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डीएवीवी में दाखिले की प्रक्रिया शुरू, CUET-UG काउंसलिंग के लिए आज से फॉर्म भरें

इंदौर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) में सीयूईटी-यूजी की काउंसलिंग को लेकर प्रक्रिया शुरू होगी। आज से विद्यार्थी आवेदन कर सकेंगे। पंजीयन के लिए आठ दिन का समय दिया गया है। आवेदन प्राप्त होने के बाद विद्यार्थियों को च्वाइंस फिलिंग करना होगा। यह अगस्त पहले सप्ताह में रखी गई है। फिर विद्यार्थियों की मेरिट और रैंक बनाई जाएगी। उसके आधार पर आनलाइन काउंसलिंग में विद्यार्थियों को सीटें आवंटित होंगी। बता दें कि जुलाई पहले सप्ताह में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने सीयूईटी पीजी का परिणाम घोषित किया है। करीब 13 लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। यह डेटा एनटीए की तरफ से विश्वविद्यालय को तीन दिन पहले मिल गया है। अधिकारियों के मुताबिक 13 लाख विद्यार्थियों की जानकारी और स्कोर कार्ड मिल गया है, जिसमें एक लाख बीस हजार विद्यार्थियों ने डीएवीवी में दिलचस्पी दिखाई है। सीयूईटी काउंसलिंग में आवेदन करने वाले विद्यार्थियों की मेरिट बनाई जाएगी। यह सूची जुलाई अंतिम सप्ताह तक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जारी की जाएगी।   30 कोर्स की 1470 सीटें विश्वविद्यालय के आइएमस, आइआइपीएस, ईएमआरसी, इकानोमिक्स, स्कूल ऑफ लाइफ साइंस सहित दस विभागों से संचालित 30 पाठ्यक्रम है। बी.काम, बी.ए, बी.फार्मा, बी.सी.ए, बी.ए.एलएलबी, एमबीए-एमटेक इंटीग्रेटेड कोर्स शामिल है। इनकी 1470 से अधिक सीटों पर विद्यार्थियोंं को प्रवेश दिया जाएगा।   काउंसिलिंग 14 से 21 जुलाई तक अगस्त दूसरे सप्ताह में काउंसिलिंग 14 से 21 जुलाई तक आवेदन की प्रक्रिया की जाएगी। इसके बाद विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की मेरिट और रैंक बनाएगी। यह प्रक्रिया भी सात दिन के भीतर पूरी की जाएगी। उसके बाद विश्वविद्यालय ने आनलाइन काउंसलिंग का पहला चरण करवाएगा। संभवत: अगस्त दूसरे सप्ताह में काउंसिलिंग होगी। डीएवीवी के सीयूईटी समन्वयक, डॉ. राजेश शर्मा अगले दो दिन में जारी होगा शेड्यूल एनटीए की तरफ से विद्यार्थियों का डाटा मिलने के बाद काउंसिलिंग के लिए सोमवार से पंजीयन शुरू किए जाएंगे। अगले दो दिनों के भीतर काउंसिलिंग का पूरा शेड्यूल जारी किया जाएगा।

आईआईटी इंदौर का कमाल: पांच छात्रों को मिला करोड़ों का ऑफर

इंदौर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर से बैचलर ऑफ टेक्नोलाजी (बीटेक) करने वाले पांच छात्रों को एक-एक करोड़ रुपये से अधिक के सालाना पैकेज पर नौकरियां मिली हैं। संस्थान के इतिहास में यह पहला मौका है, जब बैच के इतने सारे विद्यार्थियों को एक-एक करोड़ रुपये का पैकेज मिला है। इन्हें आईटी सेक्टर की कंपनियों ने जाब ऑफर किए हैं। खास बात यह है कि पिछले साल आईटी सेक्टर की स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद आईआईटी के विद्यार्थियों को अच्छे पैकेज पर कंपनियों ने रखा है। संस्थान के मुताबिक बीते साल सिर्फ एक विद्यार्थी यहां तक पहुंचा था, जबकि इस बार न्यूनतम पैकेज में भी बढ़ोतरी हुई है। एक दिसंबर 2024 से संस्थान में प्लेसमेंट का दौर शुरू हुआ है। कंपनियों का कैंपस में आना अभी जारी है। प्लेसमेंट सीजन में 150 से ज्यादा प्रमुख टेक कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) ने हिस्सा लिया है। निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने बताया संस्थान में आने वाली कंपनियों की संख्या में वृद्धि हुई है।   इन क्षेत्रों की कंपनियों ने दिए जॉब कोर इंजीनियरिंग फर्म के अलावा आइटी, आटोमोबाइल, ऊर्जा और पर्यावरण, परामर्श, फिनटेक, बैंकिंग, सेमीकंडक्टर, कंस्ट्रक्शन से कंपनियों ने अधिक जॉब ऑफर दिए हैं। पैकेज में 18 फीसद की वृद्धि बीटेक करने वाले विद्यार्थियों को 500 आफर मिले, जिसमें अभी तक 88 प्रतिशत छात्रों को नौकरियां मिल गई हैं। पिछले वर्ष की तुलना में जाब आफर में उच्चतम सैलरी पैकेज में 18 फीसद की वृद्धि हुई है। पहली बार पांच विद्यार्थियों को एक-एक करोड़ की नौकरियां मिली हैं। औसत सैलरी में भी 13 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह 27 लाख रुपये प्रति वर्ष तक पहुंच गई। क्यूएस रैंकिंग सुधारने में लगेंगे पांच साल विद्यार्थियों को एक-एक करोड़ के जाब आफर जरूर मिले हैं लेकिन आईआईटी इंदौर की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में संस्थान को 556वां स्थान मिला है, जबकि वर्ष 2023 में यह 396वें स्थान पर था। बीते चार साल में रैंकिंग में 160 स्थानों की गिरावट आई है। आईआईटी इंदौर ने 34 देशों के साथ 118 एमओयू किए हैं और यहां तीन हजार से अधिक विद्यार्थी तथा 220 फैकल्टी सदस्य हैं, लेकिन इसके बावजूद यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय मानकों पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाया है। निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने माना है कि समस्या की पहचान हो चुकी है और सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि रिसर्च आउटपुट, पेटेंट और इनोवेशन पर अब विशेष ध्यान दिया जा रहा है। संस्थान ने नई रणनीतियों पर काम शुरू किया है, जिसका असर दिखने में दो से पांच साल का समय लग सकता है। रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना, वैश्विक साझेदारी और छात्र विनिमय कार्यक्रम बढ़ाना इन प्रयासों का हिस्सा है।

राहत की बजाय संकट बनी मेट्रो! भोपाल में लोग परेशान इन 3 वजहों से

भोपाल पुराने शहर के सबसे व्यवस्त मार्गों में से एक बैरसिया पर करोंद चौराहा से सिंधी कालोनी तक मेट्रो की आरेंज लाइन बिछाने का काम किया जा रहा है। मेट्रो का काम करने के लिए कंपनी ने सड़क के बीचों-बीच बेरिकेड्स लगाए हैं, जिनकी वजह से सड़कों की चौड़ाई मुश्किल से 10 फिट की रह गई है। वहीं पसरा अतिक्रमण लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। इस वजह से हर दिन इस मार्ग पर घंटों तक लंबा जाम लग रहा है तो वहीं वर्षा के दौरान कीचड़, गड्ढे, जलभराव ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसके बाद भी मेट्रो प्रबंधन, नगर निगम, पुलिस, प्रशासन व्यवस्थाएं नहीं बना पा रहा है।   मेट्रो के लिए खड़े किए जा रहे हैं पिलर बैरसिया रोड पर मेट्रो की आरेंज रेल लाइन के पिलर खड़े किए जा रहे हैं। जिसके लिए यहां पर बेरिकेड्स लगाकर गड्ढों की खोदाई करने के साथ ही पिलर तक खड़े करने का काम चल रहा है। इस काम के शुरू होते ही कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने नगर निगम, प्रशासन, पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि सड़कों की चौड़ाई यदि कम हो गई है तो अतिरिक्त पट्टी बनाई जाए। सड़क किनारे व फुटपाथ पर पसरे ठेले, दुकानों के अवैध अतिक्रमण को प्रमुखता से हटाया जाए। जिससे वाहनों को आवागमन में समस्या न हो और जाम की स्थिति निर्मित न हो। कलेक्टर के निर्देश पर भी नहीं हुई कोई व्यवस्था कलेक्टर के निर्देश पर भी जिम्मेदार अधिकारी कोई व्यवस्था नहीं बना पाए हैं। नतीजतन इस मार्ग से हर दिन गुजरने वाले एक लाख से अधिक वाहन चालकों को जाम की समस्या से रूबरू होना पड़ रहा है। सड़क खोदाई कर मरम्मत तक नहीं की मेट्रो रेल लाइन के कार्य के दौरान करोंद से लेकर सिंधी कालोनी तक सड़क की खोदाई की गई थी लेकिन इसकी दोबारा से मरम्मत नहीं की गई है। वर्षा के दौरान उखड़ी सड़क पर जलभराव की स्थिति बनती है, गड्ढों से वाहनों को गुजरने में समय लगता है।ऐसे में यह लापरवाही भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती है। अतिक्रमण की बनी परेशानी बीच रास्ते में खड़े रहते हैं ई रिक्शा करोंद चौराहा, डीआइजी बंगला, काजी कैंप और सिंधी कालोनी क्षेत्र में मुख्य सड़क पर जगह कम बची है। इसके बाद भी यहां पर ई रिक्शा, ऑटो और आपे चालक अपना कब्जा जमाए रहते हैं। करोंद चौराहा के चारों तरफ इनका अतिक्रमण है, जिससे दो व चार पहिया वाहनों को निकलने के लिए जगह ही नहीं बचती है। फुटपाथ पर दुकान व ठेले वालों का कब्जा सड़क पर जाम की स्थिति निर्मित न हो इसके लिए अतिरिक्त पट्टी बनाई जानी थी लेकिन कुछ ही जगह बनाई गई थी। यह भी सफल नहीं हुई, क्योंकि करोंद चौराहा से लेकर सिंधी कालोनी तक फुटपाथ पर अवैध दुकानदारों व ठेले वालों ने अपना कब्जा जमा रखा है। वर्षा में उखड़ चुकी है सड़क इन पर पुलिस, प्रशासन, नगर निगम अमले द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। सामांनतर रोड भी खस्ता हाल बैरसिया रोड पर यदि जाम लगता है तो लोग छोला फ्लाईओवर समानांतर रोड से होकर आवागमन कर सकते हैं लेकिन यह भी खस्ता हाल हो गई है। वर्षा में सड़क उखड़ चुकी है तो वहीं दुकानदारों, ठेले वालों ने अतिक्रमण कर रखा है। करोंद मंडी मार्ग होने से इस पर भी जाम लग जाता है। लोग बोले सुबह-शाम रहती है आफत लांबाखेड़ा रहवासी विवेक गौर कहा कहना है कि करोंद चौराहा तक दो पहिया वाहन लेकर जाने से पहले भी सोचना पड़ता है। हालात यह हैं कि इतना लंबा जाम लग जाता है कि जेल रोड तक पहुंचने में ही आधे से एक घंटे तक लग जाते हैं। वहीं करोंद में एडवोकेट कृष्णा शर्मा ने कहा कि मेट्रो का कार्य तेजी से किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदार लोगों ने न तो सड़कें चौड़ी की और न ही इन पर पसरा अतिक्रमण हटाया है। यही कारण है कि आमजन हर दिन परेशान हो रहे हैं।  

उज्जैन का सुपर लीग श्रेणी में सम्मानित होना गर्व का विषय

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि स्वच्छता सर्वेक्षण पुरस्कार में मध्यप्रदेश एक बार फिर से गौरवान्वित होगा। उन्होंने बताया कि आगामी 17 जुलाई को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा मध्यप्रदेश के आठ शहरों को स्वच्छता की विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने इस उपलब्धि पर सभी स्वच्छता कर्मी, नगरीय निकायों के महापौर, अध्यक्ष, पार्षद, अधिकारी और कर्मचारियों सहित नागरिकों को बधाई दी है। सुपर स्वच्छ लीग श्रेणी में इंदौर आठवीं बार होगा सम्मानित मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इंदौर शहर को स्वच्छता के लिए सुपर स्वच्छ श्रेणी लीग में आठवीं बार सम्मानित किया जाएगा। इंदौर पूर्व में सात बार देश के स्वच्छतम शहर का पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। विगत वर्षों में श्रेष्ठ प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाओं के आधार पर स्वच्छ लीग पुरस्कार इस वर्ष इंदौर को दिया जाएगा। उज्जैन को 3 से 10 लाख जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में स्वच्छ लीग पुरस्कार प्राप्त होगा, जो गर्व का विषय है। इसी प्रकार 20 हजार से कम आबादी वाले नगरों की श्रेणी में बुधनी नगर को भी सम्मानित किया जाएगा। देश की सर्वश्रेष्ठ राजधानी के रूप में सम्मानित होगा भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राजधानी भोपाल प्राकृतिक सुंदरता के अलावा स्वच्छता के क्षेत्र में भी आदर्श बना है और इस आधार पर देश की सर्वश्रेष्ठ राजधानी के रूप में सम्मानित होगा। विभिन्न श्रेणियों में ग्वालियर, देवास, शाहगंज और जबलपुर भी पुरस्कृत किए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता का जो संकल्प लिया है, उसमें मध्यप्रदेश कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। उन्होंने प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि स्वच्छता सर्वेक्षण के इस मापदंड के आधार पर अपने घर, मोहल्ले, कॉलोनी और नगर को स्वच्छ रखें और इस आदर्श जीवन शैली को दुनिया के बीच प्रदर्शित करने का प्रयास करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शनिवार को नई दिल्ली से दुबई रवाना होने से पहले यह संदेश प्रदेशवासियों के नाम जारी किया।  

ग्वालियर से श्योपुर तक विस्तार, अगस्त में सबलगढ़ और साल के अंत तक श्योपुर तक पहुंचेगी ट्रेन

ग्वालियर उत्तर मध्य रेलवे द्वारा ग्वालियर-श्योपुर ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट के तहत अगस्त माह में सबलगढ़ तक मेमू ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है। वर्तमान में यह ट्रेन कैलारस तक संचालित हो रही है, जबकि उससे आगे ट्रैक बिछाने और स्टेशनों के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। प्रयागराज स्थित मुख्यालय के अधिकारियों ने हाल ही में इस रूट का निरीक्षण किया है। अब रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) से फाइनल निरीक्षण कराया जाएगा। उनकी हरी झंडी मिलने के बाद अगस्त में मेमू ट्रेन सबलगढ़ तक दौड़ाई जाएगी। सबलगढ़ तक विद्युतीकरण का काम भी तेजी से चल रहा है और इसे जुलाई के अंत तक पूरा करने की संभावना है। श्योपुर तक प्रोजेक्ट में हुई देरी ग्वालियर-श्योपुर ब्रॉडगेज लाइन का पूरा निर्माण कार्य मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। पहले यह काम दिसंबर 2025 तक पूरा होना था, लेकिन अब लक्ष्य बढ़ाकर दिसंबर 2026 कर दिया गया है। वीरपुर तक ट्रैक निर्माण कार्य अगस्त 2025 तक पूरा करने और ट्रेन संचालन शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। ग्वालियर के उप मुख्य अभियंता आकाश यादव और निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के साथ हाल ही में समीक्षा बैठक हुई, जिसमें कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। रेलवे ट्रैक के लिए भूमि अधिग्रहण और भवनों के मुआवजे के पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया भी जारी है। यात्रियों को होगा सीधा लाभ सबलगढ़ से मुरैना की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है। फिलहाल यात्रियों को जौरा और मुरैना तक पहुंचने के लिए 50 से 70 रुपये तक का किराया और अधिक समय खर्च करना पड़ता है। मेमू ट्रेन शुरू होने से किराया भी कम होगा और समय की बचत भी होगी। आठ नए स्टेशन भी बनेंगे इस प्रोजेक्ट के तहत पुल-पुलियों के साथ आठ नए स्टेशन भी बनाए जाएंगे। ये स्टेशन हैं: वीरपुर, श्यामपुर, इकडोरी, टर्राकला, सिरोनीरोड, खोजीपुरा, दुर्गापुरी, गिरधपुर और श्योपुर।

इंदौर-निजामुद्दीन वंदे भारत ट्रायल की तैयारी, इस स्पीड से दौड़ेगी हाईटेक ट्रेन

इंदौर  जुलाई में इंदौर-निजामुद्दीन वंदे भारत एक्सप्रेस का परीक्षण हो सकता है। यह प्रक्रिया पलवल (हरियाणा) से मथुरा स्टेशन (87 किमी) के बीच होगी। इस हिस्से में कवच प्रणाली भी लगी है। इस ट्रेन का पांच से सात मिनट तक आगरा कैंट में ठहराव होगा। छह महीने पहले इंदौर से वंदे भारत की मांग उठी थी। रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। इसी बीच कवच की उपयोगिता की जांच भी की जाएगी। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि नया रैक नई दिल्ली आ चुका है। जल्द ही इंदौर-निजामुद्दीन वंदे भारत एक्सप्रेस का परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण के दौरान छह से आठ कोच लगाए जाएंगे। फिलहाल परीक्षण की तारीख नहीं हुई है। रेलवे बोर्ड की अनुमति के बाद ट्रायल होगा। ट्रेन की अधिकतम गति 160 किमी प्रतिघंटा होगी। औसत गति 120 से 130 किमी प्रतिघंटा तक होगी।   इंदौर और दिल्ली के बीच यात्रियों को नई सुविधा मिलेगी बता दें कि फिलहाल इंदौर से नागपुर तक एक ही वंदे भारत चलाई जा रही है। ये इंदौर के प्लेटफार्म-1 से सुबह 6.10 चलकर भोपाल सुबह 9.10 बजे और नागपुर दोपहर 2.30 बजे पहुंचती है। इसी प्रकार नागपुर से दोपहर 3.20 चलकर भोपाल रात रात 8.38 बजे और इंदौर रात रात 11.50 बजे पहुंचती है। सांसद शंकर लालवानी के मुताबिक हमने छह महीने पहले केंद्रीय रेल मंत्री से इस ट्रेन की मांग की थी। इस ट्रेन के चलने से इंदौर-नई दिल्ली के बीच यात्रियों को नई ट्रेन की सुविधा मिलेगी। ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाती है प्रणाली भारतीय रेलवे द्वारा स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित की गई है, जिसका नाम कवच रखा गया है। यह प्रणाली सिग्नलों को पार करने और टक्कर से बचने जैसी मानवीय त्रुटियों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है। कवच प्रणाली लोको पायलट को खतरे के संकेतों को पार करने और तेज गति से गाड़ी चलाने से रोकने में मदद करती है। खराब मौसम में भी ट्रेनों के सुरक्षित संचालन में सहायता करती है।

नीति का इंतजार, हादसों का सिलसिला जारी: इंदौर में ई-रिक्शा बना संकट

इंदौर कुछ वर्ष पहले जब शहर में ई-रिक्शा का चलन शुरू हुआ था तो शहरवासियों को उम्मीद थी कि उन्हें आवागमन के लिए प्रदूषण रहित साधन मिल गया। न वाहन की कर्कश आवाज सुनाई देगी न इससे निकलने वाला काला धुआं नजर आएगा। ऐसा हुआ भी, लेकिन राहत के नाम पर शुरू हुई सुविधा शहरवासियों के लिए अब परेशानी का सबब बन गई है। शहर में ई-रिक्शा की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी कि किसी को कुछ समझ ही नहीं आया। राजवाड़ा जैसा सघन क्षेत्र जहां पैदल चलना भी मुश्किल है वहां ये ई-रिक्शा बेखौफ होकर सड़क पर मंडराते हैं और कोई कुछ नहीं कर पाता। राजवाड़ा पर तो पुलिस चौकी के समीप जिम्मेदारों की आंखों के सामने ही अस्थाई ई-रिक्शा स्टैंड बन गया है। आज हालत यह है कि जिस गली, मोहल्ले, कालोनी, सड़क पर पर निकल जाओ, ई-रिक्शा ही नजर आते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ई-रिक्शा की संख्या नियंत्रित करने के लिए आज तक कोई नीति नहीं बनी। इतना ही नहीं न तो इनके लिए कोई रूट प्लान तैयार किया गया न और न कभी किराया नियंत्रित करने का प्रयास हुआ। ऐसा नहीं कि जिम्मेदारों ने कागजों पर ई-रिक्शा को नियंत्रित करने का प्रयास न किया हो, लेकिन ये प्रयास कभी कागजों से निकलकर मैदान में नजर नहीं आए।   बाहर हजार से ज्यादा ई-रिक्शा करीब छह माह पहले महापौर ने खुद सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि राजवाड़ा क्षेत्र ई-रिक्शा मुक्त होगा, लेकिन घोषणा भी हवा में उड़ गई और कुछ नहीं हुआ। परिवहन विभाग के अनुसार शहर में वर्तमान में बारह हजार से ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। हाई कोर्ट खुद परिवहन विभाग, जिला प्रशासन और नगर निगम को ई-रिक्शा की वजह से शहरवासियों को हो रही परेशानी को लेकर फटकार लगा चुका है, बावजूद इसके कुछ नहीं हुआ। कुछ वर्ष पहले जब शहर में ई-रिक्शा शुरू हुए थे तो लोग उन्हें अचरज भरी नजर से देखते थे। आज हालत यह है कि ई-रिक्शा देखते ही शहरवासियों को कोफ्त होने लगती है। जहां सवारी ने हाथ दिया, वहीं रिक्शा रोक दिया 22 जुलाई को कलेक्टर, पुलिस आयुक्त और निगमायुक्त को व्यक्तिगत रूप से हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर बताना है कि यातायात सुधार के लिए उन्होंने क्या उपाय किए? आदेश को एक सप्ताह होने को आया है, लेकिन मजाल है शहर के यातायात में रत्तीभर भी कोई सुधार हुआ हो। जनप्रतिनिधियों का भी आलम यह है कि रोजाना नई-नई घोषणा कर रहे हैं, लेकिन शायद ही कोई घोषणा मूर्तरूप ले पाती हो। जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कुंभकर्णीय नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है। ई-रिक्शा चालक प्रदूषण न फैलाने के नाम पर मिली छूट का फायदा उठाकर ट्रैफिक को बद से बदतर बना रहे हैं। जहां सवारी ने हाथ दिया, वहीं रिक्शा रोक दिया, चाहे पीछे से आ रहे वाहन चालक दुर्घटना का शिकार ही क्यों न हो जाएं। पिछले साल 26 रूट तय किए गए थे राजवाड़ा पर तो मनमर्जी का आलम ये है कि भले ही दो पहिया वाहन को जाने की जगह न मिलें, लेकिन इन्हें अपने वाहन खड़े करने की इतनी जल्दी होती है कि चाहे इनके कारण वाहनों की कतार लग जाए। इन्हें अपनी हिसाब से ही चलना है। पिछले साल प्रशासन ने इन पर सख्ती कर इनके 26 रूट तय किए थे, लेकिन संचालकों के विरोध के बाद सख्ती हवा में उड़ गया। इतना ही नहीं जिला प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस व आरटीओ ने भी अपनी जिम्मेदारी से हाथ खीच लिया है। इस अनदेखी का खामियाजा शहर की जनता भुगत रही है। जनता के लिए एक अच्छी सुविधा परेशानी का सबब बन गई है।