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तिनका-तिनका उम्मीद: जेल की दीवारों के भीतर उगती नई ज़िंदगी की किरणें

महिला बंदियों ने सीखा संवाद, संवेदना और सपनों को संवारने का हुनर महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के ज़रिये अपनी ज़िंदगी को कागज़ पर उकेरा तिनका-तिनका उम्मीद: जेल की दीवारों के भीतर उगती नई ज़िंदगी की किरणें भोपाल  कभी टूटी हुई उम्मीदों के सहारे जी रही केन्द्रीय जेल भोपाल की महिलाएं अब सपनों को नया आकार दे रही हैं। केंद्रीय जेल के महिला वार्ड में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में जब इन महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के ज़रिये अपनी ज़िंदगी को कागज़ पर उकेरा, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें गर्व से नम हो गई। यह कार्यशाला मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग और तिनका-तिनका फाउंडेशन के सहयोग से “टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से सुधार और व्यक्तित्व विकास” विषय पर आयोजित की गई थी। कार्यशाला में महिला बंदियों ने न सिर्फ संवाद के गुर सीखे बल्कि आत्मविश्लेषण, सुधार और एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर होने का संकल्प भी लिया। बहुत कुछ सीखा मैंने यहाँ 56 वर्षीय पुतलीबाई, जो कभी अनपढ़ थीं, आज अख़बार पढ़ती हैं, टीवी समाचार देखती हैं और चित्र बनाना जानती हैं। भावुक होकर उन्होंने कहा,“मेरा जीवन बहुत कठिन था। लेकिन यहां मैंने पढ़ना, चित्र बनाना और अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानना सीखा है। परिवार में औरत की ज़िंदगी कहीं ज़्यादा कठिन होती है। यहां मुझे आज़ादी महसूस होती है।” “मैं फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती हूं” कल्पना, जो किन्नर समुदाय से हैं, ने कहा “बाहर हमारे साथ भेदभाव होता है, यहां नहीं। यहां पढ़ाई की, कुछ नया करने की प्रेरणा मिली। अब मैं बाहर जाकर फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती हूं।”  “खेतों में मेहनत करूंगी, बच्चों को पालूंगी” सुनीता बाई ने अपने भीतर के पश्चाताप को शब्द दिए “मुझसे गलती हुई, उसका पछतावा है। यहां रहकर मैंने बागवानी सीखी है। अब बाहर जाकर खेती करूंगी और अपने बच्चों का पालन-पोषण करूंगी।” कला और शब्दों से उभरे भाव कार्यशाला में महिलाओं ने “जेल में सपना”, “जेल में उत्सव”, “जेल में रेडियो” जैसे विषयों पर चित्र बनाकर अपने मन की स्थिति को व्यक्त किया। हर बंद दरवाज़े के पीछे खुलती है एक उम्मीद की खिड़की कार्यक्रम की सूत्रधार और तिनका-तिनका फाउंडेशन की अध्यक्ष सुवर्तिका नंदा ने कहानियों और संवाद के ज़रिए महिलाओं को संदेश दिया कि “हर परिस्थिति में डटे रहना ही असली नारी शक्ति है। सीखते रहना, आगे बढ़ते रहना ही जीत है।” सतत कौशल विकास की प्रतिबद्धता राज्य महिला आयोग के सदस्य सचिव सुरेश तोमर ने बताया कि महिला बंदियों के लिए आयोग द्वारा कौशल विकास के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और आगे भी प्रदेश में इन्हें विस्तारित किया जाएगा। कार्यशाला में डीआईजी जयपटेल, जेल अधीक्षक राकेश भांगरे, और आनंद विभाग के संचालक प्रवीण गंगराड़े भी उपस्थित रहे। यह आयोजन सिर्फ एक कार्यशाला नहीं, बल्कि उन ज़िंदगियों की कहानी है जो तिनका-तिनका जोड़कर खुद को फिर से गढ़ रही हैं। जहां दीवारें हैं, वहीं नए रास्ते भी हैं। जहां सज़ा है, वहीं पुनर्जन्म भी।  

तिनका-तिनका उम्मीद: जेल की दीवारों के भीतर उगती नई ज़िंदगी की किरणें

महिला बंदियों ने सीखा संवाद, संवेदना और सपनों को संवारने का हुनर महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के ज़रिये अपनी ज़िंदगी को कागज़ पर उकेरा तिनका-तिनका उम्मीद: जेल की दीवारों के भीतर उगती नई ज़िंदगी की किरणें भोपाल  कभी टूटी हुई उम्मीदों के सहारे जी रही केन्द्रीय जेल भोपाल की महिलाएं अब सपनों को नया आकार दे रही हैं। केंद्रीय जेल के महिला वार्ड में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में जब इन महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के ज़रिये अपनी ज़िंदगी को कागज़ पर उकेरा, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें गर्व से नम हो गई। यह कार्यशाला मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग और तिनका-तिनका फाउंडेशन के सहयोग से “टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से सुधार और व्यक्तित्व विकास” विषय पर आयोजित की गई थी। कार्यशाला में महिला बंदियों ने न सिर्फ संवाद के गुर सीखे बल्कि आत्मविश्लेषण, सुधार और एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर होने का संकल्प भी लिया। बहुत कुछ सीखा मैंने यहाँ 56 वर्षीय पुतलीबाई, जो कभी अनपढ़ थीं, आज अख़बार पढ़ती हैं, टीवी समाचार देखती हैं और चित्र बनाना जानती हैं। भावुक होकर उन्होंने कहा,“मेरा जीवन बहुत कठिन था। लेकिन यहां मैंने पढ़ना, चित्र बनाना और अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानना सीखा है। परिवार में औरत की ज़िंदगी कहीं ज़्यादा कठिन होती है। यहां मुझे आज़ादी महसूस होती है।” “मैं फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती हूं” कल्पना, जो किन्नर समुदाय से हैं, ने कहा “बाहर हमारे साथ भेदभाव होता है, यहां नहीं। यहां पढ़ाई की, कुछ नया करने की प्रेरणा मिली। अब मैं बाहर जाकर फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती हूं।”  “खेतों में मेहनत करूंगी, बच्चों को पालूंगी” सुनीता बाई ने अपने भीतर के पश्चाताप को शब्द दिए “मुझसे गलती हुई, उसका पछतावा है। यहां रहकर मैंने बागवानी सीखी है। अब बाहर जाकर खेती करूंगी और अपने बच्चों का पालन-पोषण करूंगी।” कला और शब्दों से उभरे भाव कार्यशाला में महिलाओं ने “जेल में सपना”, “जेल में उत्सव”, “जेल में रेडियो” जैसे विषयों पर चित्र बनाकर अपने मन की स्थिति को व्यक्त किया। हर बंद दरवाज़े के पीछे खुलती है एक उम्मीद की खिड़की कार्यक्रम की सूत्रधार और तिनका-तिनका फाउंडेशन की अध्यक्ष सुवर्तिका नंदा ने कहानियों और संवाद के ज़रिए महिलाओं को संदेश दिया कि “हर परिस्थिति में डटे रहना ही असली नारी शक्ति है। सीखते रहना, आगे बढ़ते रहना ही जीत है।” सतत कौशल विकास की प्रतिबद्धता राज्य महिला आयोग के सदस्य सचिव सुरेश तोमर ने बताया कि महिला बंदियों के लिए आयोग द्वारा कौशल विकास के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और आगे भी प्रदेश में इन्हें विस्तारित किया जाएगा। कार्यशाला में डीआईजी जयपटेल, जेल अधीक्षक राकेश भांगरे, और आनंद विभाग के संचालक प्रवीण गंगराड़े भी उपस्थित रहे। यह आयोजन सिर्फ एक कार्यशाला नहीं, बल्कि उन ज़िंदगियों की कहानी है जो तिनका-तिनका जोड़कर खुद को फिर से गढ़ रही हैं। जहां दीवारें हैं, वहीं नए रास्ते भी हैं। जहां सज़ा है, वहीं पुनर्जन्म भी।  

दीनदयाल रसोई योजना:नगरीय निकायों ने किफायती दर पर भोजन की व्यवस्था

भोपाल  दीनदयाल रसोई योजना में नगरीय निकायों द्वारा अब तक करीब 4 करोड़ 60 लाख भोजन थाली का वितरण मात्र 5 रूपये प्रति थाली की दर पर जरूरतमंदों को किया गया है। यह योजना 51 जिला मुख्यालयों के 191 रसोई केन्द्रों के माध्यम से संचालित है। इनमें 166 स्थाई और 25 चलित रसोई केन्द्र कार्यरत हैं। प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में व्यवसाय और श्रम कार्यों के सिलसिले में ग्रामीण क्षेत्रों से जरूरतमंद परिवारों का निरंतर आगमन होता है। नगरीय निकायों द्वारा इनके ठहरने और किफायती दर पर भोजन व्यवस्था के प्रयास किये जा रहे हैं। नगरीय निकायों द्वारा संचालन वर्तमान में 166 स्थाई रसोई केन्द्र में से 16 नगर निगमों में 58 रसोई केन्द्र और 99 नगर पालिका परिषद में 99 रसोई केन्द्र और 9 नगर परिषदों में 9 रसोई केन्द्र संचालित हो रहे हैं। इसके साथ ही 25 चलित रसोई केन्द्र में से 16 नगर निगमों में 23 और 2 नगर पालिका परिषद में 2 चलित रसोई केन्द्र संचालित हो रहे हैं। नगरीय निकायों द्वारा चलित रसोई केन्द्र की व्यवस्था इस उद्देश्य से की गई है कि जिन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में श्रमिक कार्य कर रहे हैं उन्हें कार्य स्थल पर ही किफायती दर पर भोजन उपलब्ध कराया जाये। प्रदेश में चलित रसोई केन्द्र के वाहनों और उपकरणों की एकरूपता के लिये नगरीय प्रशासन संचालनालय ने सुसज्जित वाहन उपलब्ध कराने की योजना तैयार की है। इसी के साथ दीनदयाल रसोई योजना के लिये नगरीय निकायों को अनुदान राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के विस्तार के लिये 68 नवीन रसोई घरों के संचालन का प्रस्ताव स्वीकृति के लिये राज्य शासन को भेजा गया है। धार्मिक नगरों में रसोई केन्द्र नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 6 धार्मिक नगरों मैहर, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, महेश्वर, ओरछा और अमरकंटक में भी बड़ी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये दीनदयाल रसोई योजना का विस्तार किया है। नगरीय निकायों द्वारा जरूरतमंदों को दी जाने वाली थाली में परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता पर भी लगातार निगरानी रखी जा रही है।  

जशपुर में 74,000 परिवारों को मिला पक्का घर, PM आवास योजना से आई खुशहाली

जशपुर  छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर जिले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शासन की योजनाओं का लाभ अब समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना से दूरस्थ अंचलों के लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है और हितग्राही अपने खुद के मकान में सुकून से जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिला पंचायत विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जशपुर जिले में 74 हजार 346 मकान पूर्ण हो चुके हैं। जशपुर जिले के दुलदुला विकासखंड के ग्राम खटंगा के एक साधारण परिवार की कहानी इसका जीवंत उदाहरण है, जहां शासन की तीन योजनाओं ने एक साथ उनकी ज़िंदगी को नई दिशा दी है।  74 हजार से अधिक आवास बन कर तैयार सुरेशराम की पत्नी सुमित्रा बाई बताती हैं पहले हम कच्चे घर में रहते थे। बरसात हो या गर्मी, हमेशा डर बना रहता था। पानी टपकता था, दीवारें गिरने का डर और रात-बिरात सांप, बिच्छू का डर अलग से। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना से मिला पक्का घर अब हमारे लिए एक नई दुनिया जैसा है। अब न डर है, न परेशानी3 घर भी साफ-सुथरा है, और बच्चों को पढ़ने-लिखने का भी अच्छा माहौल मिल गया है।  उनकी बेटी कुमारी संगीता बताती है जब कच्चा घर था, तब हम पढ़ाई भी ठीक से नहीं कर पाते थे। बरसात के दिन बहुत दिक्कत होती थी। अब जब पक्का घर मिला है, तो मन लगता है। हम अब बहुत खुश हैं। उन्होंने आगे बताया कि मुझे मुख्यमंत्री महतारी वंदन योजना के तहत हर महीने 1000 मिलते हैं। उसी से हम तेल, नमक, साबुन जैसे जरूरी सामान खरीद लेते हैं। कभी बेटी को स्कूल के लिए कॉपी-किताब भी लेना हो, तो उसी से काम चल जाता है।

बिहार के बाद अब मध्य प्रदेश में मखाना क्रांति, किसानों को मिलेगा नया विकल्प

नर्मदापुरम  गेहूं, चना, धान के साथ नर्मदापुरम जिले में मखाने की खेती (makhana cultivation) करने का प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। उद्यानिकी विभाग सब्सिडी देकर किसानों को इस खेती के लाभ बता रहा है। अभी तक 150 किसानों ने अपनी सहमति दे दी हैं। उन्हें मखाने उत्पादन का दरभंगा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। उद्यानिकी फसलों में विस्तार करते हुए मखाने को भी जोड़ा जा रहा है। पहले चरण में जिलेभर में लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने लगाए जाएंगे। मखाने की खेती पहली बार की जाएगी। इसे लेकर किसान असमंजस में हैं। इसलिए उद्यानिकी विभाग के अधिकारी उन्हें मखाने के उत्पादन से लेकर लाभ तक की जानकारी दे रहे हैं। किसानों की बढ़ेगी आय बाजार में 2 हजार रुपए क्विंटल बिकने वाले मखाने की खेती होने वाली अतिरिक्त आय के बारे में बताया जा रहा है। किसान को बताया जा रहा है कि इसमें खेत का उपयोग नहीं करना है। किसान अपने तालाब में सिंघड़ा की खेती की तरह ही मखाने की फसल लगा सकता है। अभी तक 150 किसानों को चिह्नित किया गया है। इन किसानों को दरभंगा रिसर्च सेंटर में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए जल्दी ही एक दल रवाना होगा।  किसानों को शासन करेगा मदद मखाना की खेती (makhana cultivation) के लिए शासन किसानों को सब्सिडी देगा, इसमें कितनी राशि होगी। इसका निर्धारण होना अभी की स्थिति में बाकी है। इसके लिए शासन स्तर से योजना की नीति आने वाली है। इसके हिसाब से जिले में मखाना खेती की योजना संचालित होगी। उद्यानिकी अधिकारी भी जाएंगे दरभंगा किसानों की तरह उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को भी मखाने लगाने की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए अधिकारियों की टीम दरभंगा जाएगी। यह टीम वहां मखाने की खेती में तकनीक का उपयोग कैसे किया जाता है, इसका प्रशिक्षण लेगी। प्रयोग किया जा रहा है जिले में पहली बार मखाने की खेती करने का प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए अभी तक 150 किसान ने सहमति दी है। जल्द ही इन्हें दरभंगा में खेती करने को प्रशिक्षण दिलाएंगे। अधिकारियों को भी प्रशिक्षण मिलेगा।- रीता उईके, उप संचालक उद्यानिकी नर्मदापुरम

उपभोक्ताओं को पहले करना होगा भुगतान, अगस्त से MP में प्रीपेड बिजली प्रणाली शुरू

भोपाल  मध्य प्रदेश के कई शहरों में स्मार्ट मीटर से बिजली उपभोक्ताओं को काफी परेशानी हुई। कई स्थानीय रहवासियों ने जिला कलेक्ट्रेट में इसकी शिकायत की थी।  आने वाली 1 अगस्त 2025 से  राज्य में प्रीपेड बिजली प्रणाली लागू हो जाएगी। विद्युत वितरण कंपनी ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है। जिसे प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लागू किया जाएगा।  बिजली कंपनी के अनुसार, पहले चरण में सरकारी दफ्तर, उसके बाद इसे आम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड बिजली प्रणाली मोड पर स्थानांतरित किया जाएगा। बता दें सरकारी और आम उपभोक्ताओं को दी जाने वाली ये व्यवस्था अलग-अलग होंगी। मध्य प्रदेश विद्युत वितरण क्षेत्र कंपनी  ने रिपोर्ट में बताया कि अगस्त माह से क्षेत्र में आने वाले मालवा निमाड़ के 10 हजार सरकारी ऑफिसों को प्रीपेड बिजली आवंटन किया जाएगा।  पहले रिचार्ज, फिर उपयोग आम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड बिजली व्यवस्था का ढांचा सरकारी कार्यालयों से अलग होगा। उन्हें हर दो महीने में बिजली बिल जमा नहीं करना पड़ेगा। इसके बजाय, मोबाइल या वाई-फाई की तरह पहले रिचार्ज करना अनिवार्य होगा, तभी बिजली का उपयोग संभव होगा। उपभोग के अनुसार उनका बैलेंस धीरे-धीरे घटता जाएगा। उपभोक्ताओं को अपना बैलेंस देखने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। सरकारी विभागों के लिए दो महीने का एडवांस पेमेंट अनिवार्य नई व्यवस्था के तहत सरकारी बिजली कनेक्शनों के लिए संबंधित अधिकारी की स्वीकृति के बाद विभागीय कोषाधिकारी को दो माह का अग्रिम भुगतान करना अनिवार्य होगा। इसके लिए संबंधित जोन, वितरण केंद्र प्रभारी और कार्यपालन यंत्री 30 जुलाई तक अधीक्षण यंत्री के माध्यम से विभागीय कोषाधिकारी को आवश्यक जानकारी भेजेंगे। इसके पश्चात कोषाधिकारी द्वारा निर्धारित दो माह की अग्रिम राशि बिजली कंपनी के खाते में स्थानांतरित की जाएगी। इन कनेक्शनों के माध्यम से बिजली कंपनी को शुरुआत में दो माह का अग्रिम भुगतान प्राप्त होगा। इसके बाद प्रत्येक माह वास्तविक खपत के अनुसार बिल राशि वसूली जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रीपेड प्रणाली में उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 25 पैसे की विशेष छूट भी प्रदान की जाती है। बिजली के मीटर में नहीं होगा कोई बदलाव प्रीपेड बिजली प्रणाली लागू करने के लिए मीटर को बदला नहीं जाएगा, बल्कि कंपनी द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों में ही यह सुविधा सक्रिय की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, आम उपभोक्ताओं को प्रीपेड मीटर अपनाने पर प्रति यूनिट 25 पैसे की टैरिफ छूट मिलेगी। इसके साथ ही, सरकार पूर्ववत सब्सिडी भी जारी रखेगी। वर्तमान में उपभोक्ताओं को वार्षिक खपत के आधार पर औसतन 45 दिनों के बिल के बराबर राशि सुरक्षा निधि के रूप में जमा करनी होती है। अस्पतालों और थानों में बाद में लागू होगी नई बिजली व्यवस्था ऊर्जा विभाग के निर्देशानुसार, बिजली कंपनियां फिलहाल अस्पताल, थाने और जल प्रदाय इकाइयों जैसे शासन के आवश्यक विभागों को प्रीपेड बिजली प्रणाली में शामिल नहीं कर रही हैं। जानकारी के अनुसार, इन विभागों को व्यवस्था लागू होने के एक या दो महीने बाद प्रीपेड मोड में जोड़ा जाएगा। इसके पश्चात अन्य शासकीय कनेक्शनों को चरणबद्ध रूप से जोड़ा जाएगा। वहीं, निजी उपभोक्ताओं को इस प्रणाली में शामिल करने पर निर्णय बाद में शासन द्वारा लिया जाएगा। रिचार्ज की राशि पर मंथन जारी हालांकि, विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उपभोक्ताओं को कितनी राशि का रिचार्ज कराना होगा और उस पर कितनी यूनिट बिजली प्रदान की जाएगी। वहीं अधिकारियों का कहना है कि सरकारी कार्यालयों का बिजली बिल अक्सर समय पर नहीं भरता है। इस प्रणाली को कुछ चुनिंदा सरकारी ऑफिसों में लागू किया जाएगा। इनमें इंदौर के 1550 सरकारी कार्यालय शामिल है। जिसे दिसंबर तक इस इलाके के सभी 50 हजार सरकारी कार्यालय को इसमें शिफ्ट करने का प्लान है।  नई प्रणाली के अंतर्गत, सरकारी विद्युत कनेक्शनों के लिए इससे संबंधित अधिकारी की सहमति से, विभाग के कोषाधिकारी को 2 महीने का एडवांस बिल जमा करना होगा। संबंधित जोन, वितरण केन्द्र प्रभारी, कार्यपालन यंत्री 30 जुलाई तक अधीक्षण यंत्री के माध्यम से संबंधित कार्यालयों के कोषाधिकारी को इसकी सूचना देंगे। बिजली कंपनी को फिलहाल 2 महीने की एडवांस राशि मिल सकेगी। आगे प्रति महीने में खर्च हुए बिजली खपत के आधार पर बिल का भुगतान देना होगा। स्मार्ट प्रीपेड मीटर से मिलेगी बिजली नई प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर के जरिए बिजली मिलेगी, जिसमें उपभोग के अनुसार बैलेंस कम होगा और रिचार्ज के बिना बिजली आपूर्ति नहीं होगी। उपभोक्ता अपनी बिजली खपत और बैलेंस की जानकारी आसानी से मोबाइल या पोर्टल के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। बिजली वितरण कंपनियों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सरकारी और आम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड व्यवस्था की प्रक्रिया और नियम अलग-अलग निर्धारित किए जा रहे हैं, जिससे दोनों की आवश्यकताओं के अनुसार सिस्टम को लागू किया जा सके। पहले सरकारी कार्यालयों में लागू होगी व्यवस्था मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने प्रीपेड बिजली व्यवस्था लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अगस्त 2025 से कंपनी के अंतर्गत आने वाले मालवा-निमाड़ क्षेत्र के लगभग 10,000 सरकारी कार्यालयों को प्रीपेड मीटर सिस्टम से जोड़ा जाएगा, जिनमें अकेले इंदौर के 1,550 सरकारी कार्यालय शामिल हैं। योजना के तहत दिसंबर 2025 तक इस क्षेत्र के सभी 50,000 सरकारी दफ्तरों को पूरी तरह से प्रीपेड व्यवस्था में शामिल कर लिया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि निर्धारित समयसीमा के भीतर प्रदेश के हर सरकारी कार्यालय में यह नई बिजली व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू की जाए। यह बदलाव न केवल प्रशासनिक खर्चों पर नियंत्रण रखेगा, बल्कि ऊर्जा दक्षता को भी बढ़ावा देगा। आम उपभोक्ताओं को भी किया जाएगा शिफ्ट इस प्रक्रिया के पहले चरण के बाद दिसंबर 2025 के बाद दूसरा चरण शुरू किया जाएगा, जिसमें आम उपभोक्ताओं को प्रीपेड बिजली सिस्टम पर शिफ्ट किया जाएगा। इस चरण में सबसे पहले वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, औद्योगिक इकाइयों और अधिक लोड वाले कनेक्शनों को जोड़ा जाएगा। इसके बाद घरेलू उपभोक्ताओं को धीरे-धीरे इस आधुनिक प्रणाली में शामिल किया जाएगा। भरना होगा 2 महीने का अग्रिम बिल प्रीपेड बिजली व्यवस्था के तहत सरकारी दफ्तरों को अपनी बिजली खपत का दो महीने का बिल एडवांस में जमा करना होगा। इसके लिए संबंधित अधिकारी की अनुमति से विभाग के कोषाधिकारी (अकाउंट ऑफिसर) यह भुगतान बिजली कंपनी को करेंगे। बिजली वितरण जोन और केंद्र के अधिकारी … Read more

उपभोक्ताओं को पहले करना होगा भुगतान, अगस्त से MP में प्रीपेड बिजली प्रणाली शुरू

भोपाल  मध्य प्रदेश के कई शहरों में स्मार्ट मीटर से बिजली उपभोक्ताओं को काफी परेशानी हुई। कई स्थानीय रहवासियों ने जिला कलेक्ट्रेट में इसकी शिकायत की थी।  आने वाली 1 अगस्त 2025 से  राज्य में प्रीपेड बिजली प्रणाली लागू हो जाएगी। विद्युत वितरण कंपनी ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है। जिसे प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लागू किया जाएगा।  बिजली कंपनी के अनुसार, पहले चरण में सरकारी दफ्तर, उसके बाद इसे आम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड बिजली प्रणाली मोड पर स्थानांतरित किया जाएगा। बता दें सरकारी और आम उपभोक्ताओं को दी जाने वाली ये व्यवस्था अलग-अलग होंगी। मध्य प्रदेश विद्युत वितरण क्षेत्र कंपनी  ने रिपोर्ट में बताया कि अगस्त माह से क्षेत्र में आने वाले मालवा निमाड़ के 10 हजार सरकारी ऑफिसों को प्रीपेड बिजली आवंटन किया जाएगा।  पहले रिचार्ज, फिर उपयोग आम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड बिजली व्यवस्था का ढांचा सरकारी कार्यालयों से अलग होगा। उन्हें हर दो महीने में बिजली बिल जमा नहीं करना पड़ेगा। इसके बजाय, मोबाइल या वाई-फाई की तरह पहले रिचार्ज करना अनिवार्य होगा, तभी बिजली का उपयोग संभव होगा। उपभोग के अनुसार उनका बैलेंस धीरे-धीरे घटता जाएगा। उपभोक्ताओं को अपना बैलेंस देखने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। सरकारी विभागों के लिए दो महीने का एडवांस पेमेंट अनिवार्य नई व्यवस्था के तहत सरकारी बिजली कनेक्शनों के लिए संबंधित अधिकारी की स्वीकृति के बाद विभागीय कोषाधिकारी को दो माह का अग्रिम भुगतान करना अनिवार्य होगा। इसके लिए संबंधित जोन, वितरण केंद्र प्रभारी और कार्यपालन यंत्री 30 जुलाई तक अधीक्षण यंत्री के माध्यम से विभागीय कोषाधिकारी को आवश्यक जानकारी भेजेंगे। इसके पश्चात कोषाधिकारी द्वारा निर्धारित दो माह की अग्रिम राशि बिजली कंपनी के खाते में स्थानांतरित की जाएगी। इन कनेक्शनों के माध्यम से बिजली कंपनी को शुरुआत में दो माह का अग्रिम भुगतान प्राप्त होगा। इसके बाद प्रत्येक माह वास्तविक खपत के अनुसार बिल राशि वसूली जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रीपेड प्रणाली में उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 25 पैसे की विशेष छूट भी प्रदान की जाती है। बिजली के मीटर में नहीं होगा कोई बदलाव प्रीपेड बिजली प्रणाली लागू करने के लिए मीटर को बदला नहीं जाएगा, बल्कि कंपनी द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों में ही यह सुविधा सक्रिय की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, आम उपभोक्ताओं को प्रीपेड मीटर अपनाने पर प्रति यूनिट 25 पैसे की टैरिफ छूट मिलेगी। इसके साथ ही, सरकार पूर्ववत सब्सिडी भी जारी रखेगी। वर्तमान में उपभोक्ताओं को वार्षिक खपत के आधार पर औसतन 45 दिनों के बिल के बराबर राशि सुरक्षा निधि के रूप में जमा करनी होती है। अस्पतालों और थानों में बाद में लागू होगी नई बिजली व्यवस्था ऊर्जा विभाग के निर्देशानुसार, बिजली कंपनियां फिलहाल अस्पताल, थाने और जल प्रदाय इकाइयों जैसे शासन के आवश्यक विभागों को प्रीपेड बिजली प्रणाली में शामिल नहीं कर रही हैं। जानकारी के अनुसार, इन विभागों को व्यवस्था लागू होने के एक या दो महीने बाद प्रीपेड मोड में जोड़ा जाएगा। इसके पश्चात अन्य शासकीय कनेक्शनों को चरणबद्ध रूप से जोड़ा जाएगा। वहीं, निजी उपभोक्ताओं को इस प्रणाली में शामिल करने पर निर्णय बाद में शासन द्वारा लिया जाएगा। रिचार्ज की राशि पर मंथन जारी हालांकि, विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उपभोक्ताओं को कितनी राशि का रिचार्ज कराना होगा और उस पर कितनी यूनिट बिजली प्रदान की जाएगी। वहीं अधिकारियों का कहना है कि सरकारी कार्यालयों का बिजली बिल अक्सर समय पर नहीं भरता है। इस प्रणाली को कुछ चुनिंदा सरकारी ऑफिसों में लागू किया जाएगा। इनमें इंदौर के 1550 सरकारी कार्यालय शामिल है। जिसे दिसंबर तक इस इलाके के सभी 50 हजार सरकारी कार्यालय को इसमें शिफ्ट करने का प्लान है।  नई प्रणाली के अंतर्गत, सरकारी विद्युत कनेक्शनों के लिए इससे संबंधित अधिकारी की सहमति से, विभाग के कोषाधिकारी को 2 महीने का एडवांस बिल जमा करना होगा। संबंधित जोन, वितरण केन्द्र प्रभारी, कार्यपालन यंत्री 30 जुलाई तक अधीक्षण यंत्री के माध्यम से संबंधित कार्यालयों के कोषाधिकारी को इसकी सूचना देंगे। बिजली कंपनी को फिलहाल 2 महीने की एडवांस राशि मिल सकेगी। आगे प्रति महीने में खर्च हुए बिजली खपत के आधार पर बिल का भुगतान देना होगा। स्मार्ट प्रीपेड मीटर से मिलेगी बिजली नई प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर के जरिए बिजली मिलेगी, जिसमें उपभोग के अनुसार बैलेंस कम होगा और रिचार्ज के बिना बिजली आपूर्ति नहीं होगी। उपभोक्ता अपनी बिजली खपत और बैलेंस की जानकारी आसानी से मोबाइल या पोर्टल के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे। बिजली वितरण कंपनियों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सरकारी और आम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड व्यवस्था की प्रक्रिया और नियम अलग-अलग निर्धारित किए जा रहे हैं, जिससे दोनों की आवश्यकताओं के अनुसार सिस्टम को लागू किया जा सके। पहले सरकारी कार्यालयों में लागू होगी व्यवस्था मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने प्रीपेड बिजली व्यवस्था लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अगस्त 2025 से कंपनी के अंतर्गत आने वाले मालवा-निमाड़ क्षेत्र के लगभग 10,000 सरकारी कार्यालयों को प्रीपेड मीटर सिस्टम से जोड़ा जाएगा, जिनमें अकेले इंदौर के 1,550 सरकारी कार्यालय शामिल हैं। योजना के तहत दिसंबर 2025 तक इस क्षेत्र के सभी 50,000 सरकारी दफ्तरों को पूरी तरह से प्रीपेड व्यवस्था में शामिल कर लिया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि निर्धारित समयसीमा के भीतर प्रदेश के हर सरकारी कार्यालय में यह नई बिजली व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू की जाए। यह बदलाव न केवल प्रशासनिक खर्चों पर नियंत्रण रखेगा, बल्कि ऊर्जा दक्षता को भी बढ़ावा देगा। आम उपभोक्ताओं को भी किया जाएगा शिफ्ट इस प्रक्रिया के पहले चरण के बाद दिसंबर 2025 के बाद दूसरा चरण शुरू किया जाएगा, जिसमें आम उपभोक्ताओं को प्रीपेड बिजली सिस्टम पर शिफ्ट किया जाएगा। इस चरण में सबसे पहले वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, औद्योगिक इकाइयों और अधिक लोड वाले कनेक्शनों को जोड़ा जाएगा। इसके बाद घरेलू उपभोक्ताओं को धीरे-धीरे इस आधुनिक प्रणाली में शामिल किया जाएगा। भरना होगा 2 महीने का अग्रिम बिल प्रीपेड बिजली व्यवस्था के तहत सरकारी दफ्तरों को अपनी बिजली खपत का दो महीने का बिल एडवांस में जमा करना होगा। इसके लिए संबंधित अधिकारी की अनुमति से विभाग के कोषाधिकारी (अकाउंट ऑफिसर) यह भुगतान बिजली कंपनी को करेंगे। बिजली वितरण जोन और केंद्र के अधिकारी … Read more

शिवभक्ति का नया अध्याय: 23 जुलाई को पार्थिव शिवलिंग निर्माण का विश्व रिकॉर्ड, शिवरात्रि पर होगा रुद्राभिषेक

सीहोर  सावन मास में आगामी 23 जुलाई को पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि की शाम 7 से 8 बजे  हर घर में पूजा-अर्चना की गूंज सुनाई देगी। देश-विदेश में बसे श्रद्धालु पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करेंगे। अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने छत्तीसगढ़ के कोरबा में आयोजित शिव महापुराण के माध्यम से यह संदेश दिया है कि सावन मास की इस पावन शिवरात्रि पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर सामूहिक रूप से उनका अभिषेक किया जाए। मान्यता है कि सामूहिक पूजा से आराध्य देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पिछले छह वर्षों से पंडित मिश्रा के आह्वान पर देश-विदेश में करोड़ों शिव भक्तों द्वारा पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर पूजन किया जा रहा है। इस बार श्रद्धालुओं में पहले से दोगुना उत्साह देखा जा रहा है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कांवड़ लेकर चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर और कुबेरेश्वर महादेव मंदिर पहुंच रहे हैं। वहां नियमित रूप से नि:शुल्क प्रसादी, पेयजल, नाश्ता और फलाहारी की व्यवस्था की गई है। 23 जुलाई को शिवभक्तों का दिव्य अनुष्ठान इस वर्ष का आयोजन 23 जुलाई बुधवार को शाम 7 से रात 8 बजे तक किया जाएगा। पंडित प्रदीप मिश्रा के आह्वान पर ‘हर-हर महादेव, घर-घर महादेव’ के संकल्प के साथ देश-विदेश में बसे भक्त अपने-अपने घरों पर पार्थिव शिवलिंग बनाएंगे और विधिपूर्वक जलाभिषेक करेंगे। यह आयोजन यूट्यूब और फेसबुक पर लाइव प्रसारित किया जाएगा। पंडित मिश्रा ने अपने वीडियो संदेश में भक्तों से अपील की है कि वे पूजन के लिए ब्राह्मणों और संतों को आमंत्रित करें। यदि यह संभव न हो, तो श्रद्धालु टीवी या ऑनलाइन माध्यम से पूजा-अर्चना में भाग ले सकते हैं। मासिक शिवरात्रि का महत्व समिति के मनोज दीक्षित ‘मामा’ ने बताया कि महाशिवरात्रि शिवभक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। यह वह क्षण था जब ब्रह्मा और विष्णु ने पहली बार शिवलिंग का पूजन किया। प्रत्येक वर्ष एक महाशिवरात्रि और 11 मासिक शिवरात्रियां होती हैं। मासिक शिवरात्रि हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने इस व्रत को कर शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे। 

रालामंडल को मिला ‘ऑक्सीजन बॉक्स’ का दर्जा, एक किलोमीटर तक नहीं होगा कोई निर्माण

इंदौर  संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में रालामंडल अभ्यारण्य क्षेत्र के अंतर्गत आवासीय भूमि उपयोग हेतु तैयार किए गए नियोजन मापदंडों पर विचार करने के लिए ईको सेंसिटिव जोन समिति की बैठक आयोजित की गई। यह बैठक इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के सभाकक्ष में संपन्न हुई। अधिकारियों की मौजूदगी में हुई अहम बैठक बैठक में मुख्य वन संरक्षक पी.एन. मिश्रा, अपर कलेक्टर गौरव बैनल, पीएचई विभाग के मुख्य अभियंता संजय कुमार, नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक सुभाषीश बेनर्जी, संयुक्त कलेक्टर सुप्रिया पटेल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एस.एन. द्विवेदी, वन विभाग के एसडीओ योहन कटारा और अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। 'ग्रीन कॉरिडोर' के विकास पर जोर संभागायुक्त दीपक सिंह ने रालामंडल अभ्यारण्य के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह क्षेत्र इंदौर जैसे महानगर के लिए 'ऑक्सीजन बॉक्स' के रूप में कार्य कर सकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि रालामंडल की पहाड़ियों को जोड़कर ग्रीन कॉरिडोर का विकास किया जाए ताकि वन्यजीवों का आवास संरक्षित रहे और वे स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकें। संयुक्त फील्ड विजिट के निर्देश संभागायुक्त दीपक सिंह ने नगर एवं ग्राम निवेश, आईडीए, नगर निगम, वन विभाग, राजस्व विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे संयुक्त रूप से फील्ड विजिट कर प्रस्तावित ग्रीन कॉरिडोर की रूपरेखा तैयार करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईको सेंसिटिव जोन से एक किलोमीटर के दायरे में सघन नगरीय विकास नहीं होना चाहिए। पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए भूमि उपयोग मापदंड बैठक में यह भी बताया गया कि ईको सेंसिटिव जोन के तहत नियोजन मापदंडों में प्रत्येक भूखंड का न्यूनतम क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर निर्धारित किया गया है। निर्माण क्षेत्र अधिकतम 15% तक सीमित रहेगा, जबकि भवन की ऊंचाई 12.5 मीटर से अधिक नहीं होगी। साथ ही कम से कम 10% क्षेत्र खुला रखना अनिवार्य होगा। इन नियमों का उद्देश्य क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना और विकास को पर्यावरण के अनुकूल बनाना है।