samacharsecretary.com

बेमेतरा में घर-घर पहुँच रहा नल से जल, हर घर नल, हर घर जल के सपने को साकार कर दिखाया

रायपुर बेमेतरा में घर-घर पहुँच रहा नल से जल कभी पानी के लिए कतारें और हैंडपंपों पर भीड़ बेमेतरा की पहचान हुआ करती थी, परंतु अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। राज्य सरकार के सतत प्रयासों और योजनाबद्ध कार्यान्वयन से जिले ने “हर घर नल, हर घर जल” के सपने को साकार कर दिखाया है। वर्ष 2000 में बेमेतरा जिले में मात्र 3,857 हैंडपंप थे, जबकि 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 7,139 हो गई है। नलजल योजनाओं की संख्या भी 32 से बढ़कर 127 तक पहुँच चुकी है, जिनसे 32,278 परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन मिले हैं। वहीं, विद्युत विहीन ग्रामों में 142 सोलर ड्यूल पंपों की स्थापना से सौर ऊर्जा आधारित जल आपूर्ति संभव हुई है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत 719 योजनाएँ स्वीकृत की गईं, जिनमें से 378 योजनाएँ पूर्ण होकर 1,34,010 घरों में नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। साथ ही 251 ग्रामों को ‘हर घर जल रिपोर्टेड’ और 206 ग्रामों को ‘हर घर जल प्रमाणित’ घोषित किया गया है। इसके अतिरिक्त, समूह जल प्रदाय योजनाओं के माध्यम से 372 ग्रामों में सामूहिक जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। अब तक जिले में कुल 1,54,836 ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। पिछले 25 वर्षों में बेमेतरा ने जल प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और सतत विकास का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। आज जिले के प्रत्येक घर तक शुद्ध पेयजल पहुँच रहा है।

इस साल भाई दूज किस दिन है? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार और स्नेह का प्रतीक है। हर साल हिन्दू पंचांग के अनुसार ये त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए तिलक करती है और भाई अपनी बहन को उपहार देता है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है और परिवार में सौहार्द बढ़ाता है। इस साल में भाई दूज कब मनाया जाएगा, इसके बारे में जानना हर परिवार के लिए खास महत्व रखता है, ताकि वे इस पावन अवसर को सही मुहूर्त पर धूमधाम से मना सकें। तो आइए जानते हैं भाई दूज के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में- भाई दूज शुभ मुहूर्त कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शरुआत 22 अक्टूबर को रात 8 बजकर 16 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 23 अक्टूबर को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐस में भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। भाई दूज का महत्व भाई दूज का महत्व केवल पारिवारिक ही नहीं बल्कि सामाजिक रूप से भी है। यह पर्व परिवार में आपसी प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ाता है। इस दिन बहन अपने भाई के लिए मिठाइयां बनाती है, उसके माथे पर तिलक करती है और उसकी खुशियों के लिए प्रार्थना करती है। वहीं भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसे खुश करता है और जीवन में हमेशा उसका सहारा बनने का वचन देता है। यही वजह है कि भाई दूज का पर्व बहुत ही प्यार और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

पटाखों का धुआं बना जहर: ग्वालियर और जबलपुर में हवा सबसे खराब, भोपाल-इंदौर भी प्रभावित

भोपाल दीपावली पर बारूदी धुएं ने वायु गुणवत्ता का गला घोंट दिया। ग्वालियर व जबलपुर सबसे प्रदूषित शहर रहे। भोपाल व इंदौर की हवा भी जहरीली हो गई। हालात ऐसे बने कि रात नौ बजे से सुबह चार बजे तक इन शहरों में रहने वालों का दम बारूदी धुएं से घुटता रहा। आधी रात के बाद प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो गया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कई स्थानों पर इसे मापना ही बंद कर दिया। सात शहरों की हवा बेहद खराब मिली दीपावली की रात प्रदेश के चार महानगरों समेत सात शहरों की हवा बेहद खराब मिली। ग्वालियर के डीडी नगर में औसत एक्यूआइ 364 दर्ज हुआ। पिछले साल यहां की हवा 408 अंक तक खराब स्थिति में पहुंची थी। जबलपुर के गुप्तेश्वर में भी एक्यूआइ 364 रहा। यहां पिछले साल एक्यूआइ केवल 335 था। इंदौर के छोटी ग्वालटोली केंद्र पर एक्यूआइ 362 दर्ज हुआ। पिछले साल यहीं पर एक्यूआइ 399 दर्ज हुआ था। 832 तक पहुंच गया था सागर का एक्यूआइ इस सूची में सागर की स्थिति चौंकाने वाली है। सामान्य तौर पर कम औद्योगिक दबाव वाले इस शहर में औसत एक्यूआइ 341 दर्ज हुआ है। यहां सोमवार रात 12 बजे एक्यूआइ 832 तक पहुंच गया था। पीथमपुर (330) और सिंगरौली (307) में भी हवा की गुणवत्ता खराब रही। भोपाल में सोमवार शाम चार बजे से मंगलवार शाम चार बजे तक पर्यावरण परिसर स्थित निगरानी केंद्र पर वायु गुणवत्ता सूचकांक का औसत 311 रहा। लेकिन सोमवार की रात आठ बजे से जब पटाखे फूटना शुरू हुए तो यहां की हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 355 हो चुका था। पहली बार इतनी जहरीली हवा यह हवा की बेहद खराब श्रेणी है। बात यहीं नहीं रुकी, रात नौ बजे तक एक्यूआइ 426 हो चुका था, वहीं 10.15 बजे तक यह 761 तक जा पहुंचा। यह स्थिति रात एक बजे तक बनी रही। उसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे मापना ही बंद कर दिया। उसके बाद आंकड़ा सुबह 3.15 बजे आया, जहां एक्यूआइ 680 तक था। सुबह चार बजे तक यही स्थिति रही। भोपाल के ही कलेक्ट्रेट परिसर में एक्यूआइ का औसत 341 मापा गया। यहां एक्यूआइ का सर्वाधिक स्तर 672 रहा, जो रात 10 बजे से 10.45 तक का था। उसके बाद की गणना नहीं हुई। वहीं टीटी नगर में एक्यूआइ का औसत 318 रहा। यहां सर्वाधिक एक्यूआइ 627 रहा, जो रात 11 बजे दर्ज किया गया। बताया जा रहा है कि राजधानी में पहली बार इतनी जहरीली हवा मापी गई है। पिछले वर्ष अधिकतम एक्यूआइ 500 के आसपास ही रहा था। उत्तर पूर्वी हवाओं ने दी थोड़ी राहत विशेषज्ञों का कहना है कि रात में चल रही उत्तर-पूर्वी हवाओं ने इस भारी प्रदूषकों को हटाने में बहुत मदद की। हवा बंद रहती तो स्थिति अधिक गंभीर हो सकती थी। तब बहुत लोग अचानक बीमार पड़ सकते थे। यह बताता है गुणवत्ता सूचकांक 0-50 – हवा साफ है 51 -100 – हवा कम प्रदूषित 101-200 – मध्यम स्तर का प्रदूषण 201-300 – हवा खराब है 301 – 400 – बेहद खराब 401-500 – गंभीर रूप से खराब

रायपुर : हम आत्मनिर्भर हैं और भविष्य को लेकर आश्वस्त भी

रायपुर : हम आत्मनिर्भर हैं और भविष्य को लेकर आश्वस्त भी' आदिवासी स्वरोजगार योजना ने बदली जिंदगी, व्यवसाय को मिली मजबूती रायपुर छोटी सी मदद कैसे किसी परिवार और उसके भविष्य को सशक्त व आत्मनिर्भर बना देती है, इसकी मिसाल है कांकेर की श्रीमती शारदा उसेंडी। राज्य शासन की पहल से एक छोटे से लोन ने न केवल उसकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि बच्चों की बेहतर पढ़ाई-लिखाई के दरवाजे भी खोले। बारहवीं तक पढ़ी अंतागढ़ विकासखण्ड के पोण्डगांव की श्रीमती शारदा उसेंडी पहले अपने छोटे से किराना दुकान और थोड़ी-बहुत खेती के सहारे जीवन-यापन कर रही थीं। आय सीमित होने के कारण आर्थिक स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हो पा रहा था। इसी बीच कांकेर के जिला अंत्यावसायी विभाग के माध्यम से उसे जानकारी मिली कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए “आदिवासी स्वरोजगार योजना“ के तहत ऋण सुविधा उपलब्ध है। उसने तत्परता दिखाते हुए विभाग में आवेदन दिया। विभाग ने उसके आवेदन को भारतीय स्टेट बैंक, अंतागढ़ भेजा, जहां से उसके लिए एक लाख रूपए का ऋण स्वीकृत हुआ। ऋण के साथ ही विभाग की ओर से दस हजार रूपए का अनुदान भी मिला।  श्रीमती उसेंडी ने इस राशि से अपने किराना व्यवसाय को विस्तार दिया। वह बताती है कि  अभी उसे दुकान से हर महीने पांच से सात हजार रुपए तक की शुद्ध कमाई हो रही है। उसके पति और बच्चे भी इस व्यवसाय में पूरा सहयोग कर रहे हैं। अपने किराना दुकान की बदौलत उसने नियमित रूप से बैंक की किस्तें चुकाने के साथ-साथ दोनों बेटों की शिक्षा पूरी करवाई है। उसकी बेटी अभी कॉलेज में पढ़ रही है। श्रीमती शारदा उसेंडी बताती हैं – “दुकान के विस्तार के बाद हमारी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो गई है। अब हम आत्मनिर्भर हैं और भविष्य को लेकर आश्वस्त भी।” उसने छत्तीसगढ़ शासन के अंत्यावसायी विभाग, कांकेर के प्रति आभार जताते हुए आदिवासी युवक-युवतियों से अपील की है कि वे “आदिवासी स्वरोजगार योजना“ का लाभ लेकर आत्मनिर्भर बनने की राह में कदम बढ़ाएं।

बार-बार धुंधला दिखता है? हो सकता है ये 4 कारण बिगाड़ रहे हों आपकी नजर

आंखें हमारे शरीर का अहम हिस्सा होती है। यह हमें देखने में मदद करती हैं और इसलिए आंखों के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल होता है। आंखों की इसी अहमियत को समझाने के मकसद से हर साल 9 अक्टूबर को वर्ल्ड साइट डे मनाया जाता है। इस दिन का मकसद आई हेल्थ और इसकी देखभाल के बारे में लोगों को जागरूक करना है। इन दिनों आंखों से जुड़ी कई समस्याएं लोगों के लिए परेशानी की वजह बनी रहती है। ब्लर विजन इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो यह बताता है कि आपको चश्मे की जरूरत है। इसकी वजह से आपकी पढ़ने, गाड़ी चलाने या यहां तक कि चेहरे पहचानने की क्षमता तक को भी प्रभावित कर सकता है। अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो यह रोजमर्रा का जीवन को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा ब्लर विजन के और भी कई कारण हो सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के चेयरमैन और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. महिपाल सिंह सचदेव से बातचीत की। उन्होंने बताया कि ब्लर विजन के चार संभावित कारण हो सकते हैं, जो निम्न हैं:- रिफ्रेक्टिव एरर ब्लर विजन का सबसे आम कारण रिफ्रेक्टिव एरर है, जिसनें मायोपिया, हाइपरोपिया, या एस्टीग्मेटज्म जैसी कंडीशन शामिल है। ये तब होती हैं, जब आंख में प्रवेश करने वाली रोशनी रेटिना पर ठीक से फोकस नहीं होता है। एरर के प्रकार के आधार पर, आपको पास की या दूर की वस्तुओं को साफ रूप से देखने में कठिनाई हो सकती है। प्रेसबायोपिया जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, आमतौर पर 40 के बाद, आंखों का लेंस कम लचीला हो जाता है, जिससे पास की वस्तुओं पर फोकस केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। प्रेसबायोपिया नाम की इस कंडीशन के कारण अक्सर पढ़ने के लिए चश्मे की जरूरत होती है। स्क्रीन से आंखों में तनाव डिजिटल डिवाइस पर लंबा समय तक बिताने से अस्थायी रूप से ब्लर विजन, सूखापन और थकान हो सकती है। यह अक्सर डिजिटल डिवाइस के कारण आंखों में होने वाले तनाव के कारण होता है, जो आंखों की मांसपेशियों और आंसू के प्रोडक्शन को प्रभावित करता है। कुछ स्वास्थ्य सुविधाएं ब्लर विजन डायबिटीज, हाई ब्लर प्रेशर या ग्लूकोमा जैसी आंखों की बीमारियों जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का भी लक्षण हो सकती है। शुरुआती पहचान और उपचार के लिए नियमित आंखों की जांच जंरूरी है।  

‘स्‍टार गधा शाहरुख’ की लगी रिकॉर्ड तोड़ बोली, मेले में छाया आकर्षण का केंद्र

सतना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में दीपावली के बाद फिर से गूंज उठा पशु व्यापार का अनोखा संगम गधा मेला। मंदाकिनी नदी के किनारे सजे इस तीन दिवसीय मेले की शुरुआत मंगलवार को पारंपरिक अंदाज में हुई। यह मेला अपनी अनूठी परंपरा, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और दिलचस्प नामों वाले जानवरों के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस बार मेले में महिला व्यापारियों का पहुंचना कौतूहल का विषय बना रहा। जहां घूंघट ओढ़े महिला व्यापारियों ने सर्वाधिक तेज बोली लगाते दिखी। देश-विदेश से पहुंचे व्यापारी इस बार मेले में 300 से अधिक गधे, खच्चर और घोड़ियां शामिल की गई हैं। व्यापारी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल और यहां तक कि अफगानिस्तान से भी पहुंचे हैं। पहले ही दिन खरीद-फरोख्त का माहौल बेहद रोमांचक रहा। ‘शाहरुख’ बना स्टार, ‘सलमान’ और ‘बसंती’ भी छाए हर साल की तरह इस बार भी फिल्मी नामों वाले जानवर मेले की शान बने हुए हैं। ‘शाहरुख’ नाम के गधे की सबसे ऊंची बोली 1 लाख 5 हजार रुपए लगी। वहीं ‘सलमान’, ‘बसंती’ और ‘धोनी’ नाम के गधों ने भी व्यापारियों का ध्यान खींचा। पिछले साल ‘लॉरेंस’ नाम के खच्चर ने 1.25 लाख की रिकॉर्ड बोली लगवाकर सबको चौंका दिया था। इस बार भी खरीदारों में उसी उत्साह और प्रतिस्पर्धा का माहौल है। महिला व्यापारियों की बढ़ती भागीदारी इस बार मेले में महिलाओं की उपस्थिति भी चर्चा में रही। घूंघट में पहुंची एक महिला व्यापारी ने अकेले 15 जानवरों की खरीद कर सबको अचंभित कर दिया। खरीदे गए ये जानवर निर्माण कार्य, ईंट-भट्टों और परिवहन के काम में उपयोग होते हैं। औरंगजेब से जुड़ा इतिहास इतिहासकार बताते हैं कि इस मेले की शुरुआत सन् 1670 के आसपास मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में हुई थी। कहा जाता है कि चित्रकूट पर आक्रमण के दौरान उसकी सेना के घोड़े बीमार पड़ गए थे। तब उसने बालाजी मंदिर निर्माण कार्य और सामान ढुलाई के लिए गधों की खरीद के आदेश दिए। वहीं से इस अनोखे मेले की परंपरा शुरू हुई। आज यह मेला राजस्थान के पुष्कर मेले के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है, जहां व्यापार के साथ परंपरा, संस्कृति और लोकजीवन की सजीव झलक देखने को मिलती है।

शादी की योजना बना रहे हैं? देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर-दिसंबर में ये हैं सबसे शुभ तिथियां

हिंदू धर्म में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य माना जाता है. पिछले चार महीने से चले आ रहे चातुर्मास के कारण सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक लगी हुई थी, लेकिन अब शहनाइयों की गूंज फिर से सुनाई देने वाली है. मान्यता है कि देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसके कारण इस दौरान विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. साल 2025 में भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागकर एक बार फिर शुभ कार्यों के द्वार खोलने जा रहे हैं. आइए जानते हैं साल 2025 में नवंबर-दिसंबर के महीने में किस- किस दिन शादी के मुहूर्त हैं. 1 नवंबर से शुरू होगा मांगलिक कार्यों का सिलसिला ज्योतिष गणना के अनुसार, साल 2025 में देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागेंगे, जिसके बाद ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. तुलसी विवाह के अगले दिन से शुरू होंगे शुभ मुहूर्त देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी विवाह का आयोजन होता है, जिसे शुभ विवाह का आरंभ माना जाता है. इस प्रकार, नवंबर-दिसंबर 2025 में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे. हालांकि, इस साल नवंबर और दिसंबर में विवाह के लिए केवल 17 शुभ तिथियां ही मिल रही हैं. यदि आप भी शादी या किसी अन्य मांगलिक कार्य की योजना बना रहे हैं, तो इन मुहूर्तों को तुरंत नोट कर लें. नवंबर 2025 विवाह मुहूर्त तिथि दिन शुभ विवाह मुहूर्त     2 नवंबर रविवार रात 11:11 बजे से 3 नवंबर, सुबह 06:34 बजे तक.     3 नवंबर सोमवार सुबह 06:34 बजे से शाम 07:40 बजे तक.     6 नवंबर गुरुवार रात 03:28 बजे से 7 नवंबर, सुबह06:37 बजे तक.     8 नवंबर शनिवार सुबह 07:32 बजे से रात 10:02 बजे तक.     12 नवंबर बुधवार रात्रि 12:51 बजे से 13 नवंबर, सुबह 06:42 बजे तक.     13 नवंबर गुरुवार सुबह 06:42 बजे से शाम 07:38 बजे तक.     16 नवंबर रविवार सुबह 06:47 बजे से 17 नवंबर, रात 02:11 बजे तक.     17 नवंबर सोमवार सुबह05:01 बजे से 18 नवंबर, सुबह 06:46 बजे तक.     18 नवंबर मंगलवार सुबह 06:46 बजे से सुबह 07:12 बजे तक.     21 नवंबर शुक्रवार सुबह 10:44 बजे से दोपहर 01:56 बजे तक.     22 नवंबर शनिवार रात 11:27 बजे से 23 नवंबर, सुबह 06:50 बजे तक.     23 नवंबर रविवार सुबह 06:50 बजे से दोपहर 12:09 बजे तक.     25 नवंबर मंगलवार दोपहर 12:50 बजे से रात 11:57 बजे तक.     30 नवंबर रविवार सुबह 07:12 बजे से 1 दिसंबर, सुबह 06:56 बजे तक. दिसंबर 2025 विवाह मुहूर्त तिथि दिन शुभ विवाह मुहूर्त     4 दिसंबर गुरुवार शाम 06:40 बजे से 5 दिसंबर,सुबह 06:59 बजे तक.     5 दिसंबर शुक्रवार सुबह 06:59 बजे से 6 दिसंबर, सुबह 07:00 बजे तक.     6 दिसंबर शनिवार सुबह 07:00 बजे से सुबह 08:48 बजे तक. इसके बाद लगेगा ‘खरमास’ दिसंबर महीने में 6 तारीख के बाद आपको विवाह के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. ज्योतिष के अनुसार, 15 दिसंबर 2025 से सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिसके साथ ही खरमास (मलमास) शुरू हो जाएगा. खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे सभी मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. यह अवधि एक महीने तक चलती है.

भोपाल में रेयर अर्थ एलिमेंट व टाइटेनियम थीम पार्क का उद्घाटन जल्द

भोपाल  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निकट, आचारपुरा औद्योगिक क्षेत्र में “रेयर अर्थ और टाइटेनियम थीम पार्क” आकार ले रहा है. अधिकारियों ने बताया कि दुर्लभ खनिजों के खनन और परिशोधन में सशक्त बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार करते हुए उच्च-स्तरीय दल ने भोपाल के अचारपुरा इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड के रेयर अर्थ एवं टाइटेनियम थीम पार्क का अवलोकन किया. उच्च-स्तरीय दल प्रदेश में रेयर अर्थ खनिजों की संपूर्ण वैल्यू चेन के विकास और सहयोग के अवसर तलाश रहा है. राज्य सरकार की इस टीम ने संयंत्र में स्वदेशी तकनीक से विकसित रेयर अर्थ धातु निष्कर्षण प्रक्रियाओं की जानकारी ली. क्यों खास है ये पार्क? राज्य सरकार की टीम ने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का भी अवलोकन किया, जहां उन्नत अनुसंधान, परिशोधन (बेनीफिसिएशन) और प्रसंस्करण तकनीकों के माध्यम से भारत को इस रणनीतिक क्षेत्र में अग्रणी बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं. खनिज विभाग और आईआरईएल के बीच भावी सहयोग पर भी चर्चा हुई, जिसमें नीतिगत सहयोग, तकनीकी विकास और औद्योगिक संपर्क को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. यह पार्क मध्यप्रदेश को एक महत्वपूर्ण ‘रेयर अर्थ मैटेरियल हब' बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. हाल ही में भी राज्य की उच्चस्तरीय टीम ने इस पार्क का दौरा कर उसकी प्रौद्योगिकियों, अनुसंधान और प्रसंस्करण क्षमताओं का जायज़ा लिया. इससे प्रदेश में रेयर अर्थ खनिजों के अन्वेषण, प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योगों का सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम) विकसित किया जा सके. खनिज विभाग के उच्च-स्तरीय दल का यह दौरा प्रदेश को महत्वपूर्ण खनिज प्रसंस्करण और संबद्ध विनिर्माण के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे देश को रेयर-अर्थ-मटेरियल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सशक्त किये जाने के प्रयासों को सहायता मिलेगी.

नक्सलियों में आत्मसमर्पण की बाढ़: माओवाद खत्म करने की ‘मोदी-शाह’ प्लानिंग कितनी कारगर?

रायपुर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देशवासियों को यह भरोसा दिलाया है कि 31 मार्च 2026 से पहले 'नक्सलवाद' पूरी तरह खत्म हो जाएगा। माओवाद के खात्मे पर अब प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री 'शाह' का हाई 'कॉन्फिडेंस' साफ झलक रहा है। अभी तो डेड लाइन करीब आने में पांच माह बचे हैं, लेकिन अभी से ही नक्सलियों में 'सरेंडर' करने की होड़ मच गई है। माओवादियों की केंद्रीय कमेटी और जोनल कमेटी के सदस्यों के अलावा सीनियर ऑपरेटिव, सुरक्षा बलों के समक्ष हथियार डाल रहे हैं। पिछले कई दिनों से सुरक्षा बलों एवं राज्यों के विशेष दस्तों को ऐसे खुफिया इनपुट मिल रहे हैं कि नक्सली, भारी तादाद में सरेंडर करने के इच्छुक हैं। उन्हें एनकाउंटर में न उलझाया जाए। इस सप्ताह सैकड़ों नक्सलियों ने सरेंडर किया है। माओवादियों पर कसी गई नकेल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब नक्सलियों की गिरफ्तारी का आंकड़ा, सरेंडर की गिनती से पीछे छूट चुका है। 2024 में छत्तीसगढ़ में 2100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, 1785 गिरफ्तार हुए, जबकि 477 को न्यूट्रलाइज किया गया। बता दें कि इस सप्ताह जितने नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, यह एक रिकार्ड बन गया है। छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को 208 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है। इनमें 98 पुरुष और 110 महिलाएं शामिल हैं। सभी 208 नक्सलियों ने 153 हथियार भी पुलिस के पास जमा करा दिए हैं। इससे पहले छत्तीसगढ़ में 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। बाद में 27 अन्य नक्सली भी हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो गए। दो दिन पहले महाराष्ट्र में भी 61 नक्सलियों ने हथियार डाले थे। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की सूची में 10 सीनियर ऑपरेटिव, जिनमें सतीश उर्फ टी वासुदेव राव (सीसीएम), रानीता (एसजेडसीएम, माड़ डीवीसी की सचिव), भास्कर (डीवीसीएम, पीएल 32), नीला उर्फ नंदे (डीवीसीएम, आईसी और नेलनार एसी की सचिव), दीपक पालो (डीवीसीएम, आईसी और इंद्रावती एसी का सचिव) शामिल हैं। टी वासुदेव राव पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था। बाकी कई दूसरे माओवादियों पर भी इनाम घोषित किया गया था। इतने बड़े पैमाने पर हुए सरेंडर को लेकर अमित शाह ने कहा, यह अत्यंत हर्ष की बात है कि एक समय आतंक का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और नॉर्थ बस्तर को आज नक्सली हिंसा से पूरी तरह मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब छिटपुट नक्सली केवल साउथ बस्तर में बचे हुए हैं, जिन्हें हमारे सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे। यह 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के हमारे दृढ़ संकल्प का प्रतिबिम्ब है। सरेंडर बाबत केंद्रीय सुरक्षा बल के एक अधिकारी, जो लंबे समय तक नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात रहे हैं, ने बताया, अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है। हां, यह भी नहीं कह सकते है कि माओवादी पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं। कुछ क्षेत्रों में उनकी मौजूदगी है, लेकिन देर सवेर वहां भी सरेंडर या मुठभेड़ में मारे गए, जैसी कोई सूचना मिल सकती है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 'सीआरपीएफ', डीआरजी, एसटीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के जवान 31 मार्च 2026 के लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। नक्सलवाद से प्रभावित अधिकांश इलाकों में सीआरपीएफ और इसकी विशेष इकाई 'कोबरा' तैनात है, इसलिए अब तेज रफ्तार से 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित किए जा रहे हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि नक्सल को खत्म करने में सबसे बड़ा योगदान सीआरपीएफ और इसकी विशेष इकाई, 'कोबरा' का है। डीआरजी एवं दूसरे बलों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। सात आठ वर्ष पहले लोकल पुलिस, अकेले जंगल में नहीं जा पाती थी। साथ में सीआरपीएफ/कोबरा या कोई दूसरा बल रहता था। सीआरपीएफ, कोबरा, डीआरजी के जवानों ने इस लड़ाई में खूब बलिदान दिया है। जब से केंद्रीय गृह मंत्री ने नक्सलियों के खात्मे की डेड लाइन तय की है, मानवीय और गैर मानवीय दिक्कतों के बावजूद 'सीआरपीएफ' द्वारा महज 48 घंटे में नया एफओबी तैयार कर दिया जाता है।'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित करने में पहले काफी समय लगता था। वजह, उस क्षेत्रों में सड़कें न होने के कारण वहां पर निर्माण सामग्री, जल्दी नहीं पहुंच पाती थी। नक्सलियों द्वारा घात लगाकर हमला, आईईडी लगाना व बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) से अटैक, ये सब आम बात थी। इस तरह के खतरों के बीच सीआरपीएफ ने खुद के बलबूते और कुछ जगहों पर डीआरजी (डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड) एवं लोकल पुलिस को साथ लेकर एफओबी स्थापित किए हैं। दो तीन वर्षों में एफओबी के बीच में अंतराल ज्यादा बिल्कुल कम कर दिया गया है। अब तो चार-पांच किलोमीटर या उससे कम की दूरी पर भी एफओबी स्थापित किए जा रहे हैं। नतीजा, नक्सलियों के पास अब दो ही विकल्प, 'सरेंडर' या 'गोली' ही बचते हैं। लगातार खुलते एफओबी के चलते नक्सलियों के ठिकाने तबाह होने लगे हैं। ऐसा कोई इलाका नहीं बचा है, जहां सुरक्षा बलों की पहुंच न हो। महज 48 घंटे में 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित कर सुरक्षा बल, आगे बढ़ रहे हैं। नक्सलियों के लिए जंगलों में ज्यादा लंबी दूरी तक भागना संभव नहीं रहा। उनकी सप्लाई चेन कट चुकी है। अब उन्हें वित्तीय मदद भी नहीं मिल पा रही। नक्सलियों की नई भर्ती तो पूरी तरह बंद हो गई है। घने जंगलों में स्थित नक्सलियों के ट्रेनिंग सेंटर भी तबाह किए जा रहे हैं। तीन सौ से ज्यादा एफओबी खुलने के बाद माओवादी,  सुरक्षा बलों के चक्रव्यूह में फंसकर रह गए हैं। यही वजह है कि अब एकाएक, आत्मसमर्पण बढ़ता जा रहा है। नक्सलियों के गढ़ में 2024 में 58 नए कैंप स्थापित हुए थे। इस वर्ष 100 नए एफओबी स्थापित करने पर काम शुरु हुआ था। ये कैंप नक्सल के किले को ढहाने में आखिरी किल साबित हो रहे हैं। जिस तेजी से 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित हो रहे हैं, उससे यह बात साफ है कि तय अवधि से पहले ही नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा। सुरक्षा बलों ने नक्सलियों का हर वो ठिकाना ढूंढ निकाला है, जो अभी तक एक पहेली बना हुआ था। उनके स्मारक गिराए जा रहे हैं। 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित होने के कारण नक्सली घिरते जा रहे हैं। पहाड़ी जंगल में सुरक्षा बल चारों तरफ से घेरा डालकर आगे बढ़ रहे हैं। एफओबी को स्थापित … Read more

मां की अनमोल दुआ: 72 की उम्र में बेटे को किडनी देकर दी नई जिंदगी

इंदौर   इंदौर से ममता और त्याग की एक अद्भुत मिसाल पेश करने वाली खबर सामने आई है. यहां 72 वर्षीय मां ने अपने गंभीर रूप से बीमार 46 साल के बेटे को अपनी किडनी दान करके उसे नया जीवन दिया है.कपड़ों की धुलाई का काम करने वाले कमलेश वर्मा पिछले 3 वर्षों से गंभीर किडनी रोग से पीड़ित थे और डायलिसिस करवा रहे थे, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. डॉक्टरों द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दिए जाने पर 72 वर्षीय मां गंगा वर्मा अपनी किडनी दान करने के लिए आगे आईं.  यह अंग प्रत्यारोपण सर्जरी शहर के सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सफलतापूर्वक की गई. अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रितेश बनोडे ने बताया कि दाता की बढ़ती उम्र के कारण प्रत्यारोपण चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सर्जरी पूरी तरह सफल रही. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मामला लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करेगा. 'मां का कर्ज कभी नहीं चुका सकता' अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मां-बेटे की जोड़ी घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रही है. दोनों ने इस फैसले पर भावुक होकर प्रतिक्रिया दी. अपने बच्चे की जान बचाना एक मां का फर्ज होता है. अगर मेरी किडनी ने मेरे बेटे की जान बचाई, तो इससे ज़्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है?" भावुक होकर कहा, "मैं पिछले तीन सालों से डायलिसिस करवा रहा था. अब मेरी मां ने मुझे फिर से जिंदगी दी है. मैं अपनी मां का यह कर्ज कभी नहीं चुका सकता."