samacharsecretary.com

फर्जी एनकाउंटर का सच उजागर? CBI ने मारा छापा, निरीक्षक पपोला निलंबित

ग्वालियर नीमच में 16 साल पहले हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में फरार चल रहे ग्वालियर में पदस्थ निरीक्षक मंगल सिंह पपोला की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। उन्हें निलंबित कर दिया गया है, वहीं सीबीआई की टीम उनकी तलाश में ग्वालियर के ठिकानों पर दबिश दे रही है। सूत्रों के अनुसार, ग्वालियर पुलिस के कुछ अधिकारी पर्दे के पीछे से निरीक्षक मंगल सिंह पपोला की मदद कर रहे हैं। वर्ष 2009 में नीमच पुलिस ने बंशी गुर्जर का एनकाउंटर करने का दावा किया था, लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि बंशी गुर्जर जीवित है। इसके बाद यह मामला फर्जी एनकाउंटर साबित हुआ। घटना के समय जो पुलिसकर्मी और अधिकारी एनकाउंटर टीम में शामिल थे, उन पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। इसी टीम में मंगल सिंह पपोला भी शामिल थे, जो उस समय प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। जब सीबीआई ने इस मामले में गिरफ्तारी शुरू की तो मंगल सिंह फरार हो गए। वे जांच के दौरान सिक डालकर निकल गए थे। पंद्रह दिन बाद उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए बुलाया गया, लेकिन वे पेश नहीं हुए। पुलिस अधिकारियों ने भी इस लापरवाही को नजरअंदाज कर दिया। अब जब सीबीआई ने सख्ती बढ़ाई तो पपोला को निलंबित कर दिया गया। जानकारी है कि सीबीआई को ग्वालियर के एक वाहन शोरूम पर उनकी मौजूदगी का सुराग मिला था, जिसके बाद टीम लगातार सक्रिय बनी हुई है। एनकाउंटर के बाद मिला था प्रमोशन फर्जी एनकाउंटर टीम में शामिल मंगल सिंह पपोला उस समय प्रधान आरक्षक थे और तत्कालीन टीआई पीएस परमार व मुख्तार कुरैशी के साथ ऑपरेशन में शामिल थे। एनकाउंटर के बाद पपोला को प्रमोशन भी मिला था। 

लॉर्ड्स पर टैमी ब्यूमोंट की इस हरकत पर मचा बवाल, अपील करती रही टीम इंडिया, मगर नहीं मिला थर्ड अंपायर का साथ

नई दिल्ली भारतीय महिला बनाम इंग्लैंड महिला वनडे सीरीज का दूसरा मुकाबला ‘क्रिकेट का मक्का’ कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया। जब इस मैदान पर आखिरी बार दोनों टीमें भिड़ी थी तो दीप्ति शर्मा के मांकडिंग ने बवाल मचाया था। काफी दिनों तक उनकी यह हरकत सुर्खियों में रही थी। इस बार इंग्लैंड की ओपनर टैमी ब्यूमोंट की ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ यानी फील्डिंग में बाधा बनने की हरकत सुर्खियों में है। भारतीय खिलाड़ी इसको लेकर अपील करते रहे, हालांकि थर्ड अंपायर ने उन्हें आउट नहीं दिया। टैमी ब्यूमोंट की ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ की घटना इंग्लैंड की पारी के पांचवें ओवर के दौरान घटी। दीप्ति शर्मा की गेंद पर ब्यूमोंट ने शॉट खेला जिसे जेमिमा रोड्रिग्स ने डाइव लगाकर पकड़ा और थ्रो सीधा विकेट कीपर की ओर फेंका। रन लेने का प्रयास कर रही टैमी ब्यूमोंट को जब दिखा कि जेमिमा गेंद को पकड़ चुकी है तो उन्होंने तुरंत क्रीज के अंदर लौटने का फैसला किया। टैमी ब्यूमोंट क्रीज के अंदर पहुंच चुकी थी, मगर जब थ्रो उनकी तरफ आ रहा था तो उन्होंने पैड लगाकर उसे रोकने की कोशिश की। टैमी ब्यूमोंट को ऐसा करता देख भारतीय प्लेयर्स ने अपील की जिसके बाद ऑन फील्ड अंपायर्स ने चर्चा की और फैसला थर्ड अंपायर को सौंप दिया। थर्ड अंपायर ने पाया कि टैमी ब्यूमोंट ने जब गेंद पर पैड लगाने की कोशिश की तब उनका एक पैर क्रीज के अंदर पहुंच चुका था, जिस वजह से उन्हें नॉट आउट करार दिया गया। हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि क्रीज के अंदर पहुंचने के बाद बल्लेबाज को फील्डिंग में जानबूझकर बाधा बनने की आजादी होती है। क्या कहता है ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड का नियम खेल की शर्तों के नियम 37.1.1 में कहा गया है कि, "यदि बल्लेबाज, धारा 37.2 की परिस्थितियों को छोड़कर, और गेंद खेल में होने पर, जानबूझकर शब्दों या कार्यों द्वारा फील्डिंग पक्ष को बाधित करने या विचलित करने का प्रयास करता है, तो उसे क्षेत्ररक्षण में बाधा डालने के लिए आउट माना जाएगा।" 37.1.2 यदि स्ट्राइकर, खंड 37.2 की परिस्थितियों को छोड़कर, गेंदबाज द्वारा फेंकी गई गेंद को प्राप्त करते समय, जानबूझकर गेंद को उस हाथ से मारती है जिसमें बल्ला नहीं है, तो उसे फील्डिंग में बाधा पहुंचाने का दोषी माना जाएगा। यह नियम तब भी लागू होगा जब वह पहली स्ट्राइक हो, दूसरी या बाद की स्ट्राइक हो। गेंद प्राप्त करने का कार्य गेंद पर खेलने और अपने विकेट की रक्षा में गेंद को एक से अधिक बार मारने, दोनों तक विस्तारित होगा।  

चार जंगली हाथियों की वापसी से बुढ़ार में हड़कंप, कई घर तबाह

शहडोल शहडोल जिले के वन परिक्षेत्र बुढार में जंगली हाथियों की पुनः वापसी ने इलाके के ग्रामीणों के लिए चिंता का कारण बन गया है। हाल ही में चार हाथियों ने अनूपपुर के अहिरगवा से लौटकर बुढार के आसपास के गांवों में दस्तक दी और एक दर्जन से अधिक घरों में तोड़फोड़ की है। बुढार रेंजर सलीम खान के अनुसार, इन हाथियों की निगरानी के लिए 50 से अधिक वन कर्मचारी तैनात किए गए हैं, ताकि इनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। हाथियों के इस आतंक ने दो दिनों में बुढार वन परिक्षेत्र के कई गांवों में हलचल मचा दी है। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार हाथियों के हमलों के चलते उनमें भय का माहौल उत्पन्न हो गया है। रेंजर सलीम खान ने बताया कि हाथियों ने बुढार से अनूपपुर की ओर रुख किया था, लेकिन अब ये दोबारा बुढार वन परिक्षेत्र में लौट आए हैं। हमारी टीमें लोगों को सतर्क करने के लिए मुनादी करवा रही हैं और नुकसान का पंचनामा तैयार कर राजस्व टीम को सूचित किया जा रहा है। नुकसान की भरपाई की आवश्यकता जनपद सदस्य जगन्नाथ शर्मा ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा, हाथियों ने हमारे क्षेत्र में कई घरों को नुकसान पहुंचाया है। प्रशासन को शीघ्र इन लोगों की मदद करनी चाहिए। हमें मुआवजे की राशि दिलवाई जानी चाहिए ताकि वे लोग जो बेघर हो गए हैं, उन्हें राहत मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि भारी बारिश के बीच हाथियों ने कई कच्चे घर तोड़ दिया है, जिससे ग्रामीणों की स्थिति और भी खराब हो गई है। रेंजर के अनुसार, हाथियों ने सिलपरी, कठई, कोल्हारू टोला, कोदवार कला समेत कई स्थानों पर घुसकर घरों को तोड़कर सामान को तहस-नहस कर दिया है। इससे पहले भी वन विभाग ने हाथियों को खदेड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। चार रेंजरों के साथ वन विभाग की टीम हाथियो की निगरानी कर रही है।

बीमा राशि के लिए 18 साल तक भटका पिता, डीईओ की लापरवाही पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

भोपाल बैतूल जिले के सरकारी स्कूल की एक छात्रा की दुर्घटना में मृत्यु के बाद भी उसके परिवार को विद्यार्थी सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत बीमा राशि नहीं दी गई। 18 साल बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने छात्रा के पिता को न्याय देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को दोषी मानते हुए 35 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश सुनाया। मामला बैतूल जिले के उड़दन ग्राम का है, जहां के निवासी कुंजीलाल कुमरे ने डीईओ और द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ आयोग में अपील लगाई थी। आयोग के सदस्य डॉ. श्रीकांत पांडेय और डॉ. मोनिका मलिक की बेंच ने यह स्पष्ट किया कि छात्रा बीमा की हकदार थी और उसकी मृत्यु के 15 दिन के भीतर बीमा राशि का भुगतान किया जाना चाहिए था। बता दें कि इससे पहले जिला उपभोक्ता आयोग ने छात्रा के पिता के खिलाफ में निर्णय सुनाया था, जिसके बाद राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की गई थी।   बीमा न मिलने का कारण डीईओ की लापरवाही बीमा कंपनी ने दलील दी कि डीईओ ने निर्धारित समय पर प्रीमियम राशि जमा नहीं की थी, इस कारण पालिसी प्रभाव में नहीं रही। कंपनी ने यह भी कहा कि पालिसी की अवधि एक अगस्त 2006 से 31 जुलाई 2007 तक थी, जबकि छात्रा की मृत्यु 19 अगस्त 2007 को हुई। वहीं, अपीलकर्ता के वकील ने तर्क रखा कि योजना का नवीनीकरण हर वर्ष होता है और एक अगस्त 2007 से 31 जुलाई 2008 तक नई पालिसी प्रभावी थी। इसके अलावा योजना के तहत डीईओ को स्थानीय निधि से प्रीमियम राशि जमा करने की सुविधा भी थी। आयोग का निष्कर्ष आयोग ने पाया कि पूरी कक्षा के लिए लगभग 2.65 लाख रुपये की प्रीमियम राशि डीईओ को जमा करनी थी, लेकिन उन्होंने लापरवाही बरती। इस कारण बीमा कंपनी की बजाय डीईओ को दोषी मानते हुए हर्जाने का आदेश दिया गया।

ड्रैगन का जल-जाल: भारत के लिए क्यों खतरनाक है चीन का नया मेगा डैम?

नई दिल्ली चीन ने भारतीय सीमा पर नया बांध बनाना शुरू कर दिया है। यह बांध तिब्बत में ब्रह्मपुत्र पर बनाया जा रहा है। चीनी परिषद ने अपनी वेबसाइट पर इस बांध को लेकर जानकारी दी है।बनकर तैयार होने के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा बांध होगा। चीन की इस हरकत ने भारत ने माथे पर चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं। इसके पीछे कई वजहें हैं। असल में यह बांध नहीं, बल्कि चीन का एक वॉटर बम है, जिसे वह भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। इसके अलावा इस बांध की लोकेशन ऐसी है जो भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से काफी अहम है। इसके अलावा इस लोकेशन पर टैक्टोनिक प्लेट्स के टकराने से भूकंप का खतरा भी बना रहता है। भारतीय सीमा के करीब चीन भारतीय सीमा के नजदीक यह बांध बना रहा है। चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने इस बांध के निर्माण का ऐलान कर दिया है। यह बांध चीन के न्यिंगची शहर में ब्रह्मपुत्र नदी के निचले क्षेत्र में बनाया जा रहा है। यह बांध हिमालय पर्वतमाला में एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा। इसी जगह पर ब्रह्मपुत्र नदी एक विशाल ‘यू-टर्न’ लेकर अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र नदी चीन में सांगपो के नाम से जानी जाती है। यह नदी दक्षिण-पश्चिमी तिब्बत में कैलाश पर्वत के पास जिमा यांगजोंग ग्लेशियर से निकलती है। इसकी लंबाई 1,700 किलोमीटर है। यह भारत में अरुणाचल प्रदेश की सियांग नदी में, फिर असम में ब्रह्मपुत्र और बाद में बांग्लादेश पहुंचती है। भारत के लिए क्यों चिंता भारत में इस बात को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो गईं कि बांध के आकार और पैमाने के कारण चीन को जल प्रवाह को नियंत्रित करने का अधिकार तो मिलेगा ही, साथ ही इससे बीजिंग को युद्ध के समय सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ लाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने में भी मदद मिलेगी। साल 2020 में एक ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक ने रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसके मुताबिक चीन तिब्बत के पठार की नदियों को कंट्रोल करके भारत को परेशानी में डाल सकता है। इतनी है लागत यह बांध 167.8 अरब डॉलर की लागत से बनाया जा रहा है। यहां पर पांच हाइड्रोपॉवर स्टेशंस बनेंगे। यहां बने जल विद्युत स्टेशन से हर साल 300 अरब किलोवाट घंटे से अधिक बिजली पैदा होने की उम्मीद है। इससे चीन में करीब 30 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। अभी तक चीन में यांग्ज्ती नदी पर बना था, जहां सबसे ज्यादा बिजली पैदा होती है। भारत की क्या तैयारी भारत भी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बना रहा है। भारत और चीन ने सीमा पार नदियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 2006 में विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) बनाया थ्ज्ञा। जिसके तहत चीन बाढ़ के मौसम के दौरान भारत को ब्रह्मपुत्र नदी और सतलुज नदी पर जल विज्ञान संबंधी जानकारी प्रदान करता है। लेकिन यह बांध बन जाने के बाद यह सिस्टम कितना काम करेगा यह देखने वाली बात होगी।  

अश्विन ने टेस्ट टीम में हरभजन को फ्रंटलाइन स्पिनर के रूप में रिप्लेस किया था, दोनों ने ‘मनमुटाव’ पर तोड़ी चुप्पी

नई दिल्ली  भारत के पूर्व स्पिनर आर अश्विन और हरभजन सिंह का शुमार दिग्गज गेंदबाजों में होता है। दोनों ने अपने करियर में लंबे समय तक सफलता के झंडे गाड़े। अश्विन ने 106 टेस्ट में 24.00 की औसत से 537 विकेट चटकाए। वहीं, हरभजन ने 103 टेस्ट में 32.46 की औसत से 417 शिकार किए। अश्विन ने भारतीय टेस्ट टीम में हरभजन को फ्रंटलाइन स्पिनर के रूप में रिप्लेस किया था, जिसके बाद दोनों के बीच मनमुटाव और जलन की अटकलें लगना शुरू हो गई थीं। हालांकि, दोनों पूर्व दिग्गज स्पिनर ने अब आपसी मनमुटाव की अटकलों पर चुप्पी तोड़ी है।   अश्विन और भज्जी 'कुट्टी स्टोरीज विद ऐश' में मनमुटाव की कंट्रोवर्सी पर चर्चा करते हुए नजर आए। भज्जी ने बेबाक सवाल का बेबाक जवाब दिया। अश्विन ने हरभजन से पूछा, ''जलन की चर्चा रही। इससे पहले कि मैं आपको इसका जवाब दूं, मैं कुछ स्पष्ट कर दूं। लोग हर चीज को अपने नजरिए से देखते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर वे मुझ पर कोई टिप्पणी कर रहे हैं तो वे मानते हैं कि दूसरे लोग दुनिया को उनकी नजर से देखेंगे। जैसे की यह जो बात है कि आप उस शख्स से जलते हैं जो आज आपका इंटरव्यू ले रहा है। इसपर आप क्या कहेंगे?" अश्विन को रिप्लाई देते हुए हरभजन ने कहा, ''"क्या आपको लगता है कि मैं आपसे जलता हूं? आप आज मेरे साथ बैठे हो और हमने काफी बातचीत की है। क्या आपको लगता है कि मैं उस तरह का इंसान हूं?" वहीं, अश्विन ने कहा, ''अगर आपको कभी जलन हुई भी हो तो यह जायज है। यह मेरा पॉइंट है। मैं इसे कभी गलत तरीक़े से नहीं लूंगा क्योंकि हम सब इंसान हैं। स्वाभाविक रूप से ऐसा होता है।" इसके बाद, अश्विन ने अपना और वॉशिंगटन सुंदर का उदहारण दिया। अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविद कहा दिया था। अश्विन के रिटायरमेंट के बाद कहा गया कि उन्होंने सुंदर को प्लेइंग इलेवन में तरजीह दिए जाने के कारण इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया। अश्विन ने इस बारे में कहा, ''कुछ लोगों का मानना है कि मैंने वॉशिंगटन सुंदर की वजह से संन्यास लिया। यह सब लोगों का नजरिया है। यह दूसरे लोगों का देखने का तरीक है।"  

माओवादियों की बिछाई मौत की राह में फंसा किशोर, गंभीर रूप से घायल

 बीजापुर  छत्तीसगढ़ की जमीन से माओवाद के खातमे को लेकर प्रशासन और सुरक्षाबलों की ओर से लगातार प्रयास जारी है। इसी बीच माओवादी भी रह-रहकर कायराना हरकतों को अंजाम दे रहे हैं और निर्दोष लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। बीजापुर के भोपालपटनम थाना क्षेत्र के माओवाद प्रभावित कोंडापडगु में शनिवार की शाम माओवादियों का एक और अमानवीय कृत्य सामने आई, जिसमें जंगल में मवेशी चराने गया एक 16 वर्षीय किशोर माओवादियों के लगाए हुए प्रेशर आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस के अनुसार शनिवार की शाम को कोंडापडगु निवासी कृष्णा गोटा पिता फकीर मवेशी चराने जंगल गया हुआ था, तभी जमीन में दबे हुए प्रेशर आइईडी पर उसका पैर पड़ गया। जिससे जोरदार विस्फोट हुआ। इस हादसे में कृष्णा के पैर और चेहरे पर गंभीर चोटें आई हैं। इलाज जारी, स्थिति गंभीर घायल बालक को तत्काल उपचार हेतु जिला अस्पताल बीजापुर लाया गया, जहां उसका इलाज जारी है। चिकित्सकों के अनुसार, उसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, परंतु समय पर चिकित्सा मिलने से उसकी जान बच गई। घटना के बाद सुरक्षा बलों ने घटनास्थल की घेराबंदी कर तलाशी अभियान प्रारंभ कर दिया है। माओवादियों के लगाए हुए अन्य विस्फोटकों की खोज के लिए विशेष टीम भेजी गई है। माओवादी अपनी जान बचाने खतरे में डाल रहे निर्दोषों की जान बस्तर में सुरक्षा बलों के अभियान से डरे माओवादी अपनी जान बचाने जंगलों में बारूद बिछा रहे हैं, पर इसकी चपेट में निर्दोष ग्रामीण आ रहे हैं। इस वर्ष अब तक एक दर्जन से अधिक ग्रामीण माओवादियों के लगाए विस्फोटक की चपेट में आकर घायल हुए हैं, या मारे गए हैं। पुलिस ने जनता से अपील की गई है कि वे जंगल क्षेत्रों में अत्यधिक सतर्कता बरतें तथा यदि कोई भी संदिग्ध वस्तु या गतिविधि दिखाई दे, तो तुरंत निकटतम पुलिस थाना या सुरक्षा कैंप को सूचित करें। सतर्कता ही सुरक्षा की सबसे बड़ी कुंजी है।

माओवादी ऑपरेशन के दौरान संवेदनशील जानकारी लीक न हो इसके लिए उठाए सख्त कदम

जगदलपुर माओवादी मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बलों की रणनीतिक गोपनीयता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए एक सख्त कदम उठाया गया है। माओवाद प्रभावित जिलों में तैनात सुरक्षा बल के जवानों को इंटरनेट और सोशल मीडिया से दूर रहने के लिए निर्देशित किया गया है। जिससे की किसी भी प्रकार की ऑपरेशन जानकारी लीक न हो सके। बता दें कि बस्तर संभाग के सातों माओवादी प्रभावित जिलों – दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव, कांकेर और बस्तर में तैनात डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड), एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स) के जवानों के सभी इंटरनेट मीडिया अकाउंट अब डिलीट करा दिए गए हैं। जवानों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे किसी भी प्लेटफार्म से दूरी बनाए रखें और भविष्य में कोई भी ऑपरेशनल जानकारी साझा न करें। इस निर्णय के पीछे मुख्य वजह पिछले दिनों हुए ऑपरेशन से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों का इंटरनेट मीडिया के ज़रिए लीक होना, बताया जा रहा है। माओवादी कमांडर बसव राजू के मारे जाने के बाद जवानों द्वारा पोस्ट किए गए आपरेशनल वीडियो मिलियन्स में व्यूज बटोर रहे थे, जिनमें हथियार, जंगल मार्ग, मुठभेड़ स्थल और यहां तक कि घायल या मारे गए माओवादियों की तस्वीरें भी शामिल थीं। इससे मिशन की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा था। जवानों को दी जा रही काउंसलिंग जवानों को साइबर सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर विशेष काउंसलिंग भी दी जा रही है ताकि वे अनजाने में भी कोई संवेदनशील जानकारी साझा न करें। यह कदम माओवादी विरोधी अभियानों की सफलता सुनिश्चित करने और जवानों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में लिया गया निर्णायक निर्णय है। ऑपरेशन में सीमित होगा मोबाइल उपयोग ऑपरेशन के दौरान मोबाइल उपयोग भी सीमित कर दिया गया है। जवान केवल आपातकालीन या आधिकारिक संपर्क के लिए ही फोन का प्रयोग कर सकेंगे। वीडियो बनाना, फोटो लेना और रिकार्डिंग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है।आपरेशन के बाद मोबाइल की जांच भी अनिवार्य कर दी गई है।

राहुल बनाम लेफ्ट: RSS तुलना पर INDIA गठबंधन में तनाव चरम पर

नई दिल्ली बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। एनडीए और महागठबंधन, दोनों में ही घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बातचीत जारी है। इस बीच कांग्रेस ने लेफ्ट पार्टी को लेकर एक बयान देकर खलबली मचा दी है। राहुल ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की विचारधारा एक जैसी है। उनके इस बयान के बाद इंडिया गठबंधन में दरार की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। सूत्रों के अनुसार शनिवार को इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक में इस मुद्दे को वामपंथी नेताओं द्वारा जोरदार ढंग से उठाया गया। राहुल गांधी ने केरल के कोट्टायम में पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी की पुण्यतिथि पर आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, "मैं RSS और CPI(M) दोनों से विचारधारा को लेकर समान रूप से लड़ता हूं। मेरी सबसे बड़ी शिकायत यह है कि इन दोनों में लोगों के प्रति संवेदना नहीं है। राजनीति में होना मतलब लोगों को महसूस करना, उन्हें सुनना और छूना भी जरूरी है।" वामदलों ने जताई आपत्ति बैठक में सीपीआई नेता डी राजा ने इस मुद्दे को बिना नाम लिए उठाते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां कैडरों में भ्रम फैलाती हैं और गठबंधन की एकता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। एक अन्य नेता ने याद दिलाया कि INDIA गठबंधन का नारा था, "देश बचाओ, बीजेपी हटाओ", न कि आपसी मतभेद को बढ़ावा देना। राहुल गांधी की टिप्पणी पर सीपीआई(एम) महासचिव एम.ए. बेबी ने एक तीखा वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी द्वारा CPI(M) और RSS की तुलना करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे यह जाहिर होता है कि उन्हें केरल और भारत की राजनीतिक हकीकत की सही समझ नहीं है।" उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2004 में कांग्रेस सरकार वामपंथी दलों के समर्थन से ही बनी थी। उन्होंने कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार CPI(M) के समर्थन के बिना नहीं बन सकती थी।" बेबी ने राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने को लेकर भी चुटकी ली। उन्होंने कहा, "वह जिस सीट से लड़े, वहां उन्हें BJP या RSS से नहीं, बल्कि CPI उम्मीदवार से मुकाबला करना पड़ा।" गौरतलब है कि राहुल गांधी ने वायनाड से CPI उम्मीदवार एनी राजा के खिलाफ चुनाव जीतने के बाद सीट छोड़ दी थी और अब वह रायबरेली से सांसद हैं। बाद में वायनाड सीट से प्रियंका गांधी उपचुनाव जीत चुकी हैं। आलोचना होगी, लेकिन तुलना नहीं: सीपीआईएम एम.ए. बेबी ने कहा कि वामपंथी दल कांग्रेस की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हैं, लेकिन कभी कांग्रेस की तुलना बीजेपी या RSS से नहीं करते। उन्होंने कहा, "हम कांग्रेस की आलोचना स्वतंत्र रूप से करते हैं, लेकिन कभी उन्हें RSS या BJP जैसा नहीं कहते।" कांग्रेस और CPI(M) राष्ट्रीय स्तर पर INDIA गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन केरल में दोनों दल प्रतिद्वंद्वी मोर्चों का नेतृत्व करते हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) और वाम दलों के नेतृत्व में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF)। बीजेपी यहां अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है। बिहार की बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में लेफ्ट की पार्टियां भी शामिल हैं।  

डायरेक्टर चंद्र बरोट का 79 की उम्र में निधन, लंबे समय से चल रहे थे बीमार

मुंबई  बॉलीवुड के दिग्गज डायरेक्टर चंद्र बरोट का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। चंद्र बरोट को अमिताभ बच्चन की साल 1978 में आई कल्ट क्लासिक फिल्म डॉन डायरेक्ट करने के लिए जाना जाता है। चंद्र बरोट पिछले कुछ सालों से फेफड़ो की समस्या से जूझ रहे थे। उनकी पत्नी ने चंद्र के निधन की बात कंफर्म की है। फरहान अख्तर ने भी इंस्टा पर उनके निधन को लेकर पोस्ट किया है। फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे चंद्र बरोट रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्र बरोट की पत्नी दीपा बरोट ने उनके निधन की खबर को कंफर्म करते हुए कहा, “वो पिछले सात सालों से पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे।” बरोट का इलाज गुरु नानक अस्पताल में डॉक्टर मनीष शेट्टी कर रहे थे। फरहान अख्तर ने लिखा पोस्ट बॉलीवुड एक्टर और डायरेक्टर फराहन अख्तर ने चंद्र बरोट के निधन पर इंस्टाग्राम पुर उनकी एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- "दुख हुआ ये जानकर कि ओजी फिल्म डॉन के डायरेक्टर अब नहीं रहे। बरोट जी की आत्मा को शांति मिले। परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं।" इन फिल्मों को भी किया डायरेक्ट चंद्र बरोट ने डॉन से डायरेक्टर के रूप में डेब्यू किया था। डॉन के बाद चंद्र ने बंगाली फिल्म आश्रिता डायरेक्ट की थी जो 1989 में रिलीज हुई थी। चंद्र ने साल 1991 में प्यार भरा दिल नाम की फिल्म डायरेक्ट की थी।