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टाइम-लैप्स और पांच साल की मेहनत: राम मंदिर निर्माण पर बनेगी विशेष डॉक्यूमेंट्री

अयोध्या  उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर निर्माण का अधिकांश कार्य अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा. दिसंबर तक शेष काम भी समाप्त कर दिया जाएगा. इसके साथ ही जनवरी में होने वाले भव्य उद्घाटन के लिए तैयारियां तेजी से चल रही हैं. राम मंदिर निर्माण की यह ऐतिहासिक यात्रा करीब पांच साल की रही है. खास बात यह है कि इस पूरे निर्माण कार्य को पांच टाइम-लैप्स कैमरों के माध्यम से लगातार रिकॉर्ड किया जा रहा है. खुदाई से लेकर सॉइल टेस्टिंग और चरणबद्ध निर्माण की यह पूरी कहानी भविष्य में डॉक्यूमेंट्री के रूप में दुनिया के सामने लाई जाएगी. ट्रस्ट ने इस रिकॉर्डिंग को बौद्धिक संपदा घोषित किया है और इसे कुछ शर्तों के साथ सीबीआरआई (रुड़की) को सौंपा जाएगा. डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य आगे की पीढ़ियों को यह दिखाना है कि कैसे तकनीकी विशेषज्ञता, वास्तुशिल्पी विशेषताएं और श्रमिकों का समर्पण मिलकर इस भव्य धरोहर को साकार कर पाया. मंदिर की पवित्रता और मूल स्वरूप को बनाए रखना ट्रस्ट की प्राथमिकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए सजावट और अन्य तकनीकी काम किए जा रहे हैं. मंदिर परिसर में फसाड लाइटिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है. अनुमानित 8 से 10 करोड़ रुपये की लागत से इस लाइटिंग का काम होगा. तीन प्रमुख कंपनियों ने प्रजेंटेशन दी है और चयन प्रक्रिया अंतिम दौर में है. रात के समय इन लाइट्स से मंदिर की अद्भुत नक्काशी और वास्तुकला और भी भव्य दिखाई देगी. इसके साथ ही मंदिर की कलात्मकता को और विशेष बनाने के लिए थ्री-डी म्यूरल्स लगाए जा रहे हैं. कुल 90 म्यूरल्स में से 85 अयोध्या पहुंच चुके हैं. इनमें से 70 से अधिक को मंदिर की दीवारों पर स्थापित कर दिया गया है. शेष म्यूरल्स लगाने का काम 15 सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा. राम मंदिर न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय शिल्प, संस्कृति और इंजीनियरिंग का भी उदाहरण बनेगा. नृपेंद्र ने बताया कि सुबह 9:30 बजे तीन कंपनियों की ओर से फसाड लाइटिंग का प्रजेंटेशन किया गया। इसमें हाइब्रिड मॉडल, प्रोजेक्टर और लीनियर लाइटिंग जैसे विकल्प प्रस्तुत किए गए। अंतिम चयन के बाद इस पूरी व्यवस्था पर लगभग आठ से 10 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इस लाइटिंग से रात में भी मंदिर की अद्भुत नक्काशी झलकेगी। थ्री डी म्यूरल के निर्माण में एक माह की हुई देरी उन्होंने बताया कि राम मंदिर के लोअर प्लिंथ में लगने वाले 90 म्यूरल्स में से 85 तैयार होकर अयोध्या पहुंच चुके हैं। इनमें से 70 से अधिक लगाए भी जा चुके हैं। थ्री डी मूर्तियों के निर्माण में तकरीबन 15 से 30 दिन की देरी दर्ज की गई है। यह काम अब 15 सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।  दिसंबर तक सभी काम पूरा कर लेने का लक्ष्य निर्माण समिति के अध्यक्ष ने बताया कि समीक्षा के दौरान अस्थायी मंदिर और शहीदों की स्मृति में लगाए गए ग्रेनाइट पिलर के स्वरूप पर भी विस्तार से विचार किया गया। ट्रस्ट का स्पष्ट मत है कि मंदिर की पवित्रता और मूल स्वरूप पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। निर्माण कार्य की रफ्तार को देखते हुए अनुमान है कि अक्तूबर के अंत तक अधिकांश काम पूरे हो जाएंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि दिसंबर तक शेष काम भी लक्ष्य के अनुसार पूरा कर लिया जाएगा। अयोध्या राम मंदिर; शेषावतार और परकोटा के 6 मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु, 15 अक्टूबर से व्यवस्था लागू   राम मंदिर परिसर में सभी 6 मंदिरों के साथ सप्त मंडप, कुबेर टीला और शेषावतार मंदिर के दर्शन की व्यवस्था 15 अक्टूबर से लागू हो जाएगी. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक 9 सितंबर को आयोजित होगी, जिसमें एक नए ट्रस्टी के नाम को भी शामिल करने पर मुहर लग सकती है. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण समिति की भी बैठक 7, 8 और 9 सितंबर को होगी. मंदिर निर्माण समिति की बैठक में इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. पूरी उम्मीद है कि मंदिर परिसर में चल रहे निर्माण कार्य इस वर्ष पूरे कर लिए जाएंगे. मंदिर निर्माण समिति की तीन दिवसीय बैठक के दूसरे दिन आगामी तैयारियों को देखते हुए निर्माण कार्य को पूरा करने और दर्शन व्यवस्था, श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर मंथन किया गया. लगभग 6 घंटे तक लगातार चल इस बैठक के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र टेस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि यह तय कर लिया गया है कि परकोटा के 6 मंदिर और शेषावतार मंदिर में दर्शन की व्यवस्था अक्टूबर माह से प्रारम्भ हो जाएगी. लेकिन सप्त मंडपम में दर्शन की व्यवस्था शुरू किए जाने पर विचार किया जा रहा है. राम मंदिर परिसर में निर्माण. हालांकि, इसके पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के लिए श्रद्धालुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की व्यवस्था में सुरक्षा बड़ी चुनौती बन सकती है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र टेस्ट की मानें तो दर्शन व्यवस्था प्रारंभ होने के बाद प्रतिदिन सुरक्षा के जवानों को परिसर में हर कोने की तलाशी न करनी पड़े, इसके लिए ट्रस्ट सुरक्षा एजेंसी के साथ अध्ययन कर रहा है. वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए लगेंगी तीन लिफ्ट: राम मंदिर में आने वाले अतिरिक्त श्रद्धालुओं के लिए लिफ्ट की व्यवस्था भी सितंबर तक पूरा कर की ली जाएगी. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर में तीन लिफ्ट लगाई जानी हैं. इसमें उत्तर दिशा में दो और एक पश्चिम दिशा में होगी. अक्टूबर में इसे प्रारंभ कर दिया जाएगा. एक दिन में एक लाख श्रद्धालु करेंगे शू सेंटर का उपयोग: राम मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को गर्मी में तेज धूप का जलना पैरों में बर्दाश्त नहीं हो पता इसके चलते अब आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पास परकोटा के बाहर शू सेंटर का निर्माण कराया गया. चंपत राय ने बताया कि इसमें एक साथ लगभग 12000 से अधिक लोग एक साथ इसके अंदर अपने जूता और चप्पल को रख सकेंगे. एक दिन लगभग एक लाख श्रद्धालु इस सुविधा … Read more

BJP की रणनीति: हिंदुत्व एजेंडे को धार, OBC को साधने के लिए कल्याण सिंह की विरासत का सहारा

अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बहाने बीजेपी मिशन-2027 का आगाज करने जा रही है. कल्याण सिंह की चौथी पुण्यतिथि पर गुरुवार को अलीगढ़ में बीजेपी एक बड़ा कार्यक्रम कर रही है, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और बृजेश पाठक शिरकत करेंगे. इसके अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और प्रदेश के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह शामिल होंगे. कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को बीजेपी 'हिंदू गौरव दिवस' के रूप में मना रही है. इस तरह बीजेपी 2027 के चुनाव से पहले यूपी की सियासत में हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने और सपा की पीडीए पॉलिटिक्स को काउंटर करने की कवायद में है. योगी सरकार के करीब दो दर्जन मंत्री गुरुवार को कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने अलीगढ़ पहुंचेंगे. इस दौरान सीएम योगी सहित बीजेपी के दिग्गज नेता अलीगढ़ में दो घंटे तक रहकर कल्याण सिंह के बहाने 2027 का एक तरह से पश्चिम यूपी में आगाज करेंगे. बीजेपी 2024 में पश्चिम यूपी की हारी हुई लोकसभा सीटों पर लोधी समुदाय के वोटरों को साधकर 2027 को फतह करने की रणनीति अपनाएगी. कल्याण सिंह के बहाने हिंदुत्व के एजेंडे को धार कल्याण सिंह की श्रद्धांजलि सभा में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के अलीगढ़ पहुंचने के पीछे सियासी मकसद साफ है. कल्याण सिंह को हिंदुत्व की राजनीति करने वाले राम मंदिर आंदोलन का नायक माना जाता है. नब्बे के दशक में कल्याण सिंह बीजेपी के हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरे थे. कल्याण सिंह के यूपी सीएम रहते हुए 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया था. कल्याण सिंह बीजेपी के इकलौते नेता थे, जो राम मंदिर के लिए जेल गए और अपनी सत्ता की बलि दे दी थी. इस तरह कल्याण सिंह की पहचान राम भक्त और हिंदुत्व की कट्टर छवि वाले नेता की रही, जिसे बीजेपी 2027 में भुनाने की कवायद में है. इसीलिए बीजेपी कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को 'हिंदू गौरव दिवस' के रूप में मनाकर यूपी की सियासत में हिंदुत्व के एजेंडे को धार दे रही है. सपा के PDA का क्या काउंटर प्लान है? उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के रूप में बीजेपी के पास एक ऐसा ऑलराउंडर चेहरा था, जिसके सहारे पार्टी ने जातीय समीकरण को मजबूत करने के साथ-साथ हिंदुत्व की आक्रामक राजनीति को धार दी थी. यही वजह है कि बीजेपी कल्याण सिंह की श्रद्धांजलि का कार्यक्रम ऐसे समय कर रही है, जब 2027 के चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. सपा-कांग्रेस मिलकर बीजेपी के खिलाफ ओबीसी-दलित पॉलिटिक्स का सियासी नैरेटिव सेट करने में जुटी हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में ही सपा अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले और राहुल गांधी के संविधान और आरक्षण वाले दांव के ज़रिए बीजेपी को मात देने में सफल रही है. बीजेपी अब कल्याण सिंह के बहाने सपा की रणनीति को काउंटर करने की कवायद में जुटी है. पूजा पाल के साथ खड़े होकर बीजेपी ओबीसी के तहत पाल-गड़रिया और बघेल समुदाय को साधने का दांव चल रही है, तो कल्याण सिंह के बहाने लोध समुदाय को साधे रखने की रणनीति है. कल्याण सिंह ओबीसी समुदाय की लोध जाति से आते हैं. ओबीसी में पाल और लोध दोनों अहम जातियां हैं. इस तरह बीजेपी पाल और लोध समाज के ज़रिए सपा की पीडीए राजनीति में सेंधमारी का प्लान बना रही है. बीजेपी के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे रहे बीजेपी अपने शुरुआती दौर में ऊंची जातियों की राजनीति वाली पार्टी की पहचान रखती थी और उसे ठाकुर, ब्राह्मण, बनियों की पार्टी कहा जाता था. बीजेपी की इस छवि को बदलने का काम कल्याण सिंह ने किया था. तब गुड गवर्नेंस के ज़रिए उन्होंने तमाम ओबीसी जातियों को जोड़कर मंडल वाली सियासत पर कमंडल का पानी फेर दिया था. कल्याण सिंह ओबीसी की लोध बिरादरी से थे और उत्तर प्रदेश में लोध समाज का वोट भी निर्णायक है. ओबीसी में एक और बड़ा वोट बैंक लोध जाति का है. कल्याण सिंह के चलते लोधी समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह योगी सरकार में मंत्री हैं. यही नहीं बीजेपी ने लोधी समुदाय के नेताओं को राज्यसभा और विधायक बना रखा है, लेकिन 2027 की चुनावी तपिश के साथ पार्टी कल्याण सिंह के ज़रिए लोधी ही नहीं बल्कि गैर-यादव ओबीसी वोटों को सियासी संदेश देने की कवायद शुरू कर रही है, ताकि 2024 में हुए सियासी नुकसान की भरपाई कर सके. पिछले दिनों लोध समुदाय की बीजेपी से नाराजगी का सवाल उठा था. पश्चिम यूपी के किले को दुरुस्त करने में जुटी बीजेपी पहले से यूपी के जाट लैंड कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी की मुजफ्फरनगर, कैराना, सहारनपुर, नगीना और मुरादाबाद जैसी सीटें 2024 में गंवा चुकी है. इसके अलावा लोधी समाज के प्रभाव वाली कासगंज, बदायूं, आंवला, संभल, मैनपुरी, रामपुर, हमीरपुर और कन्नौज जैसी सीट हार चुकी है. इसके अलावा फर्रुखाबाद और अलीगढ़ की सीट बहुत मुश्किल से जीती है. ऐसे में बीजेपी कल्याण सिंह के बहाने लोध प्रभाव वाले इलाके में अपनी सियासी जड़ें मजबूत करने का दांव चल रही है, क्योंकि ओबीसी वोटों को साधे बिना बीजेपी यूपी में सत्ता की हैट्रिक नहीं लगा पाएगी. यूपी में करीब 3 फीसदी लोधी समुदाय के लोग हैं, लेकिन बृज और पश्चिमी यूपी के कई जिलों में इनकी निर्णायक भूमिका है. यूपी के करीब 23 जिलों में लोध वोटरों का दबदबा है. रामपुर, ज्योतिबा फुले नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, महामायानगर, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, पीलीभीत, लखीमपुर, उन्नाव, शाहजहांपुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा ऐसे जिले हैं, जहां लोध वोट बैंक पांच से 10 फीसदी तक है. लोधी समुदाय ओबीसी की पहली जाति है, जो कल्याण सिंह के चलते बीजेपी के साथ जुड़ गई थी. बीजेपी अब कल्याण सिंह के निधन के बाद भी उसे अपने साथ पहले की तरह ही जोड़े रखना चाहती है. इसीलिए कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर सीएम योगी से लेकर बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ही नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी पहुंच रहे हैं. उत्तर प्रदेश में OBC पॉलिटिक्स उत्तर प्रदेश की सियासत ओबीसी मतदाताओं के इर्द-गिर्द सिमट गई है, जिसके चलते कल्याण सिंह के बहाने बीजेपी की लोधी समुदाय के … Read more

दांतों की बीमारियों से परेशान MP: एम्स सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

भोपाल  एम्स भोपाल ने मध्यप्रदेश में दांत और मुंह की बीमारियों पर अब तक का सबसे बड़ा राज्यव्यापी सर्वेक्षण पूरा किया है। 2002-03 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर मौखिक स्वास्थ्य की स्थिति दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट को हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साउथ-ईस्ट एशिया जर्नल आफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित किया है। यह सर्वेक्षण एम्स भोपाल के दंत विभाग और रीजनल ट्रेनिंग सेंटर फार ओरल हेल्थ प्रमोशन एंड डेंटल पब्लिक हेल्थ के नोडल अधिकारी डा. अभिनव सिंह के नेतृत्व में किया गया। इसमें मध्यप्रदेश शासन के स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय ने सहयोग दिया। अध्ययन में प्रदेश के 41 जिलों के शहरी और ग्रामीण इलाकों से करीब 48 हजार लोगों को शामिल किया गया। नतीजे चौंकाने वाले सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में दांतों में कीड़े लगना 40 से 70 प्रतिशत लोगों में पाया गया। मसूड़ों की बीमारी 50 से 87 प्रतिशत और मुंह के कैंसर दो से 17 प्रतिशत तक देखी गईं। सबसे गंभीर स्थिति यह रही कि 70 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग और लगभग 50 फीसद 5 साल के बच्चे दांतों की सड़न यानी कैविटी से जूझ रहे हैं। देश का पहला मौखिक स्वास्थ्य डेटा बैंक एम्स भोपाल ने केवल सर्वे ही नहीं किया, बल्कि इसके आधार पर देश का पहला मौखिक स्वास्थ्य डेटा बैंक भी बनाया है। डब्ल्यूएचओ माडल पर आधारित इस डेटा बैंक में जिलेवार मौखिक स्वास्थ्य की स्थिति और सेवाओं का ब्योरा दर्ज है। सरकार और नीति-निर्माता अब इस आधार पर नई योजनाएं बना सकेंगे। तकनीक से आई पारदर्शिता सर्वेक्षण को पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए मोबाइल एप और जीपीएस तकनीक का उपयोग किया गया। साथ ही एम्स भोपाल ने अपने ट्रेनिंग सेंटर के माध्यम से डॉक्टरों, शिक्षकों और काउंसलरों को विशेष प्रशिक्षण देने की भी शुरुआत की है, ताकि रोकथाम और उपचार की सुविधाएं सीधे समाज तक पहुंच सकें। विशेषज्ञों की राय डॉ. अभिनव सिंह का कहना है कि अब जब मौखिक स्वास्थ्य की वास्तविक तस्वीर सामने आ चुकी है तो जनजागरुकता बढ़ाने, बचाव और उपचार के लिए ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। यह सर्वे मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मौखिक स्वास्थ्य को नई दिशा देगा।     दांतों में कीड़े (कैविटी) – 40% से 70%     मसूड़ों की बीमारी (गम डिजीज) – 50% से 87%     मुंह के कैंसर से पहले की अवस्थाएं – 2% से 17%     बुजुर्गों में दांतों की सड़न – 70% से अधिक     5 साल के बच्चों में कैविटी – लगभग 50%