पितृपक्ष हिंदू धर्म का एक पवित्र काल होता है, जो पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए समर्पित है। यह 16 दिनों का विशेष समय होता है, जिसमें श्राद्ध, तर्पण और दान-धर्म के माध्यम से पितरों को संतुष्ट किया जाता है। पितृपक्ष आने से पहले घर की सफाई, व्यवस्था और कुछ खास वस्तुओं को घर से बाहर निकालना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा न करने पर मान्यता है कि घर में नकारात्मक ऊर्जा बनी रह सकती है और अशुभ प्रभावों से मनुष्य प्रभावित हो सकता है। इस आर्टिकल में जानेंगे पितृपक्ष आने से पहले किन पांच वस्तुओं को घर से बाहर निकालना चाहिए ताकि शुभ कार्य हो और घर में खुशहाली बनी रहे।
टूटी-फूटी वस्तुएं और बर्बाद चीजें
टूटी-फूटी चीजें जैसे टूटा हुआ बर्तन, फटा कपड़ा, टूटा हुआ इलेक्ट्रॉनिक सामान या खराब हो चुका कोई भी सामान घर में अशुभ माना जाता है। पितृपक्ष से पहले इन्हें साफ-सुथरे तरीके से बाहर निकाल देना चाहिए। ये वस्तुएं घर की सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करती हैं और अशुभ प्रभाव पैदा कर सकती हैं। टूट-फूट का प्रतीक जीवन में बाधा और नकारात्मकता को दर्शाता है।
सूखे फूल और मुरझाए हुए पौधे
घर में लगे मुरझाए हुए पौधे या सूखे फूल भी पितृपक्ष में अशुभ माने जाते हैं। ये न केवल घर की ऊर्जा को खराब करते हैं बल्कि पूर्वजों की आत्मा के प्रति उचित सम्मान नहीं माना जाता। इसलिए पितृपक्ष आने से पहले इन सूखे और मुरझाए हुए पौधों को हटा देना चाहिए।
अधूरी या टूटी हुई पूजा सामग्री
पूजा में उपयोग होने वाली अधूरी या टूटी हुई सामग्री जैसे टूटी हुई दीपक, अधूरा धूपबत्ती पैक, फटा हुआ थाली सेट आदि को भी बाहर निकालना चाहिए। अधूरी या टूटी पूजा सामग्री घर की शुद्धि में बाधा डालती है और पूजा का प्रभाव कम हो जाता है।
बासी भोजन या खराब खाना
पितृपक्ष में घर के किसी भी हिस्से में बासी या खराब भोजन रखना अशुभ माना जाता है। यह पूर्वजों के प्रति सम्मान का अभाव दर्शाता है। बासी या खराब भोजन से न केवल घर में बदबू और कीट-पतंगे बढ़ते हैं बल्कि नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अधूरा काम या असंपन्न वस्तुएं
पितृपक्ष के पहले किसी भी अधूरे काम को पूरा कर लेना चाहिए। अधूरा काम घर में मानसिक तनाव और अशांति लाता है। साथ ही असंपन्न वस्तुएं जैसे आधे अधूरे कपड़े, अधूरा निर्माण कार्य या अधूरा सामान भी घर में नकारात्मकता पैदा करता है।