस्था की गहराइयों में डूबा एक दिव्य तीर्थ

भीलवाड़ा

जिले के शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र के झांतल गांव में स्थित विश्वनाथ महादेव मंदिर श्रावण मास के चलते इन दिनों शिवभक्तों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। तालाब के बीच खंभों पर बने इस भव्य मंदिर में भगवान विश्वनाथ साल के छह महीने जल के बीच विराजमान रहते हैं। सावन के इस पावन महीने में श्रद्धालुओं का मंदिर में दिनभर आना-जाना बना रहता है और जलाभिषेक तथा दुग्धाभिषेक की धूम मची रहती है। वर्ष भर में सावन के अंतिम सोमवार, शिवरात्रि व वैशाख शुक्ल पंचमी यहां तीन बड़े कार्यक्रम होते हैं।

यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि क्षेत्र का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। बनेड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाले इस मंदिर की शाहपुरा और बनेड़ा मुख्यालय से दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। झांतल गांव बल्दरखा ग्राम पंचायत में आता है, जहां करीब 350 घरों की बस्ती है और सभी समाज के लोग यहां निवास करते हैं। सभी परिवारों में मंदिर के प्रति विशेष आस्था देखने को मिलती है। मन्दिर निर्माण में एक मुस्लिम कारीगर के होने और मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में उसकी भागीदारी तय होने से अब यह सांप्रदायिक सद्भाव का केंद्र बन गया है।

झांतल विश्वनाथ महादेव मंदिर की स्थापना 22 अप्रैल 1996 को हुई थी। इसका निर्माण दो वर्ष तक चला। मंदिर का संचालन मोहनलाल शर्मा के नेतृत्व में गठित आठ सदस्यों वाले ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। यहां पहले एक छतरी बनाई गई थी, जिसमें अब राधा-कृष्ण की मूर्तियां विराजमान हैं। उसके सामने दूसरी छतरी में मां सिद्धेश्वरी देवी की प्रतिष्ठा की गई है। इन दोनों छतरियों के मध्य आंगन छोड़ते हुए शिवलिंग के रूप में भगवान विश्वनाथ महादेव अपने पूरे परिवार सहित प्रतिष्ठित किए गए हैं। विशेष बात यह है कि मंदिर में प्रवेश के लिए 210 फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा खंभों पर बना पुल बनाया गया है। यह पुल श्रद्धालुओं को तालाब के बीच स्थित मंदिर तक पहुंचाता है। वहीं मंदिर भी तालाब में खंभों पर खड़ा किया गया है। तालाब की भराव क्षमता 13 फीट है। बरसात के दिनों में यह तालाब पूरा भर जाता है और आसपास की लगभग 600 बीघा भूमि की सिंचाई भी इसी तालाब से होती है।

श्रावण मास के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों का आयोजन होता है। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। हर सोमवार और हरियाली अमावस्या के दिन यहां विशेष भीड़ देखने को मिलती है। दूर-दराज के इलाकों से भी लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के मनोरम दृश्य और तालाब के बीच बने मंदिर की छटा हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है।

मंदिर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी मोहनलाल शर्मा ने बताया कि हर वर्ष बरसात के मौसम में तालाब 90 प्रतिशत तक भर जाता है और मंदिर का आधा हिस्सा जलमग्न रहता है। सावन के इस महीने में श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं ताकि वे सुरक्षित और सुगम रूप से मंदिर पहुंच सकें। शाहपुरा विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट द्वारा सफाई, पेयजल और सुरक्षा व्यवस्था के भी खास इंतजाम किए जाते हैं। आने वाले दिनों में मंदिर परिसर में और अधिक विकास कार्य किए जाने की योजना है, जिसमें श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था, प्रसाद वितरण केंद्र और पार्किंग सुविधा शामिल है। झांतल विश्वनाथ महादेव मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और आकर्षण देखकर यह स्पष्ट है कि यह मंदिर भीलवाड़ा जिले ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के प्रमुख शिवालयों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। श्रावण मास के इस पावन अवसर पर मंदिर में उमड़ती भीड़ और गूंजते जयकारे इस बात के साक्षी हैं कि भगवान विश्वनाथ की महिमा आज भी जीवित है और लोगों के दिलों में गहराई से बसी हुई है।

 

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