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राज्य के सभी 38 जिलों की कुल 17,942 ग्रामीण पथों का कायाकल्प शुरू

–    ग्रामीण सड़कों ने बदली बिहार के गांवों की तस्वीर –    ग्रामीण सड़कों से राज्य के विकास, रोजगार और आर्थिक संभावनाओं को मिल रही गति पटना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना (एमएमजीएसयूवाई) के अंतर्गत ग्रामीण पथ सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम के लागू किए जाने से न केवल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी संरचना को मजबूती मिल रही है, बल्कि इससे गांवों की तस्वीर भी तेजी से बदल रही है। अब यह योजना सिर्फ ग्रामीण सड़कों के संधारण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार के नए अवसर सृजित करने और सामाजिक सशक्तिकरण का एक मजबूत आधार बन चुकी है। अबतक इस योजना के तहत राज्य के सभी 38 जिलों की कुल 17,942 ग्रामीण पथों की जिनकी लंबाई 30,627 किलोमीटर है, के पुनर्निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान मिल चुकी है। इन सड़कों से राज्य के हजारों गांवों को हर मौसम में (बारहमासी) निर्बाध संपर्क, बाजारों तक आसान पहुंच, स्कूलों और अस्पतालों तक आवागमन की सुगम सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने राज्य में मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम लागू कर रखा है। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना का एक महत्वपूर्ण अवयव है, जिसे राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पिछले साल नवंबर में स्वीकृति मिल चुकी है। इसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्थित सड़कों का दीर्घकालिक सुदृढ़ीकरण और प्रभावी रख-रखाव करना है। ग्रामीण कार्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 17,942 स्वीकृत ग्रामीण सड़कों में से 11,985 सड़कें, जिसकी कुल लम्बाई 20,998 किलोमीटर सड़कों का कार्यारम्भ किया जा चुका है। सभी स्वीकृत सड़कों का प्रारंभिक सुधार का कार्य वित्तीय वर्ष 2025-26 में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही, बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम भी लागू किया है। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सड़कों का दीर्घकालिक सुदृढ़ीकरण और प्रभावी रखरखाव करना है। इस कार्यक्रम के तहत पथों का दो बार कालीकरण किया जाएगा, ताकि उनकी सतह की मजबूती और सड़क की पर वाहनों के सुगम परिचालन लगातार बनी रहे। इस योजना का एक और अहम पहलू यह है कि सभी संवेदकों को रूरल रोड रिपेयर वाहन रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि का प्रतिक्रिया समय के अधीन समाधान किया जा सके और सड़क का उपयोग करने वालों को यात्रा के दौरान कोई असुविधा न हो। राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि हर वित्तीय वर्ष के बाद पंचवर्षीय अनुरक्षण अवधि से बाहर हुए सड़कों का चयन कर उन्हें फिर से उन्नत किया जाएगा, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क की गुणवत्ता और स्थायित्व बनी रहे तथा इन्हें टूटने से बचाया जा सके। जिन जिलों की ग्रामीण सड़कों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है, उसमें सबे अधिक मधुबनी और मुजफ्फरपुर की ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। इन दोनों ही जिलों की 1001-1001 सड़कों के सुदृढ़ीकरण और प्रबंधन का कार्य जारी है। जिसकी कुल लम्बाई क्रमश: 17,57.146 और 16,56.49 किलोमीटर है। जबकि समस्तीपुर की 926 सड़कों की जिसकी कुल लम्बाई 1422.844 किमी है। इसी तरह गयाजी की 836 सड़कों की (कुल लम्बाई 1599.927 किमी), पूर्व चंपारण की 899 सड़कों की, पटना की 709, वैशाली की 732 और सिवान की 704 सड़कों को शामिल किया गया है।            ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला पंख इस योजना के कार्यान्वयन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। किसानों के कृषि उत्पादों को बड़ा बाजार मिला है। गांव से शहरों तक आसान पहुंच होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नगदी का प्रवाह बढ़ा है और ग्रामीण परिवारों की आय पर इसका सीधा असर देखा जा रहा है। नई सड़कों ने किसानों को अपनी फसल को समय पर बाजारों तक पहुंचाने का सुगम रास्ता दिया है, जिससे कृषि उपज की गुणवत्ता बनी रहती है और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य भी मिल रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में छोटे व्यापार, दुग्ध व्यवसाय और ग्रामीण पर्यटन जैसे क्षेत्रों को भी इससे काफी लाभ हुआ है। इन प्रयासों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वह सपना भी साकार हो रहा है कि राज्य के किसी भी सुदूर क्षेत्र से राजधानी पटना तक की दूरी महज चार घंटे में तय की जा सके।

उमा भारती का बयान: विपक्ष कर रहा गुलामी से जुड़े नामों का समर्थन, CM योगी से अपील

शाहजहांपुर  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यूपी के शाहजहांपुर जिले का नाम बदलने की मांग करते हुए विवाद को फिर हवा दे दी है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक जिले का नाम किसी स्वतंत्रता सेनानी, संत या समाज सुधारक के नाम पर रखा जाना चाहिए, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व करता हो। उमा भारती ने इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने विपक्ष पर "गुलामी से जुड़े नामों" का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह दल केवल वोट बैंक की राजनीति में जुटे हैं और जनता की भावनाओं का सम्मान नहीं करते। राहुल गांधी पर पलटवार उमा भारती ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हालिया आरोपों पर भी तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष संस्था है और सभी शिकायतों की जांच करता है। "अगर जनता राहुल गांधी को वोट नहीं दे रही है, तो उन्हें आत्ममंथन करना चाहिए, बजाय इसके कि वे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाएं,"। कांग्रेस की 'मतदाता अधिकार यात्रा' शुरू इधर, बिहार में कांग्रेस ने वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ियों और "वोट चोरी" के खिलाफ 'मतदाता अधिकार यात्रा' की शुरुआत की है। यह यात्रा 16 दिनों तक चलेगी और 20 से अधिक जिलों से होकर गुज़रते हुए 1 सितंबर को पटना में समाप्त होगी। इस यात्रा की शुरुआत रविवार को सासाराम से हुई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पवन खेड़ा, कन्हैया कुमार और अन्य प्रमुख नेता शामिल हुए। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और भाजपा पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया।  

डबल इंजन सरकार का साथ, असलम की सफलता ने चूम लिया ‘आकाश’

सफलता की कहानी उप्र मत्स्य विभाग के मार्गदर्शन में किए गए प्रयासों से बाराबंकी के असलम खान के जीवन में आया बदलाव 2014 में किया केले का व्यवसाय पर मिली निराशा, 2018 में मत्स्य पालन में बाराबंकी में असलम को मिला प्रथम स्थान 24 तालाब व 2 नर्सरी के जरिये सफलता की नई कहानी लिख रहे असलम अब युवाओं को भी दे रहे रोजगार, सरकार की योजनाओं को दिया सफलता का श्रेय लखनऊ, डबल इंजन सरकार की योजनाओं का साथ और उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग का मार्गदर्शन मिला तो बाराबंकी के असलम ने 'आकाश' छू लिया। असलम ने 2014 में केले के व्यापार का आगाज किया, लेकिन निराशा हाथ लगी, वही असलम मत्स्य पालन क्षेत्र में 2018 में बाराबंकी में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। डबल इंजन सरकार की योजनाओं, मत्स्य विभाग के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत के बलबूते असलम आज न सिर्फ सफलता का पर्याय बन चुके, बल्कि आत्मनिर्भर होने के साथ युवाओं को भी रोजगार भी दे रहे हैं। 2014 में शुरू की थी केले की खेती बाराबंकी के फतेहपुर तहसील के बकरापुर गांव के जव्वाद खान के पुत्र असलम खान (40) अब वहां के युवाओं के प्रेरणास्रोत हो गए हैं। स्नातक उत्तीर्ण असलम खान ने 2014 में अपनी पैतृक भूमि पर लगभग 8 एकड़ क्षेत्रफल में केला उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया, यह कार्य वर्ष 2016 तक चला। शुरू में अच्छी आमदनी हुई, परंतु बाद में आमदनी में गिरावट होने से उन्होंने यह व्यवसाय छोड़ दिया। फिर नए व्यवसाय की तलाश में लग गए। शुरू में मत्स्य पालन में भी नहीं मिला लाभ, लेकिन नहीं मानी हार बाराबंकी के ही ग्राम गंगवारा, विकास खंड देवा के मत्स्य पालक मो. आसिफ सिद्दीकी के फार्म को देखने का अवसर मिला। मो. आसिफ से जानकारी लेने के बाद असलम खान ने शुरू में 27000 स्क्वायर फिट में 3 तालाब बनाकर पंगेशियस मछली का पालन प्रारम्भ किया। शुरू में अच्छा मत्स्य बीज नहीं मिलने और जानकारी के अभाव में हानि उठानी पड़ी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। फिर से उन्होंने इन्हीं तीन तालाबों में 35 हजार पंगेशियस फिंगरलिंग का संचय किया तथा छह माह में लगभग 700 ग्राम की 21 टन मछली का उत्पादन किया। इससे उन्हें 8,40,000 रुपये का लाभ प्राप्त हुआ। इससे उत्साहित होकर 2018 में फिर एक एकड़ में एक और तालाब बनाया। उसमें पंगेशियस के साथ-साथ भारतीय मेजर कार्प मछली का भी संचय किया। 24 तालाब और दो नर्सरी बनाकर मत्स्य पालन कर रहे असलम वर्तमान में 08 एकड़ भूमि में 24 तालाब एवं 02 नर्सरी बनाकर मत्स्य पालन का कार्य वृहद रूप से कर रहे हैं। वर्तमान वर्ष में असलम ने 3 लाख पंगेशियस मत्स्य बीज संचित किया था। इससे लगभग 2.20 लाख मत्स्य बीज के सापेक्ष कुल 162 टन मछली की बिक्री की जा चुकी है। अभी उनके फार्म में औसत 400-500 ग्राम की लगभग 40 हजार मछली उपलब्ध है। इसकी बिक्री भी दिसंबर से प्रारंभ होगी। असलम ने जनवरी 2019 से एबीस मत्स्य पूरक आहार की डीलरशिप ली। अब बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, उन्नाव, अयोध्या, बहराइच तथा गोण्डा के लगभग 350 किसानों को मत्स्य पूरक आहार की आपूर्ति भी कर रहे हैं। मत्स्य विभाग का सहयोग बना प्रेरक, अब 10 युवाओं को दे रहे प्रत्यक्ष रोजगार असलम ने इस कार्य के प्रारंभ और सफलता की यात्रा में जनपद के मत्स्य विभाग के सहयोग को सराहनीय बताया। वहां से उन्हें मार्गदर्शन, प्रोत्साहन और मात्स्यिकी से जुड़ी अन्य गतिविधियों को अपनाने की प्रेरणा मिली। वर्ष 2018 में मत्स्य पालन क्षेत्र में असलम को जनपद में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। 2017 से मत्स्य पालन किये जाने के पश्चात ब्लॉक निंदूरा में वर्तमान में पंगेशियस मछली का पालन लगभग 25 हेक्टेयर में हो रहा है। असलम वर्तमान में 10 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार दे रहे हैं। यह लोग मत्स्य फार्म संचालन एवं फीड वितरण में असलम की सहायता करते हैं। एफपीओ का गठन करना चाहते हैं असलम मत्स्य पालक असलम खान अभी 350-400 मत्स्य किसानों के संपर्क में हैं। वे उन्हें मत्स्य पालन में यथासंभव आवश्यक सेवाएं भी दे रहे हैं। वे अपने फार्म पर आरएएस इकाई स्थापित कर चुके हैं। आरएएस इकाई में सर्दियों में पंगेशियस बीज रियरिंग का कार्य करेंगे, जिससे फरवरी एवं मार्च तक आसपास के किसानों को मत्स्य बीज उपलब्ध करा सकें। वे मत्स्य विभाग के सहयोग से एफपीओ भी गठित करना चाहते हैं। वर्जन हर गांव-हर वर्ग तक सरकारी योजनाओं की पहुंच मत्स्य पालन कर युवाओं व महिलाओं ने सफलता की नई कहानी लिखी है, जो केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं की प्रभावशीलता और जमीनी स्तर पर सफलता को दर्शाती है। प्रदेश सरकार के नेतृत्व में समाज के सभी वर्ग तक केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। मत्स्य पालन जैसी विभिन्न योजनाओं से जुड़कर भी लोग आत्मनिर्भर और प्रदेश के आर्थिक विकास में सहभागी बन सकते हैं। एनएस रहमानी, निदेशक, मत्स्य विभाग

NAAC ने दिया पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय को A+ ग्रेड, विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में इजाफा

रायपुर राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेन डेका ने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर को नैक द्वारा ए प्लस ग्रेड प्राप्त होने पर शुभकामनाएं दी है. राजभवन मे आज रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति प्रोफेसर सच्चिदांनद शुक्ला ने राज्यपाल से भेंट कर विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ए प्लस ग्रेड प्राप्त होने का पत्र सौंपा. राज्यपाल ने इसे पूरे प्रदेश के लिए हर्ष का विषय बताते हुए कहा कि राज्य के अन्य शासकीय विश्वविद्यालयों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी और वे गुणवत्ता में सुधार लाकर अति उत्तम ग्रेडिंग प्राप्त करेंगे. रविशंकर विश्वविद्यालय राज्य का पहला शासकीय विश्वविद्यालय है, जिसे सामान्य विश्वविद्यालय की श्रेणी में ए प्लस ग्रेड प्रदान किया गया है. राज्यपाल डेका ने विगत एक वर्ष में नियमित रूप से शासकीय विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक लेकर उन्हें गुणवत्ता में सुधार लाने और नैक ग्रेडिंग प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है. उनके मार्गदर्शन एवं सहयोग से रविशंकर विश्वविद्यालयों को यह उपलब्धि हासिल हुई है जिसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति ने राज्यपाल का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के संचालक प्रोफेसर आर. पी. परगनिहा और कुलसचिव प्रोफेसर अंबर व्यास उपस्थित थे.

नमामि गंगे और आईआईटी कानपुर ने मिलकर खोली नदी के बदलाव की आधी सदी की कहानी

वेब-जीआईएस पर होगा डिजिटल रिकॉर्ड लखनऊ/कानपुर गंगा के अतीत से उसके भविष्य का रास्ता तय करने की दिशा में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने ऐतिहासिक पहल शुरू की है, जिसमें आईआईटी कानपुर ने कमान संभाली है। संस्थान के शोधकर्ताओं ने 1965 की अमेरिकी जासूसी उपग्रह श्रृंखला ‘कोरोना’ से ली गई दुर्लभ तस्वीरों को 2018-19 की अत्याधुनिक सैटेलाइट इमेजरी के साथ जोड़कर नदी के स्वरूप, प्रवाह और भूमि उपयोग में आए पांच दशकों के बड़े बदलाव दर्ज किए हैं। यह अध्ययन गंगा संरक्षण और बहाली के लिए डेटा-आधारित ठोस खाका पेश करने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। यह परियोजना गंगा नॉलेज सेंटर का हिस्सा होगी, जो गंगा से जुड़ी शोध, पोर्टल और डाटासेट्स का भंडार है तथा नदी के पुनर्जीवन के लिए वैज्ञानिक और शोध-आधारित निर्णय लेने में मदद करेगी। कोरोना उपग्रह की तस्वीरों में गंगा अपनी प्राकृतिक अवस्था में लगभग अछूती नजर आती है, जबकि 2019 की तस्वीरें नदी की बदलती स्थिति को उजागर करती हैं। इन तस्वीरों में बैराज, तटबंध और शहरी विस्तार के कारण गंगा की स्वाभाविक बहाव गति पर रोक लगती हुई दिखाई देती है। यह तुलनात्मक अध्ययन अब नई उम्मीद का संचार करता है। वैज्ञानिकों के पास अब ऐसे ठोस मानचित्र मौजूद हैं, जो यह बताते हैं कि किन क्षेत्रों में पुनर्स्थापन से गंगा अपनी पुरानी लय को फिर से पा सकती है, और कहां भूमि उपयोग में सुधार से उसकी सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है। अत्याधुनिक वेब-जीआईएस लाइब्रेरी विकसित की जा रही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का यह महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट केवल नदी की भू-आकृति में हुए परिवर्तनों का वैज्ञानिक लेखा-जोखा नहीं तैयार कर रहा, बल्कि भूमि उपयोग और भूमि आवरण (LULC) के तुलनात्मक अध्ययन से यह उजागर कर रहा है कि अतिक्रमण, तेजी से फैलता शहरीकरण और कृषि विस्तार किस तरह गंगा के प्राकृतिक संतुलन को चोट पहुंचा रहे हैं। इन आंकड़ों को आधार बनाकर एक अत्याधुनिक वेब-जीआईएस लाइब्रेरी विकसित की जा रही है, जिसका सीधा इस्तेमाल भविष्य की नीतियों, नदी प्रबंधन रणनीतियों और बहाली योजनाओं में किया जाएगा। एक ही प्लेटफार्म पर विश्लेषण और योजना कोरोना और भूमि उपयोग और भूमि आवरण (LULC) डेटा को इंटरैक्टिव यूजर इंटरफेस और गूगल अर्थ इंजन एप्लिकेशन पर होस्ट किया जाएगा, ताकि विश्लेषण और योजना दोनों एक ही प्लेटफार्म पर संभव हों। परियोजना के तहत 9 प्रमुख विंडो—हरिद्वार, बिजनौर, नरौरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, भागलपुर और फरक्का के लिए विशेष डिजिटल डिस्प्ले तैयार किया जाएगा, जो स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाएगा। सटीक डिजिटल प्रदर्शन किया जाएगा गंगा की सेहत का वैज्ञानिक नक्शा तैयार करने के लिए नई परियोजना में कई निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं। सबसे पहले, पूरी गंगा बेसिन तल की सीमा तय कर कोरोनल इमेजरी के जरिए उसका सटीक डिजिटल प्रदर्शन किया जाएगा। 1965-75 की तस्वीरों और मौजूदा परिदृश्य की तुलना से भूमि उपयोग और भू-आकृतिक बदलाव का स्पष्ट विजुअलाइजेशन तैयार होगा। सारे आंकड़ों को एक वेब-जीआईएस मॉड्यूल में संगठित कर उन्नत क्वेरी सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे शोधकर्ता और योजनाकार अपनी जरूरत के मुताबिक डेटा तुरंत निकाल सकेंगे। डेटा के सार्वजनिक वितरण के लिए एक प्रणाली स्थापित की जाएगी, जो भविष्य में गंगा पर विभिन्न हितधारकों के शोध में इसके उपयोग को सुगम बनाएगी। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह उपलब्धि गंगा संरक्षण में “डेटा-ड्रिवन” प्लानिंग का नया दौर शुरू करेगी। तकनीकी चुनौतियां अभी बरकरार हैं, पर शोध टीम लगातार अपनी कार्यविधि निखार रही है अधिक सटीकता और तेज प्रोसेसिंग की दिशा में बढ़ते हर कदम के साथ गंगा के भविष्य की तस्वीर और स्पष्ट होती जा रही है। तस्वीरें बदलते हालात को सामने लाती हैं यह तस्वीरें गंगा के लगभग अछूते स्वरूप को दर्ज करती हैं। वर्ष 2019 की तस्वीरें बदलते हालात को सामने लाती हैं जहां बैराज, तटबंध और शहरी विस्तार ने नदी की मिएंडरिंग रफ्तार को सीमित कर दिया है। यही तुलनात्मक अध्ययन अब नई उम्मीद जगा रहा है। वैज्ञानिकों के पास ठोस मानचित्र हैं, जो बताते हैं कि किन इलाकों में बहाली से गंगा अपनी पुरानी लय पा सकती है और कहां भूमि उपयोग में सुधार से उसकी सेहत फिर से निखर सकती है। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक कदम गंगा नदी के कायाकल्प के लिए अतीत की सटीक तस्वीरों से बेहतर कोई मार्गदर्शन नहीं हो सकता और यही राह यह प्रोजेक्ट दिखा रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का यह प्रयास विज्ञान की ठोस नींव और परंपरा की गहरी जड़ों को जोड़कर आने वाली पीढ़ियों के लिए गंगा को उसके स्वच्छ, मुक्त और जीवनदायी स्वरूप में लौटाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो रहा है।

भूमिका मत बनाइए… CJI गवई ने सिब्बल को लगाई फटकार

नई दिल्ली  देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ आज (सोमवार को) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के कुलपति के रूप में प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति को बरकरार रखने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। पीठ में CJI गवई के अलावा जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया भी शामिल थे। इसी दौरान जस्टिस चंद्रन ने खुद को इस केस से अलग कर लिया। सुनवाई को दौरान जस्टिस चंद्रन ने खुलासा किया कि जब प्रोफेसर (डॉ.) फैजान मुस्तफा को चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (CNLU) का कुलपति नियुक्त किया गया था, तब वे वहां के कुलाधिपति थे। मुस्तफा चूंकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए भी शॉर्टलिस्ट किए गए थे, जिसमें यह पद बाद में खातून को मिला। इसलिए उन्होंने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कीजिए, जिसमें जस्टिस चंद्रन न हों जस्टिस चंद्रन ने कहा, "जब मैंने फैजान मुस्तफा का चयन किया था, तब मैं उस विश्वविद्यालय का कुलाधिपति था… इसलिए मैं मामले से अलग हो सकता हूँ।" हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने उनसे अनुरोध किया कि मामले से उनके अलग होने की जरूरत नहीं है, और उनमें उनका दृढ विश्वास है। इसी बीच, CJI गवई ने कहा, “मेरे भाई को फैसला करने दीजिए। इस मामले को उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कीजिए, जिसमें जस्टिस चंद्रन शामिल नहीं हैं।” भूमिका मत दीजिए, दलीलें दीजिए बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका की पैरवी करते हुए कहा कि अगर कुलपतियों की नियुक्ति इसी तरह होती रही, तो भविष्य में क्या होगा, यह सोचकर ही मैं काँप उठता हूँ। इस पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई ने सिब्बल से दो टूक लहजे में कहा, 'भूमिका देने की बजाय, सीधे मुद्दे पर आइए और हमें अपनी दलीलें बताइए।' मामले की जाँच जरूरी है इसके बाद सिब्बल ने दलील दी, "अगर दो वोट निकाल दिए जाएँ तो उन्हें सिर्फ 6 वोट मिलेंगे। ऐसा सिर्फ कार्यकारी समिति में कुलपति के वोट की वजह से है और एक और वोट था। अगर आप इन दोनों को निकाल देते हैं, तो वह बाहर हो जाएँगी।" सिब्बल ने आगे कहा कि वह स्थगन की माँग नहीं कर रहे हैं, लेकिन मामले की जाँच जरूरी है। उन्होंने कहा, “तथ्यों के आधार पर इससे बेहतर कोई मामला नहीं हो सकता।” नईमा खातून की कुलपति के रूप में नियुक्ति ऐतिहासिक दूसरी तरफ, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि नईमा खातून की कुलपति के रूप में नियुक्ति ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा, "यह ऐतिहासिक है। वह इस यूनिवर्सिटी की पहली महिला कुलपति हैं। उनकी नियुक्ति थोड़ा इलेक्शन और थोड़ा सेलेक्शन है। हाई कोर्ट खातून के के चुनाव संबंधी तर्कों से सहमत नहीं था, बावजूद उनकी नियुक्ति को बरकरार रखा।" प्रोफेसर गुलरेज़ को भाग नहीं लेना चाहिए था मुख्य न्यायाधीश गवई ने टिप्पणी की कि प्रोफेसर गुलरेज़ को इस प्रक्रिया में भाग नहीं लेना चाहिए था। जस्टिस गवई ने कहा, "आदर्श रूप से कुलपति को इसमें भाग नहीं लेना चाहिए था और सबसे वरिष्ठ व्यक्ति को इसमें शामिल होने देना चाहिए था। देखिए, जब हम कॉलेजियम के फैसले भी ले रहे हैं, अगर ऐसा कुछ होता है, तो हम भी इससे अलग हो जाते हैं।" अब मामले की अलग बेंच सुनवाई करेगी। विवाद क्या है? बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस साल मई में नईमा खातून की एएमयू कुलपति पद पर नियुक्ति को बरकरार रखा था। याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर खातून की नियुक्ति को चुनौती दी थी कि खातून के पति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ कुलपति के रूप में वहां कार्यरत थे, जब उनके नाम की सिफारिश की गई थी। इसके अलावा प्रोफेसर गुलरेज ने यूनिवर्सिटी के कार्यकारी परिषद की महत्वपूर्ण बैठकों की अध्यक्षता भी की थी। हालांकि, हाई कोर्ट नेनियुक्ति को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया था कि उनका अंतिम चयन विजिटर द्वारा किया गया था, जिन पर पक्षपात के कोई आरोप नहीं हैं। राष्ट्रपति इस यूनिवर्सिटी की विजिटर हैं। मुजफ्फर उरूज रब्बानी ने उनकी नियुक्ति को चुनौती दी है।  

पीएम मोदी ने मां से जोड़कर पौधारोपण अभियान को जनांदोलन में बदला : विनोद पांडेय

आजमगढ़ भारत आस्था एवं भावों का तथा श्रद्धा का देश है। इसीलिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस के दिन प्रत्येक व्यक्ति से वृक्ष लगाने का निवेदन करते हुए पौधरोपण अभियान को माँ के भाव से जोड़ा है। उक्त बातें शिव चिल्ड्रेन पब्लिक स्कूल कला के शिक्षक विनोद पांडेय ने लालगंज तहसील के पांडेय का पूरा गाँव में शास्त्रार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में हो रहे वृक्षारोपण के दौरान उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने फाउंडेशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के सामाजिक कार्य सभी संस्थाओं को करना चाहिए। पर्यावरण को संरक्षित करने के मोदी-योगी के प्रयासों को आगे बढ़ाने में संस्था अग्रणी भूमिका में है। पूर्व प्रधान श्याम अवध पांडे ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के ख़तरे बढ़े हैं।  मौसम भी आश्चर्यजनक रूप से बदल रहा है। इसलिए पेड़ लगाना आवश्यक है। क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यवसायी गोविंद सेठ ने कहा कि सभी लोग शपथ लें कि केवल पेड़ लगाना ही नहीं, बल्कि बचाना भी है। कार्यक्रम में आये लोगों का स्वागत अनुभव सिंह ने किया और आभार श्रीमती चिंता देवी तथा संचालन तरुण पाण्डेय ने किया। तरुण पांडे ने कहां की शास्त्रार्थ फाउंडेशन प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में वृक्षारोपण अभियान चला रहा है। इससे पहले शास्त्रार्थ फाउंडेशन में लखनऊ जौनपुर समेत अन्य जगहों पर भी पौधरोपण किया है। उपस्थित प्रमुख लोगों में आर्यन सिंह, योगेंद्र कुमार, त्रिभुवन पांडेय आदि उपस्थित रहे।  

बागी 4 का पहला गाना ‘गुज़ारा’ रिलीज

मुंबई, बॉलीवुड के एक्शन स्टार टाइगर श्राफ की आने वाली फिल्म बागी 4 का पहला गाना गुजारा रिलीज हो गया है। मिस यूनिवर्स 2021 हरनाज़ संधू बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री ले रही हैं। हरनाज अपनी पहली हिंदी फिल्म बागी 4 में, एक्शन सुपरस्टार टाइगर श्रॉफ के साथ नजर आयेंगी। इस फिल्म का पहला गाना गुज़ारा रिलीज हो गया है। जोश बरार की आवाज़ में दिल छू लेने वाला यह गाना रोमांस, समर्पण और मोहब्बत का असली रंग बिखेरता है। बागी 4 के टीज़र में दर्शक हरनाज़ की दमदार मौजूदगी देख चुके हैं, लेकिन गुज़ारा ने उनकी पर्सनैलिटी का बिल्कुल नया रूप दिखाया है। साजिद नाडियाडवाला की नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी, और ए. हर्षा द्वारा निर्देशित बागी 4 में टाइगर श्रॉफ, हरनाज़ संधू और संजय दत्त नज़र आएंगे। यह फिल्म 05 सितम्बर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।  

श्रद्धा कपूर करेंगी मराठी नर्तकी विठाबाई नारायणगावकर की भूमिका

मुंबई, बॉलीवुड अभिनेत्री श्रद्धा कपूर सिल्वर स्क्रीन पर मराठी नर्तकी विठाबाई नारायणगावकर का किरदार निभाती नजर आ सकती है। बॉलीवुड में चर्चा है कि छावा के निर्देशक लक्ष्मण उटेकर अब एक नई और दमदार फिल्म की तैयारी कर रहे हैं। यह फिल्म दिनेश विजान की मैडॉक फिल्म्स के बैनर तले बन रही है। इस फिल्म में श्रद्धा कपूर लीड रोल निभाती नजर आ सकती है। इस फिल्म में श्रद्धा कपूर मराठी नौटंकी नर्तकी विठाबाई नारायणगावकर का किरदार निभाएंगी। विठाबाई नारायणगावकर को ‘तमाशा क्वीन’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जा रहा है कि मेकर्स ने पहले ही मराठी नर्तकी विठाबाई नारायणगावकर के परिवार से इस फिल्म के लिये राइट्स हासिल कर लिए हैं। फिल्म योगीराज बागुल की किताब ‘तमाशा: विट्ठल बाईच्या आयुष्याचा’ पर आधारित होगी जो विट्ठाबाई के जीवन की सच्ची घटनाएं बताती है।  

शहर से गांव तक जमीनों के दाम दोगुना, नया सर्किल रेट लागू

आगरा जमीन, मकान और दुकान खरीदना सोमवार से 40 प्रतिशत तक महंगा हो जाएगा। सोमवार से नए सर्किल रेट प्रभावी हो जाएंगे। नए रेट के अनुसार ही बैनामा होंगे। अब फव्वारा में दुकान की कीमत 1.95 लाख रुपये प्रति वर्गमीटर होगी, जबकि संजय प्लेस में 1.84 लाख रुपये। एमजी रोड, कमला नगर, जयपुर हाउस और फतेहाबाद रोड पर भी संपत्ति खरीदने में जनता की जेब ढीली होगी। आपत्तियों और सुझावों पर सुनवाई के बाद डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने सोमवार से नए सर्किल रेट लागू करने के आदेश दिए हैं। जिले में करीब आठ साल बाद सर्किल रेट का निर्धारण हुआ है। एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बताया कि सर्किल रेट लागू करने से पहले निबंधन और राजस्व टीमों ने संयुक्त सर्वे किया। बाजार मूल्य परखा। उसके आधार पर नए सर्किल रेट का निर्धारण हुआ है। सोमवार से खेरागढ़, एत्मादपुर, फतेहाबाद, किरावली, बाह और सदर तहसील क्षेत्र में भी बढ़े हुए सर्किल रेट के आधार पर संपत्ति खरीदने के लिए स्टांप शुल्क देना पड़ेगा। पांच श्रेणियों में सर्किल रेट जारी हुए हैं। आवासीय दरों में 30 से 40 प्रतिशत, व्यावसायिक दरों में 35 से 40 प्रतिशत और रोड सेगमेंट की दरों में 50 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। इनके अलावा नव विकसित क्षेत्रों में 30 प्रतिशत और औद्योगिक क्षेत्रों के सर्किल रेट में भी 30 प्रतिशत तक वृद्धि की गई है। सड़क की चौड़ाई के हिसाब से जमीन की कीमत नए सर्किल रेट में जमीन की कीमत सड़क की चौड़ाई के अनुसार होगी। जितनी ज्यादा चौड़ी सड़क, उतनी महंगी। अकृषक भूमि पर नाै मीटर, 18 मीटर और 18 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क पर अलग-अलग सर्किल रेट निर्धारित हुए हैं। इनके अलावा वाणिज्यिक संपत्ति में दुकान, कार्यालय और गोदाम की भूमि का रेट अलग-अलग होगा। इसी तरह एकल वाणिज्यिक भवन में स्थित दुकान, गोदाम व कार्यालय का सर्किल रेट कार्पेट एरिया के अनुसार निर्धारित किया गया है।   इन क्षेत्रों में नया सर्किल रेट – संजय प्लेस में नाै मीटर मार्ग पर – 10,2000 से बढ़कर 1,53,000 – संजय प्लेस में व्यावसायिक भवन में दुकान – 1,21,000 से बढ़कर 1,84,000 – संजय प्लेस में आजाद फिलिंग स्टेशन से यश बैंक तक – 89,500 से बढ़कर 1,34,000 – हरीपर्वतन से नालबंद चौराहा तक एमजी रोड – 83,000 से बढ़कर 1,24,000 – मदिया कटरा तिराहा से रेलबे फाटक तक – 55,000 से बढ़कर 82,000 – सुभाष पार्क से पंचकुइयां मार्ग तक – 55,000 से बढ़कर 82,000 – कमला नगर में बी, सी व डी ब्लॉक में – 55,000 से बढ़कर 74,000 – कमला नगर में ए, ई, एफ, जी व एच ब्लॉक में – 38,000 से बढ़कर 51,000 – फव्वारा में दुकान का सर्किल रेट – 1,30,000 से बढ़कर 1,95,000 – हींग की मंडी में दुकान का सर्किल रेट – 1,00,000 से बढ़कर 1,50,000